सुप्रभातम
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भरी जवानी भई दिवानी जोबन लहरा लेवे जी।
रेन रंगीली छैल छबीली नहीं पिया बिन रेवे जी॥
इस्क करो तो सुणो काकीजी इतरो करौ करार।
करना तो डरना नहीं स रे है खांडा की धार॥
इस्क मांयने केई डूबग्या करलो खूब विचार॥
मन में उठे हवडका पिडन बिना अब व्याकुल नारी।
खारा जैर लागै मोंहे सब हीं झाल अंग में उठे।
खाली सब ही महल माळिया देख भिड़कणी छूटे॥
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