मंगलवार, 10 मई 2016
अक्षय तृतीया
आखातीज (अक्षय तृतीय)
वैंशाख शुक्ल तृतीया री तिथि सत्ययुग रे शुरु होणे रो पेलो दिन मानीजे हैं। इ दिन उषाकाल मे प्रातः स्नान करने रो बहुत फ़ल मिले हैं। इ दिन श्राद्ध, तर्पण,पूजन औंर दान करने सु मिलने वालो फ़ल,अक्षय मानिजे हैं इण वास्ते इ ने आखातीज केवे हैं। इ दिन पाणी सु भरोडो घडो दान करिजे हैं। इ पर्व पर आखा अन्नदान,छतरी, पगरखी रो दान करिजे हैं।
इ दिन महालक्ष्मी व नारायण री पूजा करिजे हैं। इ दिन हवन भी करणो चाहिये। इण दिन जल्दी उठणो,स्नान करणो,पितृ तर्पण करणो ,जवो रो दान करणो,आदि जरुरी हैं।जिकासु पितरगण प्रसन्न होने सुखी बणावे हैं। औंर भाग्यशाली सन्तान देवे हैं। लक्ष्मी नारायण विनाने धन दौंलत देवे हैं।इण दिन एक बार भोजन करणो चाहिये।
केविजे हैं कि इ दिन जमदग्नि ऋ षि रे पुत्र परशुरामजी रो प्रदोष काल मे जन्म हुयो । अतः इ पर्व उपर परशुरामावतार रो पूजन औंर हवन करिजे हैं औंर कथा भी केविजे हैं। अगर इण दिन कृतिका या रोहिणी नक्षत्र औंर बुधवार पड जाये तो वा तिथि अनुष्ठान,दान व पूजा मे विशेष लाभ देणे वाली होवे हैं।आ तिथि प्रातःकाल रे कर्म करणे ए विशेष लाभप्रद सिद्ध होवे हैं।
आखातीज रे दिन साबुत अन्न (गेंहू या बाजरी) रो खिचडो ,इमली औंर गुड री इमलाणी व बडी रो साग बणाईजे हैं। ईण दिन अबूझो सावो होवे हैं जिकासु बिना मुहूर्त्त रा ब्याव होवे हैं। ई दिन गावो मे बाल विवाह हुवे हैं। बीकानेर मे स्थापना दिवस रे उपलक्ष मे आखातीज रे दिन पतंगा (किन्ना) उडाईजे हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें