सोमवार, 23 मई 2016

कुरजां लोक गीत

------------------ सूती थी रंग महल में, सूती ने आयो रे जंजाळ, सुपना रे बैरी झूठो क्यों आयो रे कुरजां तू म्हारी बैनडी ए, सांभळ म्हारी बात, ढोला तणे ओळमां भेजूं थारे लार। कुरजां ए म्हारो भंवर मिला देनी ए। सुपनो जगाई आधी रात में २ तनै मैं बताऊँ मन की बात कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाद्यो ऐ sss संदेशो म्हारे पिया ने पुगाद्यो ऐ !! तूं छै कुरजां म्हारे गाँव की लागे धर्म की भान कुरजां ऐ राण्यो भंवर मिलाद्यो ऐ संदेशो म्हारे पिया ने पुगाद्यो ऐ !! पांखां पै लिखूं थारै ओळमों चान्चां पै सात सलाम संदेशो म्हारै पिया ने पुगाद्यो ऐ !! कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाद्यो ऐ !! लश्करिये ने यूँ कही क्यूँ परणी छी मोय परण पाछे क्यों बिसराई रे कुरजां ऐ भंवर मिलाद्यो ऐ कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाद्यो ऐ !! ले परवानो कुरजां उड़ गई गई-गई समदर रे पार संदेशो पिया की गोदी में नाख्यो जाय संदेशो गोरी को पियाजी ने दीन्यो जाय !! थारी धण री भेजी मैं आ गई ल्याई जी संदेशो ल्यो थे बांच थे गोरी धण ने क्यों छिटकाई जी कुरजां ऐ साँची बात बताई जी के चित आयो थारे देसड़ो के चित आयो माय’र बाप साथीड़ा म्हाने सांच बतादे रे उदासी कियां मुखड़े पे छाई रे !! आ ल्यो राजाजी थारी चाकरी ओ ल्यो साथीड़ा थांरो साथ, संदेशो म्हारी मरवण को आयोजी गोरी म्हाने घरां तो बुलाया जी नीली घोड़ी नौ लखी मोत्यां से जड़ी रे लगाम घोड़ी ऐ म्हाने देस पुगाद्यो जी गोरी से म्हाने बेगा मिलाद्यो जी !! रात ढल्याँ राजाजी रळकिया दिनड़ो उगायो गोरी रे देस कुरजां ऐ सांचो कोल निभायो ऐ कुरजां ऐ राण्यो भंवर मिलाया ऐ !! सुपनो जगाई आधी रात में तने मैं बतायी मन की बात कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाया ऐ !! सुपनो रे बीरा फेरूँ -फेरूँ आजे रे !!

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