रविवार, 10 मई 2015

घड़ला सीतल नीर रा, कतरा करां बखाण।

घड़ला सीतल नीर रा, कतरा करां बखाण। हिम सूं थारो हेत है, जळ इमरत रै पाण॥ घड़ला थारो नीर तो, कामधेन रो छीर। मन रो पंछी जा लगै, मानसरां रै तीर॥ घड़ला थारा नीर में, गंग जमन रो सीर। नरमद मिल गौदावरी, हर हर लेवै पीर॥ जितरी ताती लू चलै, उतरो ठंडो नीर। तन तिरलोकी राजवी, मन व्है मलयागीर॥ बियाबान धर थार में, एक बिरछ री छांव। मिल जावै जळ-गागरी, बो इन्नर रो गांव॥ रेत कणां झळ नीसरै, भाटै भाटै आग। झर झर सीतल जळ झरै, घड़ला थारा भाग॥ इक गुटकी में किसन है, दो गुटकी में राम। गटक-गटक पी लै मनां, होज्या ब्रह्म समान॥

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