सोमवार, 23 मई 2016
Gyan of the day
शब्दों के दांत नहीं होते है
लेकिन शब्द जब काटते है
तो दर्द बहुत होता है
और
कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की
जीवन समाप्त हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते.............
इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों
'शब्द' 'शब्द' सब कोई कहे,
'शब्द' के हाथ न पांव;
एक 'शब्द' 'औषधि" करे,
और एक 'शब्द' करे 'सौ' 'घाव"...!
"जो 'भाग्य' में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..!
प्रभू' को भी पसंद नहीं
'सख्ती' 'बयान' में,
इसी लिए 'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...!
जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,
एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना।
और....
जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो,
किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना।
जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो,
एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना।
और….
जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो,
अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना।
जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है क्योकि वो कोमल होती है.
दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं...
क्योकि वो कठोर होते है।
छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर
बड़ी रहमत...
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार
देती है..
किस्मत और पत्नी
भले ही परेशान करती है लेकिन
जब साथ देती हैं तो
ज़िन्दगी बदल देती हैं.।।
"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।
एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"
Gyan of the day
मेरी हैसीयत से ज्यादा मेरी थाली मे तूने परोसा है.
तू लाख मुश्किलें भी दे दे मालिक, मुझे तुझपे भरोसा है.
एक बात तो पक्की है की...
छीन कर खानेवालों का कभी पेट नहीं भरता
और बाँट कर खानेवाला कभी भूखा नहीं मरता..
थोडा हंस लो
वो दिन दूर नहीं जब हम बसों में चिपके पोस्टरों में देखेंगे-
15 दिन में facebook ,whatsapp छुड़ाएँ।
आदतन फेसबुकि को हमारे पास लाएँ।
बंगाली बाबा.
हर शुक्रवार एवं मंगलवार
होटल Raj palace मुम्बई डेल्ही कलकत्ता अहमदाबाद....
थोडा हंस लो
स्मार्ट छोरा + स्मार्ट छोरी - अफेयर जारी
स्मार्ट छोरा + बेवकुफ छोरी - पावँ भारी
बेवकुफ छोरा + बेवकुफ छोरी - शादी की तैयारी
बेवकुफ छोरा+ स्मार्ट छोरी - छोरा भिखारी!!प्रे
राजस्थानी
आंगण मांड्या मांडणा कंवलै मांड्या गीत ।
मन री मैडी मांडदी मरवण थारी प्रीत ॥
मैडी उभी कामणी कामणगारो फाग ।
उडतो सो मन प्रीत रो रोज उडावै काग ॥
प्रीत आपरी अचपळी घणी करै कुचमाद ।
सुपना मै सामी रवै जाग्या आवै याद ॥लाजाळू रस री लडी़, खडी़ रूप री खाण ।
जडी़ हेम रा झाड़ जिम, घडी़ ज विधना जाण।।
Story of the day
एक समय की बात है, एक बुढा पिता अपने जवान बेटे के साथ गार्डन में एक बेंच पर बैठा था. वो जिस बेंच पर बैठे थे उसके सामने एक बड़ा पेड़ था. बूढ़े पिता ने देखा की एक पक्षी उस पेड़ पर बैठा है. तभी उसने अपने बेटे से पुछा की- वह क्या है?
बेटे ने तुरंत जवाब दिया- वह तोता है.
फिर भी…बूढ़े पिता ने अपने बेटे से पूछा, वह क्या है?
बेटे ने फिर से जवाब दिया की, मै पहले ही बता चूका हु की वह तोता है.
और एक बार फिर बूढ़े पिता ने अपना प्रश्न दोहराया, वह क्या है?
बाद में बेटे से गुस्से में कहा की, पापा, क्या आपको समज में नहीं आ रहा? कितनी बार मैंने आपसे कहा की वह तोता है.
लेकिन उस बूढ़े पिता ने नम्रता से जवाब दिया की,
मेरे प्यारे बेटे, जब तुम 4-5 साल के थे तब तुमने यही प्रश्न 100 बार से भी ज्यादा पुछा था और मैंने हर बार तुम्हे इसका जवाब एक किस के साथ दिया था, की वह तोता है!…..
अभी मैंने तो तुमसे 3 ही बार पुछा है और तुम परेशान और क्रोधित हो रहे हो.
!! राम राम सा !!
जो लड़किया अर्धनंग्न कपड़े पहनती है उनके लिये मेरी ओर से समर्पित:-
एक लड़की को उसके पिता ने iphone गिफ्ट किया..
दूसरे दिन उसको पुछा iphone मिलने के बाद सबसे पहले तुमने क्या किया?
लड़की - मैंने स्क्रेच गार्ड और कवर का आर्डर दिया...
पिता - तुम्हें ऐसा करने के लिये किसी ने बाध्य किया क्या?
लड़की - नहीं किसी ने नहीं।
पिता - तुम्हें ऐसा नही लगता कि तुमने iPhone निर्माता की तौहिन की हैं?
बेटी- नहीं बल्कि निर्माता ने स्वयं कवर व स्क्रेच गार्ड लगाने के लिये सलाह दी है...
पिता - अच्छा तब तो iphone खुद ही दिखने मे खराब दिखता होगा तभी तुमने उसके लिये कवर मंगवाया है?
लड़की - नहीं.... बल्कि वो खराब ना हो ईसलिये कवर मंगवाया है.....
पिता - कवर लगाने से उसकी सुन्दरता में कमी आई क्या?
लड़की - नहीं ... इसके विपरीत कवर लगाने के बाद iPhone ज्यादा सुन्दर दिखता है...
पिता ने बेटी की ओर स्नेह से देखते कहा....बेटी iPhone से भी ज्यादा किमती और सुन्दर तुम्हारा शरीर है .. उसके अंगों को कपड़ों से कवर करने पर उसकी सुन्दरता और निखरेगी...
बेटी के पास पिता की इस बात का कोई जवाब नहीं...!!
थोडा हंस लो
जो बीड़ी/गुटखा/तम्बाकू,चैनी खैनी,पान उधार
खाकर, दुकानदार की नजरो से भागे फिरते हैं
उन्हें भी छोटा-मोटा विजय
माल्या घोषित कर देना चाहिए …😃😜😜😋😝😝😝😝😝😝😝😝😝👆🏻😝👈🏻
थोडा हंस लो
!! राम राम सा !! ई बातां मिनख भूलै कोनी... आ समझ ल्यो कै , बै बातां ऊँट गै डाम हाळी सी हुवै। मेरो नयो नयो ब्याव हुयो हो । दिसंबर के महीना में ! कोई दस दिन बाद मळ लाग ग्या ! दो जनवरी नै मेरी सासु मनै तार भेज्यो ... अब मैं तो पढ़यो लिख्यो आदमी तारबांच्यो !! बो तार मेरी सासु भेज्यो हो !"कै कंवर साब मळ् शरू हुग्या थे शनिवार नै आ ज्यायो तेल बाळ स्यां ....गुलगुला बड़ा खा लेया "मै दूसरे ही दिन एक देसाई बीड़ी गो मंडळ ,एक मर्फी हालो रेडियो लेगे सासरै पुग ग्यो ! बठै मनै तातो पाणी झलायो । मनै थोड़ो रौब झाड़नो हो , मैं बोल्यो -"तातो पाणी तो लुगाई पताई पीवै अर का फेर कमजोर मोट्यार .... मैं तो कोरै मटकै को पाणी पीऊँ "सगळा वाह वाह करी कै जंवाई तो जबर मोट्यार है ।मनै कोरो किंकर सो पाणी झला दियो और में एक सांस में लौटो खाली कर दियो । मेरै गळै स्यूं लेगे किडनी फ़ेफ़डा ताईं सपीड उपड़यो .. .जाणै कणी लट्ठ घसो दियो है....पण में सहन कर ग्यो। आथण मेरी सासु गुलगुला बड़ा बणाया ...मैं खूब गुल गुला बड़ा खाया और ठंडो पाणी ओज्यु पियो! फेर थोड़ी देर तक बीड़ी पी और आल इंडिया रेडियो पर ठुमरी दादरी सुणी ।रात नै दस बजे मेरी सासु रजाई और सोड़ीयो झलायो। मैं पाछो रौब झाड़ दियो -"ना माँजी रीजाई पाछी ले ज्यावो ... मनै तो इस्यो पाळो सुवावै।"मेरी सासु रीजाई पाछी लेके उठगी । में भगवान् नै हाथ जोड़के और एक आनंदकर गोळती लेकर सो ग्यो । रात नै बारा बजे मेरा हाड कांपण लाग ग्या ....में घणी कोशीश करी, पण दांत कांट किलारी हाळै ज्यूँ कूट कूट कूट कूट करण लॉग ग्या । मेरो सब्र जवाब दे ग्यो ... कै आज मोट्यार कल्डो हुगै मरसी ...इयां तो गंडक ही को मरै ।में उठ्यो और रीजाई ल्याण खातर दूसरै कमरै में बड़ग्यो ! गळती स्यूं रसोई में घुस ग्यो ..इनै बीनै हाथ मारया जणा एक लौटे क ठोकर लागगी ।लौटियो गुड ग्यो और मेरी सासु जाग गी । मैं शर्मीज ग्यो और पाछो जा क मांचलियै पर पड़ग्यो .. मेरी सासु सोच्यो कै कंवर साब नै प्यास लागी है। बा एक सेर ळो ताँबे को लोटो भरयो और मेरै कनै आ क बोली --ल्यो अंधेरो हो ... मैं सोच्यो कै सासु माँ रीजाई ल्याई है । मैं बोल्यो ,- ऊपर गेर दयो । सासु माँ ठंडो पाणी मेरै ऊपर गेर दियो और जा क सो गी । अब भाईडो में कई देर तो फाटेङो किन्नौ (पतंग) करै ज्यूँ थर्रर्रर ...थर्रर्र करयो ....फेर कलडो हुग्यो .. .तीरकबाण हाळै ज्यूँ ।दिनगै समूचा मेरै कनै भेळा हुग्या । मेरो शरीर तो लट्ठ भर को कलडो हु राख्यो । कोई की उपाय बतावै कोई की उपाय बतावै । फेर मेरी साळी बोली कै ...आपणो पाडियो कलडो हुयो जणा आपाँ बिंगे डाम दियो ... जीजोजी गै भी डाम दयो , नई तो बाई नै धोळो ओढ़णो पड़सी । मेरी साळी रसोई में गई और चिंपियो तातो कर क ल्याई मनै उल्टो करगे और मगरां में रीढ़ हाळी हाडी पर तातो चिंपियो चेप दियो । मेरी सर्दी तो जांती रहई पण बो डाम गो मंडाण आज भी है । खम्मा घणी साज्यादा सासरे में हेकड़ी ना मारज्यो ।
Jivan me seekh
बाज लगभग 70 वर्ष जीता है ....
परन्तु अपने जीवन के 40वें वर्ष में आते-आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है ।
उस अवस्था में उसके शरीर के
3 प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं .....
पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है, तथा शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं ।
चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है,
और भोजन में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है ।
पंख भारी हो जाते हैं, और सीने से चिपकने के कारण पूर्णरूप से खुल नहीं पाते हैं, उड़ान को सीमित कर देते हैं ।
भोजन ढूँढ़ना, भोजन पकड़ना,
और भोजन खाना .. तीनों प्रक्रियायें अपनी धार खोने लगती हैं ।
उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं....
1. देह त्याग दे,
2. अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे !!
3. या फिर "स्वयं को पुनर्स्थापित करे" !!
आकाश के निर्द्वन्द एकाधिपति के रूप में.
जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं,
अंत में बचता है तीसरा लम्बा और अत्यन्त पीड़ादायी रास्ता ।
बाज चुनता है तीसरा रास्ता ..
और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है ।
वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, एकान्त में अपना घोंसला बनाता है ..
और तब स्वयं को पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया प्रारम्भ करता है !!
सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान पर मार मार कर तोड़ देता है,
चोंच तोड़ने से अधिक पीड़ादायक कुछ भी नहीं है पक्षीराज के लिये !
और वह प्रतीक्षा करता है
चोंच के पुनः उग आने का ।
उसके बाद वह अपने पंजे भी उसी प्रकार तोड़ देता है,
और प्रतीक्षा करता है ..
पंजों के पुनः उग आने का ।
नयी चोंच और पंजे आने के बाद वह अपने भारी पंखों को एक-एक कर नोंच कर निकालता है !
और प्रतीक्षा करता है ..
पंखों के पुनः उग आने का ।
150 दिन की पीड़ा और प्रतीक्षा के बाद ...
मिलती है वही भव्य और ऊँची उड़ान पहले जैसी....
इस पुनर्स्थापना के बाद
वह 30 साल और जीता है ....
ऊर्जा, सम्मान और गरिमा के साथ ।
इसी प्रकार इच्छा, सक्रियता और कल्पना, तीनों निर्बल पड़ने लगते हैं हम इंसानों में भी !
हमें भी भूतकाल में जकड़े
अस्तित्व के भारीपन को त्याग कर कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी ।
150 दिन न सही.....
60 दिन ही बिताया जाये
स्वयं को पुनर्स्थापित करने में !
जो शरीर और मन से चिपका हुआ है, उसे तोड़ने और
नोंचने में पीड़ा तो होगी ही !!
और फिर जब बाज की तरह उड़ानें भरने को तैयार होंगे ..
इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी,
अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी ।
हर दिन कुछ चिंतन किया जाए
और आप ही वो व्यक्ति हे
जो खुद को दुसरो से बेहतर जानते है ।
सिर्फ इतना निवेदन की निष्पक्षता के साथ छोटी-छोटी शुरुवात करें परिवर्तन करने की ।
विचार कर जीवन में आत्मसात कर लेने वाला है यह संदेश.....
village and city
एक गाँव की लड़की अपनी माँ का काम बटाती हैं
और शहर की लड़की काम बढा़ती हैं।
गाँव की लड़की 10-12 वर्ष की आयु में ही घरेलू कार्यों में निपुण हो जाती हैं।
रोटी बनाना,
कपड़ें धोना,
छोटे भाई-बहनो का ख्याल रखना,
पशुओं को चारा डालना,
खेतों में काम,
पढाई भी करना
आदि कई काम हैं जो वो करती हैं, इसलिए माँ को भी सहारा मिल जाता हैं।
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शहर की लड़कियाँ सिर्फ बहाने बनाने में निपुण होती हैं
ट्यूशन का नाम लेकर किसी के साथ डेट पर जाना,
थोड़ा सा डांटने पर रो देना,
आदि कई फालतू काम हैं जिसके कारण आज उनके घरवालों को बदनामी झेलनी पड़ती हैं।
*********
हम गाँव वालों को गर्व हैं कि यहाँ संस्कारी बहनें रहती हैं।
Maa baap
माता-पिता के प्यार और बच्चो के प्यार में हमेशा फरक होता है.
इसलिए मै आपसे प्रार्थना करता हु की जब आपके माता-पिता आप पर निर्भर हो तो, कृपया कर के अपना काम सही तरीके से कीजिये. उन्हें कभी नाराज़ मत कीजिये. उन्हें हमेशा आपका प्यार देने की कोशिश करते रहिये. क्यू की यही आपकी जिम्मेदारी है. आपको अपनी जिम्मेदारियों से भागने की बजाये, उन्होंने अपनाना चाहिये.
!! राम राम सा !!
आजकल माँ-बाप अपने छोटे से बच्चे को भी हॉस्टल में डाल देते हैं,
बाद में वो ही बच्चे अपने माँ- बाप को वृद्धाश्रम में डालते हैं।
यह बिल्कुल स्वभाविक हैं।
क्योंकि उन नादानों को क्या पता की सेवा और संस्कार क्या होते हैं उन्हें तो इनसे दूर ही रखा गया है।
जिन लोगों को अपने को अपने बच्चों को देने के लिए समय नहीं हैं तो बच्चों से यह उम्मीद रखना सर्वथा अनुचित हैं।
छोटी उम्र में उन पर दबाव डालकर डॉक्टर और इंजीनियर बनने को कहा जाता हैं।
एक बार लड़का अपनी घरवाली को लाने ससुराल गया ...
वहाँ उसे अपने ससुर के पास सोना पड़ा....
उसको रात को चूड़ियां बजने की आवाज़ सुनाई पड़ी,
उसे लगा कि उसकी घरवाली इशारा कर रही है ..
तो उसने उचक कर देखा पर वहां कोई नहीं था,
तो वो वापस सो गया .....
दोबारा कुछ देर बाद फिर वही आवाज आई....
फिर उचक के देखा…...पर कोई नहीं था....
पास सोये ससुर ने कहा :- “सोजा बावले …....
भैंस की सांकल बाज री है.....!”
कभी हँस भी लिया करे यारो
कुरजां लोक गीत
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सूती थी रंग महल में,
सूती ने आयो रे जंजाळ,
सुपना रे बैरी झूठो क्यों आयो रे
कुरजां तू म्हारी बैनडी ए, सांभळ म्हारी बात,
ढोला तणे ओळमां भेजूं थारे लार।
कुरजां ए म्हारो भंवर मिला देनी ए।
सुपनो जगाई आधी रात में २
तनै मैं बताऊँ मन की बात
कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाद्यो ऐ sss
संदेशो म्हारे पिया ने पुगाद्यो ऐ !!
तूं छै कुरजां म्हारे गाँव की
लागे धर्म की भान
कुरजां ऐ राण्यो भंवर मिलाद्यो ऐ
संदेशो म्हारे पिया ने पुगाद्यो ऐ !!
पांखां पै लिखूं थारै ओळमों
चान्चां पै सात सलाम
संदेशो म्हारै पिया ने पुगाद्यो ऐ !!
कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाद्यो ऐ !!
लश्करिये ने यूँ कही
क्यूँ परणी छी मोय
परण पाछे क्यों बिसराई रे
कुरजां ऐ भंवर मिलाद्यो ऐ
कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाद्यो ऐ !!
ले परवानो कुरजां उड़ गई
गई-गई समदर रे पार
संदेशो पिया की गोदी में नाख्यो जाय
संदेशो गोरी को पियाजी ने दीन्यो जाय !!
थारी धण री भेजी मैं आ गई
ल्याई जी संदेशो ल्यो थे बांच
थे गोरी धण ने क्यों छिटकाई जी
कुरजां ऐ साँची बात बताई जी
के चित आयो थारे देसड़ो
के चित आयो माय’र बाप
साथीड़ा म्हाने सांच बतादे रे
उदासी कियां मुखड़े पे छाई रे !!
आ ल्यो राजाजी थारी चाकरी
ओ ल्यो साथीड़ा थांरो साथ,
संदेशो म्हारी मरवण को आयोजी
गोरी म्हाने घरां तो बुलाया जी
नीली घोड़ी नौ लखी
मोत्यां से जड़ी रे लगाम
घोड़ी ऐ म्हाने देस पुगाद्यो जी
गोरी से म्हाने बेगा मिलाद्यो जी !!
रात ढल्याँ राजाजी रळकिया
दिनड़ो उगायो गोरी रे देस
कुरजां ऐ सांचो कोल निभायो ऐ
कुरजां ऐ राण्यो भंवर मिलाया ऐ !!
सुपनो जगाई आधी रात में
तने मैं बतायी मन की बात
कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाया ऐ !!
सुपनो रे बीरा फेरूँ -फेरूँ आजे रे !!
राजस्थानी song
"सज संवर कर", तैयार बैठी हूँ,
थारै इंतज़ार में, 'सुणेहरी' आख्या मैय,
थारै ही सपन्या है, क़द थे, म्हारै होसोयो,
पिया रे, पिया रे...
थारै विन ,ना लागैय् ,म्हारों जीया रे,
केसरिया बालम पधारों, म्हारै देश.....
म्हारै माथैया री विन्दली, चमकै थाणे देख़ क़े, कदे धनि थे, घरा आओ गा, थारै ही सपन्या मैय, रात कैट, क़द थे, म्हारै
होसोयो...
पिया रे, पिया रे....
केसरिया बालम पधारो, म्हारै देश,
थारै विन, ना लागेय, म्हारों जीयो रे...
म्हारै गले की गल्सरी, हत्था आरै, कगन्ना, पिया थाणे, बुलावे दिन व
जीनी रात मैय, थे क़द म्हारै होसयो,
पिया रे, पिया रे.....
केसरिया बालम पधारों, म्हारै देश,
थारै विन, ना लागेय, म्हारौ जीयो रे...
थारै ही सपन्या में, म्हारै ठण्डी रात केटेय, पिया थारै, दिन मान्य, पहाड़ सा लगैय, बोलों थे, क़द आवोगें, म्हारै थे क़द होसोयो,
पिया रे पिया रे.....
केसरिया बालम, पधारों म्हारै देश,
थारै विन ना लगैय, म्हारौ जीया रे..
Paav bhaji
How to Make Pav Bhaji Recipe – विधि
★ आलू, फूलगोबी, मटर को उबाल लीजिये. सब्जी उबलने के बाद आलू का छिलका हटा कर गोबी और मटर मिलाकर तीनो को मेष कर लीजिये.
★ प्याज़, टमाटर, हरी मिर्च, शिमला मिर्च को बारीक़ काट लीजिये.
★ कड़ाई में मक्खन डाल कर गरम कीजिये. अब उसमे जीरा डाल कर भुने. उसके बाद बारीक़ कटा हुआ हरी मिर्च और प्याज़ डाल कर भुने. अब अदरक लहसुन का डाल कर मिलाये. अब बारीक़ कटा हुआ टमाटर डाल कर धीमी आंच पर पकाये. टमाटर अछि तरह नरम होने के बाद बारीक़ कटा शिमला मिर्च डाल कर 2 मिनट पकाये. उसके बाद हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला पाउडर, पाव भाजी मसाला डाल कर अछि तरह मिला लीजिये. अब उबला हुआ और मेश किया हुआ सब्जी डाल कर मिलाये. अब 2 कप पानी और नमक डाल कर मिलाये. अब चम्मच से अछि तरह मेश कर लीजिये ताकि सब कुछ अछि तरह मिल जय. अब भाजी को 10 – 12 मिनट धीमी आंच पर पकाये. उसके बाद बारीक़ कटा हुआ धनिया मिलाकर गैस बंद कर लीजिये.
★ अब गैस पर तवा गरम कीजिये. पाव को बीच से चाकू की सहायता से इस तरह काटे कि दूसरे तरफ से जुड़े रहे. मक्खन लगाकर दोनों और हल्का ब्राउन होने तक सेक ले. पाव तैयार है. अब एक बाउल में भाजी डाले और ऊपर से बारीक़ कटा हुआ प्याज़ और निम्बू के रस से सजाये. गरमा गरम पाव भाजी खाइये और परोसिये.
How to Make Pav Bhaji Masala Powder Recipe
सूखी लाल मिर्च – 6 (Dry red chilli)
काली मिर्च – 1/2 T spoon (Black pepper seeds)
जीरा – 2 Table spoon (Cumin seeds)
दालचीनी – 1/2 इंच का टुकड़ा (Cinnamon stick)
लौंग – 3 (Clove)
सौंफ – T spoon (Fennel seeds)
इलायची – 4 (Cardamom)
धनिया – 4 T able spoon (Coriander seeds)
★ अब कड़ाई में लाल मिर्च, धनिया, जीरा, काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, इलायची, सौंफ डाल कर धीमी आंच पर भून कर निकाल लीजिये.
★ मसला ठंडा होने के बाद मिक्सी से बारीक़ पीस लीजिये. पाव भाजी मसाला पाउडर तैयार.
Bajara
बाजरा खाइए, हड्डियों के रोग नहीं होंगे🌿
बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा है, उससे अधिक उसमें गुण भी हैं।
1 --- बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता।
2 --- बाजरा लीवर से संबंधित रोगों को भी कम करता है।
3 --- गेहूं औरचावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है।
4 --- बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है। उधर आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते।
5 --- खासतौर पर गर्भवती महिलाओं ने कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाना चाहिए।
6 --- वरिष्ठ चिकित्साधिकारी मेजर डा. बी.पी. सिंह के सेना में सिक्किम में तैनाती के दौरान जब गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाती थी। इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्शियम और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते थे।
7 --- इतना ही नहीं बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओं में प्रसव में असामान्य पीड़ा के मामले भी न के बराबर पाए गए।
8 --- डाक्टर तो बाजरे के गुणों से इतने प्रभावित है कि इसे अनाजों में वज्र की उपाधिदेने में जुट गए हैं।
9 --- बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है।
10 --- लीवर की सुरक्षा के लिए भी बाजरा खाना लाभकारी है।
11 --- उच्च रक्तचाप, हृदय की कमजोरी, अस्थमा से ग्रस्त लोगों तथा दूध पिलाने वाली माताओं में दूध की कमी के लिये यह टॉनिक का कार्य करता है।
12 --- यदि बाजरे का नियमित रूप से सेवन किया जाय तो यह कुपोषण, क्षरण सम्बन्धी रोग और असमय वृद्धहोने की प्रक्रियाओं को दूर करता है।
13 --- रागी की खपत से शरीर प्राकृतिक रूप से शान्त होता है। यह एंग्जायटी, डिप्रेशन और नींद न आने की बीमारियों में फायदेमन्द होता है। यह माइग्रेन के लिये भी लाभदायक है।
14 --- इसमें लेसिथिन और मिथियोनिन नामक अमीनो अम्ल होते हैं जो अतिरिक्त वसा को हटा कर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते है।
15 --- बाजरे में उपस्थित रसायन पाचन की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। डायबिटीज़ में यह रक्त में शकर की मात्रा को नियन्त्रित करने में सहायक होता है।
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राजस्थानी 1
बुजरगौ की काहवत
कैरा जाट,काला पंडित, भुरा चमार, चामरा ठाकर
{खतरनाक होवै सै }
ऐकला छौरा, ऊट बै मौहरा, दुर का नौहरा
{हमैशा तगँ ही करै है}
काश की कायरी, पुलिशयै
की यारी, गधै
की सवारी
{कभी भी धौखा दै सकती है}
भुरी चमारी,
बुढी कुमहारी,जवान लुहारी
{छौ मै तावली आती है}
पछीत मै आला, आखँ मै जाला, घर मै साला
{हमैशा सैधयगा}
बीन बाजती, बीर
नाचती, कौयल कुकानँती
{दील कौ मौहलैती है}
बाहण कै भाई, सुसराड जमाई, पडौश मै कशाई
{डटणा आछा नही हौता}
पुलीश की वफादारी, सालै
की तरफदारी
{कभी नही करणी चाहीऐ}
बुढा कुमहार, गाडीया लुहार,
जुती गाठता चमार
{काबू मै नही आतै}
टैकटर मैसी, घी दैशी,
सुती खेशी
{जाट की पहली पसदँ हौव सै}
चौरी जैसी कार नही
{अगर मार नही हौ तौ}
जुऐ जैसी कार नही
{अगर हार नही हौ तौ}
औरत जैसा वजीर नही
{अगर बदकार नही हौ तौ}
अलकश नीदँ किसान न खौऐ,
चौर न खौऐ खाशी
बढता बयाज मुल न खावै,
बीर न खौऐ हांसी।
राजस्थानी
बड़े बुड्ढे कह गए
सुथरी नार,, हाथ मे हथियार,,,
एक तरफ़ा प्यार,और फददू यार...
ले के # बैठण के होव है।।
: कुछ काम की बात जो म्हारे दादे -परदादे बता के
गये सै...
1 . जो शरीर नै तंग करै वो खाणा ठीक नही वेवक्त घरां गैर के जाणा ठीक नही!
2 . जार की यारी वेश्या का ठिकाणा ठीक नही !
ख़ुशी के टेम पै मातम का गाणा ठीक नही !!
3. बीर नै ज्यादा मुंह के लाणा ठीक नही ! बेटी हो घर
की शोभा घणा घुमाणा ठीक
नही !!
4 पास के धन तै काम चालज्या तै
कर्जा ठाना ठीक नही !
भाईचारे तै रहना चाहिए बेबात गुस्सा ठाना ठीक
नही !!
5 . सुसराड जमाई . बेटी कै बाप और गाम मैं
साला ठीक नही !
पछैत मैं बारना घर बीच मैं नाला ठीक
नही!!
6 . ऐश करण नै माल बिराना ठीक
नही अर तिल
हो धोले रंग का
दाल मैं क़ाला ठीक नही !
मंगलवार, 10 मई 2016
!! राम राम सा !! Parbhu ki lila
प्रभु की लीला
एक बार श्री कृष्ण और अर्जुन भ्रमण पर निकले तो उन्होंने मार्ग में एक निर्धन ब्राहमण को भिक्षा मागते देखा अर्जुन को उस पर दया आ गयी और उन्होंने उस ब्राहमण को स्वर्ण मुद्राओ से भरी एक पोटली दे दी।
जिसे पाकर ब्राहमण ख़ुशी ख़ुशी घर लौट चला। पर राह में एक लुटेरे ने उससे वो पोटली छीन ली।
ब्राहमण दुखी होकर फिर से भिक्षावृत्ति में लग गया।
अगले दिन फिर अर्जुन की दृष्टि जब उस ब्राहमण पर पड़ी तो उन्होंने उससे इसका कारण पूछा।
ब्राहमण की व्यथा सुनकर उन्हें फिर से उस पर दया आ गयी और इस बार उन्होंने ब्राहमण को एक माणिक दिया।
ब्राहमण उसे लेकर घर पंहुचा और चोरी होने के डर से उसे एक घड़े में छिपा दिया। दिन भर का थका मांदा होने के कारण उसे नींद आ गयी, इस बीच ब्राहमण की स्त्री उस घड़े को लेकर नदी में जल लेने चली गयी और जैसे ही उसने घड़े को नदी में डुबोया वह माणिक भी जल की धरा के साथ बह गया।
ब्राहमण को जब यह बात पता चली तो अपने भाग्य को कोसता हुआ वह फिर भिक्षावृत्ति में लग गया।
अर्जुन और श्री कृष्ण ने जब फिर उसे इस दरिद्र अवस्था में उसे देखा तो जाकर सारा हाल मालूम किया।
सारा हाल मालूम होने पर अर्जुन भी निराश हुए और मन की मन सोचने लगे इस अभागे ब्राहमण के जीवन में कभी सुख नहीं आ सकता।
अब यहाँ से प्रभु की लीला प्रारंभ हुई।
उन्होंने उस ब्राहमण को दो पैसे दान में दिए।
तब अर्जुन ने उनसे पुछा “प्रभु मेरी दी मुद्राए और माणिक भी इस अभागे की दरिद्रता नहीं मिटा सके तो इन दो पैसो से इसका क्या होगा” ?
यह सुनकर प्रभु बस मुस्कुरा भर दिए और अर्जुन से उस ब्राहमण के पीछे जाने को कहा।
रास्ते में ब्राहमण सोचता हुआ जा रहा था कि”दो पैसो से तो एक व्यक्ति के लिए भी भोजन नहीं आएगा प्रभु ने उसे इतना तुच्छ दान क्यों दिया”?
तभी उसे एक मछुवारा दिखा जिसके जाल में एक मछली तड़प रही थी।
ब्राहमण को उस मछली पर दया आ गयी उसने सोचा”इन दो पैसो से पेट कि आग तो बुझेगी नहीं क्यों न इस मछली के प्राण ही बचा लिए जाये”यह सोचकर उसने दो पैसो में उस मछली का सौदा कर लिया और मछली को अपने कमंडल में डाल दिया।
कमंडल के अन्दर जब मछली छटपटई तो उसके मुह से माणिक निकल पड़ा।
ब्राहमण ख़ुशी के मारे चिल्लाने “लगा मिल गया मिल गया ”..!!!
तभी भाग्यवश वह लुटेरा भी वहा से गुजर रहा था जिसने ब्राहमण की मुद्राये लूटी थी।
उसने सोचा कि ब्राहमण उसे पहचान गया और अब जाकर राजदरबार में उसकी शिकायत करेगा इससे डरकर वह ब्राहमण से रोते हुए क्षमा मांगने लगा और उससे लूटी हुई सारी मुद्राये भी उसे वापस कर दी।
यह देख अर्जुन प्रभु के आगे नतमस्तक हुए बिना नहीं रह सके।
जब आप दूसरे का भला कर रहे होते हैं,
तब आप ईश्वर का कार्य कर रहे होते हैं।
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नाभि टलना (धरण) Navel SideStep. नाभि टलने के कु प्रभाव।
नाभि टलना (धरण) Navel SideStep.
नाभि टलने के कु प्रभाव।
नाभि अर्थात हमारे शरीर की धुरी अर्थात केंद्र। यदि ये खिसक जाए या टल जाए तो सारे शरीर की किर्याएँ अपने मार्ग से विचलित हो जाती हैं। आइये जाने कैसे करे नाभि टलने का इलाज।
नाभि टलने को परखिये।
आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर टला करती है।
ऊपर की तरफ
यदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है याने छाती की तरफ तो यकृत प्लीहा आमाशय अग्नाशय की क्रिया हीनता होने लगती है ! इससे फेफड़ों-ह्रदय पर गलत प्रभाव होता है। मधुमेह, अस्थमा,ब्रोंकाइटिस -थायराइड मोटापा -वायु विकार घबराहट जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।
नीचे की तरफ
यही नाभि मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे अधो अंगों की तरफ चली जाए तो मलाशय-मूत्राशय -गर्भाशय आदि अंगों की क्रिया विकृत हो अतिसार-प्रमेह प्रदर -दुबलापन जैसे कई कष्ट साध्य रोग हो जाते है। फैलोपियन ट्यूब नहीं खुलती और इस कारण स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर सकतीं। स्त्रियों के उपचार में नाभि को मध्यमा स्तर पर लाया जाये। इससे कई वंध्या स्त्रियाँ भी गर्भधारण योग्य हो जाती है ।
बाईं ओर
बाईं ओर खिसकने से सर्दी-जुकाम, खाँसी,कफजनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं।
दाहिनी ओर
दाहिनी तरफ हटने पर अग्नाशय -यकृत -प्लीहा क्रिया हीनता -पैत्तिक विकार श्लेष्म कला प्रदाह -क्षोभ -जलन छाले एसिडिटी (अम्लपित्त) अपच अफारा हो सकती है।
नाभि टलने पर क्या करे।
नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को हल्का सुपाच्य पथ्य देना चाहिए । नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को मूँगदाल की खिचड़ी के सिवाय कुछ न दें। दिन में एक-दो बार अदरक का 2 से 5 मिलिलीटर रस बराबर शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
नाभि कैसे स्थान पर लाये।
1.ज़मीन पर दरी या कम्बल बिछा ले। अभी बच्चो के खेलने वाली प्लास्टिक की गेंद ले लीजिये। अब उल्टा लेट जाए और इस गेंद को नाभि के मध्य रख लीजिये। पांच मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे। खिसकी हुई नाभि (धरण) सही होगी। फिर धीरे से करवट ले कर उठ जाए, और ओकडू बैठ जाए और एक आंवला का मुरब्बा खा लीजिये या फिर 2 आटे के बिस्कुट खा लीजिये। फिर धीरे धीरे खड़े हो जाए।
2.कमर के बल लेट जाएं और पादांगुष्ठनासास्पर्शासन कर लें। इसके लिए लेटकर बाएं पैर को घुटने से मोड़कर हाथों से पैर को पकड़ लें व पैर को खींचकर मुंह तक लाएं। सिर उठा लें व पैर का अंगूठा नाक से लगाने का प्रयास करें। जैसे छोटा बच्चा अपना पैर का अंगूठा मुंह में डालता है। कुछ देर इस आसन में रुकें फिर दूसरे पैर से भी यही करें। फिर दोनों पैरों से एक साथ यही अभ्यास कर लें। 3-3 बार करने के बाद नाभि सेट हो जाएगी।
3.सीधा (चित्त) सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर बाँध दें एवं उसे दो घण्टे चित्त ही सुलाकर रखें। दिन में दो बार यह प्रयोग करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है हैं।
नाभि सेट करके पाँव के अंगूठों में चांदी की कड़ी भी पहनाई जाती हैं, जिस से भविष्य में नाभि टलने का खतरा कम हो जाता हैं। अक्सर पुराने बुजुर्ग लोग धागा भी बाँध देते हैं।
नाभि के टलने पर और दर्द होने पर 20 ग्राम सोंफ, गुड समभाग के साथ मिलाकर प्रात: खाली पेट खायें। अपने स्थान से हटी हुई नाभि ठीक होगी। और भविष्य में नाभि टलने की समस्या नहीं होगी।
अक्षय तृतीया
आखातीज (अक्षय तृतीय)
वैंशाख शुक्ल तृतीया री तिथि सत्ययुग रे शुरु होणे रो पेलो दिन मानीजे हैं। इ दिन उषाकाल मे प्रातः स्नान करने रो बहुत फ़ल मिले हैं। इ दिन श्राद्ध, तर्पण,पूजन औंर दान करने सु मिलने वालो फ़ल,अक्षय मानिजे हैं इण वास्ते इ ने आखातीज केवे हैं। इ दिन पाणी सु भरोडो घडो दान करिजे हैं। इ पर्व पर आखा अन्नदान,छतरी, पगरखी रो दान करिजे हैं।
इ दिन महालक्ष्मी व नारायण री पूजा करिजे हैं। इ दिन हवन भी करणो चाहिये। इण दिन जल्दी उठणो,स्नान करणो,पितृ तर्पण करणो ,जवो रो दान करणो,आदि जरुरी हैं।जिकासु पितरगण प्रसन्न होने सुखी बणावे हैं। औंर भाग्यशाली सन्तान देवे हैं। लक्ष्मी नारायण विनाने धन दौंलत देवे हैं।इण दिन एक बार भोजन करणो चाहिये।
केविजे हैं कि इ दिन जमदग्नि ऋ षि रे पुत्र परशुरामजी रो प्रदोष काल मे जन्म हुयो । अतः इ पर्व उपर परशुरामावतार रो पूजन औंर हवन करिजे हैं औंर कथा भी केविजे हैं। अगर इण दिन कृतिका या रोहिणी नक्षत्र औंर बुधवार पड जाये तो वा तिथि अनुष्ठान,दान व पूजा मे विशेष लाभ देणे वाली होवे हैं।आ तिथि प्रातःकाल रे कर्म करणे ए विशेष लाभप्रद सिद्ध होवे हैं।
आखातीज रे दिन साबुत अन्न (गेंहू या बाजरी) रो खिचडो ,इमली औंर गुड री इमलाणी व बडी रो साग बणाईजे हैं। ईण दिन अबूझो सावो होवे हैं जिकासु बिना मुहूर्त्त रा ब्याव होवे हैं। ई दिन गावो मे बाल विवाह हुवे हैं। बीकानेर मे स्थापना दिवस रे उपलक्ष मे आखातीज रे दिन पतंगा (किन्ना) उडाईजे हैं।
थोडा हंस लो
कपड़े हो गए छोटे
🙈 लाज कहाँ से आए
रोटी हो गई ब्रैड
ताकत कहाँ से आए
फूल हो गए प्लास्टिक के
खुशबू कहाँ से आए
चेहरा हो गया मेकअप का
रूप कहाँ से आए
शिक्षक हो गए टयुशन के
📚 विद्या कहाँ से आए
भोजन हो गए होटल के
तंदरुस्ती कहाँ से आए
प्रोग्राम हो गए केबल के
संस्कार कहाँ से आए
आदमी हो गए पैसे के
🙉 दया कहाँ से आए
धंधे हो गए हायफाय
बरकत कहाँ से आए
ताले हौ गए पासवर्ड
सैफटी कहाँ से आए
भक्त हो गए स्वार्थी
👤 भगवान कहाँ से आए
रिश्तेदार हो गये व्हाट्सऐप पे
🏃 मिलने कहाँ से आए
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