मंगलवार, 19 मार्च 2019

होली 2019

।। राम राम सा ।।
मित्रो होली का दिन आने मे सिर्फ  एक ही दिन बाकी है । आजकल के बदलते दौर में खास कर ग्रामीण इलाकों में भी फागुन का अंदाज बदलने लगा है. करीब दस पन्द्रह साल  पहले  माघ महीने से ही गांव में लूर  व  फागण गाने की आहट मिलने लगती थी, लेकिन आज के जमाने में फाल्गुन माह में भी गांव से ऐसी संसकृति  लगभग गायब हो गई हैं. फागुन के महीने में शहरों से लेकर गांवों तक में फागण  गाने और ढोल की थाप सुनने को कान तरस गए हैं. फागण का सदियों पुराना राग शहरों में ही नहीं, गांवों की चौपालों पर भी गुम हो गया है.
फिर भी गॉव में लोग तो एक दो दिन फागण गाते हैं नाचते-गाते भी हैं और काफी  अपनापन दिखाते हैं | लेकिन वहीँ
शहर में सभी, अपने आप से मतलब रखते हैं । सभी भाग दोड़ मे लगे रहते है । किसी के पास समय नही है ।
हमारे  त्योहार चाहे कोई भी हो  धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे है । और हम  नए-नए वेस्टर्न कल्सर  त्योहार  मे घुसते जा रहे है । जो कतई  सही नहीं है । हमारे देश के जो भी त्यौहार है उसमे ऐसी कोई प्रथा नही थी कि किसी प्रकार का फालतु का खर्च हो लेकिन विदेशियो के कोई भी त्योहार हो  इन्हे मै तो त्योहार नही कहता हूं क्यौंकि ये एक तरह का व्यापार है ।ये विदेशियों की बहुत बडी चाल है जो अपने व्यापार  के लिये तरह तरह के आयोजन करते है । फिर  हमे मूर्ख बना देते है।इसकी कहनी भी बहुत लम्बी है । कभी थोडे दिन बाद जरुर लिखूंगा  ।आप सभी लोगों से निवेदन है कि आप सभी अपनी संसकृति को जीवित रखे और बच्चो को भी प्रेरित करे।  नही तो एक दिन ऐसा आएगा कि अपने त्यौहार सपने बनकर रह जायेंगे।
 

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