।। राम राम सा ।।
बालपणे रा दिन तो बै हा जद म्हें सगला टाबरिया भेळा बैठ
एक थाळी जीमता दादी जीमांवती म्हे जीमंता
खाता खाता धापता ई कोनीं
आखती होय दादी कैंवती पेट है के वैरो है
धापै ई कोनीं टाबरीयाँ
जद घणौ खाया पछै रात नै पेट दूख जांवतो तो
दादी थुथकारा न्याखती , मिर्च उवारती , चिमटो लाय ने झाड़ो
एक थाळी जीमता दादी जीमांवती म्हे जीमंता
खाता खाता धापता ई कोनीं
आखती होय दादी कैंवती पेट है के वैरो है
धापै ई कोनीं टाबरीयाँ
जद घणौ खाया पछै रात नै पेट दूख जांवतो तो
दादी थुथकारा न्याखती , मिर्च उवारती , चिमटो लाय ने झाड़ो
देवती देवती खुद नै गाळां काढती- के पौता ने म्हारी निजर लागगी ।
ईंया करता करता म्हाने तो नीन्द आ जावती ।
नींद तो दादी ने सारी रात नी आवती।
सुबह जल्दी बैठा हुवता ही लौटो लैय ने जावता जणा ही पेट ठीक हुवतो ।
पछै दुजुड़े दिन खावण ने कोई रोक नीं सकतो । बालपणे रा दिन दुजा हा ।
पछै दुजुड़े दिन खावण ने कोई रोक नीं सकतो । बालपणे रा दिन दुजा हा ।
ढाणी री गवाड़ी मे अठारह मांचा ढळता बड़ो परिवार हो ।
गवाड़ी मे सोंवता जद आधी रात ताईं
दादी कहाण्यां सुणांवती
एक रै बाद एक नित नवी-नवी
घर रा पुरा परिवार अर म्हे सोंवता
हूंकारा भरता-भरता नीन्द आ जांवती ही
उण दिनों ने घणौ याद करो हो पण वै दिन नी रिया।
गवाड़ी मे सोंवता जद आधी रात ताईं
दादी कहाण्यां सुणांवती
एक रै बाद एक नित नवी-नवी
घर रा पुरा परिवार अर म्हे सोंवता
हूंकारा भरता-भरता नीन्द आ जांवती ही
उण दिनों ने घणौ याद करो हो पण वै दिन नी रिया।
अब तो समय बदलगौ है म्हे तो सोंवा आप-आपरै कमरां में
टाबर कठै ई ,म्हे कठै ई ,माँ बाप कठै ई ,भाई कठै ई ,
हरेक आप आप रे कमरै में ही रेवे।
ना तो कोई कहानियाँ सुणावण वाला ना कोई हुँकारा भरण वाला।
सगळा आप-आपरै मनभांवता प्रोग्राम दैखे
जिण रै आगै कोई कैवण री बात नी है ।
टाबर कठै ई ,म्हे कठै ई ,माँ बाप कठै ई ,भाई कठै ई ,
हरेक आप आप रे कमरै में ही रेवे।
ना तो कोई कहानियाँ सुणावण वाला ना कोई हुँकारा भरण वाला।
सगळा आप-आपरै मनभांवता प्रोग्राम दैखे
जिण रै आगै कोई कैवण री बात नी है ।
ईंण मोबाईल जुग रे माँय लोग सगला रिस्ता भुलग्या।
उँण बालपणे री बात और ही अब बाँता और है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें