मंगलवार, 24 मार्च 2015

प्यारी कवितायें

सावन की बरखा पड़ी,लगी झड़ी दिन रैन । साजन बिन कहो बदरिया,किस विद आवै चैन ।1। साजन बसेँ दूर देश मेँ,गये राज के काम । काम काम मेँ उधर जलेँ, इधर काम तमाम ।2। सावन जलाए बदन को, बरखा लेती प्राण । साजन बिन अब सांवरा, पाएं कैसे त्राण ।3। बूंद बूंद पानी पड़े, तन मेँ लागे आग । पिव वाणी के सामने,कड़वी कोयल राग ।4। मिल करझूला झूलती, पिव होते जो संग । बिन पिया तो ये सावन, करता कितना तंग ।5। धन कमाने पिया गए,आया सावन मास । धन को तन नहीँ जाने, मांगे प्रीतम पास ।6। अम्बर छाई बदरिया, धरती छाया नेह । प्रीतम आवन आस मेँ, सावन बरसे मेह ।7। आंखेँ बरसी प्रीत मेँ, प्रीतम देखूं आह । धरती बादल मिल लिये,मेरी उलझी चाह ।8। खत मेँ गत मैँ क्या लिखूं,आओ प्रीतम पास । सावन फीका जा रहा, तुझमेँ अटकी सांस ।9। तुम बिन ये घर घर नहीँ, लगता है बनवास । सावन मेँ जो सग रहो, जीवन बांधूं आस ।10।

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