सोमवार, 24 सितंबर 2018

जय जय राजस्थान

।। राम राम सा।।

जय जय राजस्थान


धोळी-धोळी  चांदनी, ठंडी -ठंडी रात।
सेजआ बैठी गोरड़ी,कर री  मन री  बात ।।

बाट जोवता -जोवता  में कागा रोज उडाऊ ।
जे म्हारा पिया रो आव संदेशो सोने री चांच मढाउ ।।

धोरा ऊपर झुपड़ी,गोरी उडिके बाट !
चांदनी और चकोर को, छुट गयो छ साथ।।

झड़ लागी बरखा  की ,टिप -टिप बरसे मेह।
योवन पाणी भिजता, तापे सगळी देह ।।

झिर -मिर मेवो बरसता,बिजली कड़का खाय ।
साजन का सन्देश बिना,छाती धड़का खाय ।।

काली -पीली बादली,छाई घटा घनघोर ।
घर -जल्दी सु चाल री,बरसगो बरजोर ।।

सावन का झुला पड्या,गीतड़ला को शोर ।
नाडी-सरवर लोट रहया,टाबर ढाढ़ा -ढोर ।।

चित उचटावे बीजली,पपिहो बैरी दिन -रैण।
"पिहू-पिहू" बोले मसखरो, मनड़ो करे बैचैण ।।

आप बसों परदेस में, बिलखु थां बिन राज १
सुख गयी रागनी, सुना पड्या महारा साज।।

गरम  जेठ रो बायरो,बरसाव है ताप !
ठंडी रात री  चांदनी,देव घणो संताप !!

देस दिशावर जाय कर धन  है खूब कमाया !
घर आँगन  ने भूलगया  ,वापिस घर ना आया।।

पापी पेट के कारन छुट्या घर और बार ।
कद आवोगा थे पिया,बिलख घर की नार ।।

बिलख घर की नार, जाव रतन सियालो ।
न चिठ्ठी- सन्देश  मत म्हारो हियो बालो ।।

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