बुधवार, 4 दिसंबर 2019

सरपंच चुनाव सिनली 2020

राम राम सा ।।
मित्रो पंचायतीराज चुनाव मे ज्यादा समय नही बचा है ।  प्रतियेक  गाँव मे लोग उत्साहजनक तरीके से इन्तजार कर रहे है । चुनावो  मे जिनको किसी की हार या जीत अच्छा बुरा या विकास हो या ना हो कोई जरुरत नही है बस एक ही इन्तजार है !  कब चुनाव का डंका बजे और कब खर्च चालु हो !
 मित्रो चुनाव में लोग  विकास की बात क्यों नही करते है एक अच्छे प्रतियासी का चयन क्यो नही ?
दो महीने बाद ग्राम पंचायतों में नए सरपंच  वार्ड पंच  चुने जायेंगे। गांव के विकास की पहली सीढ़ी भी ग्राम पंचायत है। लोकतन्त्र में सब को चुनाव लड़ने और मताधिकार का हक है। लगभग 65 सालों के बाद भी सरपंच चुनाव में शराब और पैसे हावी ही रहे  है यह बात तो किसी से छुपी नही है। धनबल बाहुबल और अपराधीकरण यह आजकल की आम बात है।  गांवों में चुनाव में खड़े होने वाले प्रतिनिधि की जाति और धनबल से आकलन किया जाता है की कौन जीतेगा। ग्रामीण क्षेत्रो में आज भी मत देने वालो में आधे लोगो को डरा धमका कर मतदान से वन्सित किया जाता है। कुछ लोग अनपढ़ होने के कारण अपने अधिकारों का सही प्रयोग नही कर पाते है ।
लेकिन आज के जो युवा मतदाता है उनको इन चीजो से ऊपर उठकर एक शिक्षित कार्यं कुशल  सरपंच का चुनाव करना चाहिए। जो ग्राम पंचायत का विकास करवा सके।
चुनावों में  सरपंच उम्मीदवार का पांच साल का घोषणापत्र होना चाहिए।  जो ग्राम पंचायत का  5 वर्ष  के राज मे कार्य कर सके ।
मित्रो हमारा गांव पहले शुभदन्ड ग्राम पंचायत मे था जो इस बार परिसमन के बाद ग्राम पंचायत बना है । गांव  मे बहुत सारी कमीया  है पहले के जमाने मे ग्रामपंचायत का बड़ा  बजट नही आता था और हाल ही के वर्षो मे विकास नही के बराबर हुआ है ।
हमारे गाँव की प्रमुख समस्याएँ तो  ज्यादा नही है लेकिन बहुत सी समस्याएं है उनका निवारण अनिवार्य है
गांव की गन्दी नालियो का पानी खन्देडियौ  की बजाय बड़ी नाली बनाकर गांव से बाहर निकालना चाहिये
सबसे बड़ी समस्या  मृत जानवरों के लिए गांव से बाहर कोई सार्वजनिक भूमि आवंटित करनी चाहिये । और यह समस्या तो लगभग सभी गांवों की मुख्य समस्या है। हम सब को पता ही है ।
तीसरी समस्या है अकाल राहत कार्य(नरेगा) के तहत होने वाली धान्दली  को खत्म करना। फर्जी मेट और फर्जी नाम वाली परम्परा को जड़मूल से खत्म करना चाहिये हमारे यहाँ सबसे ज्यादा घड़बड़ी यही होती है और लोगो ने इसे नियति मान लिया है।
और गाँव नाडी के आगोर  क्षेत्र में चलने वाली अवैध खुदाई को बन्द करना चाहिये वहाँ आसपास  पौधे थे वो सब काटकर खतम किये है वहाँ दोबारा पौधारोपण होना चाहिये ।  और आखिरी समस्या है  सरकारी जमीन को अतिक्रमण से  मुक्त करवाना चाहिये ।
गाँव की जनता सरपंस जिसको भी  चुने वो  गाँव मे सेवक की तरह कार्य करे मालिक बनने का प्रयास नही करे।
यह मुख्य मुद्दे है जिन पर कार्य होना अत्यावश्यक है। सरपंच का पद सरकारी पैसा लूटने का नही है और न ही यह कोई मामूली पद है । अगर नियत नेक है तो सरपंच  इस पद पर रहते हुए पंचायत को चमका सकता है और गरीब हित  कार्य करवा सकता है ।
लेकिन गांव की तुच्छ राजनीति और बड़ी पार्टियो के अपने फायदे ने इस गरिमामय पद की वाट लगा दी है। 
हमे एक पढ़ा लिखा हो गाँव के प्रतियेक परिवार की बात सुनने वाला उम्मीदवार बनाना है ।
अंगूठा छाप सरपंच इस तकनीकी युग में पंचायत का भला नही कर सकता। दुनिया चाँद पर जा रही है और थोडा विचार करना आवश्यक है।
ऐसा नही है की सभी ग्राम पंचायतो में लुटरे बैठे है । कुछ ईमानदार सरपंचो ने तो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कार्यो द्वारा सम्मान प्राप्त किया है।
मित्रो गाँव के सवर्णमयी विकास के लिये सही उमीदवार बनाने में भागीदार बने जो हमारे गाँव का नाम रोशन करे ।
गुमनाराम पटेल सिनली

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