गुरुवार, 2 अगस्त 2018

मैदे की बनी चीजें खाना ही बिमारी का बुलावा है

।। राम राम सा।।
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मित्रो आज अपने रोजना की जिन्दगी मे कुछ सोचने वाली बाते::
बचपन मे जब हम स्कुल जाते थे तो पहले दिन  मे बनायी गयी बाजरे की ठण्डी रोटी दही खाकर चले जाते थे और अब बच्चो को सुबह गर्म रोटियाँ चाहिये और हमे यह भी कह देते की बासी रोती खाने से बिमारी हो जाती है  हमे तो दस बीस  रुपये दे दो बिस्कुट कुरकुरे  खायेंगे और तो और  आजकल बच्चा पैदा होते ही महीना भर का भी नही होता है और  माँ  भी यह कहना शुरु कर देती है की बाजार जाओ तो मुन्ने के लिये बिस्कुट लेते आना  कुरकुरे लेकर आना आदि । भाईयो बिमारी को तो आप सामने से खरीद रहे हो। ये बात भी सही है कि  ज्यादातर लोग आज की बनी रोटी कल खाना पसंद नहीं करेंगे, कुछ तो ऐसे भी है जो सुबह की बनी रोटी शाम को भी नही खाते है, अब मैं अगर आपसे बोलूँ की आज रोटी बनाकर उसको पौलिथीन में पैक कर देता हूँ,
उसको चार दिन बाद खाने को कौन राजी होगा?
आप सोच रहे होंगे की क्या मूर्खता पूर्ण  बातें कर रहा हूँ, अब जरा सोचो की आटे को सड़ाकर बनाई हुई ब्रेड और पाँव रोटी जो पता नही कितने दिन पहले की बनी हुई है,
उसको इतना मजे ले कर क्यों खाते हो ?
क्यों बर्गर और ब्रेड पकोड़ा खाते वक्त ये बातें दिमाग में नही आती हैं ? अगर हम ताजा रोटी खाने की परम्परा को तर्क  मान कर ४-५ दिन पहले बनी बासी रोटी खाने को अपनी शान समझते है तो हम पढ़े लिखे मूर्खो के सिवा और कुछ नही है, हम विदेशी सभ्यता के  पीछे आँख बंद कर चलने वाली भेड़ चाल पर चल पड़े है ।बच्चो को बिस्कुट ब्रेड और नमकीन खिलाते हैं
इसलिये आज पूरे देश मे हॉस्पिटल भरे पड़े है
, यूरोप में तो ब्रेड खाना उनकी मज़बूरी है, वहाँ का तापमान इतना कम रहता है की रोटी बनाना संभव ही नही है, आटा गूँथने के लिए पानी चाहिए लेकीन
वहाँ छः महीने तो बर्फ जमी रहती है, इसीलिए वहाँ ब्रेड
बनाई जाती है जिसमें आटा गूँथने की जरुरत नहीं होती है,
आटे को सड़ाकर ब्रेड बना दी जाती है, और अत्यंत कम
तापमान की वजह से वो चार पांच दिनों तक खराब नही होती है, भारतीय जलवायु के हिसाब से ब्रेड उचित नहीं है, भारतीय जलवायु में ब्रेड जैसे नमीयुक्त खाद्य पदार्थ जल्दी खराब होते हैं, तापमान बहुत कम होने के कारण उनके शरीर में मैदे से बनी ब्रैड पच जाती है पर भारत
में तापमान बहुत अधिक होता है जो भारतीयों के लिये सही नही, इससे कब्ज की शिकायत होती है और कब्ज होने से सैंकडों बीमारियां लगती है, हजारों सालों से भारत में ताजे आटे को गूंथकर ही रोटी बनाई और खाई जाती है,
हमारे पूर्वजो  ने तो कभी ब्रैड बिस्कुट आदि  नही खाया ।
इसीलिए सभी राष्ट्रभक्त भाई बहनों से निवेदन है
की ब्रेड, पाँव रोटी जैसी चीजों से बने खाद्य पदार्थ का पूरी तरह से बहिष्कार करें और अन्य को भी प्रेरित करें। घर मे बनी रोटियाँ खाये और  बच्चो को भी प्रेरित करे कि मैदे से बनी चीजे कदापि नहीं खाये।   

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