शनिवार, 20 जुलाई 2019

कठै गयौ वो कायदौ

राम राम सा
बाजै देखो वायरो,
लाज उडावण लीक।
रलकीज्या ऐ रेत में,
ठाठ वडां रा ठीक।।1
मरट वडां रो मेटियो,
समै किया इकसार।
भरम अबै तो भायलां,
लेस न रैयो लिगार।।2
कठै गयो वो कायदो,
कठै गई वा काण।
फट्ट मिल़ै कीं फायदो,
वीरां!पड़गी बाण।।3
पैठ मेट परिवार री,
मोद करै मन मूढ।
डरता देखो डांगबल़
गैला बणग्या गूढ।।4
वडा -वडा के विटल़गा,
छती लाज जग छोड।
अधुनातन री आड़ में,
हिंया फूट सूं होड।।5
पह दिया मर पूरजां,
राखण कुल़वट रीत।
गेह जनमिया गादड़ा,
मांण मिटाणा मीत।।6
घर रो कुरब घटावियो,
वडकां जस नैं बोड़।
मगर-अगर में मोथिया,
डगर उंधोड़ी दौड़।।7
लेस लगै न लाभरी,
वडकां वाल़ी वाट।
बैठै जिथ करणा विटल़,
कुटल़ा वद वद काट।।8
विलल़ां सदन विगाड़ियो,
कर कर कोजा काम।
निरभै राम निकाल़ियो,
हित चित दियो हराम।।9
प्रीत नहीं मन पांगरै,
रखै नहीं घर रीत।
अंजसजोग अतीत रै,
चूंची दे बुरचीत।।10
स्वाभिमान नैं सिटल़ ऐ,
गिणै न आज गहीर।
लाज छोड लिपल़ापणै,
बोतां कियो वहीर।11
शंको रैयो न शर्म तिल,
रही न रीत रिवाज।
जात रसातल़ जाय री,
नेही किण पर नाज।।12
किसो 'चार' चालै कहो,
किसी घमँड री कत्थ।
गल सब छोड गुमेज री,
परी गमाई पत्त।।13
वाटां ऊंधी बह रह्या,
अधुनातन री ओट।
पटकै चवड़ै पापिया ,
खरी कमाई खोट।।14
सिटल़ै कामां सज्जना!
पिटै जात में प्रीत।
घटै काण घरवट तणी,
फल़ नित मिल़ै फजीत।।15
सधरो नहीं समाज नैं,
रेटो नितप्रत रीत।
पह मिल़सी सत पीढियां,
फोड़ा अनै फजीत।।16
सग्गा मन सोझो नहीं,
धन सग्गा सब धार।
जोवो इणविध जातरो,
सो किम होय सुधार।।17
रुपियां सूं रीझ्या रहै,
भूल न देखै भाव।
मन मोल़ै रा मानवी,
तन नैं मानै ताव।।18
कहो आज सँगठण किसो,
सबल़ कूणसो संघ।
कूण सधर अगवाण में,
भिल़ी कुवै में भंग।।19
गिनर गैलै री गांम नीं,
गिणै न गैलो गांम।
वडपण धार बतावजो,
कीकर सुधरै कांम।।20
चढ आसण झाड़ै चतुर,
भासण सखरा भास।
जदै मिल़ां घर जायनैं,
नेही करै निरास।।21
सूधी गाय समाज ओ, 
गिण नेता लगडेल।
बातां सूं बुचकारनै,
झाड़ दूयलै झेल।।22
कितरी बधी कुरीतियां,
लिखण न आवै लेख।
कूण गमावै सच कहो?,
पांय कुत्ते री पेख!।।23
डोल़ा काढै देखलो,
रिदै बसै नीं राम।
बुरीगार बदनीत सूं,
कुटल़ विगाड़ै काम।।24
गल़ै मांय गेडी फसा,
बूझै सुखरी बात।
ज्यांनैं दुनिया जोयलो,
हरदम जोड़ै हाथ।।25

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