राम राम सा
<< शुभ रात्री दौस्तो >>
थोड़े समय बाद शायद आप
न ऐ चीज
नही मिलेगी
लुगाइयों का घाघरा,
खिचड़ी का बाजरा,
सिरसम का साग, सिर पे
पाग,...
... औंगण में ऊखल, कूण म मूसल,
घरां म लस्सी, लत्ते टांगण
की रस्सी
आग चूल्हे की, संटी बीन
(दुल्हे) की,
पहलवानां का लंगोट,
हनुमानजी का रोट,
घूंघट आली लुगाई, गावं म
दाई,
घरां म बुड्ढे, बैठकां म
मुड्ढे,
बास्सी रोटी अर अचार,
गली म घुमते लुहार,
खांड का कसार, टींट
का अचार,
कांसी की थाली, डांगर के
पाली,
बीजणा नौ डांडी का, दूध
दही घी हांडी का,
रसोई म दरात,
बालकां की स्याही की दा
बटेऊआं की शान, बहुआं
की आन,
ताऊ का हुक्का, ब्याह
का रुक्का,
पाटडे में नहाणा, पत्तल पे
खाणा,
पाणी भरेडा देग, भाण-
बेट्याँ का नेग ।
थारे जैसे दोस्त , अर
म्हारे जिसी पोस्ट ।
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