।। राम राम सा ।।
आज पुरे पश्चिमी राजस्थान मे बरसात के लिये हाहाकार मचा हुआ । इन्द्र भगवान वर्षा नही कर रहे हैं। लेकिन हम मनुष्य तो सारी धरती पर अपना अधिकार ही समझते हैं। सिर्फ मानव जाती ही रहे बाकी पशु-पक्षियों व पेड़-पौधों का कोई अधिकार नहीं है।
मित्रो मैने किताबो मे भी पढ़ा व सुना भी है कि इस धरती से कितनी ही पशु पक्षीयो की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है।
मित्रो ये कोई पुरानी बात नही है आज से पच्चीस साल पहले कोई जानवर मार जाता तो सिर्फ आधे घन्टे मे गिद्ध सफाई कर देते थे। उसी तरह कई प्रकार के पक्षी भी आजकल दिखाई नहीं दे रहे हैं ।
मित्रो समय रहते इन विलुप्त होती प्रजाति पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब गिद्धों की तरह बाकी पशु पक्षी भी इतिहास बन जाएगे और यह सिर्फ फोटो और किताबों में ही दिखेन्गे परंतु मोबाइल टावर, घटते जल स्रोत, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और कीटनाशकों से पक्षियों की संख्या कम हो रही है।
मित्रो आजकल के मोडर्न घरो के चलते इन पक्षियों को अपने घोसलें बनाने के लिए भी स्थान नहीं मिल पा रहा है..
घरो के पास खेजडी जाल नीम आदि के पेड़ होना गुजरे वक्त की बात हो गई है। छोटे छोटे पौधे लगाकर हम हरियाली को महसूस करने का भ्रम पालने लगें है ’
शहरीकरण के दबाव, बढ़ती जनसंख्या और तीव्र विकास की लालसा ने हमें हरियाली से वंचित कर दिया है....घर के चौबारे में आम-नीम के पेड़ होना गुजरे वक्त की बात हो गई है। छोटे से फ्लैट में बोनसाई का एक पौधा लगाकर हम हरियाली को महसूस करने का भ्रम पालने लगें हैं।
हमारे यहाँ खेतो मे पेड़ों को भी बड़ी तेजी से काटा जा रहा है। जितनी तेजी से जंगल कट रहे हैं उतनी ही तेजी से जीव-जंतुओं की कई प्रजाती दुनियाँ से विलुप्त होती जा रही है।
पेड़ो की बेरहमी से हो रही कटाई के कारण एक तरफ ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है वहीं दूसरी और प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।
पिछले दिनों अपने देश के कुछ हिस्सो मे बाढ़ भी आई है और अपने यहाँ बरसात नही है । और आयेगी तो तबाही भी मचा सकती हैं
कई जीव हमारी धरती से लुप्त हो चुके हैं सही तरह से आँका जाए तो प्रलय का वक्त नजदीक नजर आ रहा है। इस प्रलय से बचने के लिए हमें तेजी से प्रयास करने होंगे।
अब हर व्यक्ति को कम से कम एक साल मे दो पेड़ लगाने का वादा नहीं बल्कि पक्का इरादा करना चाहिये। तभी हम वक्त से पहले आने वाली इस प्रलय से बच सकते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें