रविवार, 22 दिसंबर 2019

चुनावी कविता

✌ *चुनाव में एक कविता* ✌

सुणो मेरे गाँव के बंधे ।
मत छोड़ना अपने धंधे ।।
सरपंचाई रे चक्र मे ।
किसी दंबगाई रे फिक्र में ।।
मत करजो रिश्ते गंदे ।
सुणो समझदार बंधे ।।
बोट आते जाते रहेंगे ।
किसी को अपशब्द नही कहेंगे ।।
कोई हारें कोई जीते ।
पांच साल केई बार बीते ।।
सरपंच के प्रपंच मे मत लङजो ।
फालतु किसी से मत अङजो ।।
सुबह शाम करो प्रचार ।
अच्छे रखना अपना  विचार ।।

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