रविवार, 10 मई 2015

थोड़ा दिना पछे ए शायद कोनी मिलेला थोड़ा दिना पछे ए शायद कोनी मिलेला ⌛

थोड़ा दिना पछे ए शायद कोनी मिलेला थोड़ा दिना पछे ए शायद कोनी मिलेला ⌛  लुगाईओ में लाज, दिलों में राज, चुल्हा री आग, सरसुं रो साग, सिर उपर पाग, संगीत रा राग, .... कोनी मिलेला सा ... औंगण में ऊखल, कूण म मूसल, घरां में लस्सी, लत्ते टांगण की रस्सी रिश्तों रो उजास, दोस्तों रो गरमास, पहलवानां री लंगोट, हनुमानजी रो रोट, घूंघट आली लुगाई, गावं म दाई, ..... कोनी मिलेला सा .... सासरा में लाडू , तैवार माथे साडू, दोस्तां साथे भोज, सुबह शाम नितरोज, िचड़ी बल्ला रो खेल, WHatsapp माते मेल, .......कोनी मिलेला सा ..... बात सुनती घरआली, हँस बतलावती साली, घरां में बुढ्ढा, बैठकां में मुड्डा, अलपता टाबर, सुहावता आखर, अनजानो री आशीष, कमतर ने बक्शीस, राज में भला, ने बंद गला, .....कोनी मिलेला सा... शहर री आन, मुछों री शान ताऊ रो हुक्का, ब्याह रो रुक्का, हिसाब री पर्ची, गली वालो दर्ज़ी , पाटडे माते नहाणो, पत्तल पे खाणा, पाणी भरेडा देग, बेन बेटी रो नेग, .........कोनी मिलेला सा ....

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