गुरुवार, 18 जून 2015

राजस्थान। सोने री धरती अठै, चांदी रो असमान।

सोम सुक्र सुरगुरु दिवस, पौष अमावस होय। घर घर बजे बधावनो, दुखी न दीखै कोय।। यदि पूस की अमावस्या को सोमवार, शुक्रवार बृहस्पतिवार पड़े तो घर घर बधाई बजेगी-कोई दुखी न दिखाई पड़ेगा। सावन पहिले पाख में, दसमी रोहिनी होय। महंग नाज अरु स्वल्प जल, विरला विलसै कोय।। यदि श्रावण कृष्ण पक्ष में दशमी तिथि को रोहिणी हो तो समझ लेना चाहिए अनाज महंगा होगा और वर्षा स्वल्प होगी, विरले ही लोग सुखी रहेंगे। पूस मास दसमी अंधियारी। बदली घोर होय अधिकारी। सावन बदि दसमी के दिवसे। भरे मेघ चारो दिसि बरसे।। यदि पूस बदी दसमी को घनघोर घटा छायी हो तो सावन बदी दसमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी। कहीं कहीं इसे यों भी कहते हैं-‘काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो। पूस उजेली सप्तमी, अष्टमी नौमी जाज। मेघ होय तो जान लो, अब सुभ होइहै काज।। यदि पूस सुदी सप्तमी, अष्टमी और नवमी को बदली और गर्जना हो तो सब काम सुफल होगा अर्थात् सुकाल होगा। अखै तीज तिथि के दिना, गुरु होवे संजूत। तो भाखैं यों भड्डरी, उपजै नाज बहूत।। यदि वैशाख में अक्षम तृतीया को गुरुवार पड़े तो खूब अन्न पैदा होगा। सर्व तपै जो रोहिनी, सर्व तपै जो मूर। परिवा तपै जो जेठ की, उपजै सातो तूर।। यदि रोहिणी भर तपे और मूल भी पूरा तपे तथा जेठ की प्रतिपदा तपे तो सातों प्रकार के अन्न पैदा होंगे।

2 टिप्‍पणियां:

  1. दोस्तों जो राजस्थानी हैं वो दिल खोल के लाइक करें ।

    जवाब देंहटाएं
  2. आप की याद भी तो एक
    अनमोल फुल है।

    हम आपको भुल जाये ये
    आपकी भुल है॥

    जवाब देंहटाएं