बुधवार, 31 जुलाई 2019

देशी भजन गुरुजी बिना सुतौ ने कुण जगावे

देशी भजन

गुरूजी बिना सुतो ने कुण जगावे,

मिनख जन्म मल्यो मुश्किल से,
अरे फेर हाथ नही आवे,
आयोड़ो अवसर भूल मती मूर्खा,
आयोड़ो अवसर भूल मती मूर्खा,
ऐ फेर चौरासी मे जावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।

लख चौरासी मे घट घणेरा,
महाकष्ट दुख पावे,
कूकर्म करे विधि नही सुजे,
कूकर्म करे विधि नही सूजे,
मार जमो ने वाली खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।

मकड़ी मुख से तार निकाले,
उसका जाल बनावे,
आप ही जाय जाल मे बेठे,
उलझ उलझ मर जावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।

गौरखनाथ मिल्या गुरू पूरा,
भिन भिन कह समझावे,
छैला .... सतगुरू रे चरणे,
हर पूरबला पावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।

मनख जमारो मीळियौ मुश्किल से,
अरे फेर हाथ नही आवे,
आयोड़ो अवसर भूल मती मूर्खा,
आयोड़ो अवसर भूल मती मूर्खा,
ऐ फेर चौरासी मे जावे,
गुरूजी बिना सुतो ने कुण जगावे,
असंख जुगो रो भूलो मारो जीवड़ो,
असंख जुगो रो भूलो मारे हंसलो,
फिर फिर गोता खावे,
गुरूजी बिना सुता ने कुण जगावे।।

देशी भजन पांच तीर्थ घर माही

राम राम सा
पांच तीरथ घर माही रे संतो,

दोहा – माता तीर्थ पिता तीर्थ,
और तीर्थ ज्येष्ठ बंधवा,
वचने वचने गुरू तीर्थ,
और तीर्थ अभ्यागता।
संत हमारी आत्मा,
और मै संतो की देह,
रोम रोम मे रम रयो,
ज्यूं बादल बीच मेह।

देशी भजन

पांच तीरथ घर माही रे संतो,
पांच तीर्थ घर माही रे,
गुण लिया ज्योने घर परखिया,
गुण लिया ज्योने घर परखिया,
भूलो भटकवा जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।

पेलो तीरथ है मात पिता रो,
सेवा करो रे सवाई,
भूलो मती कुटुम्ब री किरिया,
वो ही नर पार हो जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।

दूजो तीरथ गुरू पीरा रो,
अरे सत धर्म री पाई,
सतगुरू सा रो शरणो लिजो,
वो ही नर पार हो जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।

तीजो तीरथ है बहन बेटी रो,
आंगणे बहन ओढाई,
मले तो दीजो लाख चोगणो,
घर कन्या परणाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।

चोथो तीरथ है नर नारी रो,
धिन धिन प्रेम सवाई,
एक दूजा बिना पड़े प्रोणिया,
वचन दोपना जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।

पोचवो तीरथ है परोपकारी,
हटे धर्म री पाई,
सात सुआणी एक भाणेजी,
इयु न थोड़ो होई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।

वचनदास सतगुरू रे शरणे,
आ तीरथ ताक बताई रे,
नरकागत नाम सही है,
हद री वात बताई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।

पाँच तीरथ घर माही रे संतो,
पांच तीर्थ घर माही रे,
गुण लिया ज्योने घर परखिया,
गुण लिया ज्योने घर परखिया,
भूलो भटकवा जाई रे संतो,
पांच तीरथ घर माही रे ऐ हा।।

देशी भजन भजनो मे जावा कोनी दे

पुराना देशी भजन है

गायक प्रकाश माली द्वारा गाया हुआ है

भजना में जावा कोणी दे,
हाछी परणाई नुगरा,
माल ने ओ म्हारा राम,
हाछी परणाई रावल,
माल ने ओ म्हारा राम।।

किउ नही किणी वन री,
रोजड़ी ओ म्हारा राम,
चरती हरियो हरियो घास,
आवता साधुडा रा लेती,
वारना ओ म्हारा राम,
वेतो म्हारो जग में अमर नाम,
हाछी परणाई नुगरा,
माल ने ओ म्हारा राम।।

किउ नही किणी कुआँ,
बावड़ी हो म्हारा राम,
रहती मार्गा माय,
आवता साधुडा पानी,
पिवता ओ म्हारा राम,
वेतो म्हारो जग में अमर नाम,
हाछी परणाई नुगरा,
माल ने ओ म्हारा राम।।

किउ नही किणी पारस,
पिपली ओ म्हारा राम,
रहती वन रे माय
आवता साधुडा छाया,
बैठता म्हारा राम,
वेतो म्हारो जग में अमर नाम,
हाछी परणाई नुगरा,
माल ने ओ म्हारा राम।।

हाथ जोडेने रूपा,
बोलिया ओ म्हारा राम,
म्हारे साधुडा रो,
अमरापुर में वास,
वेतो म्हारो जग में अमर नाम,
हाछी परणाई नुगरा,
माल ने ओ म्हारा राम।।

भजना में जावा कोणी दे,
हाछी परणाई नुगरा,
माल ने ओ म्हारा राम,
हाछी परणाई रावल,
माल ने ओ म्हारा राम।।

देशी भजन सतसन्गत मे जावा कोनी दे

देशी भजन

​भजना मे जावा कोनी दे,
सतसंग मे जावा को नी दे,
जम्बुला मे जावा को नी दे,
अछि रे परनाई रावल,
देस में हो म्हारा राज।।

क्यु नहीं कि नी पारस,
पीपली हो म्हारा राज,
रैति वन रे माए,
आवता साधुङा छाया,
बेठता हो म्हारा राज,
म्हारो अमर वेतो नाम,
अछि परनाई रावल,
देस में हो म्हारा राज।।

क्यु नहीं कि नि कुआँ,
बावड़ी हो म्हारा राज,
रेति मारग रे माए,
आवता साधुडा पानी,
पिवता हो म्हारा राज,
म्हारो अमर वेतो नाम,
अछि परनाई रावल,
देस में हो म्हारा राज।।

क्यु नहीं कि नी वनरी,
रोजङी हो म्हारा राज,
रेति वन रे माए,
आवता साधुङा लेती,
वारणा हो म्हारा राज,
म्हारो अमर वेतो नाम,
अछि परनाई रावल,
देस में हो म्हारा राज।।

हाथ जोड़ी ने रूपा बोलिया,
संसारो अमरापुर मे वास,
किरपा भक्ता पर संता राखीजो,
थारो जनम जनम गुण गाये,
अछि परनाई रावल,
देस में हो म्हारा राज।।

​भजना मे जावा कोनी दे,
सतसंग मे जावा को नी दे,
जम्बुला मे जावा को नी दे,
अछि रे परनाई रावल,
देस में हो म्हारा राज।।

देसी भजन -पर घर प्रित मत किजे रे भँवरा

।। राम राम सा ।।

कबीर जी की  बहुत ही अच्छी भजन रचना है
पर घर प्रीत मत कीजे,

छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,
पर घर प्रीत मत कीजे,
पर घर प्रीत मत कीजे,
पराई नार आ नैण कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजै।।

घर के मंदरिया में निपट अंधेरो,
पर घर दीवला मत जोजे,
घर को गुड़ कालो ही खा लीजे,
पर चोरी की खांड मत खाजे,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।

पराया खेत में बीज मत बोजे,
बीज अकारत जावे,
कुल में दाग जगत बदनामी,
बुरा करम मत कीजे,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।

भाइला री नार जमाण जाई लागे,
बेहनड़ के बतलाजे,
कहत कबीर सुनो रे भाई साधु,
बैकुंठा पद पाजे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।

छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,
तू पर घर प्रीत मत कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पराई नारी रा रूप कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजे।।पर घर प्रीत मत कीजे,

छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,
पर घर प्रीत मत कीजे,
पर घर प्रीत मत कीजे,
पराई नार आ नैण कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजै।।

मंगलवार, 30 जुलाई 2019

बढती हुई सड़क दुर्घटनाएं


।। राम राम सा ।।
मित्रो बीते चार दिन पहले अपने गाँव मे जो दुर्घटना हुई है वो अत्यन्त दुख की बात है और ये ही नही ये वाहन दुर्घटना के समाचार तो अब हम रोजाना सुनते  ही है किसी एक की लापरवाही से कितने लोग रोजाना अनाथ होते जा रहे है । 
भारत देश के जैसा इस दुनिया मे कोई देश नही है जो  सबसे ज्यादा कानुन तोडने वाला हो , दुनियाभर में सबसे ज्‍यादा सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं। प्रतिवर्ष लाखों से ज्यादा लोग बेमौत मारे जाते हैं।
इतनी बड़ी संख्या में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निस्संदेह देश मे विदेशों जैसा  सख्त कानूनी प्रावधान करने की जरूरत है । अपने देश मे  सिगनल तोड़ना तो गढ़ हासिल करने जैसा गर्व महसूस करते है । और RTO वाले भी कम नही होते है वो भी सिगनल के पास ऐसे छुपकर खड़े होते है ताकि गाड़ी वाला सिगनल तोड़े और 500 रुपए का जुगाड हो जाये । एक कारण यह है कि लाईसेंस बनाने वाले बिना बिना ट्रेनिंग के लाईसेंस बना देते है  । अपने देश में लाइसेंस बेहद आसानी से बन जाते हैं और सड़कों पर गलती करने वाले लोगों को जुर्माने का भय भी नहीं रह गया है, नौसिखिये ड्राइवर गाड़ी चलाने लग जाते है।
लोग छोटे  छोटे बच्चो को गाड़ी चलाने के लिये दे देते है । आजकल दुर्घटना का सबसे बड़ा  कारण  मोबाइल फोन भी  हो गया है ।  गाड़ी पर ईयर फोन लगाकर बात करते व गाना सुनते हुये गाड़ी चलाना भी दुर्घटना का कारण है । इन्सान जा दिमाग हमेशा एक ही जगह  पर नियन्त्रित रहता है । अगर आप सामने वाले की बात सुनोगे तो पीछे वाले से की सुनने का नियंत्रण हट जायेगा और पीछे वाले की सुनोगे तो आगे वाले का नियंत्रण हट जाता है। आजकल लोग इतने उतावले है कि रस्ता बन्द हो तो उड़कर ही चला जाये 
हमने कई बार देखा है दुन्दाडा रेलवे फाटक व लुणी की रेलवे फाटक पर बेरियर गिरने के बावजूद भी लोग झुक झुक कर बाइक निकाल कर चले जाते हैं, भले ही ट्रेन उन्हें रौंद कर चली जाए । कोई भी चिन्ता नही है सभी को बहुत जल्दी रहती है । ज्यादतर  दुर्घटनाएं नए नए किशोरों द्वारा तेज गति से वाहन चलाने द्वारा घटती है I
इसलिये भारत मे भी अन्य देशो की तरह
कठोर कानून की जरूरत है बल्कि उसे कठोरता से लागू करना भी उतना ही जरूरी  है कोई नाबालिग गाड़ी न चलाये और अगर कोई ऐसा करते हुए पकड़ा जाता है तो उसके अभिभावक या गाड़ी के मालिक को दोषी माना जाए । गाड़ी का रजिस्ट्रीकरण रद्द किया जाना चाहिये
हमने बचपन में पढ़ा था "अगर सड़क चौड़ी भी हो तो  सदा चलो तुम बाएं "जब बचपन की किताबों में ये बातें लिखी होती हैं तो हम समझें या न समझें  माता पिता या शिक्षक भी हमें यही सिखाते हैं Iअगर हम अपनी बाएं ओर  चलते रहें तो दुर्घटना नहीं घटेगी I अगर सड़क के  बीच में दौड़ गए और कई गाड़ियाँ आ रही है I तो भयंकर हादसा हो सकता है Iकभी कभी दुसरे को बचने के क्रम में सड़क दुर्घटना हो जाती है I हर जगह बड़े बड़े अक्षरों में स्लोगन लिखा होता है "सावधानी हटी दुर्घटना घटी " तो ये सिर्फ पढने के लिए नहीं है इसपर अमल करने के लिए भी है I अक्सर दुर्घटनाएं नए नए किशोरों द्वारा द्रुत गति से वाहन चलाने द्वारा घटती है I
मित्रो जिंदगी बड़ी अनमोल है । इसे चन्द मिनटो की जल्दबाजी मे ना गवाये।

रविवार, 28 जुलाई 2019

हमारे यहाँ खोड़ कहते है और अब वास्तुशास्त्र

मुख्य वास्तुटिप्स

[1] मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ादान ना रखें इससे पड़ोसी शत्रु हो जायेंगे |

[२] सूर्यास्त के समय किसी को भी दूध,दही या प्याज माँगने पर ना दें इससे घर की बरक्कत समाप्त हो जाती है |

[३] छत पर कभी भी अनाज या बिस्तर ना धोएं..हाँ सुखा सकते है इससे ससुराल से सम्बन्ध खराब होने लगते हैं |

[४] फल खूब खाओ स्वास्थ्य के लिए अच्छे है लेकिन उसके छिलके कूडादान में ना डालें वल्कि बाहर फेंकें इससे मित्रों से लाभ होगा |

[५] माह में एक बार किसी भी दिन घर में मिश्री युक्त खीर जरुर बनाकर परिवार सहित एक साथ खाएं अर्थात जब पूरा परिवार घर में इकट्ठा हो उसी समय खीर खाएं तो माँ लक्ष्मी की जल्दी कृपा होती है |

[६] माह में एक बार अपने कार्यालय में भी कुछ मिष्ठान जरुर ले जाएँ उसे अपने साथियों के साथ या अपने अधीन नौकरों के साथ मिलकर खाए तो धन लाभ होगा |

[७] रात्री में सोने से पहले रसोई में बाल्टी भरकर रखें इससे क़र्ज़ से शीघ्र मुक्ति मिलती है और यदि बाथरूम में बाल्टी भरकर रखेंगे तो जीवन में उन्नति के मार्ग में बाधा नही आवेगी |

[८] वृहस्पतिवार के दिन घर में कोई भी पीली वस्तु अवश्य खाएं हरी वस्तु ना खाएं तथा बुधवार के दिन हरी वस्तु खाएं लेकिन पीली वस्तु बिलकुल ना खाएं इससे सुख समृद्धि बड़ेगी |

[९] रात्रि को झूठे बर्तन कदापि ना रखें इसे पानी से निकाल कर रख सकते है हानि से बचोगें |

[१०] स्नान के बाद गीले या एक दिन पहले के प्रयोग किये गये तौलिये का प्रयोग ना करें इससे संतान हठी व परिवार से अलग होने लगती है अपनी बात मनवाने लगती है अतः रोज़ साफ़ सुथरा और सूखा तौलिया ही प्रयोग करें |

[११] कभी भी यात्रा में पूरा परिवार एक साथ घर से ना निकलें आगे पीछे जाएँ इससे यश की वृद्धि होगी |
ऐसे ही अनेक अपशकुन है जिनका हम ध्यान रखें तो जीवन में किसी भी समस्या का सामना नही करना पड़ेगा तथा सुख समृद्धि बड़ेगी |
Kuchh vaastu tips🔴🔴🔴🔴
💥१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।
💥२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |
💥३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से धन की हानी होती हैं। लक्ष्मी घर से निकल जाती है1 घर मे अशांति होती है1
💥४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
💥५. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |
💥६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |
💥७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |
💥८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
💥९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |
💥१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं |
💥११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |
💥१२. सप्ताह में एक बार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |
💥१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरणें आपके पूजा घर में जरुर पहुचें सबसे पहले |
💥१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो, ऐसी व्यवस्था करे |

"पानी पीने का सही वक़्त".
(1) 3 गिलास सुबह उठने के बाद,
.....अंदरूनी उर्जा को Activate
करता है...
(2) 1 गिलास नहाने के बाद,
......ब्लड प्रेशर का खात्मा करता है...
(3) 2 गिलास खाने से 30 Minute पहले,
........हाजमे को दुरुस्त रखता है..
(4) आधा गिलास सोने से पहले,
......हार्ट अटैक से बचाता है..

जय जय राजस्थान

सुप्रभातम
जय जय राजस्थान

धोळी-धोळी चांदनी, ठंडी -ठंडी रात।
सेजआ बैठी गोरड़ी,कर री मन री बात ।।

बाट जोवता -जोवता में कागा रोज उडाऊ ।
जे म्हारा पिया रो आव संदेशो सोने री चांच म ढा उ ।।

धोरा ऊपर झुपड़ी,गोरी उडिके बाट !
चांदनी और चकोर को, छुट गयो छ साथ।।

झड़ लागी बरखा की ,टिप -टिप बरसे मेह।
योवन पाणी भिजता, तापे सगळी देह ।।

झिर -मिर मेवो बरसता,बिजली कड़का खाय ।
साजन का सन्देश बिना,छाती धड़का खाय ।।

काली -पीली बादली,छाई घटा घनघोर ।
घर -जल्दी सु चाल री,बरसगो बरजोर ।।

सावन का झुला पड्या,गीतड़ला को शोर ।
नाडी-सरवर लोट रहया,टाबर ढाढ़ा -ढोर ।।

चित उचटावे बीजली,पपिहो बैरी दिन -रैण।
"पिहू-पिहू" बोले मसखरो, मनड़ो करे बैचैण ।।

आप बसों परदेस में, बिलखु थां बिन राज १
सुख गयी रागनी, सुना पड्या महारा साज।।

गरम जेठ रो बायरो,बरसाव है ताप !
ठंडी रात री चांदनी,देव घणो संताप !!

देस दिशावर जाय कर धन है खूब कमाया !
घर आँगन ने भूलगया ,वापिस घर ना आया।।

पापी पेट के कारन छुट्या घर और बार ।
कद आवोगा थे पिया,बिलख घर की नार ।।

बिलख घर की नार, जाव रतन सियालो ।
न चिठ्ठी- सन्देश मत म्हारो हियो बालो ।।

श्रावण आयो सायबा

।। राम राम सा  ।।

घर आओ नीं सायबां , बादळ बरसे भोत ।
थांरै आयां मौल है , बिन आयां है मौत ।।
धरती अंबर जोट है , दोन्यूं एकम ऐक ।
आओ अब तो राखल्यो, गठजोडै़ री टेक ।।
घणों कमायो सायबां , अब छोडो परदेस ।
बादळ बरस्या मोकळा, जोबण देखो ऐस ।। काया बळगी जेठ में, चाली लूंआं भोत ।
सावण बरसे ऐसकै, मिटे हैं सगळी छोत ।।
आ काया तो दाझणीं, बिन्यां सांकडै़ कंत ।
थे आवो जी सायबां , नीं तो नैडो़ अंत ।।

सिनली गांव मे 28 जुलाई की बरसात

। राम राम सा ।।
आज एक लम्बे इन्तज़ार के बाद  हमारे गाँव सिनली सहित आसपास के सभी गाँवो अच्छी बरसात होने से किसानों के चेहरों पर ज्यादा तो नही फिर भी  रंगत लौट आई है।
ऐसी बरसात का नजारा बहुत वर्षो बाद देखने को मिला।
लबालब भरा हुआ सिनली तालाब


पाबूजी मंदीर  के पास नीम के टहनी को 
छुता हुआ पानी


बीती देर रात से ही बारिश शुरू हो गई थी। रात में रुक-रुककर बरस रहे बादलो  ने सुबह से शाम तक   रौद्र रूप धारण किया और झमाझम बरसते गये । हमारे गाँव का तालाब भी भर गया है  भूरा राम जी बोका ने लाइव विडियो दिखाया है । गांव मे किसानों की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। कई-कई खेतो मे तो बाजरा व मूँग है बाकी  को वापस बुवाई करनी पड़ेगी । पशुओ के लिये शुभ संकेत लेकर आई बरसात  से किसान भी खुश हैं।
सुखजी मारसा के घर के आगे  पानी से लबा लबा लब तालाब जैसा माहोल हो गया  है । जिसके कारण राहगिरों को अब चलने में खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। और गाँव मे सबसे बड़ी परेसानी तास खेलने वालो को हुई है ।  आज तास खेलणे  वाले घणाईईईई नाराज है ।
एक विडियो मे आज यहां पानी में मोटरसाइकिल चलाते हुए रमेश जेठाराम अचानक यहां पानी मे डगमगाते  हुये दिखा । शायद मोटर साईकिल बन्द हो गई होगी 

आजकल चरित्रहिनो का बोलबाला चल रहा है ।

।। राम राम सा ।।
मित्रो आज  पूरी दुनिया ने बहुत तरक्की कर ली है सभी प्रकार के सुख सुविधाओं के साधन हैं लेकिन एक बात बड़े दुख के साथ कहनी पड़ रही है कि भले ही विज्ञान के सहारे आज सभ्यता अपनी ऊँचाई  पर है लेकिन मानवता अपने सबसे बुरे समय से गुजर रही है। भौतिक सुविधाओं धन दौलत को हासिल करने की दौड़ में हमारे संस्कार कहीं बहुत दूर पीछे छूटते जा रहे हैं। आज हम अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, सीए आदि कुछ भी बनाने के लिए मोटी फीस देकर बड़े बड़े संस्थानों में दाखिला करवाते हैं और हमारे बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर आदि तो बन जाते हैं लेकिन एक नैतिक मूल्यों एवं मानवीयता से युक्त इंसान नहीं बन पाते।हमारे आज के समाज के नैतिक मूल्य कितने बदल गए हैं, इस बात का एहसास  हमे तब होता है जब आज के समाज में व्यक्ति को उसके चरित्र से नहीं उसके रुपयों पद और प्रतिष्ठा से आंका जाता है। आज धनवान व्यक्ति पूजा जाता है और यह नहीं देखा जाता कि वो धन कैसे और कहाँ से आ रहा है। ऐसे माहौल में मेहनत से धन कमाने वाला अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करता है। समाज के इस रुख को देखते हुए पहले जो युवा अपनी प्रतिभा और योग्यता के दम पर आगे बढ़ने में गर्व महसूस करते थे आज आगे बढ़ने के लिए अनैतिक रास्तों का सहारा लेने से भी नहीं हिचकिचाते।क्योकि आज पद और प्रतिष्ठा का चलन चल रहा है । ऐसी अनेक बातें हैं जो पहले व्यक्ति के चरित्र को और भविश्य  में हमारे समाज की नींव को कमजोर कर रही हैं।
किसी ने सही ही कहा था कि, यदि धन का नाश हो जाता है तो उसे फिर से पाया जा सकता है, यदि स्वास्थ्य खराब हो जाता है, तो उसे भी फिर से हासिल किया जा सकता है लेकिन यदि चरित्र का पतन हो जाता है राजस्थानी मे एक कहावत है कि ( जाइजो साक ने रैइजो नाक )चाहे कमाई चली जाये पर चरित्र रहना चाहिए । चरित्र जाने से  तो मनुष्य का ही पतन हो जाता है।
लेकिन आज हम देखते हैं कि लोग चरित्र भी पैसे से खरीदते हैं। आज समाज मे पैसे व पद प्रतिष्ठा वालो की पुछ होती है चाहे वो कितना भी चरित्रहीन ही क्यो ना हो ।पहले ऐसा नहीं था। जहाँ भी प्रोग्राम हो वहाँ धनवानो को सबसे पहले आमन्त्रित किया जाता है  आज सब कुछ  धन के सहारे होता है चाहे दिखावा ही क्यो ना हो ।
मित्रो हम अपने बच्चों को गणित की शिक्षा , विज्ञान का ज्ञान , अंग्रेजी आदि भाषाओं का ज्ञान तो दिलवा देते है , लेकिन व्यक्तित्व एवं नैतिकता का पाठ पढ़ाना भूल गए। हमने उनके चरित्र निर्माण के पहलू को नजरअंदाज कर दिया। एक व्यक्ति के व्यक्तित्व में चरित्र की क्या भूमिका होती है इसका महत्व हम  भूल गए। इसलिये आज हमारे समाज मे चरित्रहीन लोगो का बोलबाला चल रहा है । धीरे-धीरे इमानदार व चरितृवानो लोगो की जगह धनवान व  चरित्रहीन लोग बैठ रहे है। इसलिये तो आजकल न्याय व्यवस्था भी डगामगा रही है । आज सच के वस्त्र झूठ ने पहन लिये है  
आज के ईस दौर मे  सच निवस्त्र है ओर इसीलिए लोग सच को देखना और मिलना नही चाहते और झूठ सच के कपड़े पहनकर सच के आकर्षित रूप में प्रतिष्ठित है। आजकल  लोग झूठ और  चरित्रहिन लोगो   को ही देखना ओर मिलना पसंद करते हैं
गुमनाराम पटेल सिनली

शनिवार, 27 जुलाई 2019

दुःखद समाचार

दुःखद समाचार

  बड़े दुख के साथ सुचित किया जाता है कि  आज श्रीमान गमनाराम सुपुत्र कुन्पारामजी  जी काग निवासी -सिणली का  जो देर शाम 26 जुलाई 2019 को खेत की रखवाली कर रहा था रोहिसा कल्ला सिनली रोड़ मोटर साइकिल सवार से टक्कर लगकर घायल हो गया था मथुरादास माथुर अस्पताल मे इलाज के दौरान दिनांक  27/07/2019 को  देहांत (स्वर्गवास) हो गया है। हरि इच्छा प्रबल है। भगवान उस महान आत्मा को शांति प्रदान करे व इस दुःख की घड़ी में परिवार को सहने की आत्मबल हिम्मत दे।
🙏🙏"उस दिवंगत आत्मा को मेरा सत - सत नमन"🙏🙏
                  !!!नम आंखों से श्रदाँजलि !!!

शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

पक्षियो के घटते घर

राम राम सा
मित्रो आज इन्सानो ने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र मे इतनी तरक्की कर ली है कि आज का इंसान एक दिन में पुरी दुनिया की सैर कर सकता है। लेकिन उतना ही उसके भीतर हिंसा, वैर-विरोध, शोषण की भावना भी  बढ़ गई है।
आज पूरी दुनिया ने बहुत तरक्की कर ली है सभी प्रकार के सुख सुविधाओं के साधन हैं लेकिन दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है
कि हम आजकल प्रकृती के अनुरुप नही चल रहे हैं। गत सौ सालो के आंकड़ों की गणना के अनुसार जनसँख्या मे बढोतरी सिर्फ इन्सान की हुई है पशुओं  पक्षियों व अन्य जन्तुओ की संख्या मे भारी कमी हुई है
इसका मुख्य कारण है मानवजाति का पशु-पक्षियों के प्रति अत्याचार। 
   मित्रो ज्यादा पुराने समय का तो मुझे पता नहीं है लेकिन मेरे देखते हुये इन पच्चीस तीस  वर्षों मे जो बदलाव आया है। उनसे वहुत कुछ फर्क पड़ा है पहले हमारे  घर भी पक्षियों के लिए अनुकूल बने हुये थे।इंसानों के प्राकृतिक आवास से पक्षियों  को इतना खतरा नहीं था।पहले लोगों के घर कच्चे होते थे । ये कच्चे आवास घास फूस तथा लकडिय़ों से बने होते थे।इनमें रूप से झोंपड़ो, पोळे ,ओळे , तथा कोटड़ियों  में पक्षियों  के बसने तथा घोंसलें बनाने में आसानी होती थी।इन झूपड़ियों के वळों में',कैन्सियो में ,छाजो में,सोंपड़ियों में चिड़ियों को अपने माळे (घर) बनाने में आसानी होती थी,मानव  के नजदीक रहने वाले अनुकूल पक्षी इन झूपड़ियों में भारी संख्या में माळे बनाकर अपनी संतानोत्पत्ति करती थी,अपनी वंशवृद्धि करती थी,अपने शत्रुओं से अपने अंडों तथा बच्चों की सुरक्षा भी पक्की करती थी।
बचपन मे हम झुन्पड़ो ,ओरो, पोळौ,ओळो कोटड़ियों में सैकड़ों पक्षियों के माळै देखते  थे। बाजरा पकते समय व लाटा लेते समय  हम इन चिडियों को उड़ाते थे। घरो में हर समय चिड़ियों की चहक गुंजती थी।
अब हमारे गाण्वोमे भी सब  मकान पक्के हो गए है,कच्चे झूपड़ों ,चपरो पोलो ,कुढ़ालो को बिखेरकर पक्की कंक्रीट की बिल्डिंग बना रहे हैं तो अब कुछ चिड़ियों से ,जो मनुष्य के आस-पास घरो मे रहती थी ,उनके आवास भी छिन गये  है,अब इन पक्के मकानों में कही खड्डा या छोटे आळै,सूराख भी नहीं रखते हैं कि ये मानव प्रेमी पक्षी अपने  घर (माळै) बनाकर अपने संतान पैदा कर अपने वंश को बचा सके। पेड़ तो पहले से ही कम हो गये हैं ।  कच्चे आवासों को पक्के आवासों में बदलकर इन पक्षियों  के लिए माळै बनाने की जगह नहीं छोड़कर हम दरिंदे तो  बन चुके है। इसके अलावा एक सबसे बड़ा कारण है बुवाई के लिये उपयोग किया गया जाने वाला बीज के साथ  कीटनाशक का प्रयोग। 
ज्यादतर पक्षी बीजों में मिले कीटनशाकों की वजह से मारा जा रहे है, किसान खेत में बीज बोते है वो अगर पक्षी खा जाते है  और मरते भी है ।
वहीं पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला गिद्ध जैसा पक्षी पशुओं को दी जाने वाली दर्द निवारक दवा की वजह से मौत का शिकार होकर आज विलुप्त हो गया है । गिद्ध मरे हुए पशुओं का मांस खाकर पर्यावरण को साफ रखने में मदद करता था  लेकिन उसका यह भोजन ही उसके लिए काल का संदेश ले आया।
पशुओं को दी जाने वाली दर्द निवारक दवा गिद्ध के लिए जानलेवा साबित हुई । 
पक्षियों से रिश्तों की याद तो हमे बहुत आती है । बचपन मे जिसमें सूरज निकलने के पहले से लेकर उसके डूबने तक छोटी-छोटी चिड़िया घर मे  चहकती, फुदकती रहती थीं। एक बार बचपन मे हमने एक छोटी गौरेय्या  चिड़िया को पकड़ कर रन्ग कर दिया था तो दादा जी ने बहुत डाँटा था । 
मित्रो  गौरेया के अलावा घर मे पिन्चे कमेड़ी कबूतर भी हमारे घर के आंगन में चहचहाते रहते थे। आज भी गौरेया और उस जैसे अन्य पक्षियों को घर-आंगन में देखते तो है । जब हम पक्के मकान बनाकर पक्षियो के आवास के लिए जगह नहीं रखेंगे तो पंछी कहाँ से दिखेंगे।
शहरो मे अब आज के बच्चों को गौरैया या अन्य पक्षियो को दिखाने के लिए किताबों में छपे चित्र ही दिखाने पड़ते हैं। पक्षी कभी हमारे जीवन का हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन अब वे हमसे दूर होते जा रहे हैं। बढ़ते शहरीकरण,औद्योगीकरण या फिर इन सबका मिला-जुला कारण जलवायु परिवर्तन का प्रभाव हमारे आसपास के वातावरण पर इतना गहरा होता जा रहा है कि अन्य अनेक नैसर्गिक देनों के साथ-साथ अनेक पंछी भी हमसे दूर होते जा रहे हैं।
जिन पक्षियों को हम पहले हररोज अपने आसपास देखते थे  लेकिन आने वाले समय में  उन्हें देखने-सुनने के लिए चिड़ियाघरों का रुख करना पड़ेगा । पक्षियों की भी अनेक प्रजातियों का अस्तित्व अब ख़तरे में दिखाई दे रहा है।
बचपन मे हमारे घरो के आस-पास  मे गौरया,कालचिड़ी, कौए,मैना, कठफोड़वा, बुलबुल,( पिन्चा)  लैला, नीलकंठ, बया, टिटहरी, तीतर, बगुला, तोता, कबूतर आदि बहुत थे जो  अब कम ही दिखाई देते हैं।
गाँव मे  जब गिद्ध मडराने लगते थे तो पता चल जाता था की आज गाँव मे  किसी की कोई गाय या भेंस मर गई है ।  
पर्यावरण को साफ और रोग मुक्त रखने में गिद्धों की अद्भुत भूमिका थी । गिद्धों का बड़ा  झुण्ड एक जानवर के शव को मुश्किल से दो मिनट में पूरी तरह साफ कर देते थे। गिद्ध के गायब होने से हम कई तरह से प्रभावित हुए हैं और होंगे। ये प्रकृति के अत्यंत कुशल सफाईकर्मी थे। इनके अभाव और अनुपस्थिति में गावों में पशुओं के शव आज महिनो तक सड़ते रहते हैं ।
समूची सृष्टि में इंसानों, पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं के आपसी गहरे संबंध हैं। ऐसे में किसी भी जीव, पेड़-पौधे का विलुप्त होना यही बताता है कि जल्द ही मानव जाती का अन्त होना निच्चित है

गुमनाराम पटेल सिनली