रविवार, 10 मार्च 2019

मेरा गाँव भी कुछ ऐसा है ।


मेरा गाँव एक जोधपुर से 40 किलोमीटर दूर  पर बसा हुआ है । पुरे गाँव का बरसात का पानी गाँव की दक्षिण-पश्चिम  दिशा की तरफ निकलता है और सवाई सिंग जी वाला खेडा मे  जाता है   और आधा खन्धेड़ीयो मे जाता है । मेरे गाँव की जलवायु सामान्य हैं यहा की मिटटी  कुछ खास उपजाऊ नही  है ।  फिर भी सामान्य तो  जरुर है। गाँव की दक्षिण की तरफ सब के खेत  हैं । खेतो के ज्यादा तर बुवाई पहले बैलो से होती थी तथा अब  ट्रेक्टरो से  खेती होती है\ मेरा गाँव सड़क मार्ग से धवा कालीजाल ,रोहिसा कल्ला , रोहिसा खुर्द,सुभदन्ड , चाली  और अन्य गाँवो से जुडा हुआ है । गाँव में यातायात के साधन बस,  और टेंपो हैं गाँव के बीचो-बीच  में एक  छोटा सा चौक हैं जहा पहले  गाँव मे चोपाल लगती थी अब सिर्फ होली दिवाली या अन्य किसी खास मोके पर ही लोग इक्टठे होते है । लगभग खेती बरसात के पानी पर ही निर्भर है  । यहाँ रवि  फसल बोई जाती हैं । रवि की फसल में बाजरा ,गंवार मुंग ,मोठ  तिल आदि बोए जाते हैं ।
गाँव के पुरूष धोती - कुरता पैंट -शर्ट आदि सामान्य वस्त्र पहनते हैं । बुढे सर पर पगड़ी बांधते हैं । महिलाए घाघरा ,ओढ़नी, कुर्ता,साड़ी और लड़किया सलवार शूट पहनती हैं। व्रत त्यौहार पर बढ़िया वस्त्र पहनती हैं . महिलाए आभूषण सोने और चांदी के बने पहनती हैं । गाँव का रहन सहन सामान्य है ।
खान पान भी सामान्य हैं गेंहू व् बाजरे के रोटी और ग्रामीण सब्जिया ( गंवार फली ,गट्टे  , केर कुमटीया , सांगरी ,  ) आदि प्रमुख हैं ।  व्रत त्यौहार पर बढ़िया पकवान भी बनाते हैं। ज्यादा तर लोग गाय व् भैंस का दूध पीते हैं । कुछ लोग शराब का सेवन भी करते हैं । बुजुर्ग लोग चिलम हुक्का बीडी आदि पीते हैं और कुछ लड़के  सिगरेट पीते हैं। और आजकल गुटखे का प्रचलन भी बहुत बढ गया है ।  सभी आपस में मिल जुल कर रहते हैं। सभी मिलजुल कर व्रत त्यौहार मनाते हैं । हमारे गाँव मे होली बहुत ही शानदार तरीके से मनाई जाती है ।होली मे गैर नृत्य व जत्था नृत्य, लूर,लुम्बर डान्स आदि होते है ।

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