शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

श्रावणी तीज

श्रावणीया_री_तीज

मरवण बैठी महल में,
            कर सोळा सीणगार!
बाटां जोवे पिव आपरी,
           मुळक रयो अणगार!!
पिव परणी रा सायबा,
           आयो तींजां रो तिंवार!
सावण झिर मिर ओलरे,
            शीतळ पङे है फुंहार!!
मदछकिया थें आवजो,
            मरवण रा गळ हार!
थां बिन घङी न आवङे,
           फिको है तीज तींवार!!
नैण फरूके याद में,
           हिचक्यां  आवे अपार!
पिव बस्या परदेश में,
           सुनो लागे रयो  घरबार!!
एकर आवो सायबा,
           परणी करे है  पुकार!
थां आया सुख उपजै,
           भनङी रा भरतार!!
नैणा नींद ना भापरे,
           फिको भयो सिणगार!
सायब थाने भीणती,
           अाजो तीजां रे तिंवार!!
चढ चढ जोऊं डागळे,
           उडाऊं म्है काळा काग!
सावण सुनो निकळियो,
          कद आसी अब फाग!!
छोङ सिदाया नौकरी,
          म्हारा होग्या माठा भाग!
अब घर आवो सायबा,
          पिया परणी रा सुवाग!!
धान ना भावे दिवस रा,
          अब रातां नींद ना आय!!
इण नैणा में आप बस्या,
         बण काजळ रो सिणगार!!!!!
💐💐🌺🙏🏻🙏🏻🌺💐💐

मंगलवार, 28 अगस्त 2018

राजस्थानी आड़ी

ईण आड़ी रौ अर्थ बताऔ?

पीपळी रै चोर बंध्यो, देख पणियारी रोई।
काईं थारै सग्गो लागै, काईं लागै थारै सोई।।
नीं म्हारै सग्गो लागै, नीं लागै म्हारै सोई।
ईं रै बाप रो बैन्दोई, म्हारै लागतो नणदोई।।

पणिहारी

पणिहारी

माथै मटकी मेल मन ही मन मुळकावै जी ,
आभो झुमै ,हेथै,धरती ,गीत प्रीत रा गावे जी .
लुंब-लुंबाळी ईढाणी बैरै,ज्यू चंदा री कोर जी ,
इण भांत उडै ओढणियो .जाणे सावणियै रा लोर जी ;
नखली सु पगिया सजियोडा ,मैन्दी रचिया हाथ जी'
बिंदिया रै मिस चाँदड़लो ,चूमै गौरी रो माथ जी ;
घाघरिया री लड़ में बैरै घुम्मर घालै मोरियो ;
लाल कसुमल ओढ़णों बैरो ,कुण जाणे कुण कोरियो .
चंचल नैण चकोरी जड़ घुंघट में शरमावै जी
काजळीया री कोर बैवता मिनखा रा हिवड़ा भरमावे जी'
हाथण ज्यू मतवाळी चाला,लगी चालण नै .,
रुण झुण पग री पायलिया ,जद लागी बाजण नै

रविवार, 26 अगस्त 2018

रक्षाबंधन 2018

                   ।।राम राम सा।।
घणा हेत सुं , घणा कोड सूं  ,घणा मान सूं , म्हारे हिवङे री घणी हरक सुं ,आप ने और आपरे सगले परिवार ने रक्षाबंधन की घणी-घणी बधाई!!
          मित्रो  आजकल के नये जमाने मे हर त्योहार मे बहुत बदलाव आया है  बचपन में जब हम छोटे थे तो राखी के त्योहार से सात आठ दिन पहले हमारे गाँव के गंगा रामजी (ब्राह्मण) राखियाँ लेकर आते थे तो मै उनके पैर दबाकर तीन चार राखी ज्यादा ले लेता था । बाकी घर पर तो सब के लिये लाते ही थे  सबसे पहले देवताओं को राखी बाँधी जाति थी  और मेरी भुआये आती थी भाईयो को राखी बांधने से  पहले मेरे घर मे तुलसी के वृक्ष को राखियाँ बांधती थी। फिर भाईयो को फिर हमारा नम्बर लगता था और  मै तो  लड़ झगड कर सात आठ राखियाँ बंधवा देता था भाई जब तक आधा हाथ राखियों से भर नही जाता था तब तक चैन नही होता था ।
राखियाँ भी आजकल के जैसी स्टाइल वाली नही होती थी एकदम सिम्पल ही होती थी । रक्षाबंधन के त्योहार का इन्तजार हम राखी के लिये कम बल्कि उस दिन बनाई जाने वाली गेंहू के आटे की सेवो के लिये ज्यादा करते थे।
जो रक्षाबंधन के सात आठ दिन पहले घर मे ही बनाई जाती थी
जिसका देशी शक्कर और घी डालकर खाने मे आनन्द ही कुछ और होता था। आजकल तो किसी को समय नहीं है पर पहले रक्षाबंधन के बाद से  एक दो महिने तक हर रिस्तेदार आने का इंतजार करते थे और खासकर जमायौ का बेसब्री से इंतजार किया जाता था। पहले साल मे दो बार रिस्तेदारो का इन्तजार बड़ी बेसब्री से किया करते थे एक तो होली के बाद  रँग के लिये और एक रक्षा बंधन के बाद सेवो खाने के लिये  इन्तज़ार रहता था।  जो भाई बाहर रहते थे उनके लिये महिने भर पहले बहिने राखियाँ पोस्ट करती थी ।
आजकल तो बहिने   इ-मैल ,व्हट्सआप,फेसबुक, टविटर, आदि से ही राखियाँ भेज देती है।
आजकल   सब भागमदौड़ मे रहते है किसी के पास समय नहीं है फिर भी कुछ लोग इस परंपरा को निभाते  है ।

फेसबुक दोहे

राम राम सा

***फेसबुकिया दोहेँ***
रिक्वेस्ट उसे ना भेजिए जिनसे हो अनजान।
फेकियोँ का दौर है रहिए जरा सावधान।।
म्यूचल फिरेँड ना कोई भया सब दुश्मन ही होए।
जिसको ताङन हम चले तो पीछे पीछे सब कोए।।
क्लोज़ फिरेँड ना बनाइए वरना पडे पछताए।
नोटिफिकेशन एक पर एक रहे धडल्ले से आए।।
चिट चैटिया सब करेँ एक दूजन के साथ।
मईया दईया एक करेँ जो बिगडे कोई बात।।
पेज नया ना बनाइए लाइक बटोरन हार।
कापी पेस्ट जो कीजिए हो जाए बेडा पार।।
शेयर ना ऐँसा कीजिए जिससे बिगडे बात।
घर से फिर निकलिए तो पडे ना घूसम लात।।
फॉलोवर बढान को उपाय लीजै अपनाए।
बातेँ काट पीट के वॉल पे देँ चिपकाए।।
पोसट ऐँसी कीजिए ,आएँ लाइक अनेक।
और बढावन फिरेँडवा बनाओ आईडी फेक।।
ग्रुप चैटिँग ना कीजिए, इसमे बिगडे बात।
फेक जो किसी को बोल दिया तो हो गालिन की बरसात।
फेसबुक इतना दीजिए फालोवर बढ जाए।
और अपने आगे आप भी रहो हाथ फैलाए।।
अपशब्द ना निकालिए, बरसिए ना बिन रैन।
वरना कर दिए जाओगे यूजर भईया बैन।

मोबाईल

।। राम राम सा ।।

सखी अमीणों सायबो, सुणे नी मन री बात। 
सोच सोच बिलखूँ घणी,निबळो पड़ियो गात।
जद स्यूं घर में आवियो,रिपु मोबाइल भूत।
बतळायाँ बोले नहीं,रैवे जियां अवधूत।
दिन आखो चिपियो रैवे,इण मोबाइल संग।
झख नी लेवै रात दिन,आछो हुयो अपंग।
कैवो सखी आ वाट्सप, कुण कीदी निरमाण।
छाती छोलण देयदी, म्हारी सौतन जाण।
आँख्यां ताणे उंघतो, आधी आधी रात।
झंझारकै ही जागज्या, झट ले ठूंठो हात।
म्हा स्यूं तो बतळे नहीं,फेसबूक पे गल्ल।
मुळक मुळक गल्लां करै,कर मोबायल झल्ल्।
टुकड़ो तिल खावै नहीं,लाईक री घण भूख।
चढ़ चश्मो आंधा हुआ,डोभा लाग्या दूख।
रैण दिवस पड़ियो रैवे,करै न कोई काम।
मोबाईल हथ में रवै,भोर दुपहरी शाम।
हाथ मगज़ दुबळा हुया, नैण हुया अणसूझ।
सखी तमीणे सायबे ने,रस्तो कोई बूझ।
पिंड छूटे इण पाप स्यूं,करै'ज कोई काम।
करै राजरी नौकरी,सिंझ्या भजले राम।
सखी राह कोई बता,किम छोडाउं लार।
मोबाइल इण सौत ने,केहि बिध काढुं बार।
हाल रैयो जै कैई दिनाँ,(तो)उठसी म्हारौ चित्त।
का मोबाइल रैइसी,का बंदी रहसी इत्त।
                     

शनिवार, 25 अगस्त 2018

शेर व कुत्ते


    ।। राम राम सा ।।

पटेल सिनली रो जब यूँ बोले, श्रावण बोले मोर।
कुत्ते तभी भौंकते भाई ,  जब दिखें गली में चोर।।

वफ़ादार  तो  होवे   हैं  कुत्ते, नर  हैं  नमक   हराम ।
मिली जिणने कुत्ते की उपमा, चमकियो ऊणरो नाम ।।

फेसबूक क्या, व्हाटसअप में भी मचा हुआ है शोर ।
देख रैया है टकटकी लगा के ,रिया ढौर का ढौर ।।

होवे  ज्यो पूँछ कुत्ते री टेढ़ी , टेढ़े भी मेरे  सवाल ।
जबाव उन्हीं को दे सकूँ  हूँ ,कहें जो माई का लाल ।।

खुद को जो समझे है शेर, वो क्या होगा नाचीज़ ।
अहंकार मे मत रहो भायो ,थोड़ी तो राखो तमीज़।।

।।धन्यवाद।।

गुरुवार, 23 अगस्त 2018

व्हट्सप ग्रुप सिनली

।। जय श्री कृष्णा ।।
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   राम राम सा
ग्रुप रा सभी लाडला मेम्बरो ने म्हारा घणा हेत सूँ राम राम सा । आजकल सोशल मिडिया रे माध्यम सूँ  ही आपा आपस मे हालचाल जाण सको हो । बहुत ही अच्छी सुविधा हुई है ।पण मित्रो काले रे दिन इण ग्रुप ने देखने ईयाँ समझ मेह्ह आई कि  आपाँ दूर दूर भले ही बैठा हाँ। पर दूर दूर बैठा ही आपस मे लड़ सकाँ। मन री भड़ास निकाल सकाँ । उँची आवाज सूँ बात कर सकाँ। और वह भी एकदम नीडर होय ने क्योकि इणमे लारलो कोई भी डर नही है ,अगर आमने सामने हुवे तो कोई एक दो बटिड़ बालवा रो भी डर लागे ।ग्रुप री लडाई मे आपने किणी बात रो कोई भी डर नही है ।जिणने ज्यो मर्जी आवे ज्यो ही बोलो । पहले पढौ, समझो और पछे पोस्ट रो पडउत्तर देरावो ।  ईंण बाता मे जो भी कमी है वो है अधुरी शिक्षा। क्योकि अधुरो ज्ञान हासील कर ने ओपें देसावर आ गया । ईण  बाता री ईण बदलता समय मे नुई  पीढी ने घणी जरुरत है एक वडेरौ री  कहावत है कि 
बारह  कौसा बोली  पलटे , वनफल  पलटे  पाकां 
बरस छतीस जोबन पलटे,लखण ना पलटे लांखा 
    गाव्ँ रा सगला भाई देसावर आ ग्या और   लारे  बैठा ,अन्धो मे कोणा राजा हो ग्या। 
  जैसे कोई आन्धा रे हाथ मे बटेर लगी कि अपणे आप को शिकारी समझ बैठा। जब हम किसी को मना करते है कि भाई फालतु पोस्ट मत भेजो और हम खुद ही उसी पोस्ट को बार  मना करने भी भेजते रहते है तो किसी भाई  ने एक मिसाल दी थी कि श्रीमान खुद तो बैन्गन खाये और ओरो को परहेज बताये। आ वात कणाई कणाई घर मे भी सुणिजे कि गुरुजी वैन्गण खाये औरो ने उपदेश दे । और ये बात कोई व्यक्ती  विशेष के लिये नही लिखी थी कि भाई ने पूरी खान दान को ही गालिया देनी शुरु कर दी  आप सामाजिक  कार्यकर्ता हो कुछ सोच समझ के जबाव दिया करो और अगर उसने बात आपके कोमेण्ट के लिये कही तो  भी कुछ  गलत नही थी
आप अपने भेजे हुये मेसेज देख सकते है एक एक मेसेज तीन तीन बार आया है जब हम खुद ही गलती करके दुसरो को गाली देने लगोगे।  तो यह कौनसा न्याय है  
जब ंमै कभी कभी  फेसबूक ,ट्विटर,या ब्लोग पर कुछ लिखता हु तो कई लोग मेरी सराहना भी करते है और कोई कोई  खरी खोटी भी सुनाते है सबकी अपनी अपनी सोच है अगर मै भी आपकी तरह औकात  या माई का लाल  करने लग जाऊ तो शाम तक लडाई ही चले ।यह सोशल ंमिडिया है सबके अलग विचार है अलग आदर्श है। 
किसी भाई को कुछ गलत लगे तो अपना विचार रख सकते है ।
धन्यवाद सा ।।

बुधवार, 22 अगस्त 2018

आन्जणा युवा संघठन सिनली

           
  ।। राम राम सा ।।
सरसवती    स्नेहे  सू  जपू , गणपति लागू  पाय ।
कृष्णा री करूँ  अराधना ,   सदबुध करो सहाय ।।
व्हट्सअप ग्रुप बनायो गावँ रो ,चौखौ  किदौ  काम।
कौम  किदौ है भाई सौतरौ,  कालू है जिणरौ नाम ।।
च्यारु मेर री खबरो आवे , जब खुशी मिले अपार ।
दूर बैठा ही पास ज्यो   ,  बैठा जो करो  व्यापार ।।
दूर दूर बैठा हाँ फिर भी रेहवाँ, व्हट्सअप सू जुड़ने ।
मन्दी  चाले  धन्धा  मे  जब, लग  जावा सब लड़ने ।।
जिण  भायौ  रे काम  नही है,फालतू रा  मेसेज भेजो।
धन्यवाद है ज्यारां जन्मदाता ने,साजा  ताजा  रेहजो ।।
बैंगलोर  सूँ  अणदोजी  बोले , ,हुबली से सोमा भाई ।
विशनगर सूँ  पुकजी  बोले   रादनपुर से दल्ला भाई।।
ईडर गावँ  सूँ   पूरजी बोले ,चण्ँचमा  से लवली भाई ।
कालूराम  एडमिन  यूँ समझावे,  शान्ती राखो रे भाई ।।
ऊन्झा   सूँ  राजुजी  बोले ,जोधपुर से जितेन्द्र  भाई ।
विजापुर सूँ हरिचन्दृ बोले , खेरालू से भलजी  भाई  ।।
अहमदाबाद  राजु   सूणे सब, मन ही  मन  मुलकावे।
सब रा मेसेज पढ़ सुण ने  लारे जातो ही  खलकावे।।

एक  बैंगन  ने बात बढाई , ग्रुप  री   किदी   घोणी ।
ग्याहर बजिया रात  तक  ,पूरजी  ही  वात ने तोणी ।।
सिनली ग्रुप रा लाडला मेम्बरो,उड़तो  तीर नही लेहणो।
आजकाल रो समय है खौटो ,कणी ने कोई नी केहणो ।।
गुमनाराम  भली   समझावे , इतरो  है म्हारौ   केहणो ।।।

रग रग में अगन जले भाई कावल नी कहणो ।
रीस  करे  जब मालवी तो आगो नही  लेहणो ।।
गुमनाराम पटेल सिनली 

सोमवार, 20 अगस्त 2018

आरक्षण की और

 
।। राम राम सा ।।
♧♧♧♧♧♧

मित्रो आजकल तेज रफ्तार की जिंदगी मे हम लोग चन्द  पैसो के लालच में कहाँ से कहाँ जा रहे है हमारे देश में हर कोई एक दुसरे के साथ खिलवाड़ कर रहा है दुकानदार ,नेता ,डॉक्टर, आदि । नशीले पदार्थ बेचने वाले खुश है की हमने बड़े बड़े बंगले बणा दिये है चाहे कितने ही लोग बर्बाद क्यो न हो डॉक्टरो ने अपने और  बेटो के लिये तो हॉस्पिटल रुपी दुकाने खोल रखी है पोतौ  के लिये जमीन ले रखी है की और गरीब लोगो को एसे लुट रहे हैं कि आप देश के कोई भी हॉस्पिटल मे जाओ बिना जरुरत की दस बीस जांचें और अपने ही मेडिकल से दवाई लिखकर दे देंगे जो दस रुपए की दवाई पर दौ सौ रुपये की  MRP हो गरीब को मजबुरी मे जांचें व दवाई खरीदनी पडती है
आज देश के सभी प्राईवेट  छोटे बडे हॉस्पिटल भरे पड़े हैं उसका कारण सरकारी हॉस्पीटलो मे बराबर व्यवस्था नही है और दुसरा कारण नशा  व आजकल की खाने वाली हर चीज़ों मे मिलावट होती है आज हर कोई भरतीय अपने मुनाफे के लिये कुछ भी कर सकता है चाहे वो दुकानदार हो नेता हो सरकारी तंत्र हो बस उनको तो पैसा  चाहिये । नेता  अपने वोट-बैंक के लिये आरक्षण के जाल मे फसे हुये हैं । जो गरीब है उनका तो नम्बर ही नही आता है । जब हम आरक्षण के माध्यम  से किसी अयोग्य नेता ,डॉक्टर,इन्जीनियर,शिक्षक, को लाएंगे तो आने वाले समय में देश को बर्बादी के अलावा कुछ नही मिलेगा
एक कहावत है की दोनो हाथ की अंगुली भी बराबर नही होती है मै एक छोटा सा उदहारण के लिए कह रहा हुँ  कि अपने आस-पास मे जो मकान की दिवार बनाते है उसमे दीवार चुनने वाला और हेल्पर के काम-काज मे फर्क देखिये और अगर हेल्पर को आप दीवार चुनने मे लगा दोगे तो मकान कैसा बनेगा ? वो कभी भी ढह जायेगा।  उसके लिये भी दिमाग चाहिये । तो हमारे देश मे योग्यता के अनुसार नेता या सरकारी अधिकारी नही है। बस जिसके पास खर्च करने के लिये पैसा है आरक्षण है  उनको सरपंच,प्रधान,विधायक, या सांसद चुन लेते है और वो अपने बेटे पोतौ के लिये बन्दोबस्त की तैयारी शुरुआत कर देते  हैं सड़क चाहे एक ही महिने मे टूट जाये पुल एक साल मे ही ढह जाये ।
कहने को तो बहुत है पर आज मै अपने आस-पास प्रतिदिन घटित हो रही घटनाओं, देश व समाज के स्तर, वर्तमान राजनीति के स्तर, सरकारी सिस्टम, देश के आम नागरिकों की सोच के बारे में सोचता हूं तो आने वाले भविष्य के खयाल से ही डर लगने लगता है।
दिमाग में यह सोच उत्पन्न होती है कि हम कहां जा रहे हैं, क्या हम सच में तरक्की के पथ पर अग्रसर हैं? या फिर धीरे धीरे अपने समाज के, जीवन के, देश के विनाश की ओर तो कदम नही बड़ा रहे हैं। आज हम जिस भविष्य के लिये इतनी भाग-दौड़, इतनी मेहनत कर रहे हैं, हमारे बच्चे जिस सुनहरे भविष्य के सपने सजोकर दिन रात मेहनत कर रहे हैं, उनका वह कल कैसा होने वाला है? आज इस देश के 90 प्रतिशत लोग स्वार्थ सिद्ध करने में जुटे हुए हैं, बिना यह सोचे-समझे कि हम अपने आने वाले भविष्य को, इस देश को, अपने समाज को, जिंदगी को और सबसे महत्वपूर्ण अपनी आने वाली नस्ल को कहां ले जा रहे हैं। आज हर कोई इसी भागदोड़ में व्यस्त है कि कैसे अधिक कमाई करू, बंगला बनाऊं, नयी बाईक  या कार खरीदूं, बच्चों का बड़े स्कूल में एडमिशन कराऊं, लेकिन इस भागदोड़ में किसी का भी इस और ध्यान नहीं है कि आज वो जो भी सामग्री खरीद कर अपने घर ले कर जा रहा है, उनमें अधिकतर वस्तुऐं या तो मिलावटी हैं, या जिंदगी के लिये खतरनाक केमिकल्स से युक्त हैं या फिर नकली हैं। इन बातों की तरफ ना हमारे नेताओं का ध्यान है, ना अधिकारियों का, ना मीडिया का और ना ही इस देश की जनता का।

जब मैं अन्य विकसित देशों, वहां की सरकारों की सोच, आम जनता की सोच, मीडिया की सोच के बारे में इंटरनेट के माध्‍यम से पढता हूं, तब समझ आता है कि वे क्‍यों आज इतने विकसित हैं और हम क्‍यों नहीं। कई-कई देशो मे टेक्स का पैसा सबसे ज्यादा शिक्षा स्वास्थ्य पर ही खर्च करते है। हमारे देश में इंसान के जीवन की और इंसानियत की कोई कीमत नहीं है। इस देश में अस्पताल में भर्ती मरीज की जिंदगी, सीमा पर तैनात जवान की जिंदगी, सड़क पर जा रहे यात्री की जिंदगी और खेतों में काम करने वाले किसान की जिंदगी बस एक समाचार से बढ़कर कुछ नही है। लोग ट्रेनो बसो मे भेड़  बकरियो की तरह सफर कर रहे है। हमारे देश में लोगों के पास इतनी बड़ी-बड़ी समस्याओं से लड़ने के लिये, इस संबंध में विचार करने के लिये समय नही है, लेकिन हां छोटी-छोटी बातों पर झगड़ने, जमीन के टुकड़ों के लिए खून के प्यासे हो जाने, सड़क पर छोटी-सी बात पर मारपीट करने के लिए या फिर जात-पात के लिए एक दूसरे की जान ले लेने पर उतारू हो जाने के लिये समय ही समय है।

इन सब बातों में सबसे ज्यादा दुखः  तब होता है जब इस देश की बागडोर जिन नेताओं, विधायकों, सांसदों के हाथों में होती है, उन्हें ही इन समस्याओं से कोई मतलब नहीं होता। आज तक मैंने किसी नेता को, विधायक को, सांसद को इस वादे के साथ चुनाव लड़ते नहीं देखा कि अगर वह चुनाव जीता तो सबसे पहले मिलावटी खाद्य पदार्थों की रोकथाम का कार्य करेगा, फलों, सब्जियों में खतरनाक जानलेवा केमिकल्स का प्रयोग बंद करवाएगा, नकली सामानों, वाहनो के कलपुर्जे बनाने वालों के कारखानों पर कार्यवाही करेगा, मिलावटी या घटतोली करने वाले पेट्रोल पंप और दुकानदारों का लाइसेन्स निरस्त करने का कानून बनवायेगा, घटियां निर्माण सामग्री की जगह कम से कम 10 बरसों तक खराब ना होने वाली सड़कों का निर्माण करवायेगा इत्यादि। आज इस देश का हर छोटा बड़ा नेता, प्रत्येक राजनीतिक दल, सभी वोट बैंक की राजनीति में लगे हुए हैंय़ उनकी चुनावी राजनीति विकास पर केन्द्रित ना हो कर सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक पर केन्द्रित है। आज प्रत्येक राजनीतिक दल का मुख्य अजेंडा जाति आधारित वोट बैंक, आरक्षण आधारित वोट बैंक के माध्यम से या दूसरों पर आरोप लगाने वाली राजनीति के माध्यम से किसी भी तरह बस सत्ता पाना रह गया है। कभी सोचा है आज से 50 बरसों के बाद हम कहां होंगे? यह देश कैसा हो जायेगा? आज हर किसी को आरक्षण चाहिए। हर व्यक्ति जाति, धर्म, क्षेत्र के नाम पर आरक्षण मांगने में लगा हुआ है। कोई भी मेहनत करना नही चाहता, लेकिन चाहता है कि देश तरक्की करे विकसित बने। ऐसे बनेगा देश विकसित? जब 20 प्रतिशत नंबर लाने वाला डॉक्टर बनेगा तो वो कैसे आपका इलाज करेगा, नेगेटिव नंबर लाने वाला रेलवे में इंजिनियर बनेगा तो आपका सफर सुरक्षित रहेगा? नकल करके पास होने वाला या फिर आरक्षण द्वारा नियुक्त होने वाला शिक्षक या प्रोफेसर आपके बच्चों को कैसी शिक्षा देगा? 30 प्रतिशत नंबर लाने वाला आरक्षित कोटे के माध्यम से सरकारी अधिकारी बनेगा तो कैसी नीतियाँ लागू करेगा? जब किसी देश के सूत्रधार ही मूर्ख होंगे तो क्या वह देश तरक्की कर सकता है? विकसित बन सकता है ? एक बार सोचके देखिए कि अगर एक अनपढ़ व्यक्ति को ही दूसरे अनपढ़ व्यक्ति को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाएगी तो फिर पड़ा लिखा व्यक्ति कहां से आएगा? क्या ऐसे भारत एक विकसित देश बन पायेगा? मै भी ओबीसी वर्ग मै ही आता हूँ पर मुझे तो लगता है कि की आज के दौर मे चल रही आरक्षण निति सरकार को बन्द करनी चाहिये आर्थिक आधार पर आरक्षण कर सकते हैं

शनिवार, 18 अगस्त 2018

भक्त और चमचो मे अन्तर

।। राम राम सा ।।
मित्रो पिछ्ले चार सालो से लोकसभा चुनाव के बाद दो शब्द हर दिन सुनने को मिलता है एक भक्त ओर दुसरा चमचा। अब भक्त और चमचे में फर्क क्या होता है इस पर मैंने गहन विचार किया। कि हमे कुछ लोग अंधभक्त क्यो कहते है? हमारा  तो कोई भी राजनितिक पार्टी से इतना लगाव भी नही है वैसे मै तो राजनिती से हमेशा सौ कदम दुर ही रहता हुँ। शाखा ंंमे जरुर जाता हुँ कभी कभी सोशल मीडिया पर कुछ लिख देता हुँ।  और कोमेन्ट भी  जरुर करता हुँ । पार्टी कोई भी हो उसमे अच्छे बुरे सभी तरीके के लोग होते है । जनता मौका देती है कुछ अच्छा करने के लिए लेकिन मैने ज्यादतर नेताओ को तो सिर्फ अपना घर भरने अपना बिजनेस बढ़ाने के अलावा कोई भी काम करते हुए नही देखा है । देशहित के बारे मे सोचने वाले नेता अब नही रहे है आप किसी भी नेता की संपति पर नजर डालिए अरबो खरबो की सम्पती है । कहाँ से आई है यह ? जरा सोचिए?
  93 वर्ष पहले जन्म लेने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी के पिता उस समय भी सम्पन परिवार से थे और अब ये पीछे कितनी सम्पती छोडकर गये हैं हमसब को पता है अटल बिहारी वाजपेयी जब राजनैतिक क्षेत्र में आए तब पार्टी अस्तित्व के लिए संघर्षरत थी और अब शरीर छोड़ा है तब अपने पीछे कोई दस बीस फेक्ट्रीया होटले  बंगले या हॉस्पिटल  ंंनही छोडा बल्कि अपनी पार्टी का  राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति,  प्रधानमंत्री,  लोकसभा अध्यक्ष,  22 राज्यों के मुख्यमंत्री,  30 राज्यों के राज्यपाल करोड़ों कर्तव्यनिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता विश्व का सबसे बड़ा राजनैतिक दल ,ऐसी संपदा छोड़कर गए है।
इसे कहते है कर्तव्यंंनिष्ठ ईमानदार नेता और अगर हम इनके जैसे नेताओ की भक्ति नही करे  तो आखिरकार किसकी करे
 मित्रो अब जरा  एक नजर उस  क्षेत्रिय पार्टी के नेताओ पर भी डालते है जो पिछ्ले 30 साल मे कुछ भी नही थे। और आज अरबो खरबो का साम्राज्य खड़ा कर के बैठे है । ईतने जल्दी इनके पास ये रुपया कहाँ से आया है? और जब प्रचार करने के लिए जायेंगे तो कहेंगे कि हमे तो बस जनता की सेवा करनी है।

मित्रो अब इन बातो को  छोडक़र  वापस भक्त बनाम  चमचो की बात करता हुँ। आजकल सभी सोशल मीडिया में हम मोदी समर्थकों और विरोधियों तथा राहुल समर्थक और विरोधियों की टिप्पणियां रोजाना देखते सुनते और पढते है । फर्क सिर्फ इतना है कि  भक्ति करने के लिए एक भगवान या महान व्यक्ति की जरूरत होती है। पर चमचा बनने के लिए जिससे भी स्वार्थ सिद्धि हो चाहे वह कोई मंदबुद्धि, भ्रष्टाचारी, व्याभिचारी, अपराधी ही क्यों न हो उसका भी चमचा बना जा सकता है। बस वह किसी पद पर विराजमान होना चाहिए, किसी भी प्रकार की सत्तायुक्त होना चाहिए। अगर न हो तो वह उसे सत्तानशीन कराने के लिए कुछ भी प्रयास करेगा ताकि कालांतर में उसके स्वार्थों की सिद्धि हो सके। जबकि भक्त अपने आदर्श  का समर्थन करेगा। और देश के प्रति समर्पण का भाव हो ।वही उनका रोल मॉडल होता है । उसे अपने रोल मॉडल की सामर्थ्य पर यकीन होता है। भक्त वह होता है जिसकी अपने रोल मॉडल पर अथाह श्रद्धा होती है। जबकि चमचों की कोई श्रद्धा नहीं होती वह निहित स्वार्थों के कारण चमचे बन जाते हैं।
चमचे के अपने एजेंडे होते हैं जिससे वह अपनी स्वार्थ सिद्धि करना चाहता है। जबकि भक्त देश और समाज की भलाई के लिए अपने रोल मॉडल का रामर्थन करता है। वह अपनी व्यक्तिगत हानि को भी देश तथा समाज के समर्थन के लिए सहर्ष स्वीकार कर लेता है। जबकि चमचे की अगर उसका तथाकथित रोल मॉडल ही हानि कर दे तो चमचा उसी का विरोध करने लगता है। चमचों का कोई दीन ईमान नहीं होता, वह सिर्फ स्वार्थ सिद्धि में लिप्त रहने वाला प्राणी है। भक्त को अगर लगता है कि यह काम गलत है तो वह कह देता है, शिकायत कर देता है, जैसे कि भगवान के भक्त भी कह देते हैं “हे भगवान यह तूने क्या कर दिया?” पर चमचा कभी शिकायत नहीं कर सकता। उसका बॉस उसे जो कहेगा वह वही करेगा और गलत को भी सही बताने की कोशिश करेगा। एक भक्त तो गर्व से
कह सकता है कि वह भक्त है पर एक चमचा कभी नहीं कह सकता कि वह चमचा है।
भक्तों को किसी और से नही अपने देश से लगाव होता है, इसलिये वे किसी की व्यक्ति पूजा नही करते हैं. इसके विपरीत कांग्रेसीविदेशी माताजी और उसके कपूत के तलवे चाटने वाले "चमचे" हमेशा से ही कड़े दंड के अधिकारी रहे हैं और आगे भी रहेंगे  मित्रो रोजाना मेरे मित्र मुझे अन्धभक्त कहते है मै कभी नाराज नही होता हुँ  क्यॉकि मुझे  मोदीजी से आने वाले समय में भारत को गौरवशाली बनाने की बहुत सारी आशायें नजरआती है और  वही  है जो  देशहित  के लिये कुछ  कर सकते है ।
जय हिन्द जय भारत
गुमनाराम पटेल सिनली

गुरुवार, 16 अगस्त 2018

मेरे खेत मे

।।राम राम सा ।।
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मित्रो हमारे यहाँ पर ये बार बरसात नही हुई है गावँ वाले ( किसान) कभी पाबूजी ,कभी तेजाजी ,कभी मोमाजी को मनाते मनाते श्रावण मास भी आधा से ज्यादा निकल चुका है गावँ के पूर्वानुमान लगाने वाले भलजी भाई ने भी सातम आठम नवम बताई है  किसान हर तरफ से परेशान है
एक तो बरसात की कमी और दुसरे आजकल किसान आवारा गायो, खोदियो से बहुत परेशान है जो  लगातार किसान की फ़सलो को नुकसान पहुँचा रही है रात रात जागकर रखवाली करनी पड़ रही है न तो सरकार इनका कोई इंतजाम कर रही है और न कोई ओर भी विकल्प है।  रात को 15,20, गायो का झुंड आता है और पूरी फ़सलो को रौंद कर चला जाता है  अब किसान क्या करे ?
 ये प्राकृतिक आपदाओं के अलावा अलग से नई आपदा कहे या विपदा आ गई है किसान के सामने पर बेचारा किसान करे तो क्या करे?
इन समस्याओं के चलते अगर किसान ने अन्ततः तग आकर खेती करना छोड़ दिया तो रसोई मे चूल्हा जलाने तक की नौबत आ जायेगी।
 किसान जो दिनरात मेहनत करके फ़सल उगाता है  उनकी देखभाल करता है जिसके लिए उसे चाहे  गर्मियों की धूप या बारिश की बौछारें खानी पड़े पर हर हालत में वो अपनी फ़सलो की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करता है। इसके लिए न तो कोई सरकार उसे सुरक्षा मुहैया करवाती है और न ओर कोई बीमा कम्पनी उसे ये सब खुद सहन करना पड़ता है जबकि बैंक हर KCC कार्ड धारक की हर फसल की बीमा व्यक्तिगत खाते के हिसाब से करते है ओर हर फसल के 600-700 रुपये बीमा के जोड़ देते है लेकिन अगर किसी एक खाता धारक की फसल खराब या इन आपदाओं के कारण नष्ठ हो जाये तो उसे मुवावजा नही मिलता मुवाज़े के लिए पूरी पंचयात या पर हल्के की नुकसान होने की पटवारी  रिपोर्ट पर सरकार के निर्देशानुसार मुवावजा तय करके मिलता है है तो व्यक्तिगत फसल बीमा का क्या औचित्य हुवा?
 एक तो महंगे भाव के खाद बीज लेने होते है महंगी खड़ाई  और खरपतवार का खर्च  अलग से करना पड़ता है  और आखिर मे मूँग का भाव 4500 रुपया अब करे तो क्या करे?
मेरा मानना है कि अगर किसान इस सभी आपदाओं के चलते अगर तंग आकर फसलें उगाना छोड़ देगा तो क्या होगा? कभी इस पर सरकार विचार किया है ? जागो किसानो जागो ?
मेरे खेत मे लक्ष्मण पटेल फसल  की रखवाली करते हुये गाँव
सिनली

अटल बिहारी वाजपेयी






*राजनीति के भीष्मपितामह, सदी के महानायक श्री अटल जी को भावभीनी श्रद्धांजलि*
*ॐ शान्ति ॐ*

बुधवार, 15 अगस्त 2018

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

।।राम राम सा।।
जय हिन्द जय भारत 
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  सभी देश वासियों,मेरे देश के रक्षकों (तीनों सेना के सैनिको ) दोस्तों, देश के अन्नदाता किसानो को  स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सबसे पहले मेरा उन शहीदों को  शत शत नमन जिनकी वजह से आज हम ये स्वतंत्रता दिवस मना रहें है 
आज ंंमालवियो की ढाणीया  सिनली गाँव ंंमे ध्जरोहण करते हुए गोकलराम जी मालवी 

बहतर वां स्वतंत्रता दिवस 2018


जय हिन्द जय भारत  
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  सभी देश वासियों,मेरे देश के रक्षकों (तीनों सेना के सैनिको ) दोस्तों, देश के अन्नदाता किसानो को  स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सबसे पहले मेरा उन शहीदों को  शत शत नमन जिनकी वजह से आज हम ये स्वतंत्रता दिवस मना रहें है।
आज हम 72 वा स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं लेकिन अभी तक हम पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हैं अभी भी कुछ हरामखोर नेताओ ,भर्ष्टाचारी सरकारी  अफसरों की दोगली नीतियों मे जकडे हुये है, जो देश के गरीब किसानो  की चिन्ता किसी नेता को नही है कुछ नेताओ को छोडकर जहाँ भी जाओ नेताओ को धर्म जात पात  घोटालो  के अलावा कुछ नही दिखता है  ।
जय हिंद जय भारत।

सोमवार, 6 अगस्त 2018

मेरा गाँव मेरा खेत


।। राम राम सा ।।

मित्रो मारवाड़ मे बाजरा, मूँग , ज्वार,ग्वार ,मौठ,  तिल की फसलें तो यह बार बहुत अच्छी है। परन्तु पहले दोनो बार बरसात हुई थी वह थोड़ी हल्की हुई थी अब बरसात की पूरी जरुरत है  अब सभी धरतीपुत्र बरसात के इन्तजार मे है और भगवान मनुष्य के उपर नहीं तो गौ माता के उपर जरुर मेहरबानी करेला
वैसे हमारे भलजी भाई ने तो तैरस चौदस ने अमावस बताई है देखते है भाईयो अमावस क्यो दूर है आ आवे काले परसो । म्हाने तो ओ डर है कि  बाजारी रो रुप देखने कणोई इन्द्र भगवान  नजर नही लगाय दे ।
अब सब जणा मिल कर बरस बरस म्हारा इन्द्र राजा गावो
 एक दिन मै भी गावणो शुरु कियो के गायो  भड़क गी । घर वाला सब मना कर दियो के हमे जावा दो नही तो गायो खूँटा तोडाय देवेला जिण रे बाद आज तक मन रे मोय इज गावों
धन्यवाद सा

रविवार, 5 अगस्त 2018

म्हारो परिचय

राम राम सा

कठे गई बे बातां


।।राम राम सा।।
बे बातां
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माथो गोलमटोल रेंवतो
बिचमें रेंती चोटी।
दूध दही रा ठाट रेंवता
घी में गचगच रोटी।
साबुण तेल री कठै जरुरत
नाडी पर न्हायांता।
कपडा झिबल सुखाय लेंवता
खंखोली खायांता।
आठानां रा पाव वड़ा म्हैं
खडा खडा खाय आता।
पगरखी में पाणीं लेकर
दो नंबर जाय ता।
लूट लूटकर मांझो ल्यांता
पछे लगांता गांठां।
पाठा फाड पतंग बणांता
बो काटा बो काटा।
चौमासा में बिरखा आंती
खोल भगांता गाबा।
नंग धडंग नाचता गांता
म्है बाबा म्हे बाबा।
पाटी भडता पोथी लेकर
पोसालां में जांता।
गुरुजी नें देख आंवता
म्हैं मिनक्यां बण ज्यांता।
कान पकडकर मुरगा बणता
ऊपर पडती लातां।
टाटपट्यां गीली कर देंता
याद आवे बे बातां।
इचक दाणां बिचक दाणां
गांता फिलमी गाणां।
बारे बांडायां कर लेंता
घर में रेंता स्याणां।
लारे डब्बा बीस लागता
खुद इंजन बण ज्यांता।
सिंगल री परवा नीं करता
छुक छुक रेल चलांता।
गुदडां में लुटता हंसता
अधगेला हो ज्यांता।
आडा टेढा पसता पसता
दस भेला सो ज्यांता।
तिरसिंगजी सुं डरता कोनीं
बिनां बात भिड ज्यांता।
भाटा फेंक भागकर मां री
गोदी में भड ज्यांता।
रेत मांयनें रामत मंडती
दिनभर मौज मनांता।
न्हाय धोयकर घर सुं जांता
भूत बण्योडा आंता।
सदा सुरंगा दिन हूंता हा
सदा सुहाणीं रातां।
मिनख तो बो ही है पणं
कठै रिवी बे बातां।
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अब तो भूलग्या

राम राम सा
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भूलग्या
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कंप्यूटर रो आयो जमानो कलम चलाणीं भूलग्या।
मोबाईल में नंबर रेग्या लोग ठिकाणां भूलग्या।

धोती पगडी पाग भूलग्या मूंछ्यां ऊपर ताव भूलग्या।
शहर आयकर गांव भूलग्या बडेरां रा नांव भूलग्या ।

हेलो केवे हाथ मिलावे रामासामा भूलग्या।
गधा राग में गावणं लाग्या सारेगामा भूलग्या ।

बोतल ल्याणीं याद रेयगी दाणां ल्याणां भूलग्या ।
होटलां रो चस्को लाग्यो घर रा खाणां भूलग्या ।

बे टिचकारा भूलगी ऐ खंखारा भूलग्या ।
लुगायां पर रोब जमाणां मरद बिचारा भूलग्या ।

जवानी रा जोश मांयनें बुढापा नें भूलग्या ।
हम दो हमारे दो आपरा मा बापां ने भूलग्या ।

संस्कृति नें भूलग्या खुद री भाषा भूलग्या ।
लोकगीतां री रागां भूल्या खेल तमाशा भूलग्या ।

घर आयां ने करे वेलकम खम्मा खम्मा भूलग्या ।
भजन मंडल्यां भाडा की जागण जम्मा भूलग्या ।

बिना मतलब बात करे नीं रिश्ता नाता भूलग्या ।
गाय बेचकर गंडक ल्यावे खुद री जातां भूलग्या ।

कांण कायदा भूलग्या लाज शरम नें भूलग्या ।
खाणं पांण पेराणं भूलग्या नेम धरम नें भूलग्या ।

घर री खेती भूलग्या घर रा धीणां भूलग्या ।
नुवां नुंवां शौक पालकर सुख सुं जीणां भूलग्या ।

आधुनिक सत्य

राम राम सा
*** आधुनिक सच   ***
मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं
तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं
सुबह आठ बजे नौकरियों परजाते हैं
रात  ग्यारह तक ही  वापिस आते  हैं

अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं
अकेले रह कर वह  कैरियर  बनाते हैं
कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं
भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं

मोटे वेतन कीनौकरी छोड़ नहींपाते हैं
अपने नन्हे मुन्ने को पाल  नहीं पाते हैं
फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते  हैं
उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं

परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है
केवल आया'आंटी' को ही पहचानता है
दादा -दादी ,नाना-नानी कौन होते  है?
अनजान है सबसे किसी को न मानता है

आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है
टिफिन भी रोज़ रोज़  आया ही बनाती है
यूनिफार्म पहनाके स्कूल कैब में बिठाती है
छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है

नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है
जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है
उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है
कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है

जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है
देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता  है
वीक ऐन्ड पर मौल में पिकनिक मनाता है
संडे की छुट्टी मौम-डैड के  संग बिताता है

वक्त नहीं रुकता है तेजी से गुजर जाता है
वह स्कूल से निकल के कालेज मेंआता है
कान्वेन्ट में पढ़ने पर इंडिया कहाँ भाता है
आगे पढाई करने वह विदेश चला जाता है

वहाँ नये दोस्त बनते हैं उनमें रम जाता है
मां-बाप के  पैसों से  ही  खर्चा चलाता है
धीरे-धीरे वहीं की संस्कृति में रंग जाता है
मौम डैड से रिश्ता  पैसों  का रह जाता है

कुछ दिन में उसे काम वहीं मिल जाता है
जीवन साथी शीघ्र ढूंढ वहीं बस जाता है
माँ बाप ने जो देखा ख्वाब वो टूटजाता है
बेटे के दिमाग में भी कैरियर रह जाता है

बुढ़ापे में माँ-बाप अब अकेले रह जाते हैं
जिनकी अनदेखी की उनसे आँखें चुराते हैं
क्यों इतना कमाया ये सोच के पछताते हैं
घुट घुट कर जीते हैं खुद से भी शरमाते हैं

हाथ पैर ढीले हो जाते,चलने में दुख पाते हैं
दाढ़- दाँत गिर जाते,मोटे चश्मे लग जाते हैं
कमर भी झुक जाती,कान नहीं सुन पाते हैं
वृद्धाश्रम में दाखिल हो,जिंदा ही मर जाते हैं
: सोचना की बच्चे अपने लिए पैदा कर रहे हो या विदेश की सेवा के लिए।

बेटा एडिलेड में,बेटी है न्यूयार्क।
ब्राईट बच्चों के लिए,हुआ बुढ़ापा डार्क।

बेटा डालर में बंधा, सात समन्दर पार।
चिता जलाने बाप की, गए पडौसी चार।

ऑन लाईन पर हो गए, सारे लाड़ दुलार।
दुनियां छोटी हो गई,रिश्ते हैं बीमार।

बूढ़ा-बूढ़ी आँख में,भरते खारा नीर।
हरिद्वार के घाट की,सिडनी में तकदीर।

तेरे डालर से भला,मेरा इक कलदार।
रूखी-सूखी में सुखी,अपना घर संसार।👩‍👩‍👦‍👦👩‍👩‍👦👨‍👨‍👦‍👦👨‍👨