रविवार, 10 मई 2015

साजन छोड़ शराब

पिण्ड झड़े , रोबा पडे़ , पड़िया सड़े पेंषाब । जीब अड़े पग लडथडे़, साजन छोड़ शराब ।। १ ।। कॉण रहे नह कायदो, अॅाण रहे नह आब। (जे) राण बाण नित रेवणो,(तो) साथी छोड शराब 11 २ 11 जमी साख जाति रहे ,ख्याति हुवे खराब । मुख न्याति रा मोड़ले ,साथी छोड़ शराब 11 ३ 11 परणी निरखे पीवने , दॉत आंगली दाब। भॉत भॉत मंाख्यंा भमे, साजन छोड़ शराब 11 ४ 11 आमद सू करणो इधक , खरचो घणो खराब । सदपुरखॉ री सीखहे, साथी छोड़ शराब 11 ५ 11 सरदा घटे शरीर री , करे न गुरदा काम। परदा हट जावे परा, आसव छोड़ अलाम 11 ६ 11 कहे सन्त अर ग्रंथ सब , निष्चय धरम निचोड़ । जे सुख चावे जीवणो, (तो) छाक पीवणो छोड़ 11 ७ 11 मोनो अरजी रे मनां , मत कर झोड़ झकाळ। छाक पीवणी छोड़दे, बोतल रो मुॅहबाळ 11 ८ 11 चंवरी जद कंवरी चढी, खूब बणाया ख्वाब । ख्वाब मिळगया खाक मे, पीपी छाक शराब 11 ९ 11 घर मांेही तोटो घणों, रांधण मिळेन राब। बिलखे टाबर बापड़ा , साजन छोड़ शराब ।। १0 ।। दारू में दुरगण घणा , लेसमात्र नह लाब । जग में परतख जोयलो , साथी छोड़ शराब ।। ११ ।।

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