।। राम राम सा ।।
1
चरका मरका चाबतां, चंचल होगी चांच ।
फीका लागै फलकिया,अकरा सेकै आंच ।
करमां रो कीट लागै ।
2
नेता नाटक मांडिया,ले नेता री ओट ।
नेता नै नेता चुणै,जनता घालै बोट ।।
लोक सिधारो परलोक ।।
3
लोक घालै बोटड़ा,नेता भोगै राज ।
लोकराज रै आंगणै,देखो कैड़ा काज ।।
जोग संजोग री बात।।
4
हाकम रै हाकम नहीँ,चोर न जामै चोर ।
नेता तो नेता जणै,नीँ दाता रो जोर ।।
नेता जस अमीबा ।।
5
चोरी जारी स्मगलिँग,है नेता रै नाम ।
आं कामां नै टालगै,दूजो केड़ो काम।।
आप बिकै नी बापड़ा ।।
6
जनता हाथां हार गै,हाट करावै बंद।
फेर ऐ खुल्ला सांडिया,खूब खिंडावै गंद ।।
जिताओ बाळो आगड़ा।।
7
चोळा बदळै रोजगा,चालां रो नीँ अंत ।
भाषण देवै जोरगा,वादां में नीँ तंत।।
कियां घड्या रामजी ।।
8
नेता मरियां कामणी, माता मरियां पूत।
बो इज होवै पाटवी,जो मोटो है ऊत ।।
मारो साळां रै जूत ।।
9
बोट घलावै बापजी,दे कंठां मेँ हाथ ।
जीत बजावै ढोलड़ा,अणनाथ्या हे नाथ ।।
पोल मेँ बजावै ढोल ।।
10
बाजो बाजै जीत गो,नेता घर मेँ रोज ।
हारै जनता बापड़ी,भूखी टाबर फोज ।।
घालो ओज्यूं बोट।।
11
नेता खावै धापगै,जनता भूखी भेड़ ।
पांच साल मेँ कतरगै,पाछी चाढै गेड़ ।।
राम ई राखसी टेक ।।
12
नेता मुख है मोवणां,धोळा धारै भेस ।
जीत्यां जावै आंतरा,हार्यां करै कळेस ।।
दे बोट काटो कळेस ।।
13
पाटै बैठ्या धाड़वी,नितगा खोसै कान ।
नेता भाखै आपनै,चोखो पावै मान ।।
नमो कळजुगी औतार ।।
14
सेडो चालै नाक मेँ,मुंडै काढै गाळ ।
नेता मांगै बोटड़ा,कूकर गळसी दाळ ।।
रामजी ई रुखाळसी ।।
15
लोकराज रै गोरवैं,खूब पळै है सांड ।
चरणो बांरो धरम है,बांध्यां राखो पांड ।।
करणी तो भरणी पड़ै।।
16
काळू ल्यायो टिगटड़ी,बणग्यो काळूराम ।
जनता टेक्या बोटड़ा,जैपर बण्यो मुकाम ।।
इयां ई तिरै ठीकरी ।।
17
धापी आई परणगै,नेता जी रै लार ।
नेता राखै चोकसी,बा टोरै सरकार ।।
पतिबरता है बापड़ी।।
18
नेता पूग्यो सुरग मेँ,धापी रैगी लार।
ओ'दो मांग्यो लारलां,धापी देगी धार।।
धणी री तो ही कुरसी।।
19
नेता चाबी झालगै,कूए मेँ दी न्हाख ।
लोकराज रै बारणै,अब तूं बैठ्यो झांख ।।
फसा ली कुतड़ी कादै।।
20
लोगां पूछी पारटी,नेता होग्यो मौन ।
नेता पूछी पारटी,कर नेता नै फोन ।।
बदळी तो कोनीँ आज।।
21
बेल्यां मांगी पारटी,नेता मारी डांट।।
पारटी म्हारी खुद गी,है देवणगी आंट ।।
पारटी बदळै क देवै ।।
22
बोट घालो धपटवां,नीँ तो करस्यूं झोड़।
नीँ छोडूंला गांव मेँ,भाज्या फिरस्यो खोड़।।
बोट सूं कटसी पापो ।।
23
नेतावंश विशेष है,औ’दै रो हकदार ।
नेतण जाम्यौ सेडलौ,बणसी बो सरदार ॥
ऊंदर जामसी ऊंदर ॥
24
नेता फ़ळ तलवार रो,बधै बुढापै धार ।
आडौ पटकै राज नै,खा जावै खार ॥
और के खाडा खोदै ॥
25
नेता भासण ठोकियो,ढीली करगै राफ़ ।
म्हानै टेको बोटडा़,पाणी देस्यां साफ़ ॥
जा पछै नै’र बंद है ॥
26
नेता टोरी बातडी़,दे वादां री पांड ।
अबकै आपां जीतगै,करस्यां खेत कमांड ॥
छावनी खोली छेकड़ ॥
बीस दूहा पूंछ आळा
[१]
साग बणायो सोहनी,मिरचां दी बुरकाय ।
जीमण बैठ्यौ सायबो, मुंडै लागी लाय ॥
बोलण री टाळ होगी ॥
[२]
काचर छौलै कामणी,माळा पौवै बीन ।
डोरै चाढै ऐक-दो, कोठै ठौकै तीन ॥
जा रे काचर रा बीज ॥
[३]
घरां बणाई लापसी ,मिंदर लागी धौक ।
मीट-मसाला नीं पकै।,दारू पर भी रोक ॥
देव ता सोफ़ी होणां ॥
[४]
कार ल्याया काको सा,काकी मांग्या हिंडा ।
काको जाबक नाटग्या,काकी दिंधी खिंडा ॥
अब ले लै लाडी पींडा ॥
[५]
देख जलेबी हाट पर,घरां ढूक्या बणाण ।
जेवडा़ सा गूंथ लिया, रस घाली रामाण ॥
ल्यो, और लेल्यौ पंगा ॥
[६]
छोरै नै उडीकतां, टाबर होग्या पांच ।
चूण चाटियौ सफ़ाचट,भूखी सोवै चांच ॥
रोयल्यौ जामणियां नैं ॥
[७]
जेबां राखै कांगसी, सिर में कोनीं बाळ ।
गंजो भाख्यां बाप जी,साम्हीं काढै गाळ ॥
ले ओ मोडां सूं पंगा ॥
[८]
रूंख लगाया बापजी,बेटां दिया उपाड़ ।
कीकर फ़ळसी खेतडा़,खावण ढूकी बाड़ ॥
दो लगाओ कान तळै ॥
[९]
रोटी दोरी खावणी, मैं’गाई में आज ।
आंख्यां मींची बापजी,बोटां थरप्यै राज ॥
बोट ई खोलसी आंख ॥
[१०]
बोटां आळै राज में,है नोटां रा खेल ।
बिन नोटां रै भायला,सांचा जावै ज़ेल ॥
बोट में मिलग्यौ खोट ॥
[११]
घणौ कमायो सायबा, घरां पधारो आय ।
रासण खूट्यो आसरै,बिज़ळी झपका खाय ॥
बो देस्सी तन्नै न्योळी ॥
[१२]
चावळ खावै धपटवां, रोटी खावै सात ।
ऐडी़ म्हारै कामणी,क्या कै’णी है बात ॥
हाथै कीन्या कामणां
[१३]
पगां न चालै कामणीं,चढवां मांगै कार ।
टायरडा़ तौबा करै, देख मैम रो भार ॥
तो टरकडो़ बपराओ ॥
[१४]
मामा ल्याया मायरौ,गाभां री भरमार ।
भाणूं गाभा छौडगै, मांगण ढूक्यौ कार ॥
के बाप परणायौ है ॥
[१५]
टाबर मांगै टैम पर, रोटी गाभा चाय ।
धणीं न ल्यावै रोकडो,धीणै टळगी गाय ॥
चाल ो सांभौ कटौरो ॥
[१६]
हेत हबोळा चालतां ,फ़ोन दियो घुंकाय ।
बातां चालै रसभरी ,कुण देवै छुडवाय ॥
बिल ई काट सी पापो ॥
[१७]
मायत सोरी पाळगै,छोरी दी परणाय ।
वज़न पूछ्यौ सायबै,कुण देवै तुलवाय ॥
धरमक ांटो ई देखो ॥
[१८]
गधो भाख्यां आप गधी,भेजो लियो लगाय ।
नैनो जुग रो हो भलो,ऐ.जी. सूं धिक जाय ॥
गळब ंधी तो बाज सी ॥
[१९]
रोटी मांगी सायबां, काची दी झलाय ।
मैडम बैठी साम्हनै,डरतै ली गटकाय ॥
तो किस्सै कूए में पडै़ ॥
[२०]
मायड़ भाषा रै बिनां, म्हारो मुंडौ बंद ।
नीं जाणां म्हे बापजी,कूकर कटसी फ़ंद ॥
घाल गळ में साफ़लियो ॥
कळेस तो कटग्यौ ॥
शुक्रवार, 22 मार्च 2019
राजस्थानी दुहा
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