रविवार, 10 मई 2015

'मनस्थिति' बदलो

'मनस्थिति' बदलो गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है। गुरू ने कहा - अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा। एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय वापिस ले गया । गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली। 'परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो । बस दुख सुख में बदल जायेगा.। "सुख दुख आख़िर दोनों मन के ही तो समीकरण हैं।"

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