रविवार, 10 मई 2015
Maharana partap
मेवाड़ के राजा
शासन1572–1597
राज तिलक1 मार्च 1572
उदय सिंह द्वितीयपूर्वाधिकारी
महाराणा अमर सिंह [1]उत्तराधिकारी
जीवन संगी(11 पत्नियाँ) [2]
संतानअमर सिंह
भगवान दास
(17 पुत्र)
राज घरानासिसोदिया
उदय सिंह द्वितीयपिता
मातामहाराणी जयवंता कँवर [2]
हिन्दू धर्मधर्म
महाराणा प्रताप(9 मई 1540 – 29 जनवरी 1597) उदयपुर, मेवाडमें शिशोदिया राजवंशके राजा थे। उनका नाम इतिहासमें वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबरके साथ संघर्ष किया। उनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ में महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर के घर हुआ था। १५७६ के हल्दीघाटी युद्ध में २०,००० राजपूतों को साथ लेकर राणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के ८०,००० की सेना का सामना किया। शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को शक्ति सिंह ने बचाया। उनके प्रिय अश्व चेतककी भी मृत्यु हुई। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परन्तु इसमें १७,००० लोग मारे गएँ। मेवाड़ को जीतने के लिये अकबर ने सभी प्रयास किये। महाराणा की हालत दिन-प्रतिदिन चिंतीत हुई। २५,००० राजपूतों को १२ साल तक चले उतना अनुदान देकर भामा शा भी अमर हुआ।
जीवन
बिरला मंदिर, दिल्लीमें महाराणा प्रताप का शैल चित्र
महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ दुर्ग में हुआ था। महाराणा प्रताप की माता का नाम जैवन्ताबाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थी। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुन्दा में हुआ।
महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कुल 11 शादियाँ की थी उनके पत्नियों और उनसे प्राप्त उनके पुत्रों पुत्रियों के नाम है:-
1.महारानी अजब्धे पंवार :- अमरसिंह और भगवानदास
2.अमरबाई राठौर :- नत्था
3.शहमति बाई हाडा :-पुरा
4.अलमदेबाई चौहान:- जसवंत सिंह
5.रत्नावती बाई परमार :-माल
6.लखाबाई :- रायभाना
7.जसोबाई चौहान :-कल्याणदास
8.चंपाबाई जंथी :- कचरा, सनवालदास और दुर्जन सिंह
9.सोलनखिनीपुर बाई :- साशा और गोपाल
10.फूलबाई राठौर :-चंदा और शिखा
11.खीचर आशाबाई :- हत्थी और राम सिंह
महाराणा प्रताप ने भी अकबर की अधीनता को स्वीकार नहीं किया था। अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिये क्रमश: चार शान्ति दूतों को भेजा।
1.जलाल खान कोरची (सितम्बर १५७२)
2.मानसिंह (१५७३)
3.भगवान दास (सितम्बर–अक्टूबर १५७३)
4.टोडरमल (दिसम्बर १५७३) [3]
हल्दीघाटी का युद्ध
मुख्य लेख :हल्दीघाटी का युद्ध.
यह युद्ध १८ जून १५७६ ईस्वी में मेवाड तथा मुगलों के मध्य हुआ था। इस युद्ध में मेवाड की सेना का नेतृत्व महाराणा प्रताप ने किया था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लडने वाले एकमात्र मुस्लिम सरदार थे -हकीम खाँ सूरी।
इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मानसिंह तथा आसफ खाँ ने किया। इस युद्ध का आँखों देखा वर्णन अब्दुल कादिर बदायूनीं ने किया। इस युद्ध को आसफ खाँ ने अप्रत्यक्ष रूप से जेहाद की संज्ञा दी। इस युद्ध में बींदा के झालामान ने अपने प्राणों का बलिदान करके महाराणा प्रताप के जीवन की रक्षा की। [2]
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