शनिवार, 18 अगस्त 2018

भक्त और चमचो मे अन्तर

।। राम राम सा ।।
मित्रो पिछ्ले चार सालो से लोकसभा चुनाव के बाद दो शब्द हर दिन सुनने को मिलता है एक भक्त ओर दुसरा चमचा। अब भक्त और चमचे में फर्क क्या होता है इस पर मैंने गहन विचार किया। कि हमे कुछ लोग अंधभक्त क्यो कहते है? हमारा  तो कोई भी राजनितिक पार्टी से इतना लगाव भी नही है वैसे मै तो राजनिती से हमेशा सौ कदम दुर ही रहता हुँ। शाखा ंंमे जरुर जाता हुँ कभी कभी सोशल मीडिया पर कुछ लिख देता हुँ।  और कोमेन्ट भी  जरुर करता हुँ । पार्टी कोई भी हो उसमे अच्छे बुरे सभी तरीके के लोग होते है । जनता मौका देती है कुछ अच्छा करने के लिए लेकिन मैने ज्यादतर नेताओ को तो सिर्फ अपना घर भरने अपना बिजनेस बढ़ाने के अलावा कोई भी काम करते हुए नही देखा है । देशहित के बारे मे सोचने वाले नेता अब नही रहे है आप किसी भी नेता की संपति पर नजर डालिए अरबो खरबो की सम्पती है । कहाँ से आई है यह ? जरा सोचिए?
  93 वर्ष पहले जन्म लेने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी के पिता उस समय भी सम्पन परिवार से थे और अब ये पीछे कितनी सम्पती छोडकर गये हैं हमसब को पता है अटल बिहारी वाजपेयी जब राजनैतिक क्षेत्र में आए तब पार्टी अस्तित्व के लिए संघर्षरत थी और अब शरीर छोड़ा है तब अपने पीछे कोई दस बीस फेक्ट्रीया होटले  बंगले या हॉस्पिटल  ंंनही छोडा बल्कि अपनी पार्टी का  राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति,  प्रधानमंत्री,  लोकसभा अध्यक्ष,  22 राज्यों के मुख्यमंत्री,  30 राज्यों के राज्यपाल करोड़ों कर्तव्यनिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता विश्व का सबसे बड़ा राजनैतिक दल ,ऐसी संपदा छोड़कर गए है।
इसे कहते है कर्तव्यंंनिष्ठ ईमानदार नेता और अगर हम इनके जैसे नेताओ की भक्ति नही करे  तो आखिरकार किसकी करे
 मित्रो अब जरा  एक नजर उस  क्षेत्रिय पार्टी के नेताओ पर भी डालते है जो पिछ्ले 30 साल मे कुछ भी नही थे। और आज अरबो खरबो का साम्राज्य खड़ा कर के बैठे है । ईतने जल्दी इनके पास ये रुपया कहाँ से आया है? और जब प्रचार करने के लिए जायेंगे तो कहेंगे कि हमे तो बस जनता की सेवा करनी है।

मित्रो अब इन बातो को  छोडक़र  वापस भक्त बनाम  चमचो की बात करता हुँ। आजकल सभी सोशल मीडिया में हम मोदी समर्थकों और विरोधियों तथा राहुल समर्थक और विरोधियों की टिप्पणियां रोजाना देखते सुनते और पढते है । फर्क सिर्फ इतना है कि  भक्ति करने के लिए एक भगवान या महान व्यक्ति की जरूरत होती है। पर चमचा बनने के लिए जिससे भी स्वार्थ सिद्धि हो चाहे वह कोई मंदबुद्धि, भ्रष्टाचारी, व्याभिचारी, अपराधी ही क्यों न हो उसका भी चमचा बना जा सकता है। बस वह किसी पद पर विराजमान होना चाहिए, किसी भी प्रकार की सत्तायुक्त होना चाहिए। अगर न हो तो वह उसे सत्तानशीन कराने के लिए कुछ भी प्रयास करेगा ताकि कालांतर में उसके स्वार्थों की सिद्धि हो सके। जबकि भक्त अपने आदर्श  का समर्थन करेगा। और देश के प्रति समर्पण का भाव हो ।वही उनका रोल मॉडल होता है । उसे अपने रोल मॉडल की सामर्थ्य पर यकीन होता है। भक्त वह होता है जिसकी अपने रोल मॉडल पर अथाह श्रद्धा होती है। जबकि चमचों की कोई श्रद्धा नहीं होती वह निहित स्वार्थों के कारण चमचे बन जाते हैं।
चमचे के अपने एजेंडे होते हैं जिससे वह अपनी स्वार्थ सिद्धि करना चाहता है। जबकि भक्त देश और समाज की भलाई के लिए अपने रोल मॉडल का रामर्थन करता है। वह अपनी व्यक्तिगत हानि को भी देश तथा समाज के समर्थन के लिए सहर्ष स्वीकार कर लेता है। जबकि चमचे की अगर उसका तथाकथित रोल मॉडल ही हानि कर दे तो चमचा उसी का विरोध करने लगता है। चमचों का कोई दीन ईमान नहीं होता, वह सिर्फ स्वार्थ सिद्धि में लिप्त रहने वाला प्राणी है। भक्त को अगर लगता है कि यह काम गलत है तो वह कह देता है, शिकायत कर देता है, जैसे कि भगवान के भक्त भी कह देते हैं “हे भगवान यह तूने क्या कर दिया?” पर चमचा कभी शिकायत नहीं कर सकता। उसका बॉस उसे जो कहेगा वह वही करेगा और गलत को भी सही बताने की कोशिश करेगा। एक भक्त तो गर्व से
कह सकता है कि वह भक्त है पर एक चमचा कभी नहीं कह सकता कि वह चमचा है।
भक्तों को किसी और से नही अपने देश से लगाव होता है, इसलिये वे किसी की व्यक्ति पूजा नही करते हैं. इसके विपरीत कांग्रेसीविदेशी माताजी और उसके कपूत के तलवे चाटने वाले "चमचे" हमेशा से ही कड़े दंड के अधिकारी रहे हैं और आगे भी रहेंगे  मित्रो रोजाना मेरे मित्र मुझे अन्धभक्त कहते है मै कभी नाराज नही होता हुँ  क्यॉकि मुझे  मोदीजी से आने वाले समय में भारत को गौरवशाली बनाने की बहुत सारी आशायें नजरआती है और  वही  है जो  देशहित  के लिये कुछ  कर सकते है ।
जय हिन्द जय भारत
गुमनाराम पटेल सिनली

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