मंगलवार, 9 जून 2015
"ससुराळ जावती बेटी रे मन री आवाज माँ रे वास्ते..
"ससुराळ जावती बेटी रे मन री आवाज माँ रे
वास्ते..
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माँ थारी लाडी नै, तूं लागै घणी प्यारी |
सगळा रिश्तां में, माँ तूं है सै सूं न्यारी
निरवाळी ||
नौ महीना गरभ मै राखी, सही घणी तूं पीड़ा |
ना आबा द्यूं अब, कोई दुखड़ा थारै नेड़ा ||
तूं ही माँ म्हनै हिंडायो, चौक तिबारा में
पालणों |
माँ तूं ही सिखायो म्हनै, अंगणिया में चालणों
||
सोरी घणी आवै निंदड़ळी, माँ थारी गोदी मै
|
इतराती चालूं मैं पकड़ नै, माँ थारी चुन्दड़ी का
पल्ला नै ||
हुई अठरा बरस की लाडी, करयो थै म्हरो
सिंणगार |
मथी भेजो म्हनै सासरिये, थां बिन कियां
पड़ेली पार ||
मथी करज्यो थै कोई चिंता, संस्कारी ज्ञान
दियो थै मोकळो |
म्हूं थारी ही परछाई हूँ, ना आबा द्यूं ला कोई
थानै ओळमो |
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