राम राम सा
*********
पति-पत्नी
*********
पति-पत्नी
एक राजा था।उसने एक सर्वेक्षण करने का सोचा कि मेरे राज्य के लोगों की घर गृहस्थी पति से चलती है या पत्नि से..।
उसने एक ईनाम रखा कि जिसके घर में पति का हुक्म चलता हो, उसे मनपसंद घोडा़ ईनाम में मिलेगा और जिसके घर में पत्नी की सरकार हो वह एक सेब ले जाए.. ।
एक के बाद एक सभी नगरजन सेब उठाकर जाने लगे ।
राजा को चिंता होने लगी.. क्या मेरे राज्य में सभी जगह पत्नी का हुक्म चलता है..??
राजा को चिंता होने लगी.. क्या मेरे राज्य में सभी जगह पत्नी का हुक्म चलता है..??
इतने में एक लम्बी लम्बी मूछों वाला,मोटा तगडा़ और लाल लाल आखों वाला जवान आया और बोला,"राजा जी, मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है .. घोडा़ मुझे दीजिये .."
राजा खुश हो गए और कहा जा अपना मनपसंद घोडा़ ले जा ..। जवान काला घोडा़ लेकर रवाना हो गया ।
घर गया और फिर थोडी़ देर में दरबार में वापिस लौट आया।
राजा: " क्या हुआ जवां मर्द ? वापिस क्यों आया ...!
जवान : " महाराज, घरवाली कहती है काला रंग अशुभ होता है, सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है तो आप मुझे सफेद रंग का घोडा़ दीजिए।"
राजा: " घोडा़ रख ..और सेब लेकर चलता बन.."
इसी तरह रात हो गई .. दरबार खाली हो गया। लोग सेब लेकर चले गए।आधी रात को महामंत्री ने दरवाजा खटखटाया,,,
राजा : " बोलो महामंत्री, कैसे आना हुआ ?
महामंत्री : " महाराज, आपने सेब और घोडा़ ईनाम में रखा ,इसकी जगह एक मन अनाज या सोना रखा होता तो लोग कुछ दिन खा सकते या जेवर बना सकते थे.."
राजा : "मुझे तो ईनाम में यही रखना था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक है इसलिए वही रखा."
महामंत्री : " महाराज आपके लिए सेब काट दूं..!!
राजा को हँसी आ गई और पूछा कि यह सवाल तुम दरबार में या कल सुबह भी पूछ सकते थे तो आधी रात को क्यों आये..??"
महामंत्री : " मेरी धर्म पत्नी ने कहा कि अभी जाओ और पूछ के आओ ताकि सच्ची घटना का पता चले ..।"
राजा ( बात काटकर ) : " महामंत्री जी , सेब आप खुद ले लोगे या घर भेज दिया जाए ।"
सबक
*****
समाज चाहे पुरुषप्रधान हो लेकिन संसार स्त्रीप्रधान है।
और..
.
.
मैं भी अभी सेब खा रहा हूँ।
*****
समाज चाहे पुरुषप्रधान हो लेकिन संसार स्त्रीप्रधान है।
और..
.
.
मैं भी अभी सेब खा रहा हूँ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें