रविवार, 15 दिसंबर 2019

सियालौ आ ग्यौ

सियालो आयो


शीतल ऋतु आई सखी, पहन नए परिधान,
चलो दुशाला ओढ़कर, करें धूप का स्नान।

एक चटाई धूप की, डलिया भरकर बेर,
जन-मन को हर्षा गया, मौसम का यह फेर।

फटी बिवाई पाँव में, करे हवा हैरान,
नए रंग दिखला रहा, शीत नया मेहमान।

शीत प्रसाधन चल पड़े, भरने लगे बजार,
ढेरों लोशन क्रीम की, आई ब्रांड बहार।

सर्दी को भाने लगे, सूखे मेवे दूध,
जी भर कर सब खा रहे, हरे मटर अमरूद।

तम्बू ताने शीत ने, डाला आज पड़ाव,
गाँव गाँव दिखने लगे, जलते हुए अलाव।

थर थर काँपे रात दिन,शाम नहीं दिख पाय,
शीत लहर हड़का रही, समय सिकुड़ता जाय

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