जय जय राजस्थान
सिंझ्या ढळगी सायबा ,चंदै भरली बांथ ।
खडी़ उडीकूं बारणैं , कद आवैला नाथ ॥
ताचक बैठी गौरडी़ , गोखै साम्हीं पंथ ।
ऊपर चमकै चांदियो ,कद आवैला कंत ॥
थारै हाथां जीम सूं , कंत पधारो आज ।
नींतर भूखी पोढ सूं , सेजां रा सिरताज ॥
भीतर ढाळूं ढोलियो , ऊपर छाऊं आंख ।
थांरै आयां सायबां , म्हारै आवै पांख ॥
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