सिनली
<< शुभ रात्री दौस्तो >> आज रो औखांणो धोरा किण री कांण राखै, चढ़तां दौरा तो उतरतां सौरा। टीले किसी का लिहाज नहीं रखते, चढ़ते हुए कठिन तो उतरते हुए आसान। चाहे अमीर चढ़े या गरीब, चाहे राजा चढ़े या रंक दोनों के लिए चढ़ना मुश्किल और उतरना आसान।
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