गुरुवार, 16 अगस्त 2018

मेरे खेत मे

।।राम राम सा ।।
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मित्रो हमारे यहाँ पर ये बार बरसात नही हुई है गावँ वाले ( किसान) कभी पाबूजी ,कभी तेजाजी ,कभी मोमाजी को मनाते मनाते श्रावण मास भी आधा से ज्यादा निकल चुका है गावँ के पूर्वानुमान लगाने वाले भलजी भाई ने भी सातम आठम नवम बताई है  किसान हर तरफ से परेशान है
एक तो बरसात की कमी और दुसरे आजकल किसान आवारा गायो, खोदियो से बहुत परेशान है जो  लगातार किसान की फ़सलो को नुकसान पहुँचा रही है रात रात जागकर रखवाली करनी पड़ रही है न तो सरकार इनका कोई इंतजाम कर रही है और न कोई ओर भी विकल्प है।  रात को 15,20, गायो का झुंड आता है और पूरी फ़सलो को रौंद कर चला जाता है  अब किसान क्या करे ?
 ये प्राकृतिक आपदाओं के अलावा अलग से नई आपदा कहे या विपदा आ गई है किसान के सामने पर बेचारा किसान करे तो क्या करे?
इन समस्याओं के चलते अगर किसान ने अन्ततः तग आकर खेती करना छोड़ दिया तो रसोई मे चूल्हा जलाने तक की नौबत आ जायेगी।
 किसान जो दिनरात मेहनत करके फ़सल उगाता है  उनकी देखभाल करता है जिसके लिए उसे चाहे  गर्मियों की धूप या बारिश की बौछारें खानी पड़े पर हर हालत में वो अपनी फ़सलो की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करता है। इसके लिए न तो कोई सरकार उसे सुरक्षा मुहैया करवाती है और न ओर कोई बीमा कम्पनी उसे ये सब खुद सहन करना पड़ता है जबकि बैंक हर KCC कार्ड धारक की हर फसल की बीमा व्यक्तिगत खाते के हिसाब से करते है ओर हर फसल के 600-700 रुपये बीमा के जोड़ देते है लेकिन अगर किसी एक खाता धारक की फसल खराब या इन आपदाओं के कारण नष्ठ हो जाये तो उसे मुवावजा नही मिलता मुवाज़े के लिए पूरी पंचयात या पर हल्के की नुकसान होने की पटवारी  रिपोर्ट पर सरकार के निर्देशानुसार मुवावजा तय करके मिलता है है तो व्यक्तिगत फसल बीमा का क्या औचित्य हुवा?
 एक तो महंगे भाव के खाद बीज लेने होते है महंगी खड़ाई  और खरपतवार का खर्च  अलग से करना पड़ता है  और आखिर मे मूँग का भाव 4500 रुपया अब करे तो क्या करे?
मेरा मानना है कि अगर किसान इस सभी आपदाओं के चलते अगर तंग आकर फसलें उगाना छोड़ देगा तो क्या होगा? कभी इस पर सरकार विचार किया है ? जागो किसानो जागो ?
मेरे खेत मे लक्ष्मण पटेल फसल  की रखवाली करते हुये गाँव
सिनली

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