मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

किसानो की बढती समस्याए

राम राम सा
   भाईयो हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है यहाँ  आजादी के 70 साल बाद मे भी   किसानो की हालात मे कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है किसानो  के लिये कोई भी सरकार आज तक ठोस कदम उठाने की कोशिश नही की गई है ।भारत में कृषि और किसानो की हालत दिनों-दिन बदतर होती जा रही हैं जिसके कारण अनेक किसान आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जा रहे हैं. भारत में आज भी 60% से 70% लोग कृषि पर निर्भर हैं. इस समस्या को हर सरकार जानती हैं पर उसके पास उचित समाधान नही हैं. भारतीय किसानो की हालत बहुत ख़राब हैं इस पर लोग केवल बहस करते हैं, राजनीति करते हैं और हाय-तौबा मचाकर भूल जाते हैं. पर इसके लिए कोई कारगर समाधान नही ढूढ़ा जाता हैं. है  भारत के नेताओं ने  तो सिर्फ किसानो को वोट बटोरने के लिये ही इस्तेमाल किया गया है। कभी फ़्री का झाँसा देकर कर्जमाफी का वायदा करके  किसानो के साथ  छलावा किया जा रहा है।
कर्ज माफी किसानों के साथ सबसे बड़ा छलावा है जो उन्हें आर्थिक रूप से असुरक्षित बना कर कर्ज के जाल में फँसाता जाता है। इससे वोट मिलते हैं पर समस्या बरक़रार रहती है। न किसानों का भला होता है और न खेती का।मोदी सरकार ने कर्ज माफी के बजाए दूसरे विकल्पों पर गौर कर एक सही कदम उठाया है ।आज किसानों की समस्याओं पर राजनीति करने वाले ज्यादा और उनकी समस्याओं की तरफ ध्यान देने वाले कम हैं। किसानों की खराब हालात के लिए भ्रष्टाचार भी जिम्मेवार है। इसीलिए जरूरतमंद किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।
भारत की राजनीति इतनी ख़राब हैं कि इसमें अच्छे लोग बहुत कम आते हैं या आते ही नही. इसमें जो लोग गरीबो और किसानो के नाम पर वोट लेकर जीत जाते हैं फिर उन्ही को भूल जाते हैं. किसानो और गरीबो को लगता हैं इस बार कुछ अच्छा होगा. भारतीय राजनीति में सुधार होना चाहिए. कोई ऐसी पार्टी होनी चाहिए जिसमें एक ग़रीब भी चुनाव लड़ सके. यदि कोई नेता या राजनेता चुनाव प्रचार के समय कोई वादा करता हैं तो उसे पूरा करने की लिए कोर्ट आदेश दे क्योकि गलत वादों से चुनाव जीतना अपराध की श्रेणी में आनी चाहिए

जय जवान जय किसान
जय हिन्द जय भारत

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