गुरुवार, 18 जुलाई 2019

कलयूग रो खिलौनो

                    *हास्य कविता *

कलयुग में भगवान एक, ''खिलौनों बणायो।
दुनियावाला ई को नाम मोबाइल रखवायो।

मोबाइल रखवायो,खिलोणो अजबअनोखो।
धरती क इन्साना न यो,लाग्यो घणो चोखो।।

इन्साना सुं भगवनबोल्या,बात राखज्यो याद।
सोच समझ वापरो, वरना हो ज्यासो बर्बाद।।

हो ज्यासो बर्बाद,चस्को लागेलो अति भारी।
ई के लारे पागल हो जावेली दुनिया सारी।।

सदउपयोग करेजो कोई,काम घणोयो आसी।
दुर्पयोगजे होवण लाग्यो,टाबर बिगड़जासी।।

टाबर बिगड़ जासी,कोई की भी नहीं सुणेला।
'मोबाइल' में मगन रहसी,काम नहीं करेला।।

टाबरांकी छोड़ो,बडोड़ा की अक्कल जासी।
कामधंधा छोड़ बैठ्या मोबाइल मचकासी।

मोबाइल मचकासी और खेलसी दिनभरगेम।
व्हाट्सएप रे मैसेज मे ही,बीत जासी टेम।।

छोरियां औरलुगायां लेसी इंटरनेटकनेक्शन।
हाथांमें मोबाइल रखणो बणजावेलो फ़ैसन।।

बण जावेलो फ़ैसन,ए तो फेसबुक चलासी।
रामायण और भगवतगीता पढणो भूलजासी

अपणेअपणे मोबाइल मे,रहसी सगळा मस्त।
धर्मकर्म और रिश्तानाता,सबहो जासी ध्वस्त।

हे ! प्रभु थारी आ लीला है घणी अपरम्पार
थें म्हानेबतावो, यो थांरो किस्यो है अवतार'।।

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