शुक्रवार, 1 मार्च 2019

म्हारो प्यारों राजास्थान

"शुभ रात्री" ~
अब आंख्यां नींद पळै कोनी
मनङै री जोत जळै कोनी
आंख्यां रो समदर सूक गयो
अब नैणां नीर ढळै कोनी
मन में यादां री उठै हूक
अब सुपना सांच फळै कोनी
आंख्यां पे जद पौहरा लागै
आंख्यां री दाळ गळै कोनी
जद आंख्यां नींद उचट जावै
तद बैरण रात ढळै कोनी
आंख्यां नै आंख्यां जद भूलै
पीङा री पीङ गळै कोनी



पिया गये परदेस में नयना  ढलके नीर ओळूँ आवै पीव की  जिवड़ौ धरे न धीर ~ "
सियाळो ठंड पड़ै , मनड़ौ ना धीर धरै।
मैं विरहण अणमणी, म्हारे नैणां नीर झरै।।
सियाळे आवण कह गया सो कर गया कौल अनेक
गिणती-गिणती घिस गई लाल आंगळियां री रेख ।।
थारी औळूं म्हे करू, म्हारी करै नां कोय
जो मैं एसो जाणती, प्रीत कियां दु:ख होय
नगर ढिंढोरो पीटती, प्रीत न करियो कोय...

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