गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

राजस्थानी कविता-संग्रह

।। राम राम ।।
आधी रोटी भावै कोनी ,
दादोजी परणावै कोनी !
मन री बाता मन मं रैगी ,
भुवा मगंळ गावै कोनी !!
दादीजी कद क्हाणी केसी ,
कद चिंकली हुंकारा देसी
ऊपर स्युं डांफर बाजै है ,
राळी भी ओढावै कोनी
बापु खैत खङै रोजिना,
नित री राङ करै रोजिना
माऊ नै सगळा धमकाव ,
बापु नै कोई समझावै कोनी !!
गाय ब्यायगी बछियो ल्याई ,
घर बाखऴ मे धूम मचाई
सगळा कोड करै बछिये रा ,
बछियो ताबै आवै कोनी
बङकी बैटी बर्तण मांजै ,
खुङका स्युं अम्बर सो गाजै
रिसा बळती बर्तण फैंकैं ,
धिरेसी सिरकावै कोनी
नानुङो भी चुप नीं रैवै ,
बात आप री किण बिद कैव
एकै सांस रोवण लाग्यो ,
कोई भी बतऴावै कोनी
काकी गीत गोर रा गा री ,
चोकी पर सै धूम माच री
बङै मजै स्युं दांत दिखावै ,
कोई स्युं सरमावै कोनी !
कुण जाणै कद नींन्द आयगी ,
धीरे-धीरे रात छायगी
पौ पाटी जद आंख्या खुलगी ,
अब तो सपनो आवै कोनी
बालपणै री दुनिया छोटी ,
भाईङो कद चिन्ता ही मोटी
खैल-कूद , खाणै-सोणै के सिवा
ओर कीं अब भावै कोनी !

3 टिप्‍पणियां:

  1. Hello sir namskar me ek singing studio se kya me aapki kavita ko sangit k jariye pais kr skta hu plz rply jrur kre

    जवाब देंहटाएं
  2. *वे रूङी रीतां कठै*

    *कठै धोतिया खादी रा,*
    *साफा तमाकू भांत कठै !*
    *कठै अंगरखी मारवाड़ री,*
    *चुङलौ हाथी दांत कठै !!*

    *कठै घाघरा टुकङी रा,*
    *ओढण लोवङी आज कठै !*
    *कठै धाबळा ऊन रा,*
    *पैरण पगरगी आज कठै !!*

    *बिरखा होया खेत जावता,*
    *हळियौ लियां हाळी कठै !*
    *ठाकर धकै पुरसण वाळी,*
    *वा सोने री थाळी कठै !!*

    *नाडी स्यूं पाणी भरती,*
    *वे पणिहारियां आज कठै !!*
    *ओरण मांय गायां चरती,*
    *वो गोडां तांई घास कठै !!*

    *कुरजां, मुमल, घूमर सरिसा,*
    *वे मरूधर रा गीत कठै !*
    *सांचौ भेद खोलण वाळा,*
    *वां न्यावङियां सी नीत कठै !!*

    *अमर प्रीत निभावण वाळा,*
    *वां मिनखां सा मीत कठै !*
    *पहली तीज पीवर में करती,*
    *वां बेट्यां री रीत कठै !!*

    *पति जीमाया पछै जीमती,*
    *वे पतिव्रता नार कठै !*
    *काळ पङियां घबराता कौनी,*
    *वे जीणै रा सार कठै !!*

    *सुख-दुख री खबरा लावता,*
    *वे डाकीये रा तार कठै !*
    *बात बतळ छैङ्या पछै,*
    *वां शब्दां री तकरार कठै !!*

    *माथै ऊपर बळितौ लावती,*
    *छाणा चुगती छोकरियां कठै !*
    *ढाणी - ढाणी धीणां होवता,*
    *दही बिलोवती डोकरियां कठै !!*

    *बापूजी स्यूं डरती रहती,*
    *वे मारवाड़ री बायां कठै !*
    *नरसां स्यूं सुघड़ होवती,*
    *वे गावां री दायां कठै !!*

    *जवांई दैख'ने राजी हुती,*
    *वे सासु मां आज कठै !*
    *मुण्डै उघाङी रहती कौनी,*
    *वां बिनणियां सी लाज कठै !!*

    *तीज तिवारां हीण्डा हीण्डती,*
    *वां सखियां री जोङी कठै !*
    *पाबू नै ले असमाणां उङगी,*
    *वा केसर जेङी घोङी कठै !!*

    *बरातियां नै ताना देती,*
    *वे गीतां री गाळ कठै !*
    *बिरखा होयां टाबर गुङकता,*
    *वां धोरां री ढाळ कठै !!*

    *भेड, बकरियां, उंट, गाय नै,*
    *चरावण वाळा ग्वाळ कठै !*
    *ऊंचा चढने निगै देवता,*
    *वा नाडी री पाळ कठै !!*

    *बारह महिनां साग बणाता,*
    *मूंग मोठ री दाळ कठै !*
    *काचर फळियां लावण सारूं,*
    *वां कुङता री चाळ कठै !!*

    *टीकी टमका चैपण वाळा,*
    *लुगायां रा वे राळ कठै !*
    *रोटी घास री खाणी पङती,*
    *छप्पनै जैङा काळ कठै !!*

    *सास ससुर रो आदर करती,*
    *वे बिनणियां आज कठै !*
    *पतियां सागै सती होवती,*
    *वे पदमणियां नार कठै !!*

    *मां-बाप री सेवा करता,*
    *वे श्रवण जैङा छोरा कठै !*
    *आंधियां स्यूं ठौङ बदळता,*
    *वे मरूधर वाळा धोरा कठै !!*

    *कैर सांगरी काचर फळियां,*
    *भट्कणियां जैङा साग कठै !*
    *चंग रै साथै होळी रमता,*
    *फागण जैङी राग कठै !!*

    *माटी स्यूं चिणयोङी होवती,*
    *गार नीप्यौङी भीतां कठै !*
    *मरूधर स्यूं सोळंकी पूछै,*
    *थारी वे रूङी रीतां कठै !!*

    *रचना- बंशीलाल सोलंकी पल्ली*
    9672674464

    जवाब देंहटाएं
  3. हालै नी भाबज लै चालूं, आलीजै रै देश
    मान मनुहारां करसी थारी, उण मुरधर रै देश

    परणियौ म्हारो घणौ कौडिलो, गीत हेत रा गावै है
    घरै आयोङै मेहमानां नै, मोत्यां थाळ बधावै है
    मरू धरा रो वासी हैं बो, म्हां पर हैत लुटावै है
    रूप सौवणो ज्यांरौ कहिजै, झीणौ- झीणौ सरमावै है

    हालै नी.............

    कटारी जैङा नैण कहिजै, मूछ्यां घणीं सुहावै है
    कंलळा- कंवळा हौठां माथै, सूरज लाली बरसावै है
    कोयल जैङा मीठा बौले, शारद इमरत घौळै है
    पाबू जैङो रूप निरख नै, चन्दौ भी सरमावै है

    हालै नी...............................

    मुरधर धर री छटा दैखनै, थूं आपौ खौवैला
    मखमल जैङी रैत निरख, थूं बिसराम करण री सौचेला
    कांई मनुहार करां म्हैं थारी, सगळा ही थांनै पूछैला
    कैर, सांगरी, काचर,फळियां थूं घणै चाव सूं खावैला

    हालै नी................

    काळी कळायण घटा छावसी, मदरौ- मदरौ गाजैला
    पणिहारियां पाणी नै जासी, टाबर रौळ मचावैला
    भातौ लै भतवारियां जासी, पिव नै जाय जिमावैला
    दिन आंथ्या खेतां स्यूं आसी, गायां दैख रम्भावैला

    हालै नी.............

    रचना बंशीलाल सोलंकी पल्ली
    9672674464

    जवाब देंहटाएं