राम राम सा
राजस्थान मे पंचायत राज चुनाव का रण तैयार हो चुका है रण में उतरने के लिए जद्दोजहद ,वादों ,आश्वासनों घोषणाओ की झड़ी लगी हुई है , कहाँ से कौनसी सीट आयेगी ये तो किसी को पता नहीं , फिर भी तैयारियाँ शुरु हो गई है । चुनाव से किसको कितना फायदा होगा ये आमजनता को सब पता है फिर भी अभी तक का कटु अनुभव जो है की जनता अरमानों का तो टांय -टांय फिस्स होना तय ही है , तलवार तरबूजे पर गिरे या तरबूज तलवार पर गिरे अंतः मे कटना तरबूजे को ही है वही दशा आम जनता की होती है I
गाँव की राजनीति का दारोमदार तो सरपंचो के भरोसे है उधर चमचो ने भी मेन्डको की तरह उसलना शुरु कर दिया है
नेताओं द्वारा हमेशा हम जनता पर ही दोष मढ़ दिया जाता है की गाँव के विकास में रूचि जनता ही नहीं लेती हम भी क्या करे ,
मित्रो कई हम सब देख ही रहे है अख्सर चुनावो के बाद सरपंच हमेशा गायब हो जाते है उन्हे पांच साल बाद दुबारा चुनाव आने वाले होन्गे तब वापस जनता याद आती है । वोट डालो और फिर आगामी चुनाव तक के लिए राम-राम। न तो जीता पूछता है और ना ही हारा हुआ । जनता भी तो चाहती है कि अपनी जाती की सरकार बणे । चाहे उम्मीदवार योग्य हो या ना हो बस अपने जाती का होना चाहिये ।
अब पिछ्ले 20सालो के हुये सरपंच चुनावो मे ऐसा लगने लगा है कि चुनाव लडऩा पूंजीपतियों का ही 'जन्म सिद्ध अधिकार बन गया है। गरीबो इमानदारो के बस की बात नही है । और ये सब हम देख ही रहे हैं।
राजनीति भी एक खाई की तरह होती है, जितना नीचे उतरेंगे उतनी ही आश्चर्यजनक बातें जानने,को देखने को , सुनने को मिलेगी। आजकल की राजनीति तो'अंधेरी गुफा बन गई है कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता है । आजकल की राजनीति का चाल, चलन और चरित्र बदल गया है। जिस सरपंच को अगर किसी ग्राम पंचायत में विकास करना हो तो पहले विधायक जी का विकास कराना होगा तब जाकर सरपंच का भी विकास होगा और ग्राम पंचायत में भी विकास होगा अन्यथा नही....... आप को दूर जाने कि जरुरत नही है कही भी कोई भी जिले या पंचायत समिति के ग्राम पंचायतों मे देख सकते हो विकास उसी ग्राम पंचायत में ही हुआ है और होता है जहाँ का सरपंच पक्का राजनीतिज्ञ मे निपुण है । क्योकि अगर ग्राम पंचायत में विकास करना हो तो पहले विधायक जी का विकास करना भी जरुरी होता है । अगर आप विधायक जी का विकास नही करोगे तो विकास तब होगा जब 'रात्रि में सूरज निकलेगा।
मित्रो जब हमेशा चुनाव नजदीक आते है तो भावी सरपंच भी 'गुड़ में मक्खी की भांति आमजनों के आसपास भिनभिनाते नजर आने लग जाते हैं। लेकिन चुनाव के बाद उनके दर्शान भी दुर्लभ हो जायेंगे ,। जबकि आम जनता न हो तो सरपंचो को कोई पूछेगा भी नहीं। सरपंचो की सारी महत्ता ही आम जनता की वजह से होती है।आखिरकार आम जनता से संपर्क रखना होगा। सरकार जनता के लिए होती है। ग्राम पंचायत के बेहतरी की जिम्मेदारी सरपंच की ही होती है। । जनता की भांति सरपंच अपना फर्ज ईमानदारी से निभाएं तो ग्राम पंचायत की तस्वीर और ग्राम वासियों की तकदीर बदलते देर नहीं लगेगी।
गुमनाराम पटेल सिनली
शनिवार, 7 दिसंबर 2019
सरपंच चुनाव सिनली 2020
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