गणपति और मूषक की कथा
एक बार की बात है गजमुख नाम का एक बहुत ही अत्याचारी और भयंकर असुर था। वह अपनी शक्ति और ज्यादा बढ़ाकर सारे संसार पर राज करना चाहता था। उसके मन में सभी देवी-देवताओं को अपने वश में करने की लालसा थी इसलिए वह #भगवान्_शिव से वरदान पाने के लिए जंगल में बिना पानी पिए भोजन खाए रात दिन तपस्या करने लगा।
बहुत समय जाने पर एक दिन शिवजी उसके अपार तप को देखकर प्रभावित हो गए और शिवजी उसके सामने प्रकट हुए। शिवजी नें खुश हो कर उसे दैविक शक्तियाँ प्रदान किया जिससे वह बहुत शक्तिशाली बन गया। सबसे बड़ी ताकत जो शिवजी नें उसे प्रदान किया वह यह था की उसे किसी भी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता। असुर गजमुख को अपनी शक्तियों पर गर्व हो गया और वह अपने शक्तियों का दुरुपयोग करने लगा और देवी-देवताओं और समस्त प्राणियों पर आक्रमण और अत्याचार करने लगा।
केवल #त्रिदेव शिव, #विष्णु, #ब्रह्मा और #गणेश तक उसकी पहुँच नहीं हो पायी थी। गजमुख स्वयं को भगवान् मानने लगा और सबसे अपनी पूजा करने को कहने लगा जो मना करता उस पर अत्याचार करने लगता। सभी देवता शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी के शरण में पहुंचे और अपनी जीवन की रक्षा के लिए गुहार करने लगे। यह सब देख कर शिवजी नें भगवान् गणेश को अत्याचारी असुर गजमुख को सबक सिखाने के लिए भेजा। गणेश जी नें #गजमुख के साथ युद्ध किया और असुर गजमुख को बुरी तरह से घायल कर दिया। लेकिन तब भी वह नहीं माना। उस राक्षक नें स्वयं को एक मूषक के रूप में बदल लिया और गणेश जी की और आक्रमण करने के लिए दौड़ा। जैसे ही वह गणेश जी के पास पहुंचा गणेश जी कूद कर उसके ऊपर बैठ गए और गणेश जी ने गजमुख को जीवन भर के मुस में बदल दिया और अपने वाहन के रूप में जीवन भर के लिए रख लिया। बाद में गजमुख भी अपने इस रूप से खुश हुआ और गणेश जी का प्रिय मित्र भी बन गया।
सोमवार, 18 मार्च 2019
गणपति और मूषक की कहानी
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