शुक्रवार, 10 मई 2019

लोकदेवता खेतलाजी

।। राम राम सा ।।
मित्रो राजस्थान मे हर गाँव मे खेतलाजी  का स्थान जरुर होता है वैसे नाम भले ही अलग-अलग है पर ये पुरे भारत मे भी इनका स्थान है । खेतलाजी की पूजा पुरे भारत मे की जाती है । और हमारे गाँव मे भी खेतलाजी का थान है जो तालाब के -पश्चिम भाग मे बौको की वाड़ी मे है । इनको ग्राम देवता भी कहते है । खेतलोजी गांव के पालक है, यह गांव के रक्षक है, पहरेदार है। चौकीदार है, पूरे क्षेत्र के लोक देवता है, इसलिए इसकी पूजा तो हमे करनी ही पडेगी क्योंकि गांव के रक्षक जो है, खेतलाजी हर जगह मे गांव के बाहर एक पवित्र और सुनसान जगह पर किसी पेड़ के नीचे या किसी चबूतरे पर पर विराजित मिलेगे, अब थोड़ा इसके पूजा के इतिहास पर आते हैं। यह कलियुग के जाग्रत देवता है, शिव के रुधिर से उत्पन्न है, नाथ समाज में विशेष मान्यता है, यह इतने भयानक है कि कोई भी गांव में प्रवेश करेगा तो जात देनी ही पड़ेगी। भय से मुक्त होना है तो खेतलाजी की शरण लेनी पड़ेगी। आदिकाल से ही पहले देवताओं ने मनुष्य बनाया, तो मनुष्य ने भी देवता बनाये और पूजे। यह शिव का प्रमुख गण है, मां दुर्गा का अनुचर है, शिव से भी पहले इसकी पूजा होती है। यह तामसिक देवता है। उग्र देवता है, इसका रूप भी कुछ गहरा काला रंग, स्थूल शरीर, काले डरावने वस्त्र, गले में रूद्राक्ष की कंठमाल, हाथों मे मोटे लोहदंड, कुत्ते पर सवार यह भयानक योद्धा ग्राम की सीमाओं का आदिकाल से ही स्वयं काल का भैरव बनकर चौकीदारी करता है, पहले कुछ लोग इसको , मदिरा और बलि तक चढाते थे अब तो नही देखते है । हमारे गाँव में तो  हम बचपन से खेतलाजी को बाकले और चूरमा चढाते हुए देखते आ रहे हैं।गांव में जाये हर बच्चे की जातर खेतलाजी  को दी जाती है,  औरतें अपने  पीहर  व ननिहाल भी जात देने जाती है । राजस्थान के लोक जीवन में खेतलाजी,नाम से पूजन किया जाता है। कहते हैं कि  गांव की बेटी खेतलाजी  के बाकले और चूरमा प्रसादी नहीं खाती है क्योंकि जो भी कुँवारी लड़की  खेतलाजी  के बाकले खायेगी उसे शादी के बाद जातरा देनी ही होगी।भय से मुक्ति, गांव की संकट से रक्षा के लिए खेतलाजी की पूजा करनी ही होगी, क्योंकि ये ग्राम देवता है, गणदेवता है, गरीब के भी देवता है, गुवाड के देवता है, गोचर के देवता है,। पूजा-पाठ विधि सीधी है पर देवता भयानक है, डर से बचाते है, गांव को संकट से बचाते है गाँव के पहरेदार है, द्वारपाल है तो हमारी-आपकी  इतनी सी बनती ही है की खेतलाजी के लिये ( गुगरी मात) ,बाकला चढाए। 

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