सोमवार, 8 जून 2015

राजस्थानी 15

हमें राजस्थानी होने पर गर्व है। राजस्थान का वर्णन इस कविता के द्वारा ....... आँखों के दरमियान मैं गुलिस्तां दिखाता हुँ, आना कभी मेरे देश मैं आपको राजस्थान दिखाता हुँ| खेजड़ी के साखो पर लटके फूलो की कीमत बताता हुँ, मै साम्भर की झील से देखना कैसे नमक उठाता हुँ| मै शेखावाटी के रंगो से पनपी चित्रकला दिखाता हुँ, महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथा सुनाता हुँ| पद्मावती और हाड़ी रानी का जोहर बताता हुँ, पग गुँघरु बाँध मीरा का मनोहर दिखाता हुँ| सोने सी माटी मे पानी का अरमान बताता हुँ, आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ| हिरन की पुतली मे चाँद के दर्शन कराता हुँ, चंदरबरदाई के शब्दों की वयाख्या सुनाता हुँ| मीठी बोली, मीठे पानी मे जोधपुर की सैर करता हुँ, कोटा, बूंदी, बीकानेर और हाड़ोती की मै मल्हार गाता हुँ| पुष्कर तीरथ कर के मै चिश्ती को चाद्दर चढ़ाता हुँ, जयपुर के हवामहल मै, गीत मोहबत के गाता हुँ| जीते सी इस धरती पर स्वर्ग का मैं वरदान दिखाता हुँ, आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ|| कोठिया दिखाता हुँ, राज हवेली दिखाता हुँ, नज़्ज़रे ठहर न जाए कही मै आपको कुम्भलगढ़ दिखाता हुँ| घूंघट में जीती मर्यादा और गंगानगर का मतलब समझाता हुँ, तनोट माता के मंदिर से मै विश्व शांति की बात सुनाता हुँ| राजिया के दोहो से लेके, जाम्भोजी के उसूल पढ़ाता हुँ, होठो पे मुस्कान लिए, मुछो पे ताव देते राजपूत की परिभाषा बताता हुँ| सिक्खो की बस्ती मे, पूजा के बाद अज़ान सुनाता हुँ, आना कभी मेरे देश मै आपको राजस्थान दिखाता हुँ||

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