शनिवार, 16 मार्च 2019

चुनावी मौसम 2019

।। राम राम सा ।।

मित्रो मौसम और त्योहार कई तरह के होते हैं, जैसे सर्दी, गर्मी और बरसात का मौसम।होली दिवाली दशहरा आदि ।  पर इन दिनों एक नया मौसम व त्योहार  बहुत ही चर्चा में है, वो है चुनाव का मौसम। चारो ओर चुनाव की बातें छिड़ी हुयी हैं। और साथ ही साथ   निगाहें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों पर टिकी हुयी हैं। सभी उम्मीदवार मैदान में जंग जीतने के लिये मैदान में उतर चुके हैं।

जंग जीतने के लिये राजनेता भले ही शिष्टाचार और मर्यादाओं की बातें करते थकते हों, लेकिन सच तो यह है  कि वे अभद्र शब्दों का प्रयोग औरमर्यादाओं का उलंघन करते नजर आते हैं। जानबूझकर ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जिससे राजनीतिक माहौल में कटुता उत्पन्न हो और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला यूँ बिना तूल के गति पकड़े।  कुछ नेता तो अभद्र और बेतुके बयान देने के लिये विख्यात हैं। चिन्ताजनक बात तो यह है कि कि दिनों-दिन ऐसे राजनेताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कारण यह भी है कि संबन्धित पार्टी के मुखिया-संचालक उन बेलगाम नेताओं पर अंकुश लगाने की जरूरत भी महसूस नही कर रहे हैं। इतना ही नही चुनाव आयोग भी इनके बड़बोलेपन पर लगाम लगाने में बेबस नजर आ रहा है। क्योंकि वह चेतावनी देने तक ही सीमित है। चूँकि नेता जानते हैं कि चुनाव आयोग चेतावनी देने से ज्यादा कुछ नही कर सकता है। इसलिये वे अपनी मनमानी करने में लगे हुये हैं।
उदाहरण के तौर पर राहुल गाँधी  और  डॉगविजाय  सिंग दोनो ही अभद्र और अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने से नही चूकते हैं। कोई  नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का गुण्डा बता रहा है कोई चौर कह रहे हैं । ये दल्ले अपने विरोधियों के लिये इसी प्रकार की अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं। जबकि राहुल गांधी कहते नजर आते हैं कि अपने दुश्मनो से भी प्यार से बोलना चाहिये। इस बात का कांग्रेसजन पर बिल्कुल भी असर  नही पड़ रहा है। वैसे कांग्रेसजन ही क्यों यह तो सभी ठगबन्धन  पार्टियों के नेताओं का भी यही  हाल है। आये दिन कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें