शनिवार, 7 दिसंबर 2019

राजस्थानी साजन अर सजनी

साजन अर सजनी

मन रो नाच्यौ मोरियौ, धण रो किण रे काज।
बात मने औ बावडौ, कविता में कविराज॥

सुंदरता री पुतळी, अर उपर है लाज।
गजब नाचती गोरडी, घूमर रे अंदाज॥

नखराळी ए नारीयां, दे ताळी नाचैह।
घूंघट वाळी  कामणी, मतवाळी सांचैह।

साजण सुपने आविया, कह्यौ आवसूं आज।
इण कारण धण नाचती, गीत रसीलै राज॥

असी कळी रो घाधरो, घूमर घेर घुमेर।
गोखां नाचै गोरडी, प्रितम खुश व्है हेर॥

प्रितम घरां पधारिया,मन रा बज्या मृदंग।
घुमर नाची गोरडी, अंतस करै उमंग॥

साजण सुपने आविया, मन रे बैठ मतंग।
इण सूं नाची गौरडी, बजतां मिलन मृदंग॥

- नरपत आवडदान आशिया"वैतालिक"
आपणी राजस्थानी भासा नै बढा़वौ देवण सारू।

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