रविवार, 28 जुलाई 2019

आजकल चरित्रहिनो का बोलबाला चल रहा है ।

।। राम राम सा ।।
मित्रो आज  पूरी दुनिया ने बहुत तरक्की कर ली है सभी प्रकार के सुख सुविधाओं के साधन हैं लेकिन एक बात बड़े दुख के साथ कहनी पड़ रही है कि भले ही विज्ञान के सहारे आज सभ्यता अपनी ऊँचाई  पर है लेकिन मानवता अपने सबसे बुरे समय से गुजर रही है। भौतिक सुविधाओं धन दौलत को हासिल करने की दौड़ में हमारे संस्कार कहीं बहुत दूर पीछे छूटते जा रहे हैं। आज हम अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, सीए आदि कुछ भी बनाने के लिए मोटी फीस देकर बड़े बड़े संस्थानों में दाखिला करवाते हैं और हमारे बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर आदि तो बन जाते हैं लेकिन एक नैतिक मूल्यों एवं मानवीयता से युक्त इंसान नहीं बन पाते।हमारे आज के समाज के नैतिक मूल्य कितने बदल गए हैं, इस बात का एहसास  हमे तब होता है जब आज के समाज में व्यक्ति को उसके चरित्र से नहीं उसके रुपयों पद और प्रतिष्ठा से आंका जाता है। आज धनवान व्यक्ति पूजा जाता है और यह नहीं देखा जाता कि वो धन कैसे और कहाँ से आ रहा है। ऐसे माहौल में मेहनत से धन कमाने वाला अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करता है। समाज के इस रुख को देखते हुए पहले जो युवा अपनी प्रतिभा और योग्यता के दम पर आगे बढ़ने में गर्व महसूस करते थे आज आगे बढ़ने के लिए अनैतिक रास्तों का सहारा लेने से भी नहीं हिचकिचाते।क्योकि आज पद और प्रतिष्ठा का चलन चल रहा है । ऐसी अनेक बातें हैं जो पहले व्यक्ति के चरित्र को और भविश्य  में हमारे समाज की नींव को कमजोर कर रही हैं।
किसी ने सही ही कहा था कि, यदि धन का नाश हो जाता है तो उसे फिर से पाया जा सकता है, यदि स्वास्थ्य खराब हो जाता है, तो उसे भी फिर से हासिल किया जा सकता है लेकिन यदि चरित्र का पतन हो जाता है राजस्थानी मे एक कहावत है कि ( जाइजो साक ने रैइजो नाक )चाहे कमाई चली जाये पर चरित्र रहना चाहिए । चरित्र जाने से  तो मनुष्य का ही पतन हो जाता है।
लेकिन आज हम देखते हैं कि लोग चरित्र भी पैसे से खरीदते हैं। आज समाज मे पैसे व पद प्रतिष्ठा वालो की पुछ होती है चाहे वो कितना भी चरित्रहीन ही क्यो ना हो ।पहले ऐसा नहीं था। जहाँ भी प्रोग्राम हो वहाँ धनवानो को सबसे पहले आमन्त्रित किया जाता है  आज सब कुछ  धन के सहारे होता है चाहे दिखावा ही क्यो ना हो ।
मित्रो हम अपने बच्चों को गणित की शिक्षा , विज्ञान का ज्ञान , अंग्रेजी आदि भाषाओं का ज्ञान तो दिलवा देते है , लेकिन व्यक्तित्व एवं नैतिकता का पाठ पढ़ाना भूल गए। हमने उनके चरित्र निर्माण के पहलू को नजरअंदाज कर दिया। एक व्यक्ति के व्यक्तित्व में चरित्र की क्या भूमिका होती है इसका महत्व हम  भूल गए। इसलिये आज हमारे समाज मे चरित्रहीन लोगो का बोलबाला चल रहा है । धीरे-धीरे इमानदार व चरितृवानो लोगो की जगह धनवान व  चरित्रहीन लोग बैठ रहे है। इसलिये तो आजकल न्याय व्यवस्था भी डगामगा रही है । आज सच के वस्त्र झूठ ने पहन लिये है  
आज के ईस दौर मे  सच निवस्त्र है ओर इसीलिए लोग सच को देखना और मिलना नही चाहते और झूठ सच के कपड़े पहनकर सच के आकर्षित रूप में प्रतिष्ठित है। आजकल  लोग झूठ और  चरित्रहिन लोगो   को ही देखना ओर मिलना पसंद करते हैं
गुमनाराम पटेल सिनली

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