गुरुवार, 30 मई 2019

अब राजस्थानी मौटयार कठै है

      ● राजस्थानी ●

🐪 राजस्थान चालीसा🐪
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उत्तर देख्यो दिख्खणं देख्यो देश दिसावर सारा देख्या, पणं
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा भलके है म्हारा देस में।

रणबंका सिरदार अठै है।
मोटा साहूकार अठै है।
तीखोडी तलवार अठै है।
भालां री भणकार अठै है।
साफा छुणगादार अठै है।
नितरा तीज तिंवार अठै है।
बाजर मोठ जंवार अठै है।
मीठोडी मनवार अठै है।
अन धन रा भंडार अठै है।
दानी अर दातार अठै है।
कामणगारी नार अठै है।
मुंछ्यांला मोट्यार अठै है।
पो पाटी परभात अठै है।
तारां छाई रात अठै है।
अर,तेजो तो गावे है करसा खेत में।
हीरा तो चमके है---------------------।

झीणो जैसलमेर अठै है।
बांको बीकानेर अठै है।
जोधाणों जालोर अठे है ।
अलवर अर आमेर अठै है।
सिवाणों सांचोर अठै है।
जैपर सांगानेर अठै है।
रुडो रणथंबोर अठै है।
भरतपुर नागौर अठै है।
उदयापुर मेवाड अठै है।
मोटो गढ चित्तोड अठै है।
झुंझनूं सीकर शहर अठै है।
कोटा पाटणं फेर अठै है।
आबू अर अजमेर अठै है।
छोटा मोटा फेर अठै है।
अर,डूगरपुर सुहाणों वागड देस में।
हीरा तो चमके है--------------------।

पाणीं री पणिहार अठै है।
तीजां तणां तिंवार अठै है।
रुपलडी गणगौर अठै है।
सारस कुरजां मोर अठै है।
पायल री झणकार अठै है।
चुडलां री खणकार अठै है।
अलगोजां री तान अठै है।
घूंघट में मुसकान अठै है।
खमां घणीं रो मान अठै है।
मिनखां री पहचाण अठै है।
मिनखां में भगवान अठै है।
घर आया मेहमान अठै है।
मीठी बोली मान अठै है।
दया धरम अर दान अठै है।
अर मनडा तो रंगियोडा मीठा हेत में।
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा भलके है म्हारा देस में।
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गौरी पुत्र गणेश अठै है।
मीरां बाई रो देश अठै है।
मोटो पुष्कर धाम अठै है।
सालासर हनुमान अठै है।
रूणीचे रा राम अठै है।
गलता तीरथ धाम अठै है।
महावीर भगवान अठै है।
खाटू वाला श्याम अठै है।
चारभुजा श्रीनाथ अठै है।
मेंहदीपुर हनुमान अठै है।
दधिमती री गोठ अठै है।
रणचंडी तन्नोट अठै है।
करणी मां रो नांव अठै है।
डिग्गीपुरी कल्याण अठै है।
गोगाजी रा थान अठै है।
सेवा भगती ग्यान अठै है।
अर कितरो तो बखाणूं मरुधर देस नें।
हीरा तो चमके है-------------------------।

जौहर रा सैनाणं अठै है।
गढ किला मैदान अठै है।
हरिया भरिया खेत अठै है।
मुखमल जेडी रेत अठै है।
मकराणा री खान अठै है।
मेहनतकश इंशान अठै है।
पगडी री पहचाणं अठै है।
ऊंटां सज्या पिलाणं अठै है।
चिरमी घूमर गैर अठै है।
मेला च्यारूंमेर अठै है।
सीधी सादी चाल अठै है।
गीतां में भी गाल अठै है।
सीमाडे री बाड अठै है।
बेरयां रा शमशाणं अठै है।
तिवाडी रो देश अठै है।
ऐडी धरती फेर कठै है ।
साची केवूं झूठ कठै है ।
समझौ तो बैंकूठ अठै है।
अर आवो नीं पधारो म्हारा देश में।
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा झलके है म्हारा देश में।
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शानदार राजस्थानी कविता

।। राम राम सा ।।

एकलड़ी
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आप ही म्हारो काळजो, आप ही म्हारो जीव।
घड़ी पलक नहिं आवड़ै, आप बिन म्हारा पीव!
जब से थे परदेस गए, गया हमारा चैन।
'कनबतिया'कब मन भरे, तरसण लागे नैन।।
चैटिंग-चैटिंग तुम करो, वैटिंग-वैटिंग हम्म।
चौका-चूल्हा-रार में, गई उमरिया गम्म।।
सुणो सयाणा सायबा, गयी करवा चौथ।
एकलड़ी रै डील नै, खा'गी करवा चौथ।।
सौमासो बितो जावे , जावै हमारो नूर।
रोशन किसका घर हुआ, दिया हमारा दूर।।
दिप-दिप कर दीवो चस्यो, चस्यो न म्हारो मन्न।
पिव म्हारो परदेस बस्यो, रस्यो न म्हारो तन्न।।
रामरमी नै मिल रया, बांथम-बांथां लोग।
थारा-म्हारा साजनां, कद होसी संजोग।।
म्हैं तो काठी धापगी, मार-मार मिसकाल।
चुप्पी कीकर धारली, सासूजी रा लाल!
परदेसा में जा बस्यो, म्हारो प्यारो नाथ।
सोखी कोनी काटणी, सौमासा री रात।।
म्हारो प्यारो सायबो, कोमळ-कूंपळ-फूल।
एकलड़ी रै डील में, घणी गडोवै सूळ।।
दिन तो दुख में गूजरै, आथण घणो ऊचाट।
एकलड़ी रै डील नै, खावण लागै खाट।।
पैली चिपटै गाल पर, पछै कुचरणी कान।
माछरियो मनभावणो, म्हारो राखै मान।।
माछर रै इण मान नैं, मानूं कीकर मान।
एकलड़ी रै कान में, तानां री है तान।।
थप-थप मांडूं आंगळी, थेपड़ियां में थाप।
तन में तेजी काम री, मन में थारी छाप।।
आज उमंग में आंगणो, नाचै नौ-नौ ताळ।
प्रीतम आवेलो पावणो, सुख बरसैलो साळ।।

शुक्रवार, 24 मई 2019

साँची बाता

*साँची बात ****
काया- माया बादळ छाया,
खोज मिटे ज्यूँ पाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,
अधबीच रामत छोड़ अधूरी,
पलक झपे उठ जाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में,
आंख्यां मीच अपुठो दोङै, लारै खाडा कावळ है,
सावचेत हु पग धर करणी, कोनी ठीक ऊतावळ है,
सोने रा डूंगर मत जाणी, अळगा जितरा सावळ है,
चेत रेत में रळ जावेला, तिलक माथला चावळ है,
हाथ मसळतो रह जावेला,
कीं नीं आणी जाणी में,
मिनखजमारै विष मत घोळी,
थोड़ी सी जिंदगाणी में, —

स्मार्टफोन के दुष्परिणाम

राम राम सा

मोबाइल और अंतर्जाल के जाल में हम किस कदर उलझे हुए हैं इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि ९०% लोग अपने स्मार्टफोन लिए बिना शौचालय में भी नहीं जा सकते, मानो स्मार्टफोन कोई फोन न हो, कब्ज हेतु टेक्नोपेथी की दवा हो। वो समय गया जब उठते ही बच्चे अपने माता पिता के चरण स्पर्श करते थे, अब तो आँख खुलते ही पहले अपना मोबाइल ढूँढते हैं। भोजन करते वक़्त भी स्वादिष्ट चैटिंग में इतने बिजी होते हैं. सभी चपातियाँ दाल सब्जी की जगह पानी में भिगोकर खा लेंगे किन्तु स्वाद का ध्यान न रहेगा। “हाय जानु, हाय जानु” की जितनी हाय तौबा मचा रखी है इतना हाय-हाय सरकार के खिलाफ किया होता तो सत्ता में हाय-हाय मच जाती। घर में बीमार माँ महीनों बीमार पड़ी होगी मगर हालन पूछेंगे और जानु को छींक भी आई तो निमोनिया की दवाइयाँ ढूँढते फिरेंगे।मोबाइल चैटिंग ने सभी को दीवाना बना रखा है। अभी ऑरकुट का दाह संस्कार भी न निपटा था कि फेसबुक व्हाट्सऐप के रूप में चैटिंग का पुनर्जन्म हो गया। और इनके पीछे न जाने कितने अवतार प्रकट हो गए हाइक और वाइबर जैसे रूप में। एक ही बन्दा ढेर सारी जानु, सोना, फ्रेंड, गर्लफ्रेंड, यत्र तत्र सर्वत्र ढेरों सोशल साइट्स पर लेकर बैठा है। कई लड़कों ने तो ऑनलाइन लिंग परिवर्तन करा रखा है और साइट पर लड़की बन बैठे हैं। वीर रस का कवि शृंगार की कविता गाएगा तो प्रेम की मार काट तो होनी ही है। इन नकली आशिकों ने शृंगार रस का रस निचोड़ लिया है। ये ही हाल त्योहारों का भी है। वैलेंटाइन डे विश करने को रात भर जागने वाले १५ अगस्त भूल जाते हैं। प्रेमिका के लिए एक ही जगह घंटों तक खड़े रहकर इंतजार लेंगे मगर राष्ट्र गान पर ५२ सेकंड खड़े रहना भी गवारा नहीं। गर्लफ्रेंड की टें टें पर प्यार आता है लेकिन माँ की खाँसी से नींद खराब हो जाती है।मोबाइल की आदत भी ऐसी है कि सोते टाइम तीन चार घंटे तक नींद की ऐसी की तैसी न कर दे तब तक नींद भी नहीं आती। जैसे-जैसे मोबाइल की रैम में वृद्धि हो रही है, दिमाग के न्यूरॉन्स बेमौत मरते जा रहे हैं। पहले लोगों की याददाश्त में काफी कुछ सुरक्षित रहता था, अब मोबाइल में सेव करने पड़ते हैं। नाम नंबर चेहरे सब मोबाइल में सेव पड़े हैं और दिमाग से डिलीट होते जा रहे हैं। कुछ वर्ष बादतो हालत ये होगी कि घर में चेहरे अंजान लगेंगे, फिर लोग मोबाइल से कन्फर्म करेंगे कि ये तो घर काही सदस्य है।मोबाइल की रैम बढ़ती जा रही है, हृदय से राम घटते जा रहे हैं। गेम खेलने में मशगूल लोग पोकेमोन ढूँढते ढूँढते खुद खो जाते हैं, जिन्हें गूगल भी नहीं ढूँढ पाता। खो-खो कबड्डी तो चीता की तरह लुप्त प्रायः है। इन खेलों का टेम्पल रन और पोकेमोन गो जैसे खेलों ने खेल बिगाड़ दिया है। बच्चे फोन में बिजी हैं, माँ बाप भी टेंशन फ्री हैं कि बच्चे घर में चुपचाप खेल रहे हैं। बच्चे भी मोबाइल में क्रिकेट खेल कर खुश हैं कि भाग दौड़ का कोई चक्कर नहीं। नहीं तो पागलों की तरह एक गेंदके पीछे इतने सारे लड़के भागते ही जाते हैं मानो गली की नवयौवना ने सभी जवानों को दीवाना बना रखा हो।मोबाइल होने के और भी फायदे हैं। लाखों पेड़ों की जान बच गई, आप पूछोगे कैसे? मोबाइल ने लव लेटर की संख्या घटा दी, नहीं तो कितने पेड़ तो प्रेम पत्र की बलि चढ़ जाते थे। कइयों की तो हालत ऐसी थी कि एक लव लेटर लिखने में हाथ इतना काँपता था कि फटे हुए प्रेम पत्रों का ढेर लग जाता। ऊपर से लव लेटर पहुँचाने का झंझट। कुटाई पिटाई का खौफ। लव लेटर फेंकने के चक्कर में प्रेमिका के पापा, भाई पर गिर जाए तो साक्षात यमराज को बुलावा। इस से अच्छा तो मोबाइल बेचारा चुपचाप अपना काम किए जाता है। प्रेमिका की सहेली की गरज भी नहीं करनी पड़ती। मोबाइल ने रिश्तों की परिभाषा भी बदल दी है।कई बार तो शमशान के किसी कोने में भी लोग व्हाट्सएप चलाते दिख जाएँगे, सोचते होंगे लाश जलने में तो टाइम लगता है, तब तक बैठे बैठे बोर क्यों हों। और जिनके फोन की बैटरी जल्दी दम तोड़ देती होगी वे तो कुंठा में मरे हुए को गालियाँ देते होंगे कि भाई या तो जल जा, या उठ जा, क्यों खोटी कर रहाहै? क्या पता कोई खास मेल आया हो। हो सकता है नोबल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट होने की सूचना कहीं बीच नेटवर्क में लटक रही हो, या चुनाव का टिकट बँट रहा हो। कहीं सेंसेक्स ऊपर नीचे हो गया तो सेलबाय के चक्कर में एक और साँस अटक जाएगी। लगे हाथों एक और सोग हो जाएगा। वैसे मोबाइल इतनी भी बुरीचीज तो नहीं है।अभी नोटबन्दी के बाद तो सरकार खुद कह रही है, मोबाइल को बैंक बना लो। यूट्यूब ने मोबाइल को सिनेमाघर बना दिया है। मोबाइल आने के बाद टेलीग्राम तो अकाल मृत्यु का शिकार हो गया। मोबाइल ने कलाई से घड़ी छीन ली। मोबाइल ने लुगाई से शौहर छीन लिया। मोबाइल ने पी. के. का रेडियो छीन लिया। मोबाइल ने रातों की नींद, दिन का चैन छीन लिया। मोबाइल ने पारो से देवदास छीन लिया।बाबूजी ने कहा, "व्हाट्सएप छोड़ दो।"सबने कहा, “चैटिंग छोड़ दो।"पारो ने कहा, “फेसबुक छोड़ दो।"आज तुमने कह दिया, “ट्विटर इंस्टाग्राम हाइक वाईबर छोड़ दो।"एक दिन आएगा जब वो कहेंगे, “ये मोबाइल ही छोड़ दो।"क्या देवदास से मोबाइल छूट पाएगा। आज के देवदास पारो को तो छोड़ सकते हैं, चंद्रमुखी को नहीं छोड़ सकते। और मोबाइल तो हरगिज नहीं छोड़ सकते। प्राण जाए पर मोबाइल न जाए।पूरा सावन गुजर जाएगा स्टेटस अपडेट करते-करते , “वाओ! व्हाट अ लवली क्लाइमेट। इट्स रैनिंग।" लेकिन एक बार भी बारिश में नहाकर नहीं देखेंगे कि मोबाइल पर वाओ वाओ करने से कुछ नहीं मिलता, सिवाय लाइक और कमेंट्स के। और बारिश में नहाएँ कैसे, मोबाइल की फिक्र जो है। कहीं भीग जाएगा। दूरतो होता है नहीं मोबाइल। शरीर के हर समय इतना चिपका हुआ रहता है कि कई बार लगता है, शरीर का ही कोई अंग है मोबाइल। काश भगवान ने स्मार्टफोन के साथ ही पैदा किया होता। चेहरा भले स्मार्टनेस से कोसों दूर होगा, मोबाइल तो स्मार्ट ही चाहिए। और इंसान ओवरस्मार्ट।कल को ऐसा न हो के इंसान अंडरस्मार्ट रह जाए और मोबाइल ओवरस्मार्ट बन जाए। फिर मोबाइल ही हमें कहेगा, “अरे मूर्ख! मुझे तो देखा हुआ ही है। बाहर देख। कितना सुहाना मौसम है।" लेकिन हम तो इतने समझदार हो चुके हैं कि बादल भी गूगल पर ही देख लेते हैं। बारिश यूट्यूब पर देख लेते हैं। शेर चीता भालू मगर बाज चील डिस्कवरी पर देख लेते हैं। हरियाली नेशनल जियोग्राफी दिखा देती है। हम इतने समझदार हैं कि गर्दन उठाने तक की जहमत नहीं उठा सकते। गर्दन झुकाने की आदत इतनी भी अच्छी नहीं न। काश हम भी थोड़े नासमझ ही रह जाते, समझदार होने के नुकसान तो बहुत हैं।
गुमनाराम जी चौधरी

गुरुवार, 23 मई 2019

दुःखद समाचार 24 मई 2019


दुःखद समाचार 
  बड़े दुख के साथ सुचित किया जाता है कि  आज श्रीमान कैशाराम सुपुत्र धुड़ाराम जी मालवी  निवासी -सिणली का  जो कुछ दिनो से बीमार  थे जिनका  पेर्थक गांव सिनली  में दिनांक  24/05/2019 को अकस्मात देहांत (स्वर्गवास) हो गया है। हरि इच्छा प्रबल है। भगवान उस महान आत्मा को शांति प्रदान करे व इस दुःख की घड़ी में परिवार को सहने की आत्मबल हिम्मत दे।
🙏🙏"उस दिवंगत आत्मा को मेरा सत - सत नमन"🙏🙏
                  !!!नम आंखों से श्रदाँजलि !!!

बुधवार, 22 मई 2019

मै परदेशी दरद हूँ तू गाँवा री मौज


।। राम राम सा ।।
मै परदेशी दरद हूँ तू गांवा री मौज ।
मै हू सूरज जेठ रो तूँ धरती आसोज॥

बेमाता रा आंकङा मेट्या मिटे नै एक ।
गूंगै री ज्यू गांव रा दिन भर सुपना देख॥

दादोसा पुचकारता दादा करता लाड ।
पीसाँ खातर आप जी दियो दिसावर काढ।।

मायड रोयी रात भर रह्यो खांसतो बाप ।
जिण घर रो बारणो मै छोड्यो चुपचाप॥

जद सूँ परदेसी हुयो भूल्यो सगळा काम ।
गांवा रो हंस बोलणौ कीयाभूलूराम ॥

गरजै बरसै गांव मै चौमासै रो मेह ।
सेजा बरसै सायनी परदेसी रो नेह ॥

कुणचुपकै सी कान मै कग्यो मन री बात ।
रात हमेशा आवती रात नै आयी रात॥

आंगण मांड्या मांडणा कंवलै मांड्या गीत ।
मन री मैडी मांडदी मरवण थारी प्रीत ॥

दोरा सोराँ दिन ढल्यो जपताँ थारो नाम ।
च्यार पहर री रात आ कीयाँ ढळसी राम॥

सांपा री गत जी उठी पुरवाई मँ याद ।
प्रीत पुराणै दरद रै घांवा पडी मवाद॥

नैण बिछायाँ मारगाँ मन रा खोल कपाट ।
चढ चौबा रै सायनी जोती हुसी बाट॥

प्रीत करी गैला हुया लाजाँ तोङी पाळ ।
दिन भर चुगिया चिरडा रात्यु काढी गाळ॥

पाती लिखदे डाकिया लिखदे सात सलाम ।
उपर लिखदे पीव रो नीचै म्हारो नांम॥

दीप जळास्यु हेत रा दीवाळी रो नाम ।
इण कातिक तो आ घराँओ!परदेसी राम॥

जोबण घेर घुमेर है निरखै सारो गांव ।
म्हारै होठाँ आयग्यो परदेसी रो नांव॥

जीव जळावै डाकियो बांटै घर घर डाक ।
म्हारै घर रै आंगणै कदै न देख झांक॥

मैडी उभी कामणीकामणगारोफाग ।
उडतो सो मन प्रीत रो रोज उडावै काग ॥

बागाँ कोयल गांवती खेता गाता मोर ।
जब अम्बर मँ बादळी घिर तालो राँ लोर॥

बाबल रै घर खेलती दरद न जाण्यो कोय ।
साजन थारै आंगणैउमर बिताई रोय ॥

बाबल सूंपीगायज्यूँ परदेसीरै लार ।
मार एक बर ज्यान सूँ तडपाके मत मार ॥

नणद,जिठाणी,जेठसा दयोराणी अर सास ।
सगलाँ रै रैताँ थका थाँ बिन घणी उदास॥

सुस्ताले मन पावणा गांव प्रीत री पाळ ।
मिनख पणै रै नांव पर सहर सूगली गाळ॥

सहर डूंगरी दूर री दीखै घणी सरूप ।
सहर बस्याँ बेरो पडै किणरो कैडो रूप॥

खाणो पीणो बैठणो घडी नही बिसराम ।
बो जावै परदेस मँ जिण रो रूसै राम

राजस्थानी कहावते

।। राम राम सा ।।
पुरुष बिचारो के करै ,जे घर मैं नार कुनार।
बो सिंमै दो आंगली बा फाड़ै गज च्यार।।
२ एक सेर की सोला पोई ,सवा सेर की एक।
  बो निगोड्यो सोला खायगो ,मैं बापड़ी एक।
३  इसी रांड का इसा ही जाया ,
    जिसी खाट बीसा ही पाया।
४ कांसी कुति कुभरजा ,अण छेड़ी कूकन्त।
५ चाकी फोड़ूं चूल्हो फोड़ूं ,घर कै आग लगाउंगी।
   चालै है तो चाल निगोड्या ,मैं तो गंगा नहाऊँगी।।
6. लूखा भोजन मग बहण, बड़का बोली नार।
  मंदर चुवै टपूकड़ा पाप तणा फल च्यार।।
७. धान पुराणों घी नयो ,आज्ञा कारी नार।
   पथ तुरी चढ़ चालणों ,पुण्य तणा फल च्यार।।
८. साठी चावल भैस दूध ,घर सिलवन्ती नार।
     चौथी पीठ तुरंग री ,सुरग निशाणी च्यार।।
९. इज्जत भरम की कमाई करम की लुगाई सरम की।

मरूधरा री महक


।। राम राम सा  ।।

जोत उजाळी
लोग ठेठ सूं
भटकण लाग्या
पेट-पीठ खेल में
चुन्दड़ी संग अंगरखी फाटी
ऐडी फाटी गेल में

ऊंडी आंख्यां नाड़ डोलती
जग री रेलमपेल में
धूप झेलता
छावां ठेलता
कैदी जीवण जेळ में
राजाजी रंगम्हैला में

खेत निराया
फसलां काटी
असल डूबगी भेळ में
स्याळ भरोसै खेती पाकै
कगलियां री सैल में

कूड़ा-कूड़ा भांग उळीचै
सड़क सांकड़ी गेल में
मिनकी थामै
दूध चाकरी
तिरै माखियां तेल में

गीली बलै
सूखी बलै
लकड़ी धुप्पल-धैल में
घणी डूबगी
अब नीं डूबै
जोत-उजाळी तेल में ।

इतरी तो हिम्मत दे दिज्यौ

।। राम राम सा ।।
¤¤¤¤¤¤¤¤¤
हाथी दीज्ये घोडा दीज्यै, गधा गधेडी मत दीज्यै
सुगरां री संगत दे दीज्यै, नशा नशैडी मत दीज्यै
घर दीज्यै घरवाली दीज्यै, खींचाताणीं मत दीज्यै
जूणं बलद री दे दीज्ये, तेली री घाणीं मत दीज्यै
काजल दीज्यै टीकी दीज्यै, पोडर वोडर मत दीज्यै
पतली नार पदमणीं दीज्यै, तूं बुलडोजर मत दीज्यै
टाबर दीज्यै टींगर दीज्यै, बगनां बोगा मत दीज्यै
जोगो एक देय दीज्यै पणं, दो नांजोगा मत दीज्यै
भारत री मुद्रा दै दीज्यै, डालर वालर मत दीज्यै
कामेतणं घर वाली दीज्यै, ब्यूटी पालर मत दीज्यै
कैंसर वैंसर मत दीज्यै, तूं दिल का दौरा दे दीज्यै
जीणों दौरो धिक ज्यावेला, मरणां सौरा दे दीज्यै
नेता और मिनिस्टर दीज्यै, भ्रष्टाचारी मत दीज्यै
भारत मां री सेवा दीज्यै, तूं गद्दारी मत दीज्यै
भागवत री भगती दीज्यै, रामायण गीता दे दीज्यै
नर में तूं नारायण दीज्यै, नारी में सीता दे दीज्यै
मंदिर दीज्यै मस्जिद दीज्यै, दंगा रोला मत दीज्यै
हाथां में हुन्नर दे दीज्यै, तूं हथगोला मत दीज्यै
दया धरम री पूंजी दीज्यै, वाणी में सुरसत दीज्यै
भजन करणं री खातर दाता, थौडी तूं फुरसत दे दीज्यै
घी में गच गच मत दीज्यै, तूं लूखी सूखी दे दीज्यै
मरती बेल्यां महर करीज्यै, लकड्यां सूखी दे दीज्यै
कवि नें कुछ भी मत दीज्यै, कविता नें इज्जत दे दीज्यै
जिवूं जठा तक लिखतो, रेवूं इतरी तो हिम्मत  दे दीज्यै

सोमवार, 20 मई 2019

रैल यात्रा 19मई 2019 भगत की कोठी से बांद्रा

।। राम राम सा ।।
मित्रो करीब 26 साल बाद मुंबई के लिये जोधपुर से मुंबई वाया समदडी भिलडी मार्ग से यात्रा की है पहले मीटर गेज लाईन के  डिब्बे थे जो अब ब्र्रोड़गेज मे बदल चुके है। पहले लोग ट्रेन की छत पर यात्रा करते थे  अब वो देखने को नही मिला । एक समस्या जरुर हुई थी की होलीडे एक्सप्रेस होने के कारण अन्दर केनटीन नही था । पानी की समस्या जरुर हुई । जोधपुर -मुंबई  वॉया समदडी-भीलडी रेल मार्ग  पर प्रतिदिन एक भी नियमित ट्रेन तो  नहीं है  दादर - बीकानेर सप्ताह मे दो दिन चलती है  जबकि दूरी के हिसाब से भी यह मार्ग काफ़ी छोटा है और  यात्री भार भी पर्याप्त बहुत है ।इस रेल लाइन पर  मुख्यतः  समदडी , मोकलसर, जालोर ,मोदरान, मारवाड़ भीनमाल ,रानीवाडा , धनेरा, भीलडी  रेलवे स्टेशन के अलावा कुछ छोटे स्टेसन और भी आते है ,वर्तमान में जोधपुर अहमदाबाद के बीच इस मार्ग से  प्रतिदिन एक भी ट्रेन नियमित नहीं  चल रही है सप्ताह मे एक दिन होलीडे एक्सप्रेस है जो मई महिने तक ही है ।  जबकि1995 से पूर्व में मीटर गेज लाइन के समय भी जोधपुर-अहमदाबाद वायॉ समदडी -जालोर-मोदरान-भीलडी  के रास्ते दो  ट्रेन प्रतिदिन चलती थी
इस क्षैत्रौ के बहुत से लोग आजीविका और रोजी-रोटी  ऊँच शिक्षा के लिए गुजरात महाराष्ट्र कर्नाटक आँध्रप्रदेश तामिलनाडु   केरल आदि क्षेत्रो मे बचे हुए  है इसलिये उन्हें निरंतर यहाँ पर आना जाना पड़ता है ,रेल सुविधा नही होने के कारण लोग बसो मे सफर करते है
इस ट्रेन मे ज्यादा भिड़ होने के कारण सामान्य टिकट व वेटिंग टिकटों पर यात्रा करने वाले  टी सी से आरक्षित करने के प्रयास में लगे दिखाई दिये टी सी साहब ने भी अच्छी खासी कमाई कर दी ।  ट्रेन भगत की कोठी ( जोधपुर ) से 3 बजे रवाना हो गई और पहला स्टॉप समदडी था आज गरमी भी बहुत थी फिर भी दुन्दाडा से अजीत तक वर्षा होने से मौसम खुशनुमा हो गया था  समदडी के बाद भीड़-भाड़ देखकर मै आश्र्यशकित हो गया की यहाँ के m.p. व m.l.a. को इस पर विचार करना चाहिये । 
मित्रो  इस स्थिति में समदड़ी-भीलड़ी रेल खंड के सभी स्टेशनों के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है । मजबूरन लोगों को बसों में महंगा सफर करना पड़ता था। गौरतलब है कि अभी की स्थिति मे छोटे  बच्चो के साथ बस मे सफर करना भी बहुत ही कठिन है । 
हालांकि इसको लेकर जिलेवासियों की ओर से बार बार मांग भी उठाई जाती रही, लेकिन करीब  चार वर्ष बाद इस मांग पर पहल हुई है। जो देवजी भाई ने आस्वासन जरुर दिया है । और 23 मई को जितने वाले भी है । इसमे कोई दोराय नही है ।
मित्रो  खुशी की बात है कि जिलेवासियों की मांग की तरफ रेल मंत्रीजी ने भी  ध्यान दिया  है ।
मित्रो  जैसे-जैसे ट्रेन आगे बढती रही, डिब्बों में भीड बढती रही। आखिरकार जब सीट पर बैठने की क्षमता समाप्त हो गयी तो भीनमाल से चढने वाली सवारियाँ  डिब्बे मॆं फ़र्श पर बैठनी शुरु कर दिया । दिन होने के कारण बाहर का नजारा देखने का मौका मिला था। 
मित्रो बिना रोये माँ भी दुध नही पिलाती है । इसलिये हमे भी जगना होगा की मुंबई से बीकानेर  ट्रेन को नियमित करना चाहिएं ओर अहमदाबाद से जोधपुर भी नियमित गाड़ी होनी चाहिये

बुधवार, 15 मई 2019

सोच समझ कर पोस्ट करे

।। राम राम सा ।।
मित्रो हम सब को  फेसबुक व्हाटसप पर हमेशा देखने को जरुर मिलती है की जैसे ही कोई अनहोनी होती है लोग तुरंत ही फेसबूक पर पोस्ट कर देते है । जिस तरह से आज के नोजवान युवा कोई अनहोनी होती है तो फेसबुक और व्हाटसप पर अपनी सहानुभूति दिखा कर फ़ोटो और वीडियो शेयर करते है और अगर कोई घटना घटती है तो जल्दी ही सोशल मीडिया पर डाल देते है लेकिन उनके घर परिवार वालो पर क्या गुजरती होगी। जब अचानक कोई जब ये घटना सुनता है वो कोई नही सोचता बस इन महानुभावो को बस कोई न्यूज़ चाहिए और बिना सोचे समझे फटाक से पोस्ट  कर देते है और खबर आग की तरह फैला देते है लेकिन उन सब खबरों की हकीकत क्या है क्या नही कहने का मतलब आगे पीछे कुछ नही सोचते और बात का बतंगड बनाकर बस झूठी सहानुभूति दिखा देते है कम से कम एक बार तो उस घर परिवार वालो के बारे में तो जरूर सोचे उसके बाद जब तक अंतिम संस्कार ना हो जाये तब तक धैर्य बनाये रखें और उसके बाद आप भले सांत्वना सहानुभूति दिखाओ तो ठीक रहेगा , सोशल मीडिया के साथ खड़ा रहने से अच्छा है आप उस परिवार के साथ खड़े रहो और उन्हें धैर्य बंधवाओ ।।
  जिस घर का कूलदीपक बुझ गया है जब वो व्हाटसप और फेसबुक पर खबर देखते है तो उनके दिल पर क्या गुजरती होगी ये तो वो ही जानते है पर थोड़ा बहुत तो हम भी इंसान है तो अहसास तो जरूर कर ही सकते है।। हम इंसानियत के नाते थोरे समझदार बने और इंसान होने का परिचय दे और उस परिवार के साथ खड़े रहकर उनके दुःख की घड़ी के भागीदार बने ।  होनी को कौन टाल सकता है पर हम साथ मे खड़े रहकर उनको धैर्य और दुःख सहन करने की हिम्मत जरूर दे सकते है। कोई भी फोटो या वीडियो डालने से पहले थोड़ा सोच कर पोस्ट करे। 
धन्यवाद