राम राम सा
👩👩 'बहू'और 'बेटी' 👧👧
आजकल तो घर घर में या फैल रही बीमारी ।
परणीज के आता ही बहु , होवण लागी न्यारी ।
होवण लागी न्यारी, सासु सागे पटे कोनी ।
साल दो साल भी , सासरे में खटे कोनी ।
नई पीढ़ी री बहुआ है, बे तो हर आजादी चावे ।
सास ससुर की टोका टाकी, बिलकुल नही सुहावे ।
बिलकुल नही सुहावे ,सुबह उठे है मोड़ी ।
लाज शरम री मर्यादा तो,कद की छोड़ी ।
साड़ी को पहनाओ छोड्यो, सूट चोखा लागे ।
जींस टॉप पहन कर घुमण , जावे मिनख रे सागे ।
जावे मिनख रे सागे, सर ढ़कणो छूट गयो है ।
'संस्कारा' सूं अब तो , रिस्तो टूट गयो है ।
बहुआ की गलती कोनी, बेचारी वे तो है निर्दोष ।
बेटियां के उण माईता को , यो है सगलो दोष।
यो है सगलो दोष, जका बेटियां ने सिर्फ पढ़ावे।
घर गृहस्ती री बात्या बाने, बिलकुल नही सिखावे ।
पढ़ाई के साथ साथ , "संस्कार" भी है जरुरी ।
"संस्कारा" के बिना तो , हर शिक्षा है अधूरी ।
हर शिक्षा है अधूरी, डिग्रीयां कोई काम नही आवे ।
बस्यो बसायो घर देखो, मीनटा में टूट जावे ।
बेटी की तो हर आदत , माँ बाप ने लागे प्यारी ।
वे ही आदता बहू में होवे, जद लागण लागे खारी ।
लागण लागे खारी , सासु भी ताना मारे ।
कहिं नहीं सिखायो,
रविवार, 15 दिसंबर 2019
बहु और बेटी
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