ठंड पडे़ है ठाकरां, काठा पहनो कोट ।
दूध गटकाओ रात में,रंजर जीमो रोट॥
ठंड पडे है जोरकी,पतली लागे सौड़।
चाय पकौड़ी मूंफली, इण सर्दी रो तोड़ ॥
डांफर चाले भूंडकी ,चोवण लाग्यो नाक ।
कांमल राखां ओडके,सिगडी तापां हाथ ॥
काया धुझे ठाठरे, मुँडो छोडे भाफ ।
दिनुगे पेली चावडी, नहानो धोनो पाप ॥
गूदड़ माथे गुदड़ा , ओढंया राखो आप ।
ताता चेपो गुलगुला , चाय पिओ अणमाप ॥
🙏🏽🙏🏽सियाले री खम्मा घणी 🙏🏽🙏🏽
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें