मंगलवार, 24 मार्च 2015

आदमी आदमी रह्यो न देखो-

देखो आज आदमी आदमी ने खाय रह्यो, देखो आज आदमी !! धरती बांटी, आभो बांटयो, बाँट डाल्यो नीर भी धर्म री दीवार खींच, बांटयो मालिक पीर भी ! नैणा रे नीर री, पीर यो न बाँट सक्यो खेंच डाल्यो लाश सूँ, कफ़न रो कोरो चीर भी ! मिनखपणों मानखे रो भूल गयो आदमी आदमी ने खाय रह्यो, देखो आज आदमी !! हाउडे सूँ डरतो चिपतो, भूल गयो छाती बा भूल्यो संस्कार री, गुरां पढाई पाटी बा ! जायदाद बाप री, में सीर यो न भूल सक्यो माँ-जाया दूर, भूल्यो माँ रे दूध री मिठास भी ! रिश्तां ने ताकड़ी में, तोल रह्यो आदमी आदमी ने खाय रह्यो, देखो आज आदमी !! जीवतां जिमायो कोनी, मरियां मौसर अनाप ता जिन्दगी उघाड़े लारे, कर रह्या ओढावणी ! माल यूँ उडाय रह्या, ब्याव ज्यूँ मंड्यो है कोई भूल रह्या है बगत री मार सूँ, बच्यो ना कोई! झूठी बड़ाई में बड़ाई, खोय रह्यो आदमी आदमी ने खाय रह्यो, देखो आज आदमी !! सोवतो जगाणो सोरो, जागतो जगावे कौन सूजतो भी खाड में, पड़े अहि तो बचावे कौन ! संस्कृति ने छोड़ के, मरजादा ने मरोड़ के खुद मारे खुद री आतमा, तो बोलो फिर बचावे कौन ! निरमल बणेलो भाईयाँ, फिर आदमी कद आदमी आदमी ने खाय रह्यो, देखो आज आदमी !!

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