शनिवार, 27 अगस्त 2016

Jalor fort

# जालौरका जौहर और शाका :- “आभ फटे धर उलटे कटे बखत रा कोर सिर कटे धर लडपडे जद छूटे जालोर ” 12 वीँ शताब्दी के अँतिम वर्षो मे जालोर दुर्ग पर चौहान राजा कान्हडदेव का शासन था इनका पुत्र कूँवर विरमदेव चौहान समस्त राजपूताना मे कुश्ती का प्रसिद्ध पहलवान था एवँ कूशल यौद्धा था छोटी आयू मे भी कई यूद्धो मे कुशल सैन्य सँचालन कर अपनी सैना को विजय दिलाई थी । बादशाह अलाउदीन खिलजी ने गुजरात पर चढाई की वहा की प्रजा को मारा और सोमनाथ मंदिर से सोमनाथ ज्योतिलिंग को उठा कर गीले चमड़े में बांध कर, राजपुताना को लूटने के इरादे से जालोर पहूचा, उसने जालोर से 09 कोस दूर सकराणे गाँव में अपना डेरा डाला, जालोर के शासक राव कान्हडदेव चौहान ने जब ये बात सुनी तो उसने अपने 04 अच्छे राजपूत बादशाह के पास अपना सन्देश ले कर भेजा और कहलवाया “तुमने इतने हिन्दुओ को मारा और कैद किया, सोमनाथ महादेव को भी बांध कर ले आये, ये तुमने अच्छा नहीं किया और फिर तुमने मेरे ही गढ़ के नीच आ कर डेरा डाला, क्या तुमने हमें क्या राजपूत नहीं समझा”, बादशाह को सन्देश पहूचा गया चारो राजपूतो को दरबार में बुलाया गया, राव कान्हडदेव का खास राजपूत कांधल आपने साथियों के साथ दरबार में हाज़िर हुए पर उन्होंने बादशाह के सामने सर नहीं झुकाया, बादशाह गुस्से से लाल हो गये, वजीर ने समझाया ये अखड़ दिमाग के राजपूत है ये राव कान्हडदेव के सिवा किसी के सामने सर नहीं झुकाते , बादशाह ने कहा “ हमारा ये नियम है की मार्ग में कोई गढ़ आ जावे तो उसको जीते बिना आगे नहीं बढ़ते क्योकि राव राव कान्हडदेव मुझे आखे दिखा रहा है तो अब तो जालोर फ़तेह करे बिना आगे नहीं जायेगे “ इतना कह कर बादशाह से एक उडती हुई चील पर तुक्का चलाया, जिसकी चोट से चील गिरने लगी, बादशाह का हुकुम हुआ ये चील नीचे नहीं गिरनी चाइये, तीरंदाजो तीर चलने लगे, कांधल वही खड़ा देख रहा था वो समझ गया की ये सब मुझे दिखने के लिए करा गया है, उसकी वक़्त एक सैनिक एक बड़े से भैसे को ले कर वह से निकला, कांधल ने फुर्ती से अपनी तलवार निकली और एक ही झटके में भैसे के दो टुकड़े कर दिया, तभी तीरंदाजो ने अपने कमान की मुठ कांधल की तरफ की, वजीर के बीच में पड़ कर बादशाह से कहा ‘मैंने तो आप को पहले ही कहा था की ये अखड़ राजपूत है’ बादशाह तीरंदाजो को रोक देता है, और कांधल और उसके साथीयो को जाने देता है, कांधल जालोर पहुच कर कान्हडदेव के सामने सारी बात रखता है, तो कान्हडदेव कहता है “जल पिए बिना तो रहा नहीं सकते परन्तु अन्न तो अब जब ही खायेगे जब सोमनाथ महादेव को छुड़ा कर लायेगे” हम रात को उनके डेरे पर छापा मारेंगे, तीसरे दिन रात को कान्हडदेव की सेना अलाउदीन खिलजी के डेरे पर हमला कर देते है,बादशाह के बहुत से आदमी मरे जाते है और बादशाह को अपनी जान बचा कर भागना पड़ता है, सोमनाथ ज्योतिलिंग को तुर्कों से छुड़ा कर कान्हडदेव उन्हें जालोर ले आते है और उनको अपने जागीरी के गाँव मकराना (सरना गांव) मे शास्त्रोक्त रीती से ही प्राण प्रतिष्ठित कर एक बड़ा मंदिर बनवाते है । मुंहता नैन्सी की ख्यात के अनुसार इस युद्ध में जालौर के राजकुमार विरमदेव की वीरता की कहानी सुन खिलजी ने उसे दिल्ली आमंत्रित किया | उसके पिता कान्हड़ देव ने अपने सरदारों से विचार विमर्श करने के बाद राजकुमार विरमदेव को खिलजी के पास दिल्ली भेज दिया जहाँ खिलजी ने उसकी वीरता से प्रभावित हो अपनी पुत्री फिरोजा के विवाह का प्रस्ताव राजकुमार विरमदेव के सामने रखा जिसे विरमदेव एकाएक ठुकराने की स्थिति में नही थे अतः वे जालौर से बारात लाने का बहाना बना दिल्ली से निकल आए और जालौर पहुँच कर खिलजी का प्रस्ताव ठुकरा दिया | मामो लाजे भाटिया, कुल लाजे चव्हान | जो हूँ परणु तुरकड़ी तो उल्टो उगे भान || शाही सेना पर गुजरात से लौटते समय हमला और अब विरमदेव द्वारा शहजादी फिरोजा के साथ विवाह का प्रस्ताव ठुकराने के कारण खिलजी ने जालौर रोंदने का निश्चय कर एक बड़ी सेना जालौर रवाना की जिस सेना पर सिवाना के पास जालौर के कान्हड़ देव और सिवाना के शासक सातलदेव ने मिलकर एक साथ आक्रमण कर परास्त कर दिया | इस हार के बाद भी खिलजी ने सेना की कई टुकडियाँ जालौर पर हमले के लिए रवाना की और यह क्रम पॉँच वर्ष तक चलता रहा लेकिन खिलजी की सेना जालौर के राजपूत शासक को नही दबा पाई आख़िर जून १३१० में ख़ुद खिलजी एक बड़ी सेना के साथ जालौर के लिए रवाना हुआ और पहले उसने सिवाना पर हमला किया और एक विश्वासघाती के जरिये सिवाना दुर्ग के सुरक्षित जल भंडार में गौ-रक्त डलवा दिया जिससे वहां पीने के पानी की समस्या खड़ी हो गई अतः सिवाना के शासक सातलदेव ने अन्तिम युद्ध का ऐलान कर दिया जिसके तहत उसकी रानियों ने अन्य क्षत्रिय स्त्रियों के साथ जौहर किया व सातलदेव आदि वीरों ने शाका कर अन्तिम युद्ध में लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की | इस युद्ध के बाद खिलजी अपनी सेना को जालौर दुर्ग रोंदने का हुक्म दे ख़ुद दिल्ली आ गया | उसकी सेना ने मारवाड़ में कई जगह लूटपाट व अत्याचार किए सांचोर के प्रसिद्ध जय मन्दिर के अलावा कई मंदिरों को खंडित किया | इस अत्याचार के बदले कान्हड़ देव ने कई जगह शाही सेना पर आक्रमण कर उसे शिकस्त दी और दोनों सेनाओ के मध्य कई दिनों तक मुटभेडे चलती रही आखिर खिलजी ने जालौर जीतने के लिए अपने बेहतरीन सेनानायक कमालुद्दीन को एक विशाल सेना के साथ जालौर भेजा जिसने जालौर दुर्ग के चारों और सुद्रढ़ घेरा डाल युद्ध किया लेकिन अथक प्रयासों के बाद भी कमालुद्दीन जालौर दुर्ग नही जीत सका और अपनी सेना ले वापस लौटने लगा तभी कान्हड़ देव का अपने एक सरदार विका से कुछ मतभेद हो गया और विका ने जालौर से लौटती खिलजी की सेना को जालौर दुर्ग के असुरक्षित और बिना किलेबंदी वाले हिस्से का गुप्त भेद दे दिया | विका के इस विश्वासघात का पता जब उसकी पत्नी को लगा तब उसने अपने पति को जहर देकर मार डाला | इस तरह जो काम खिलजी की सेना कई वर्षो तक नही कर सकी वह एक विश्वासघाती की वजह से चुटकियों में ही हो गया और जालौर पर खिलजी की सेना का कब्जा हो गया | खिलजी की सेना को भारी पड़ते देख वि.स.१३६८ में कान्हड़ देव ने अपने पुत्र विरमदेव को गद्दी पर बैठा ख़ुद ने अन्तिम युद्ध करने का निश्चय किया | जालौर दुर्ग में उसकी रानियों के अलावा अन्य समाजों की औरतों ने १५८४ जगहों पर जौहर की ज्वाला प्रज्वलित कर जौहर किया तत्पश्चात कान्हड़ देव ने शाका कर अन्तिम दम तक युद्ध करते हुए वीर गति प्राप्त की |कान्हड़ देव के वीर गति प्राप्त करने के बाद विरमदेव ने युद्ध की बागडोर संभाली | विरमदेव का शासक के रूप में साढ़े तीन का कार्यकाल युद्ध में ही बिता | आख़िर विरमदेव की रानियाँ भी जालौर दुर्ग को अन्तिम प्रणाम कर जौहर की ज्वाला में कूद पड़ी और विरमदेव ने भी शाका करने हेतु दुर्ग के दरवाजे खुलवा शत्रु सेना पर टूट पड़ा और भीषण युद्ध करते हुए वीर गति को प्राप्त हुआ | विरमदेव के वीरगति को प्राप्त होने के बाद शाहजादी फिरोजा की धाय सनावर जो इस युद्ध में सेना के साथ आई थी विरमदेव का मस्तक काट कर सुगन्धित पदार्थों में रख कर दिल्ली ले गई | कहते है विरमदेव का मस्तक जब स्वर्ण थाल में रखकर फिरोजा के सम्मुख लाया गया तो मस्तक उल्टा घूम गया तब फिरोजा ने अपने पूर्व जन्म की कथा सुनाई.. तज तुरकाणी चाल हिंदूआणी हुई हमें | भो-भो रा भरतार , शीश न धूण सोनीगरा || फिरोजा ने उनके मस्तक का अग्नि संस्कार कर ख़ुद अपनी माँ से आज्ञा प्राप्त कर यमुना नदी के जल में प्रविष्ट हो गई । आज वैशाख शुक्ला छठ है गुरुवार है आज वीर वीरमदेव का बलिदान दिवस है संवत 1368 में लगभग इसी अपरान्ह के समय वीर योद्धा खिलजी की सेना को काटते वीरगति को प्राप्त हुए थे । इस शूरवीर के बलिदान दिवस पर शत्

मंगलवार, 23 अगस्त 2016

Su-vichar

"अक्सर सुना जाता है कि अब दुनिया बदल गई है.. . परन्तु जरा सोचिये.. *➖"मिर्ची ने अपनी तिखाश नहीं बदली,* *➖आम ने अपनी मिठास नहीं बदली,* *➖पत्तों ने अपना हरा रंग नहीं बदला,* *➖चिडियों ने चहकना नहीं छोडा,* *➖फूलों ने महकना नहीं छोडा। "* ईश्वर ने अपनी दयालुता हमेशा दी ..* प्रकृति ने अपनी कोमलता नहीं बदली...* *बदलीं हैं तो इंसान ने अपनी इंसानियत ,* और दोष देता हैं पूरी दुनिया को... दुनिया सतयुग में भी ऐसी ही थी,* त्रेता में भी, द्धापर में भी, और कलयुग में भी।* बदला है तो सिर्फ इन्सान बदला,* 👌या इन्सान की सोच बदली है।.

Su-vichar

किसी शख्शियत ने.. ✏बेजुबान पत्थर पे लदे हैं करोंडो के गहने मंदिरो में, उसी देहलीज प एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है.. ************************ ✏सजे थे छप्पन भोग और मेवे मुर्ती के आगे, बाहर एक फ़कीर को भुख सें तड़प के मरते देखा है.. *********************** ✏लदी हुई है रेशमी चादरों सें वो हरी मजार, पर बाहर एक बुढ़ी अम्मा को ठंड सें ठिठुरते देखा है.. *********************** ✏वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए, घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है.. ************************ ✏सुना है चढ़ा था सुली पर कोई दुनिया का दर्द मिटाने को, आज चर्च में बेटे की मार सें बिलखते मां बाप को देखा है.. ************************ ✏जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन, आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत सें लड़ते देखा है.. *********************** ✏जिसने नहीं दी मां बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी, आज उनको लगाते "भंडारे" मरने के बाद देखा.. *********************** ✏दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने, आज पीटते उसी शौहर के हाथों सरे बाजार देखा है.. *********************** ✏मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारों, जिसे खुद को काल सर्प,तारे और हाथ की लकीरों का माहिर लिखते देखा है.. ********************** ✏जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों, आज उसीके आंगन में खिंचती दीवार को देखा है.. *********************** ✏बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर, अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा.. ********************* ✏आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर, अब इंसान सें ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता.. ********************** ✏गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है, उन्होंने देख लिया कि इंसान हमसें अच्छा नोंचता है.. ********************** ✏कुत्ते कोमा में चले गए,ये देखकर कि क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान को देखा है.. ✏दोस्तों इस कविता को मैंने आप तक पहुंचाने में सिर्फ उंगली का उपयोग किया है, और लिखने वाले को सादर नमन

राम राम जी

अगर विवाह के पश्चात भी माँ बाप को साथ रखने के अधिकार बेटी के पास होते, तो मेरा दावा है दोस्तों इस संसार में एक भी व्रद्ध आश्रम नही होता.

राम राम जी बेटी और baap

इस फोटो को देखकर आप सबके मन मे तरह तरह के विचार आयेंगे, लेकिन इस फोटो की सच्चाई जानकर आपकी आँखो मे आँसू आ जायेंगे...! ये फोटो यूरोप के एक पेंटर "मुरीलो" ने बनाया है! यूरोप के एक देश मे एक आदमी को भूखे मरने की सजा मिली,उसे एक जेल मे बंद किया गया, सजा ऐसी थी की जब तक उसकी मौत नही हो जाती तब तक उसे भूखा रखा जाय! उसकी बेटी ने अपने पिता से मिलने के लिये सरकार से अनुरोध किया कि वह हर रोज अपने पिता से मिलेगी! उसे मिलने की इजाजत दे दी गयी, मिलने से पहले उसकी तलाशी ली जाती कि वह कोई खाने का सामान न ले जा सके।उसे अपने पिता की हालत देखी नही गयी! वो अपने पिता को जिंदा रखने के लिये अपना दूध पिलाने लगी! जब कई दिन बीत जाने पर भी वो आदमी नही मरा तो पहरेदारों को शक हो गया और उन्होंने उस लड़की को अपने पिता को अपना दुध पिलाते पकड़ लिया, उस पर मुकदमा चला, और सरकार ने कानून से हटकर भावनात्मक फैसला सुनाया, उन दोनो को रिहा कर दिया गया। ये पेंटिंग युरोप की सबसे महँगी पेंटिंग है...!! नारी कोई भी रूप में हो चाहे माँ हो चाहे पत्नी हो चाहे बहन हो चाहे बेटी...हर रूप में वात्सल्य त्याग और ममता की मूरत है। नारी का सम्मान करो.l l

स्वादिष्ट भरवां बैंगन – बनाने की विधि

सामग्री : *.250 ग्राम बैंगन, *.लहसुन की कली 4-5, *.3 टमाटर, *.2 प्याज, *.अदरक 1 टुकड़ा, *.2 चम्मच नारियल पावडर, *.1 बड़ा चम्मच मूंगफली दाना, *.शक्कर 1 चम्मच, *.जीरा आधा चम्मच, *.धनिया पावडर 2 चम्मच, *.हल्दी पावडर आधा चम्मच, *.लालमिर्च पावडर आधा चम्मच, *.इमली 2 बड़े चम्मच, *.तेल 2 बड़े चम्मच, *.नमक स्वादानुसार एवं हरा धनिया। विधि : सबसे पहले छोटे आकार के बैंगन लेकर उनमें बीच में से चीरा लगा लें। अब टमाटर, अदरक व लहसुन पीस लें। इमली को आधा कप पानी में 1 घंटे के लिए भिगो दें। फिर इसे छलनी से छानकर रस निकाल लें। अब नारियल पावडर, पिसी मूंगफली, शक्कर, धनिया पावडर, हल्दी, नमक, लाल मिर्च पावडर व गरम मसाले को मिला लें। आधा मसाला बैंगन में भर दें व आधा अलग रख लें। तत्पश्चात कड़ाही में तेल गर्म करके उसमें जीरा डालें और प्याज डालकर गुलाबी होने तक भून लें। फिर टमाटर डालें अच्छी तरह से भुनने के बाद बचा मसाला और इमली का रस डालें। अब भरे हुए बैंगन डालकर धीमी आंच पर अच्छी तरह पकाएं। बैंगन नरम हो जाए तब उलट-पलट करके, गैस बंद कर दें। हरा धनिया डालकर महकते स्वादिष्ट भरवां बैंगन गरमा-गरम ज्वार-बाजरा अथवा गेहूं की रोटी के पेश करें।

कच्ची हल्दी की सब्जी बनाने की विधि

सामग्री *.आधा किलो कच्ची हल्दी की गांठ *.200 ग्राम अदरक *.250 ग्राम प्याज *.लहसुन की 5 पोथी, छिली हुई *.आधा किलो टमाटर *.8-10 हरी मिर्च *.750 ग्राम दही *.आधा किलो देसी घी *.1 बड़ा चम्मच लाल मिर्च पाउडर *.स्वादानुसार नमक *.1 बड़ा चम्मच धनिया *.1 बड़ा चम्मच जीरा *.1 बड़ा चम्मच सौंफ *.एक बड़ा चम्मच गरम मसालाविधि - सबसे पहले कच्ची हल्दी की गांठों को छीलकर कद्दूकस लें. (जिस तरह गाजर का हलवा बनाने के लिए गाजर को कस्तें है.) - अदरक को भी छीलकर कद्दूकस लें और एक बर्तन में रख लें. - प्याज को छीलकर गोल-गोल काट लें. - लहसुन को छीलकर बारीक पीस कर एक कटोरी में रख लें. - टमाटर काटें (एक टमाटर के दो या तीन टुकड़े ही करें) टमाटर ताजे होने चाहिए. - हरी मिर्च को चीरा लगाकर उसके अन्दर से बीज निकाल दें व उसके चार टुकड़े कर लें. - अब एक कड़ाही में घी डालकर मध्यम आंच पर गर्म करें व इसमें हल्दी को तब तक तलें जब तक हल्दी का रंग सुनहरा न हो जाए. - तलने के बाद हल्दी को घी से बाहर निकालकर एक बर्तन में रख लें. - अब इसी घी में प्याज डालकर तब तक भूनें जब तक इसका रंग गुलाबी न हो जाए. भूनने के बाद प्याज को निकालकर एक अलग बर्तन में रख लें. - अब दही को एक बर्तन डालें इसमें मिर्ची पाउडर,धनिया,नमक आदि मसाले डालकर अच्छी तरह फेंट कर मिला लें. (बर्तन सिल्वर या कांसे का इस्तेमाल करेंगे तो बेहतर होगा.) - अब एक दूसरी कड़ाही में तलने के बाद बची घी को छानकर गर्म करें और गर्म होते ही इसमें सौंफ, अदरक, गरम मसाला, जीरा, लहसुन, मिर्ची के कटे टुकड़े डालकर फ्राई करें. हल्का फ्राई होने के बाद दही में तैयार किया हुआ मसाला डाले दें. इसमें उबाल आने के बाद आंच धीमी कर तब तक पकाएं जब तक दही का पानी पूरी तरह से सूख न जाए. - पानी सूखते ही इसमें घी की मात्रा दिखाई देने लगेगी व दही की जाली बन जाएगी. - अब इस मसाले में सभी तली हल्दी और प्याज डालकर एक उबाल आने तक पकाएं. - पहले उबाल के बाद कटे हुए टमाटर व हरा धनिया डालकर एक बार चला लें व बर्तन का ढक्कन बंद कर चूल्हे से उतार लें. उतारने के बाद 20 मिनट तक ढक्कन खोलें. - स्वादिष्ट हल्दी की सब्जी तैयार है. इसे मोटी रोटी के साथ खाएं तो ही मजा है.

स्वप्न फल ज्योतिष –

स्वप्न फल ज्योतिष – स्वप्न ज्योतिष के अनुसार नींद में दिखाई देने वाले सपनों से हम जान सकते हैं कि निकट भविष्य में क्या होने वाला है स्वप्न ज्योतिष के अनुसार नींद में दिखाई देने वाले हर स्वप्न का महत्व होता है। इन सपनों से हम जान सकते हैं कि निकट भविष्य में क्या होने वाला है और बहुत बार इनसे यह संकेत भी मिलता है कि किस तरह से ऐसा होगा। आइए जानते हैं ऐसे ही 251 स्वप्न तथा उनके फलों के बारे में- शुभ स्वप्न एवं उनके फल (1) स्त्री से मैथुन करना- धन की प्राप्ति (2) चावल देखना- किसी से शत्रुता समाप्त होना (3) पूजा-पाठ करते देखना- समस्याओं का अंत (4) शिशु को चलते देखना- रुके हुए धन की प्राप्ति (5) फल की गुठली देखना- शीघ्र धन लाभ के योग (6) पलंग पर सोना- गौरव की प्राप्ति (7) हरा-भरा जंगल देखना- प्रसन्नता मिलेगी (8) खुला दरवाजा देखना- किसी व्यक्ति से मित्रता होगी (9) बंद दरवाजा देखना- धन की हानि होना (10) खाई देखना- धन और प्रसिद्धि की प्राप्ति (11) चश्मा लगाना- ज्ञान बढऩा (12) मोटा बैल देखना- अनाज सस्ता होगा (13) पूरी खाना- प्रसन्नता का समाचार मिलना (14) तांबा देखना- गुप्त रहस्य पता लगना (15) दीपक जलाना- नए अवसरों की प्राप्ति (16) आसमान में बिजली देखना- कार्य-व्यवसाय में स्थिरता (17) मांस देखना- आकस्मिक धन लाभ (18) विदाई समारोह देखना- धन-संपदा में वृद्धि (19) टूटा हुआ छप्पर देखना- गड़े धन की प्राप्ति के योग (20) सफेद कबूतर देखना- शत्रु से मित्रता होना (21) मधुमक्खी देखना- मित्रों से प्रेम बढऩा (22) दस्ताने दिखाई देना- अचानक धन लाभ (23) शेरों का जोड़ा देखना- दांपत्य जीवन में अनुकूलता (24) मैना देखना- उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति (25) आभूषण देखना- कोई कार्य पूर्ण होना (26) जामुन खाना- कोई समस्या दूर होना (27) जुआ खेलना- व्यापार में लाभ (28) खच्चर दिखाई देना- धन संबंधी समस्या (29) समाधि देखना- सौभाग्य की प्राप्ति (30) स्वयं को उड़ते हुए देखना- किसी मुसीबत से छुटकारा (31) किसी से लड़ाई करना- प्रसन्नता प्राप्त होना (32) लड़ाई में मारे जाना- राज प्राप्ति के योग (33) गोबर दिखाई देना- पशुओं के व्यापार में लाभ (34) सुपारी देखना- रोग से मुक्ति (35) लाठी देखना- यश बढऩा (36) खाली बैलगाड़ी देखना- नुकसान होना (37) दियासलाई जलाना- धन की प्राप्ति (38) सीना या आंख खुजाना- धन लाभ (39) मुर्दा देखना- बीमारी दूर होना (40) चूड़ी दिखाई देना- सौभाग्य में वृद्धि (41) धन उधार देना- अत्यधिक धन की प्राप्ति (42) चंद्रमा देखना- सम्मान मिलना (43) चांदी देखना- धन लाभ होना (44) खेत में पके गेहूं देखना- धन लाभ होना (45) फल-फूल खाना- धन लाभ होना (46) चश्मा लगाना- ज्ञान में बढ़ोत्तरी (47) लाल फूल देखना- भाग्य चमकना (48) सफेद फूल देखना- किसी समस्या से छुटकारा (49) सफेद सांप काटना- धन प्राप्ति (50) नदी का पानी पीना- सरकार से लाभ (51) रोटी खाना- धन लाभ और राजयोग (52) रुई देखना- निरोग होने के योग (53) कुत्ता देखना- पुराने मित्र से मिलन (54) धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना- यश में वृद्धि व पदोन्नति (55) जमीन पर बिस्तर लगाना- दीर्घायु और सुख में वृद्धि (56) घर बनाना- प्रसिद्धि मिलना (57) घोड़ा देखना- संकट दूर होना (58) मोती देखना- पुत्री प्राप्ति (59) अनार देखना- धन प्राप्ति के योग (60) गड़ा धन दिखाना- अचानक धन लाभ (61) बाजार देखना- दरिद्रता दूर होना (62) मृत व्यक्ति से बात करना- मनचाही इच्छा पूरी होना (63) अर्थी देखना- बीमारी से छुटकारा (64) घास का मैदान देखना- धन लाभ के योग (65) दीवार में कील ठोकना- किसी बुजुर्ग व्यक्ति से लाभ (66) दीवार देखना- सम्मान बढऩा (67) झरना देखना- दुखों का अंत होना (68) जलता हुआ दीया देखना- आयु में वृद्धि (69) धूप देखना- पदोन्नति और धनलाभ (70) चेक लिखकर देना- विरासत में धन मिलना (71) कुएं में पानी देखना- धन लाभ (72) आकाश देखना- पुत्र प्राप्ति (73) गोबर देखना- पशुओं के व्यापार में लाभ (74) सुंदर स्त्री देखना- प्रेम में सफलता (75) चूड़ी देखना- सौभाग्य में वृद्धि (76) कुआं देखना- सम्मान बढऩा (77) गुरु दिखाई देना- सफलता मिलना (78) इंद्रधनुष देखना- उत्तम स्वास्थ्य (79) कब्रिस्तान देखना- समाज में प्रतिष्ठा (80) कमल का फूल देखना- रोग से छुटकारा (81) देवी के दर्शन करना- रोग से मुक्ति (82) चुनरी दिखाई देना- सौभाग्य की प्राप्ति (83) छुरी दिखना- संकट से मुक्ति (84) बालक दिखाई देना- संतान की वृद्धि (85) चंदन देखना- शुभ समाचार मिलना (86) जटाधारी साधु देखना- अच्छे समय की शुरुआत (87) त्रिशूल देखना- शत्रुओं से मुक्ति (88) तारामंडल देखना- सौभाग्य की वृद्धि (89) सांप दिखाई देना- धन लाभ (90) तपस्वी दिखाई देना- दान करना (91) डाकिया देखना – दूर के रिश्तेदार से मिलना (92) तमाचा मारना- शत्रु पर विजय (93) दवात दिखाई देना- धन आगमन (94) स्वयं की मां को देखना- सम्मान की प्राप्ति (95) डाकघर देखना – व्यापार में उन्नति (96) नक्शा देखना- किसी योजना में सफलता (97) नमक देखना- स्वास्थ्य में लाभ (98) पगडंडी देखना- समस्याओं का निराकरण (99) किसी रिश्तेदार को देखना- उत्तम समय की शुरुआत (100) दंपत्ति को देखना- दांपत्य जीवन में अनुकूलता (101) शत्रु देखना- उत्तम धनलाभ (102) ताश देखना- समस्या में वृद्धि (103) तीर दिखाई देना- लक्ष्य की ओर बढऩा (104) सूखी घास देखना- जीवन में समस्या (105) भगवान शिव को देखना- विपत्तियों का नाश (106) नेवला देखना- शत्रुभय से मुक्ति (107) पगड़ी देखना- मान-सम्मान में वृद्धि (108) दूध देखना- आर्थिक उन्नति (109) मंदिर देखना- धार्मिक कार्य में सहयोग करना (110) नदी देखना- सौभाग्य वृद्धि (111) नीलगाय देखना- भौतिक सुखों की प्राप्ति (112) बिल्वपत्र देखना- धन-धान्य में वृद्धि (113) स्वयं की बहन देखना- परिजनों में प्रेम बढऩा (114) पूजा होते हुए देखना- किसी योजना का लाभ मिलना (115) फकीर को देखना- अत्यधिक शुभ फल (116) गाय का बछड़ा देखना- कोई अच्छी घटना होना (117) वसंत ऋतु देखना- सौभाग्य में वृद्धि (118) स्वर्ग देखना- भौतिक सुखों में वृद्धि (119) पत्नी को देखना- दांपत्य में प्रेम बढऩा (120) स्वस्तिक दिखाई देना- धन लाभ होना (121) भाई को देखना- नए मित्र बनना (122) शहद देखना- जीवन में अनुकूलता (123) स्वयं की मृत्यु देखना- भयंकर रोग से मुक्ति (124) रुद्राक्ष देखना- शुभ समाचार मिलना (125) पैसा दिखाई देना- धन लाभ (126) तोता दिखाई देना- सौभाग्य में वृद्धि (127) इलाइची देखना – मान-सम्मान की प्राप्ति (128) मां सरस्वती के दर्शन- बुद्धि में वृद्धि (129) कोयल देखना- उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति (130) छिपकली दिखाई देना- घर में चोरी होना (131) चिडिय़ा दिखाई देना- नौकरी में पदोन्नति (132) कन्या को घर में आते देखना- मां लक्ष्मी की कृपा मिलना (133) दूध देती भैंस देखना- उत्तम अन्न लाभ के योग (134) खाली थाली देखना- धन प्राप्ति के योग (135) गुड़ खाते हुए देखना- अच्छा समय आने के संकेत (136) शेर दिखाई देना- शत्रुओं पर विजय (137) हाथी दिखाई देना- ऐेश्वर्य की प्राप्ति (138) ऊँट को देखना- धन लाभ (139) सूर्य देखना- खास व्यक्ति से मुलाकात (140) अंगूठी पहनना- सुंदर स्त्री प्राप्त करना (141) आकाश में उडऩा- लंबी यात्रा करना (142) आम खाना- धन प्राप्त होना (143) अनार का रस पीना- प्रचुर धन प्राप्त होना (144) चोंच वाला पक्षी देखना- व्यवसाय में लाभ (145) आकाश में बादल देखना- जल्दी तरक्की होना (146) घोड़े पर चढऩा- व्यापार में उन्नति होना (147) दर्पण में चेहरा देखना- किसी स्त्री से प्रेम बढऩा (148) बगीचा देखना- खुश होना (149) सिर के कटे बाल देखना- कर्ज से छुटकारा (150) बिस्तर देखना- धनलाभ और दीर्घायु होना (151) बुलबुल देखना- विद्वान व्यक्ति से मुलाकात (152) स्वयं को हंसते हुए देखना- किसी से विवाद होना (153) स्वयं को रोते हुए देखना- प्रसन्नता प्राप्त होना (154) फूल देखना- प्रेमी से मिलन (155) शरीर पर गंदगी लगाना- धन प्राप्ति के योग (156) पुल पर चलना- समाज हित में कार्य करना (157) प्यास लगना- लोभ बढऩा (158) पान खाना- सुंदर स्त्री की प्राप्ति (159) पानी में डूबना- अच्छा कार्य करना (160) धनवान व्यक्ति देखना- धन प्राप्ति के योग (161) बादाम खाना- धन की प्राप्ति (162) अंडे खाना- पुत्र प्राप्ति (163) स्वयं के सफेद बाल देखना- आयु बढ़ेगी (164) बिच्छू देखना- प्रतिष्ठा प्राप्त होगी (165) पहाड़ पर चढऩा- उन्नति मिलेगी (166) तलवार देखना- शत्रु पर विजय (167) हरी सब्जी देखना- प्रसन्न होना (168) तोप देखना- शत्रु नष्ट होना (169) तीर चलाना- इच्छा पूर्ण होना (170) तीतर देखना- सम्मान में वृद्धि (171) तरबूज खाते हुए देखना- किसी से दुश्मनी होगी (172) जहाज देखना- दूर की यात्रा होगी (173) झंडा देखना- धर्म में आस्था बढ़ेगी अशुभ स्वप्न एवं उनके फल (1) छोटा जूता पहनना- किसी स्त्री से झगड़ा (2) चंद्रमा को टूटते हुए देखना- किसी आकस्मिक समस्या का आना (3) चंद्रग्रहण देखना- बीमार पड़ना (4) आंखों में काजल लगाना- शारीरिक पीड़ा होना (5) रोता हुआ सियार देखना- दुर्घटना की संभावना (6) चक्की देखना- शत्रुओं के हाथों नुकसान (7) दांत टूटते हुए देखना- समस्याओं में वृद्धि (8) धुआं देखना- व्यापार में नुकसान उठाना (9) भूकंप देखना- संतान को कष्ट (10) स्वयं के कटे हाथ देखना- किसी निकट परिजन की मृत्यु का समाचार मिलना (11) सूखा हुआ बगीचा देखना- बड़ा भारी कष्ट होना (12) भेडिय़ा देखना- दुश्मन से भय (13) राजनेता की मृत्यु देखना- देश में समस्या होना (14) पहाड़ हिलते हुए देखना- किसी बीमारी से पीड़ित होना (15) थूक देखना- परेशानी में पडऩा (16) चिडिय़ा को रोते देखता- कंगाल होना (17) दलदल देखना- चिंताएं बढऩा (18) कैंची देखना- घर में कलह होना (19) चींटी देखना- किसी समस्या में उलझना (20) सुराही देखना- बुरी संगति से नुकसान होना (21) बिल्लियों को लड़ते देखना- मित्र से झगड़ा (22) सफेद बिल्ली देखना- धन की हानि होना (23) लोमड़ी देखना- किसी घनिष्ट व्यक्ति से धोखा मिलना (24) सूखा जंगल देखना- किसी कारण से परेशानी का आना (25) चील देखना- शत्रुओं से भय (26) स्वयं को दिवालिया घोषित करना- व्यवसाय चौपट होना (27) सोना मिलना- धन की हानि (28) कौआ देखना- किसी संबंधी की मृत्यु का समाचार मिलना (29) धुआं देखना- व्यापार में हानि (30) भूकंप देखना- संतान को कष्ट (31) श्मशान में शराब पीना- शीघ्र मृत्यु होना (32) उल्लू देखना- धन की हानि (33) कोयला देखना- व्यर्थ विवाद में फंसना (34) मृत व्यक्ति को पुकारना- विपत्ति एवं दुख मिलना (35) पेड़ से गिरता हुआ देखना- किसी बीमारी से पीड़ित होकर मरना (36) सूखा अन्न खाना- परेशानी बढऩा (37) शरीर का कोई अंग कटा हुआ देखना- किसी निकट परिजन की मृत्यु के योग (38) बिजली गिरना- संकट में फंसना (39) चादर देखना- बदनामी के योग (40) रत्न देखना- व्यय एवं दुख (41) बाढ़ देखना- व्यापार में हानि (42) चाबुक दिखाई देना- झगड़ा होना (43) जाल देखना- मुकदमे में हानि (44) ढोल दिखाई देना- किसी अनजान दुर्घटना का भय (45) जेब काटना- व्यापार में घाटा उठाना (46) फूलमाला दिखाई देना- निंदा होना (47) जुगनू देखना- बुरे समय की शुरुआत होना (48) टिड्डी दल देखना- व्यापार में हानि (49) डॉक्टर को देखना- स्वास्थ्य संबंधी समस्या (50) अस्त्र-शस्त्र देखना- मुकदमें में हारना (51) तर्पण करते हुए देखना- परिवार में किसी बुर्जुग की मृत्यु (52) उत्सव मनाते हुए देखना- शोक होना (53) कोर्ट-कचहरी देखना- विवाद में पडऩा (54) नाच-गाना देखना- अशुभ समाचार मिलने के योग (55) भीख मांगना- धन हानि होना (56) हथकड़ी दिखाई देना- भविष्य में भारी संकट (57) कबूतर दिखाई देना- रोग से छुटकारा (58) अजगर दिखाई देना- व्यापार में हानि (59) कौआ दिखाई देना- बुरी सूचना का मिलना (60) आकाश से गिरना- संकट में फंसना (61) पतला बैल देखना – अनाज महंगा होगा (62) बांसुरी बजाना- परेशान होना (63) स्वयं को बीमार देखना- जीवन में कष्ट (64) आंधी-तूफान देखना- यात्रा में कष्ट होना (65) ऊँचाई से गिरना- घर में किसी परेशानी आना (66) बारिश होते देखना- घर में अनाज की कमी (67) बर्फ देखना- मौसमी बीमारी होना (68) ऊँट की सवारी- रोगग्रस्त होना (69) घोड़े से गिरना- व्यापार में हानि होना (70) तालाब में नहाना- शत्रु से हानि (71) भोजन की थाली देखना- धनहानि के योग (72) सफेद बिल्ली देखना- धन की हानि (73) बाल बिखरे हुए देखना- धन की हानि उठाना (74) सुअर देखना- शत्रुता और स्वास्थ्य संबंधी समस्या (75) भैंस देखना- किसी मुसीबत में फंसना (76) पिंजरा देखना- कैद होने के योग (77) तेल पीना- किसी भयंकर रोग की आशंका (78) तिल खाना- कलंक लगना ///////////////

गुरुवार, 18 अगस्त 2016

सावण आयो

सावण आयो सायबा, दूर देश मत जाय ! तन भीज्यो बरसात में, मन में लागी लाय !! सावण घणो सुहावणो, हरियो भरियो रूप ! निरखूं म्हारो सायबो, सावण घणो कुरूप !! साजन उभा सामने, निरखे धण रो रूप ! बादलियाँ रे बीच में, मधुरी मधुरी धूप !! रसियां को मन चकरी करतो, घाघरियै को घेर। एक बीनी छप्पन छैला, नाच नचावै फेर।। छलकै जोबन अंग अंग सै, संग चंग की थाप। गींदड़ घलै नंगारो बाजै, मुख सै फूटै राग।। अलमस्ती कै आलम में, मदमस्ती की परिपाटी। जुलमी सावन बड़ो रंगीलो, वाह भाई राजस्थान री धरती ।।

Shahi laddu imp.

-आइये जानते है - *.साधारण सी लगने वाली उरद की दाल (Urad dal) से आप सभी लोग परिचित ही होगें ये आपके जीवन में किस तरह परिवर्तन लाता है बस आपको कुछ अवधि के लिए नीचे बताये गए अनुसार प्रयोग करना है और आप कह उठेगें वाह..!➡ आप भीगी उरद दाल से बनाए ये लड्डू बनाये : *.आवश्यक सामग्री : 1.उरद दाल - 400 ग्राम 2.घी - 400 ग्राम 3.बूरा या पिसी मिश्री - 300 - 400 ग्राम 4.काजू, किशमिश, बादाम - 100 ग्राम (सभी मिला कर वजन) 5.पिस्ते - एक टेबल स्पून (लगभग दस ग्राम ) 6.छोटी इलाइची - 10 नग➡ बनाने की विधि : *.सबसे पहले उरद दाल को साफ कीजिये फिर धोइये और 3-4 घंटे के लिये पीने के पानी में भिगो दीजिये तथा दाल से अतिरिक्त पानी निकालिये और दाल को हल्का मोटा पीस लीजिये और अब कढ़ाई में आधा घी डालिये और दाल को लगातार चमचे से चलाते हुये भूनिये-फिर बचा हुआ घी पिघला कर रखिये और चमचे से थोड़ा थोड़ा डाल कर दाल को चमचे से चलाते हुये लगातार ब्राउन होने तक भून लीजिये-और काजू, बादाम को छोटा छोटा काट लीजिये, किशमिश को डंठल तोड़ कर साफ कर लीजिये, पिस्ते को बारीक कतर लीजिये. इलाइची छील कर कूट लीजिये.फिर भुनी हुई दाल में बूरा, मेवा और इलाइची डाल कर अच्छी तरह मिला लीजिये अब लड्डू( Laddu ) बनाने के लिये मिश्रण तैयार है- *.मिश्रण को थोड़ा थोड़ा हाथ में लीजिये और दबा दबा कर अपने मन पसन्द आकार के लड्डू बना कर थाली में रखिये-सारे मिश्रण से लड्डू बना कर थाली में रख लीजिये- उरद दाल के लड्डू तैयार हैं अब आप इन सभी लड्डू को एअर टाइट कन्टेनर में भर कर रख लीजिये और एक महिने से भी ज्यादा दिनों तक लड्डू कन्टेनर से निकाल कर खाइये-➡ सेवन करने की मात्रा : *.एक लड्डू सुबह -सुबह खा कर एक गिलास दूध का सेवन करने से कमजोरी जाती रहती है और इससे आपको बीमारियों में लाभ मिलता है। दूसरी विधि शाही उरद के लड्डू बनाने की : *.आवश्यक सामग्री : 1.उड़द की दाल- 300 ग्राम 2.देशी चना (कच्चा)- 300 ग्राम 3.देशी गाय का घी- 500 ग्राम 4.बादाम की गिरी- 250 ग्राम 5.शतावरी- 100 ग्राम 6.अश्वगन्धा- 150ग्राम 7.अजवायन- 100 ग्राम 8.विदारी कन्द- 150ग्राम 9.काजू व पिस्ता- 150 ग्राम 10.किशमिश- 100 ग्राम 11.देशी शक्कर- 1 किलो ग्राम 12.छोटी इलायची- 15 नग 13.गोंद- 100 ग्राम➡ बनाने की विधि : *.सबसे पहले आप गोंद को घी में भुन कर बाहर निकाल ले फिर उरद दाल व चने को साफ कीजिये धोइये और तीन-चार घंटे के लिये पीने के पानी में भिगो दीजिये फूल जाने पर आप दाल व चने से अतिरिक्त पानी निकालिये और उनको हल्का मोटा पीस लीजिये -अब कढ़ाई में आधा घी डालिये और दाल को व अजवाइन को लगातार चमचे से चलाते हुये भूनिये तथा बचा हुआ घी पिघला कर रखिये और चमचे से थोड़ा थोड़ा डाल कर दाल को चमचे से चलाते हुये लगातार ब्राउन होने तक भून लीजिये और अब काजू, बादाम को छोटा छोटा काट लीजिये तथा किशमिश को साफ कर लीजिये- पिस्ते को बारीक कतर लीजिये- इलाइची छील कर कूट लीजिये-फिर भुनी हुई दाल में सारी वस्तुएं व बूरा, मेवा, गोंद और इलाइची डाल कर अच्छी तरह मिला लीजिये. लड्डू बनाने के लिये मिश्रण तैयार हो गया है। *.अब आप मिश्रण को थोड़ा-थोड़ा हाथ में लीजिये और दबा-दबा कर अपने मन पसन्द आकार के लड्डू बना कर थाली में रखिये- सारे मिश्रण से लड्डू बना कर एक-एक लड्डू रोज सुबह शाम गाय के दूध के साथ लीजिये- इसके सेवन करने से कमजोरी जाती रहती है बीमारियों में लाभ मिलता है।

💝. Happy . रक्षाबघंन.💝

🍃💥मारवाड री💥🍃💐🌹💐🍃ईण पावन धरा माथै🍃🎁👣🎁🌷विराजियोङा🌷🎀🍎🍏🍊🎀🙏मोतिया सू महंगा🙏 अरे म्हारे हिवङे रा हार रक्षाबघंन रे इन पवित्र पर्व माथै हेत प्रीत अर ओलखाण सारू ✌म्हारे अन्तस हिवङे✌अर कालयिसु कोर सू थाने ओर थ्योरे सगलै परिवार ने घणी मोकळी शुभ कामनाएं, ओर खमा घणी सा 💝. Happy . रक्षाबघंन.💝

Rasgula banane ki vidhi

Rasgulla Recipe by gumanji patel Ingredients for Rasgulla Recipe in Hindi दूध – 1 1/2 लीटर (Milk) विनिगर – 1/2 Table spoon (Vinigar) चीनी – 1/2 kg (Sugar) इलायची पाउडर – 1/4 T spoon (Cardamom powder) How to Make Rasgulla Recipe – विधि ★ अब 1 1/2 लीटर दूध को उबालने रखे. अब 1/2 कप पानी में विनिगर डाल कर मिलाये.दूध उबलते ही विनिगर डाल कर मिलाये. अब दूध फट ने के बाद एक पतला कपडे में छान कर पूरा पानी निकाल लीजिये और छैना अलग कर लीजिये. ★ अब एक बाउल में छैना डाल कर हाथ से अछि तरह मत कर नरम कर लीजिये.उसके बाद छैना से थोड़ा सा छैना निकालिये गोल गोल बॉल्स शेप में बन कर प्लेट में रख लीजिये. इसी तरह सारे गोल बना लीजिये. ★ अब 2 1/2 कप पानी में चीनी डाल कर गैस पर रखे. अब इलायची पाउडर डालकर मिलाये, और 20 मिनट तक धीमी आंच उबालने दीजिये. अब छैना के गोले डाल कर ढककर 10 मिनट धीमी आंच पर पकाये. उसके बाद ढक्कन हटा कर (अगर चाशनी ज्यादा गाड़ा लग रहा है तो 1/2 कप पानी डाल कर मिलाये) और 10 मिनट तक पकाये. रसगुल्ले फूल कर लगबग दुगने हो जाते है अब गैस बन्द कर लीजिये . रसगुल्ला तैयार.

सोचिये कि क्या हम सब सच में देश भक्त हैं ?

आज़ादी की सालगिरह के मौके पर एक दिनी देशभक्ति से अलग कुछ सोचिये कि क्या हम सब सच में देश भक्त हैं ? 1- सड़क पर कोई इंसान मरता दिख जाता है तो उसको अस्पताल पंहुचाने के बजाय उसकी तलाशी लेने और मोबाइल,अंगूठी चुराने में सबसे आगे 2- कोई बच्चा किसी दुकान से खाने पीने की कोई चीज़ चुराता पकड़ा जाता है तो अपनी गाड़ी रोक के उसको दो हाथ लगाने में सबसे आगे। 3- चलती गाड़ी से केले के छिलके और चिप्स का खाली पैकेट सड़क पर फेंकने में सबसे आगे। 4- क्यू में लगने के बजाय जान पहचान और जुगाड़ का इंतज़ाम कर, अपना काम करवाने में सबसे आगे। 5- पब्लिक टॉयलेट में सही जगह सू सू ना कर , फर्श पर सू सू करने में सबसे आगे। 6- चलती सड़क पर कहीं भी रुक कर सू सू करने में सबसे आगे। 7- सरकार बड़े बड़े विज्ञापन दे कर खुशामद करे कि हेलमेट पहनिए। हेलमेट हमारी ही जान बचाती है। पर पुलिस को चकमा दे कर खुद को 'हीरो' फील करने में सबसे आगे 8- कार में चल रहे और सामने कोई साइकिल या रिक्शा है तो हॉर्न बजा बजा कर उसको किनारे कर खुद को आगे निकाल कर अपनी 'जीत' फील करने में सबसे आगे 9- ट्रैफिक के रूल्स तोड़ने में सबसे आगे। 10- सरकार से मोटी तनख्वाह लेने के बाद भी दफ्तर के चक्कर काटते आम इंसान को झिड़कने में सबसे आगे। 11- अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतर कर सरकारी चीज़ों को आग लगा कर 'नेतागिरी' में सबसे आगे। 12- सड़क पर किसी का मोबाइल गिर जाए तो उठा कर स्विच ऑफ करने में सबसे आगे। पाकिस्तान को कोसना ही देशभक्ति नहीं है। अपने देश को बेहतर बनाना भी देशभक्ति है। एक अच्छा नागरिक होना भी देशभक्ति है।

सावण आयो

शीश बोरलो नासा मे नथड़ी सौगड़ सोनो सेर कठे , कठे पौमचो मरवण को बोहतर कळिया को घेर कठे,! कठे पदमणी पूंगळ की ढोलो जैसलमैर कठै, कठे चून्दड़ी जयपुर की साफौ सांगानेर कठे ! गिणता गिणता रेखा घिसगी पीव मिलन की रीस कठे, ओठिड़ा सू ठगियौड़़ी बी पणिहारी की टीस कठे! विरहण रातों तारा गिणती सावण आवण कौल कठे, सपने में भी साजन दीसे सास बहू का बोल कठे! छैल भवंरजी ढौला मारू कुरजा़ मूमल गीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे!! हरी चून्दड़ी तारा जड़िया मरूधर धर की छटा कठे, धौरा धरती रूप सौवणौ काळी कळायण घटा कठे! राखी पुनम रैशम धागे भाई बहन को हेत कठे, मौठ बाज़रा सू लदीयौड़ा आसौजा का खैत कठे! आधी रात तक होती हथाई माघ पौष का शीत कठे, सुख दःख में सब साथ रेवता बा मिनखा की प्रीत कठे! जन्मया पैला होती सगाई बा वचना की परतीत कठे, गाँव गौरवे गाया बैठी दूध दही नौनीत कठे! दादा को करजौ पोतों झैले बा मिनखा की नीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे!! जाज़म बैठ्या मूँछ मरौड़े अमला की मनवार कठे, दोगज ने जो फिरतो रैतों भूखों गाजणहार कठे! काळ पड़ीया कौठार खौलता दानी साहूकार कठे, सड़का ऊपर लाडू गुड़ता गैण्डा की बै हुणकार कठे! पतिया सागे सुरग जावती बै सतवन्ती नार कठे, लखी बणजारो टांडौ ढाळै बाळद को वैपार कठे! धरा धरम पर आँच आवता मर मिटनै की हौड़ कठे, फैरा सू अधबिच में उठियौं बो पाबू राठौड़ कठे! गळियौं में गिरधर ने गावैं बी मीरा का गीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे!! बितौड़ा वैभव याद दिलवै रणथम्बौर चितौड़ जठे, राणा कुमभा को विजय स्तम्भ बलि राणा को मौड़ जठे! हल्दिघाटी में घूमर घालै चैतक चढ्यों राण जठे, छत्र छँवर छन्गीर झपटियौ बौ झालौ मकवाण कठे! राणी पदमणी के सागै ही कर सौलह सिणगार जठे, सजधज सतीया सुरग जावती मन्त्रा मरण त्यौहार कठे! जयमल पता गौरा बादल रैखड़का की तान कठे, बिन माथा धड़ लड़ता रैती बा रजपूती शान कठे! तैज केसरिया पिया कसमा साका सुरगा प्रीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे!! निरमौही चित्तौड़ बतावै तीनों सागा साज कठे, बौहतर बन्द किवाँड़ बतावै ढाई साका आज कठे! चित्तौड़ दुर्ग को पेलौ पैहरी रावत बागौ बता कठे, राजकँवर को बानौ पैरया पन्नाधाय को गीगो कठे! बरछी भाला ढाल कटारी तोप तमाशा छैल कठे, ऊंटा लै गढ़ में बड़ता चण्डा शक्ता का खैल कठे! जैता गौपा सुजा चूण्डा चन्द्रसेन सा वीर कठे, हड़बू पाबू रामदेव सा कळजुग में बै पीर कठे! कठे गयौ बौ दुरगौ बाबौ श्याम धरम सू प्रीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे! हाथी को माथौं छाती झाले बै शक्तावत आज कठे, दौ दौ मौतों मरबा वाळौ बल्लू चम्पावत आज कठे! खिलजी ने सबक सिखावण वाळौ सोनगिरौं विरमदैव कठे, हाथी का झटका करवा वाळौ कल्लो राई मलौत कठे! अमर कठे हमीर कठे पृथ्वीराज चौहान कठे, समदर खाण्डौ धोवण वाळौ बौ मर्दानौं मान कठे! मौड़ बन्धियोड़ौ सुरजन जुन्झै जग जुन्झण जुन्झार कठे, ऊदिया राणा सू हौड़ करणियौ बौ टौडर दातार कठे! जयपुर शहर बसावण वाळा जयसिंह जी सी रणनीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे !! रूडा़ राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे।

सावण mahina

क्यों चढ़ाया जाता है शिवलिंग पर दूध, समुद्र मंथन से जुड़ी इस रोचक कहानी में छुपा है रहस्य शिव, महादेव, भोले शंकर या फिर नीलकंठ. भगवान शिव को न जाने कितने ही नामों से जाना जाता है. भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि वो विनाश के देवता है यानि सृष्टि में जब-जब पाप की अधिकता हो जाती है तो शिव प्रलय लीला द्वारा पुन: संसार का सृजन करते हैं. वहीं भगवान शिव की पसंद की बात करें तो उनकी पसंद अन्य देवताओं से काफी अलग है. भगवान शिव के एक अन्य रूप ‘शिवलिंग’ भी कई मायनों में अलग है. शिवलिंग की पूजा करने में कुछ ऐसे रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है जो भगवान शिव को बहुत पसंद है. शिवलिंग को दूध से स्नान करवाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को दूध से अभिषेक किया जाना बेहद पसंद है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग को दूध से स्नान क्यों करवाया जाता है. वास्तव में इसके पीछे भी एक कहानी है. समुद्र मंथन की पूरी कथा विष्णुपुराण और भागवतपुराण में वर्णित है. जिसमें एक कथा मिलती है. इस कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब विष की उत्पत्ति हुई थी तो पूरा संसार इसके तीव्र प्रभाव में आ गया था. जिस कारण सभी लोग भगवान शिव की शरण में आ गए क्योंकि विष की तीव्रता को सहने की ताकत केवल भगवान शिव के पास थी. शिव ने बिना किसी भय के संसार के कल्याण हेतु विष पान कर लिया. विष की तीव्रता इतनी अधिक थी कि भगवान शिव का कंठ नीला हो गया. विष का घातक प्रभाव शिव और शिव की जटा में विराजमान देवी गंगा पर पड़ने लगा. ऐसे में शिव को शांत करने के जल की शीलता भी काफी नहीं थी. सभी देवताओं ने उनसे दूध ग्रहण करने का निवेदन किया. लेकिन अपने जीव मात्र की चिंता के स्वभाव के कारण भगवान शिव ने दूध से उनके द्वारा ग्रहण करने की आज्ञा मांगी. स्वभाव से शीतल और निर्मल दूध ने शिव के इस विनम्र निवेदन को तत्काल ही स्वीकार कर लिया. शिव ने दूध को ग्रहण किया जिससे उनकी तीव्रता काफी सीमा तक कम हो गई पंरतु उनका कंठ हमेशा के लिए नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा. कठिन समय में बिना अपनी चिंता किए दूध ने शिव और संसार की सहायता के लिए दूध ने शिव के पेट में जाकर विष की तीव्रता को सहन किया. इसलिए शिव को दूध अत्यधिक प्रिय है. वहीं दूसरी तरफ शिव को सांप भी बहुत प्रिय है क्योंकि सांपों ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए विष की तीव्रता स्वंंय में समाहित कर ली थी. इसलिए अधिकतर सांप बहुत जहरीले होते हैं.

Su-vichar

~~~~~~~~~ सुशीलो मातृपुण्येन , पितृपुण्येन चातुरः। औदार्यं वंशपुण्येन , आत्मपुण्येन भाग्यवान ।। अर्थात्:- कोई भी इंसान अपनी माता के पुण्य से सुशील होता है, पिता के पुण्य से चतुर होता है , वंश के पुण्य से उदार होता है और अपने स्वयं के पुण्य होते हैं तभी वो भाग्यवान होता है, अतः भाग्य प्राप्ति के लिए सत्कर्म आवश्यक है। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Su-vichar

*इंसान का अपना क्या है ??* *जन्म* : दूसरे ने दिया *नाम* : दूसरे ने रखा *शिक्षा* : दूसरे ने दी *रोजगार* : दूसरे ने दिया *इज़्ज़त* : दूसरों ने दी *पहला/आखरी स्नान* : दूसरे कराएँगे *मरने के बाद संपत्ति* : दूसरे बांट लेंगे *कब्रसतान* : दूसरे ले जायेंगे। *फिर भी बेकार में घमंड किस बात पर करते हैं लोग...!!!

Su-vichar

1.क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं। 2.ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं। 3.कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं, और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं। 4.इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म। 5.सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा. आपसे हर मसले पर बात करेगा. लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा। 6.हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा। 7.खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो। 8.अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही। 9.इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही, अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं। 10.जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं। 11.हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो। 12.दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने, कि लोग क्या कहेंगे.. 13.जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं। 14.जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए। 15.हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं.. भाग लो..(run away) भाग लो..(participate) पसंद आपको ही करना हैं। 16.इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास न करे। 17.अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं। 18.यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए। 19.इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा। 20.दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना। 21.कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो। 22.यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं। 23.मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें। 24.यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं। 25.“जिन्दगी”एक आइसक्रीम की तरह हैं टेस्ट करोगे तो भी पिघलती हैं और वेस्ट करोगे तो भी पिघलती हैं। इसलिये जिन्दगी को वेस्ट नही टेस्ट करो। 26.गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं। 27.दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना किसी स्वार्थ के प्यार करते हैं। 28.कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर। 29.जीना हैं, तो उस दीपक की तरह जियो जो बादशाह के महल में भी उतनी ही रोशनी देता हैं जितनी किसी गरीब की झोपड़ी में। 30.जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा। 31.हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती। 32.दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा. अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता। 33.जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना। (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)। 34.अगर कोई आपको नीचा दिखाना चाहता हैं तो इसका मतलब हैं आप उससे ऊपर हैं। 35.जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती हैं वही दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। 36.मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते। 37.अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो ये मत सोचिए वो बेवकूफ कितना हैं बल्कि ये सोचिए उसे आप पर विश्वास कितना हैं। 38.बहुत दूर तक जाना पड़ता हैं सिर्फ यह जानने के लिए कि नजदीक कौन हैं। 39.अपनी उम्र और पैसे पर कभी घमंड़ मत करना Q कि जो चीजें गिनी जा सके वो यक़िनन खत्म हो जाती हैं। 40.मैनें धन से कहा.. तुम एक कागज़ के टुकड़े हो.. धन मुस्कराया और बोला मैं बेश्क एक कागज़ का टुकड़ा हूँ लेकिन मैनें आज तक कूड़ेदान का मुँह नही देखा। 41.इंसान कहता हैं.. अगर पैसा हो तो मैं कुछ कर के दिखाऊँ, लेकिन पैसा कहता हैं तू कुछ कर के दिखा तभी तो मैं आऊँ। 42.जिदंगी मे कभी भी किसी को बेकार मत समझना Q कि बंद पड़ी घड़ी भी दिन में दो बार सही समय बताती हैं। 43.बचपन में सबसे ज़्यादा पूछा गया सवाल – बड़े होकर क्या बनना हैं ? जवाब अब मिला.. फिर से बच्चा बनना हैं। 44.कंडक्टर सी हो गई हैं जिंदगी.. सफर भी रोज़ का हैं और जाना भी कही नही। 45.जिंदगी मज़दूर हुई जा रही हैं और लोग “साहब” कहकर तानें मार रहे हैं। 46.एक रूपया एक लाख नही होता.. फिर भी एक रूपया अगर एक लाख से निकल जाए तो वो लाख भी नही रहता. 47.जो लोग दिल के अच्छे होते हैं, दिमाग वाले उनका जमकर फायदा उठाते हैं। 48.जली रोटियाँ देखकर बहुत शोर मचाया तुमनें.. अगर माँ की जली उंगलियों को देख लेते, तो भूख उड़ गई होती। 49.इस कलयुग में रूपया चाहे कितना भी गिर जाए, इतना कभी नहीं गिर पायेगा, जितना रूपये के लिए इंसान गिर चुका हैं। 50.नमक की तरह हो गई हैं जिंदगी.. लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं। 51.हे! स्वार्थ, तेरा शुक्रिया करता हैं

रक्षाबंधन

देख पूनम सावणीं यूं मेघ उमड़ियां। हाथां झाली राखँडी ज्यूं उभी धिवड़ियां॥ बहिनां जोवे बाटड़ी हियो घणो अधीर। ज्यूं सावणीं सरित में कुचळे ऊंचौ नीर॥ तीज तिवारां है घणा सासरियां रां सैंण। वीरां मिलण राखड़ी राह जोवे सहुं बैन॥ बहिन भाई स्नेह रो राखी तणौ तिवार। धन विधाता सृजियों कर कर करोड़ विचार॥ आई पूनम सावणीं हियो धरे नहीं धीर। भाईयां बांधण राखड़ी बैना आज अधीर॥ सावणं वरसण वादली कर रहीं दौड़म दौड़। (यूं)बहिन मौळावें राखड़ी कर कर मन में कोड़॥ वरसे घटा बावली नदि अथंगा नीर। (यूं) बहिनां बांधे राखड़ी हरख उमंगे वीर॥ चमकी भलीज सावणीं वूठों भळोज मेंह। बहिना भळीज राखड़ी तूठों भठोज नेंह॥ छायी आकाशां बादळी, दे संदेसो गाज। बहिनां बान्धो राखड़ी, भाईयां रक्षण काज॥ रक्षाबन्धन सूत्र में, बध्यों बली हमेश। तिन देव चौकी भरे, ब्रह्मा विष्णुं महेस॥ सुरग पताळ मरतुळोक में, बहीना घणों अरमान। बळराजा री राखड़ी, सहं ठौड़ यजमान॥

रक्षाबंधन

रक्षा बंधन के पौराणिक आधार, यदि मानो तो पुराणों के अनुसार रक्षा बंधन पर्व लक्ष्मी जी का बली को राखी बांधने से जुडा हुआ है. कथा कुछ इस प्रकार है. एक बार की बात है, कि दानवों के राजा बलि ने सौ यज्ञ पूरे करने के बाद चाहा कि उसे स्वर्ग की प्राप्ति हो, राजा बलि कि इस मनोइच्छा का भान देव इन्द्र को होने पर, देव इन्द्र का सिहांसन डोलने लगा. घबरा कर इन्द्र भगवान विष्णु की शरण में गयें. भगवान विष्णु वामन अवतार ले, ब्राह्माण वेश धर कर, राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंच गयें. ब्राह्माण बने श्री विष्णु ने भिक्षा में तीन पग भूमि मांग ली. राजा बलि अपने वचन पर अडिग रहते हुए, श्री विष्णु को तीन पग भूमि दान में दे दी. वामन रुप में भगवान ने एक पग में स्वर्ग ओर दुसरे पग में पृ्थ्वी को नाप लिया. अभी तीसरा पैर रखना शेष था. बलि के सामने संकट उत्पन्न हो गया. ऎसे मे राजा बलि अपना वचन नहीं निभाता तो अधर्म होगा आखिरकार उसने अपना सिर भगवान के आगे कर दिया और कहां तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए. वामन भगवान ने ठिक वैसा ही किया, श्री विष्णु के पैर रखते ही, राजा बलि परलोग पहुंच गया. बलि के द्वारा वचन का पालन करने पर, भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न्द हुए, उन्होंने आग्रह किया कि राजा बलि उनसे कुछ मांग लें. इसके बदले में बलि ने रात दिन भगवान को अपने सामने रहने का वचन मांग लिया., श्री विष्णु को अपना वचन का पालन करते हुए, राजा बलि का द्वारपाल बनना पडा. इस समस्या के समाधान के लिये लक्ष्मी जी को नारद जी ने एक उपाय सुझाया. लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे राखी बांध अपना भाई बनाया और उपहार स्वरुप अपने पति भगवान विष्णु को अपने साथ ले आई. इस दिन का यह प्रसंग है, उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी. उस दिन से ही रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाने लगा. महाभारत में द्वौपदी का श्री कृ्ष्ण को राखी बांधना राखी का यह पर्व पुराणों से होता हुआ, महाभारत अर्थात द्वापर युग में गया, और आज आधुनिक काल में भी इस पर्व का महत्व कम नहीं हुआ है. राखी से जुडा हुआ एक प्रसंग महाभारत में भी पाया जाता है. प्रंसग इस प्रकार है. शिशुपाल का वध करते समय कृ्ष्ण जी की तर्जनी अंगूली में चोट लग गई, जिसके फलस्वरुप अंगूली से लहू बहने लगा. लहू को रोकने के लिये द्रौपदी ने अपनी साडी की किनारी फाडकर, श्री कृ्ष्ण की अंगूली पर बांध दी. इसी ऋण को चुकाने के लिये श्री कृ्ष्ण ने चीर हरण के समय द्वौपदी की लाज बचाकर इस ऋण को चुकाया था. इस दिन की यह घटना है उस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा थी. रक्षाबंधन : अटूट विश्वास का बंधन हम सभी सामाजिक प्राणी है, जो एक-दूसरे से जुड़े रहने के लिए स्वेच्छा से रिश्तों के बंधन में बंधते है। ये बंधन हमारी स्वतंत्रता का हनन करने वाले बंधन नहीं अपितु प्रेम के बंधन होते हैं, जिसे हम जिंदादिली से जीते और स्वीकारते हैं। हमारे समाज में हर रिश्ते को कोई न कोई नाम दिया गया है। ठीक उसी तरह आदमी और औरत के भी कई रिश्ते हो सकते हैं, मगर उन रिश्तों में सबसे प्यार रिश्ता 'भाई-बहन' का रिश्ता होता है। यह रिश्ता हर रिश्ते से मीठा और प्यारा रिश्ता होता है क्योंकि इस रिश्ते में मिठास भरता है भाई-बहन का एक-दूसरे के प्रति प्रेम व विश्वास। यह विश्वास प्रतीक रूप में भले ही रेशम की कच्ची डोर से बँधा होता है परंतु दोनों के मन की भावनाएँ प्रेम की एक पक्की डोर से बँधी रहती है, जो रिश्तों की हर डोर से मजबूत डोर होती है। यही प्रेम रक्षाबंधन के दिन भाई को अपनी लाड़ली बहन के पास खीच लाता है। रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं बल्कि हमारी परंपराओं का प्रतीक है, जो आज भी हमें अपने परिवार व संस्कारों से जोड़े रखे हैं। रक्षाबंधन बहन की रक्षा की प्रतिबद्धता का दिन है, जिसमें भाई हर दुख-तकलीफ में अपनी बहन का साथ निभाने का वचन देता है। यही वह वचन है, जो आज के दौर में भी भाई-बहन को विश्वास के बँधन से जोड़े हुए है। यही वह त्योहार है, जिसे बहन अपने घर अर्थात अपने मायके में मनाती है। तभी तो हर रक्षाबंधन पर बहन जितनी बेसब्री से अपने भाई के आने का इंतजार करती है उतनी ही शिद्दत से भाई भी अपनी बहन से मिलकर उसका हालचाल जानने को उसके पास खिंचा चला आता है और भाई और बहन का मिलन होता है, तब सारे गिले-शिकवे दूर होकर माहौल में बस हँसी-ठिठौली के स्वर ही गुँजायमान होते हैं, जो खुशियों का पर्याय होते हैं। आप भी इस त्योहार को प्यार के साथ बनाएँ तथा इस दिन अपनी बहन को उसकी खुशियाँ उपहारस्वरूप दें। याद रखें यह रिश्ता, जितना मजबूत और प्यारा रिश्ता है उतना ही कमजोर भी इसलिए रिश्ते की इस डोर को सदैव मजबूती से थामे रखें। एक और प्रसंग मिलता है इस धागे का चंद्रशेखर आजाद का प्रसंग बात उन दिनों की है जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थे और फिरंगी उनके पीछे लगे थे। फिरंगियों से बचने के लिए शरण लेने हेतु आजाद एक तूफानी रात को एक घर में जा पहुंचे जहां एक विधवा अपनी बेटी के साथ रहती थी। हट्टे-कट्टे आजाद को डाकू समझ कर पहले तो वृद्धा ने शरण देने से इनकार कर दिया लेकिन जब आजाद ने अपना परिचय दिया तो उसने उन्हें ससम्मान अपने घर में शरण दे दी। बातचीत से आजाद को आभास हुआ कि गरीबी के कारण विधवा की बेटी की शादी में कठिनाई आ रही है। आजाद महिला को कहा, 'मेरे सिर पर पांच हजार रुपए का इनाम है, आप फिरंगियों को मेरी सूचना देकर मेरी गिरफ़्तारी पर पांच हजार रुपए का इनाम पा सकती हैं जिससे आप अपनी बेटी का विवाह सम्पन्न करवा सकती हैं। यह सुन विधवा रो पड़ी व कहा- “भैया! तुम देश की आजादी हेतु अपनी जान हथेली पर रखे घूमते हो और न जाने कितनी बहू-बेटियों की इज्जत तुम्हारे भरोसे है। मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकती।” यह कहते हुए उसने एक रक्षा-सूत्र आजाद के हाथों में बाँध कर देश-सेवा का वचन लिया। सुबह जब विधवा की आँखें खुली तो आजाद जा चुके थे और तकिए के नीचे 5000 रूपये पड़े थे। उसके साथ एक पर्ची पर लिखा था- “अपनी प्यारी बहन हेतु एक छोटी सी भेंट- आजाद।”

रविवार, 14 अगस्त 2016

थोडा हंस लो

😝😝😝 पत्नी: -- पूजा किया करो, बड़ी बलाएँ टल जाती है पति : - तेरे बाप ने बहुत की होगी, उसकी टल गयी, मेरे पल्ले पड़ गयी😜😜😜😜😜 सुबह पत्नी चाय नाश्ता पूछने आई तो मैंने कहा बना दो। फिर रुक कर पूछने लगी जी ये अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न मिल रहा है ऐसा कौन सा बडा काम किया था उन्होंने ? मैंने कहा:- शादी नहीं की थी | बस उसके बाद ना चाय आई ना नाश्ता । 😜😜😃😤😅😉 सुबह जब ऑफिस के लिए निकला तो श्रीमती जी बोली: भगवान के हाथ जोड़ कर घर से निकला करो... सब काम अच्छे होते हैं| मैंने कहा: मैं नहीं मानता... शादी वाले दिन भी हाथ जोड़ कर ही घर से निकला था😜😜 😉😝😝😝😝😝😝😳😳😳😳😜😜😜😜🎀दामाद अपनी सास से बात करता हैं : 👉आपकी बेटी में तो हज़ारों कमियाँ हैं । सास : हाँ बेटा , इसी वजह से तो उसे अच्छा लड़का नही मिला. 😄😄😳😳😟😟😦😧😧😜😜😈😈😬😬 Solid Insult....!!! 🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀🎀 बीवी पति से : सुनिये जी वो आदमी जो दारू पी कर नाच रहा है ना मैने उसे 10 साल पहले रिजेक्ट कर दिया था 😌😌 पति: 😳😳😳😳 बताओ, साला अभी तक celebrate कर रहा है 😲😜🙌✌

सावण आयो सायबा

सावण आयो सायबा, दूर देश मत जाय ! तन भीज्यो बरसात में, मन में लागी लाय !! सावण घणो सुहावणो, हरियो भरियो रूप ! निरखूं म्हारो सायबो, सावण घणो कुरूप !! साजन उभा सामने, निरखे धण रो रूप ! बादलियाँ रे बीच में, मधुरी मधुरी धूप !! रसियां को मन चकरी करतो, घाघरियै को घेर। एक बीनी छप्पन छैला, नाच नचावै फेर।। छलकै जोबन अंग अंग सै, संग चंग की थाप। गींदड़ घलै नंगारो बाजै, मुख सै फूटै राग।। अलमस्ती कै आलम में, मदमस्ती की परिपाटी। जुलमी सावन बड़ो रंगीलो, वाह भाई राजस्थान री धरती ।।

थोडा हंस लो

उन लड़कों को भी एक गोल्ड मेडल देना चाइये . . .जो मुह में गुटखा भरे रहते है और फ्री की चाय मिलते ही . .गुटखे को एक साइड में दबा कर चाय पी जाते है😂 बचपन में सबसे ज्यादा दुःख तो तब होता था, , जब रात भर चल रही बारिश सुबह स्कूल के, टाइम पर बंद हो जाती थी.. 😉😜😉😜😉😜

रक्षाबंधन 2016

दूर रह कर भी हूँ बहना, पास मैं तेरे, धागा जो तेरी राखी का, बँधा हाथ में मेरे। नित्य प्रार्थना यही प्रभु से, सदा खुश रहे बहना, जीवन के सुख-वैभव भोगे, कभी ना भीगे नयना । हर तकलीफ बहन की मुझको, तू दे देना ईश्वर, दूर रहूँ मैं, फिर भी तुम्हारी, पड़े विपत्ति मुझ पर । चाह एक है बदले में, बस सदा नेह की छाया, फर्ज करेगा पूरे सब यह, तेरा माँ का जाया । जीजाजी को कहना मेरा, सादर पांवाधोक, बच्चों को आशीष यही, वे रहें सदा निरोग ॥

रक्षाबंधन 2016

भाई बहन का संबंध, पावन है सब से, ये संदेश है, राखी के इस धागे में... बहन का प्रेम, भाई का वचन, सावन की खुशबू है, राखी के इस धागे में... प्राचीन परंपरा, रिशते की पावनता, भारत का गौरव है, राखी के इस धागे में... राष्ट्र प्रेम, धर्म की रक्षा, नारी सन्मान है, राखी के इस धागे में... बहन का त्याग, भाई का बलिदान, दिखावा नहीं, निष्ठा है, राखी के इस धागे में...

Independence Day 2016

काश्मीर से कन्याकुमारी एक यही पहचान भारत अपनी मातृभूमि है हम उसकी सन्तान कितना सुन्दर देश महान।। पूरब दक्षिण पश्चिम में गहरा सागर लहराये गरज गरज कर देवभूमि भारत की महिमा गाये उत्तर में है खडा हिमालय अपना सीना तान। सबसे पहिले यहीं ज्ञान का सूरज उदय हुआ था अस्त्र शस्त्र विज्ञान शास्त्र ने भी आकाश छुआ था विश्वगुरू बनकर दुनियाँ को दिया ज्ञान का दान।। सभी दुखों का कारण बस केवल अज्ञान समझना सभी समस्याओं को हल करने ज्ञानार्जन करना फल की इच्छा छोड कर्म करना गीता का ज्ञान।।

Independence Day 2016

मिटाकर शत्रु को जो मिट गये खुद आन की खातिर उन्हें शत-शत नमन मेरा, उन्हें शत-शत नमन मेरा ! जिन्होंने बर्फ में भी शौर्य की चिंगारियाँ बो दीं पहाड़ी चोटियों पर भी अभय की क्यारियाँ बो दीं भगाकर दूर सारे गीदड़ों, सारे शृंगालों को जिन्होंने सिंह वाले युद्ध में खुद्दारियाँ बो दीं अहर्निश जो बढ़े आगे विजय-अभियान की खातिर उन्हें शत-शत नमन मेरा, उन्हें शत-शत नमन मेरा ! शुरू से आज तक इतिहास यह देता गवाही है हमारी वीरता मृत्युंजयी है, शौर्य-ब्याही है अलग से वह न पत्थर है, न लोहा है, न शोला है, सभी का सम्मिलित प्रारूप, भारत का सिपाही है ! लुटाते प्राण तक जो देश के अभिमान के खातिर , उन्हें शत-शत नमन मेरा, उन्हें शत-शत नमन मेरा ! शहीदों की चिताएँ तो वतन की आरती-सी हैं उठीं लपटें किसी नागिन-सदृश फुफकारती–सी हैं चिताओं की बुझी हर राख गंगा-रेणु सी लगती निहत्थी अस्थियाँ भी शस्त्र की छवि धारती-सी हैं जिन्होंने दे दिया बलिदान हिंदुस्तान की खातिर, उन्हें शत-शत नमन मेरा, उन्हें शत-शत नमन मेरा !

Independence Day 2016

स्वतंत्रता की चाहत मन में, लिए बढ़ चले थे वे लोग प्राण किए न्योछावर पथ में, पराधीनता के दुख भोग। हुए शहीद महान लोग वे, उनका त्याग न जाएँ भूल याद करें उनकी क़ुर्बानी, अर्पण कर चरणों में फूल। आज़ादी मिल गई 'राज` से, मिला नहीं है अभी सुराज मिलकर सबको अब करना है, भारत बनें विश्व का ताज। लाज तिरंगे की रखनी है, यही देश की अनुपम शान ऊँचा फहरे सकल विश्व में, इसपर अर्पित अपनी जान। सोने की चिड़िया पहले सी, फिर से उन्नत अपना देश तीन रंग की छटा बिखेरे, रहे शिखर पर शान अशेष। आओ मिलकर आज शपथ लें, सच्चाई की चुन लें राह कभी झूठ का साथ न देंगे, `राष्ट्र प्रेम` हो पहली चाह। लालच भ्रष्टाचार से घिरे, लोगों का अब हो प्रतिकार सबको अवसर मिले एक से, और सभी को सम अधिकार। सत्य और निष्ठा की ज्वाला, सबके मन में जले मशाल सदा गर्व से ऊँचा चमके, हर भारतवासी का भाल।

✅*आधुनिक युग का सच*✅✅

✅✅ मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं सुबह आठ बजे नौकरियों परजाते हैं रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं अकेले रह कर वह कैरियर बनाते हैं कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं भीड़ में रह कर भी अकेले रह जाते हैं मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं अपने नन्हे मुन्ने को पाल नहीं पाते हैं फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते हैं उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है केवल 'आया आंटी' को ही पहचानता है दादा-दादी, नाना-नानी कौन होते हैं ? अनजान है सबसे किसी को न मानता है आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है यूनिफार्म पहनाके स्कूल कैब में बिठाती है छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है कभी जब मचलता है तो टी.वी. दिखाती है जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता है वीक एन्ड पर मॉल में पिकनिक मनाता है संडे की छुट्टी मौम-डैड के संग बिताता है वक्त नहीं रुकता है तेजी से गुजर जाता है वह स्कूल से निकल के कालेज में आता है कान्वेन्ट में पढ़ने पर इंडिया कहाँ भाता है आगे पढाई करने वह विदेश चला जाता है वहाँ नये दोस्त बनते हैं उनमें रम जाता है मां-बाप के पैसों से ही खर्चा चलाता है धीरे-धीरे वहीं की संस्कृति में रंग जाता है मौम डैड से रिश्ता पैसों का रह जाता है कुछ दिन में उसे काम वहीं मिल जाता है जीवन साथी शीघ्र ढूंढ वहीं बस जाता है माँ बाप ने जो देखा ख्वाब वो टूट जाता है बेटे के दिमाग में भी कैरियर रह जाता है बुढ़ापे में माँ-बाप अब अकेले रह जाते हैं जिनकी अनदेखी की उनसे आँखें चुराते हैं क्यों इतना कमाया ये सोच के पछताते हैं घुट घुट कर जीते हैं, खुद से भी शरमाते हैं हाथ पैर ढीले हो जाते, चलने में दुख पाते हैं दाढ़-दाँत गिर जाते, मोटे चश्मे लग जाते हैं कमर भी झुक जाती, कान नहीं सुन पाते हैं वृद्धाश्रम में दाखिल हो, जिंदा ही मर जाते हैं *सोचना कि बच्चे अपने लिए पैदा कर रहे हो या विदेश की सेवा के लिए।* बेटा एडिलेड में, बेटी है न्यूयार्क। ब्राईट बच्चों के लिए, हुआ बुढ़ापा डार्क। बेटा डालर में बंधा, सात समन्दर पार। चिता जलाने बाप की, गए पड़ोसी चार। ऑन लाईन पर हो गए, सारे लाड़ दुलार। दुनियां छोटी हो गई, रिश्ते हैं बीमार। बूढ़ा-बूढ़ी आँख में, भरते खारा नीर। हरिद्वार के घाट की, सिडनी में तकदीर। तेरे डालर से भला, मेरा इक कलदार। रूखी-सूखी में सुखी, अपना घर संसार !

नरेंद्र मोदी जी की कविता

सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा। मैं देश नहीं रुकने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।। मेरी धरती मुझसे पूछ रही कब मेरा कर्ज चुकाओगे। मेरा अंबर पूछ रहा कब अपना फर्ज निभाओगे।। मेरा वचन है भारत मां को तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा। सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।। वे लूट रहे हैं सपनों को मैं चैन से कैसे सो जाऊं। वे बेच रहे हैं भारत को खामोश मैं कैसे हो जाऊं।। हां मैंने कसम उठाई है मैं देश नहीं बिकने नहीं दूंगा। सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।। वो जितने अंधेरे लाएंगे मैं उतने उजाले लाऊंगा। वो जितनी रात बढ़ाएंगे मैं उतने सूरज उगाऊंगा।। इस छल-फरेब की आंधी में मैं दीप नहीं बुझने दूंगा। सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।। वे चाहते हैं जागे न कोई बस रात का कारोबार चले। वे नशा बांटते जाएं और देश यूं ही बीमार चले।। पर जाग रहा है देश मेरा हर भारतवासी जीतेगा। सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।। मांओं बहनों की अस्मत पर गिद्ध नजर लगाए बैठे हैं। मैं अपने देश की धरती पर अब दर्दी नहीं उगने दूंगा।। सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा। अब घड़ी फैसले की आई हमने है कसम अब खाई।। हमें फिर से दोहराना है और खुद को याद दिलाना है। न भटकेंगे न अटकेंगे कुछ भी हो हम देश नहीं मिटने देंगे।। सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा। मैं देश नहीं रुकने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।।

बुधवार, 10 अगस्त 2016

Gyan of the day

🍀🔆🍀🔆🍀🔆🍀🔆🍀 लक्ष्मी पुजे धन मिले , गुरू को पुजे ज्ञान ! माँ -बाप को पुजे सब मिले , हो जाए कल्याण !! माँ वह रोशनी है जो घर पर साथ रह कर रास्ता दिखाती है पिता वह प्रकाश है जो दुर रह कर भी अनुशासन सिखाता है 🍀🔆🍀🕉🍀🔆🍀 🌹*हर हर महादेव*🌹 💠🌹शुभ प्रभात🌹💠 🙏�🙏�🙏�🙏�

ताड़का का हसबैंड

सभी पतियों की तरफ से कुछ "अर्ज़" हैं,जिसे जहाँ अपने लिए अच्छा लगे वो वहां फिट कर ले :- जब भी कुछ खाने लगता हूँ मुझे वो रोक देती है I लगा कर तो कभी तड़का तवे पर झोंक देती है I जिस्म का दर्द ये कैसे कहूँ के तुम ही बतलाओ, कभी बेलन, कभी करछी, मुझे वो ठोक देती है II मैं कुछ कह नहीं सकता के वो ही भोंक देती है I कभी कुछ कह भी दूँ तो बीच ही में टोक देती है I के दो कौड़ी की है औकात अब अपनी यहाँ यारों, कभी मैं मांग लूं लस्सी, मुझे वो कोक देती है II के घर के बाहर जाकर खुद को मैं आज़ाद करता हूँ I के मैं तो रो ही देता हूँ उसे जब याद करता हूँ I जन्म हो सांतवा मेरा इस शादी के बंधन का, बंधू न अब कभी उस संग यही फ़रियाद करता हूँ II डिनर में नखरा कर दूँ तो मेरी शामत आ जाती है I वही सब्जी, वही दालें, वही बैगन खिलाती है I नज़र वो मुझ पर रखती है हमेशा संग-संग रहकर, छाती पर मूंग दलती है, कभी ना मायके जाती है II उसे सब गोलगट्टम-लक्कड़-फट्टम- क्रिकेट बुलाते हैं I मुझे सब सैट कहते हैं उसे सब हैण्ड बुलाते हैं I कहूँ कैसे कि खुश हूँ मैं सभी की बात सुनकर जी, मुझे सब ताड़का का दोस्तों, हसबैंड बुलाते हैं II

थोडा हंस लो

आजकल घर बैठे मोबाईल सें बुक कराके कुछ भी मँगा लो...। मैंने होटल में फ़ोन लगाया...घंटी जाने के बाद आवाज आई - मोतीस्वीट्स में आपका स्वागत है। कहिए क्या चाहिये। - मीठा चाहिये। - लड्डू के लिये एक दबाएँ, रसगुल्ले के लिए दो दबाएँ, गुलाबजामुन के लिये तीन दबाएँ। - मैंने एक दबाया- लड्डू चाहिये। - आवाज आई- बूँदी के लिये एक दबाएँ, मगज के लिये दो दबाएँ, सोंठ के लिये तीन दबाएँ। - मैने एक दबाया... बूँदी चाहिये। - आवाज आई- एक पाव के लिये एक दबाएँ, एक किलो के लिये दो दबाएँ, एक क्विंटल के लिए तीन दबाएँ। गलती से तीसरा बटन दब गया। डर के मारे फोन काट दिया पर अगले ही पल उधर से फोन आया - आपसे एक क्विंटल लड्डू का आर्डर मिला है कृपया पता बताएँ। मैं बोला - मैंने तो फोन ही नहीं किया है। - आपके भाई ने किया होगा इसी नंबर से था... अपने भाई को फ़ोन दीजिये। मैं बोला- हम लोग छः भाई है, बड़े से बात के लिये एक दबाएँ, उससे छोटे के लिये दो दबाएँ, उससे छोटे के लिए तीन दबाएँ, उससे छोटे के लिए चार.... उसने फ़ोन काट दिया। बेबी को बेस पसंद है । शहर की छोरी को फेस पसंद है । गाव की छोरी को भैस पसंद है । दुकानदार को कैश पसंद है ।। पर हमको तो भारत देश पसंद है ।।

Trifala churan banane ki vidhi

आपको 200 ग्राम त्रिफला चूर्ण बनाना है तो उसमे हरड चूर्ण होना चाहिए = 33.33 ग्राम बहेडा चूर्ण होना चाहिए= 66.66 ग्राम और आमला चूर्ण चाहिए 99.99 ग्राम तो इन तीनों को मिलाने से बनेगा सम्पूर्ण आयुर्वेद मे बताई हुई विधि का त्रिफला चूर्ण । जो की शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी है ।

भारतीय मुद्रा (रुपया ₹)

. कम्प्यूटर पर ₹ टाइप करने के लिए ‘Ctrl+Shift+$’ के बटन को एक साथ दबावें.

भारतीय मुद्रा (रुपया ₹)

1. भारत में करंसी का इतिहास2500 साल पुराना हैं। इसकी शुरूआत एक राजा द्वारा की गई थी। 2. अगर आपके पास आधे से ज्यादा (51 फीसदी) फटा हुआ नोट है तो भी आप बैंक में जाकर उसे बदल सकते हैं। 3. बात सन् 1917 की हैं, जब 1₹ रुपया 13$ डाॅलर के बराबर हुआ करता था। फिर 1947 में भारत आजाद हुआ, 1₹ = 1$ कर दिया गया. फिर धीरे-धीरे भारत पर कर्ज बढ़ने लगा तो इंदिरा गांधी ने कर्ज चुकाने के लिए रूपये की कीमत कम करने का फैसला लिया उसके बाद आज तक रूपये की कीमत घटती आ रही हैं। 4. अगर अंग्रेजों का बस चलता तो आज भारत की करंसी पाउंड होती. लेकिन रुपए की मजबूती के कारण ऐसा संभव नही हुआ। 5. इस समय भारत में 400 करोड़ रूपए के नकली नोट हैं। 6. सुरक्षा कारणों की वजह से आपको नोट के सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z अक्षर नही मिलेंगे। 7. हर भारतीय नोट पर किसी न किसी चीज की फोटो छपी होती हैं जैसे- 20 रुपए के नोट पर अंडमान आइलैंड की तस्वीर है। वहीं, 10 रुपए के नोट पर हाथी, गैंडा और शेर छपा हुआ है, जबकि 100 रुपए के नोट पर पहाड़ और बादल की तस्वीर है। इसके अलावा 500 रुपए के नोट पर आजादी के आंदोलन से जुड़ी 11 मूर्ति की तस्वीर छपी हैं। 8. भारतीय नोट पर उसकी कीमत 15 भाषाओंमें लिखी जाती हैं। 9. 1₹ में 100 पैसे होगे, ये बात सन् 1957 में लागू की गई थी। पहले इसे 16 आने में बाँटा जाता था। (सन् 1936 में बना 8 आनें का सिक्का मेरे पास भी हैं.) 10. RBI, ने जनवरी 1938 में पहली बार 5₹ की पेपर करंसी छापी थी. जिस पर किंग जार्ज-6 का चित्र था। इसी साल 10,000₹ का नोट भी छापा गया था लेकिन 1978 में इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया। 11. आजादी के बाद पाकिस्तानने तब तक भारतीय मुद्रा का प्रयोग किया जब तक उन्होनें काम चलाने लायक नोट न छाप लिए। 12. भारतीय नोट किसी आम कागज के नही, बल्कि काॅटन के बने होते हैं। ये इतने मजबूत होते हैं कि आप नए नोट के दोनो सिरों को पकड़कर उसे फाड़ नही सकते। 13. एक समय ऐसा था, जब बांग्लादेश ब्लेड बनाने के लिए भारत से 5 रूपए के सिक्के मंगाया करता था. 5 रूपए के एक सिक्के से 6 ब्लेड बनते थे. 1 ब्लेड की कीमत 2 रूपए होती थी तो ब्लेड बनाने वाले को अच्छा फायदा होता था. इसे देखते हुए भारत सरकार ने सिक्का बनाने वाला मेटल ही बदल दिया। 14. आजादी के बाद सिक्के तांबे के बनते थे। उसके बाद 1964 में एल्युमिनियम के और 1988 में स्टेनलेस स्टील के बनने शुरू हुए। 15. भारतीय नोट पर महात्मा गांधीकी जो फोटो छपती हैं वह तब खीँची गई थी जब गांधीजी, तत्कालीन बर्मा और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में मुलाकात करने गए थे। यह फोटो 1996 में नोटों पर छपनी शुरू हुई थी। इससे पहले महात्मा गांधी की जगह अशोक स्तंभ छापा जाता था। 16. भारत के 500 और 1,000 रूपये के नोट नेपालमें नही चलते। 17. 500₹ का पहला नोट 1987 में और 1,000₹ पहला नोट सन् 2000 में बनाया गया था। 18. भारत में 75, 100 और 1,000₹ के भी सिक्के छप चुके हैं। 19. 1₹ का नोट भारत सरकार द्वारा और 2 से 1,000₹ तक के नोट RBI द्वारा जारी किये जाते हैं. 20. एक समय पर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए 0₹ का नोट 5thpillar नाम की गैर सरकारी संस्था द्वारा जारी किए गए थे। 21. 10₹ के सिक्के को बनाने में 6.10₹ की लागत आती हैं. 22. नोटो पर सीरियल नंबर इसलिए डाला जाता हैं ताकि आरबीआई(RBI) को पता चलता रहे कि इस समय मार्केट में कितनी करंसी हैं। 23. रूपया भारत के अलावा इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका की भी करंसी हैं। 24. According to RBI, भारत हर साल 2,000 करोड़ करंसी नोट छापता हैं। 25. कम्प्यूटर पर ₹ टाइप करने के लिए ‘Ctrl+Shift+$’ के बटन को एक साथ दबावें. 26. ₹ के इस चिन्ह को 2010 में उदय कुमार ने बनाया था। इसके लिए इनको 2.5 लाख रूपयें का इनाम भी मिला था। 27. क्या RBI जितना मर्जी चाहे उतनी कीमत के नोट छाप सकती हैं ? ऐसा नही हैं, कि RBI जितनी मर्जी चाहे उतनी कीमत के नोट छाप सकती हैं, बल्कि वह सिर्फ 10,000₹ तक के नोट छाप सकती हैं। अगर इससे ज्यादा कीमत के नोट छापने हैं तो उसको रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 में बदलाव करना होगा। 28. जब हमारे पास मशीन हैं तो हम अनगणित नोट क्यों नही छाप सकते ? हम कितने नोट छाप सकते हैं इसका निर्धारण मुद्रा स्फीति, जीडीपी ग्रोथ, बैंक नोट्स के रिप्लेसमेंट और रिजर्व बैंक के स्टॉक के आधार पर किया जाता है। 29. हर सिक्के पर सन् के नीचे एक खास निशान बना होता हैं आप उस निशान को देखकर पता लगा सकते हैं कि ये सिक्का कहाँ बना हैं. *.मुंबई – हीरा [◆] *.नोएडा – डाॅट [.] *.हैदराबाद – सितारा [★] *.कोलकाता – कोई निशान नहीं. 30. जानिए, एक नोट कितने रूपयें में छपता हैं। *.1₹ = 1.14₹ *.10₹ = 0.66₹ *.20₹ = 0.94₹ *.50₹ = 1.63₹ *.100₹ = 1.20₹ *.500₹ = 2.45₹ *.1,000₹ = 2.67₹ 31. रूपया, डाॅलर के मुकाबले बेशक कमजोर हैं लेकिन फिर भी कुछ देश ऐसे हैं, जिनकी करंसी के आगे रूपया काफी बड़ा हैं आप कम पैसों में इन देशों में घूमने का लुत्फ उठा सकते हैं. *.नेपाल (1₹ = 1.60 नेपाली रुपया) *.आइसलैंड (1₹ = 1.94 क्रोन) *.श्रीलंका (1₹ = 2.10 श्रीलंकाई रुपया) *.हंगरी (1₹ = 4.27 फोरिंट) *.कंबोडिया (1₹ = 62.34 रियाल) *.पराग्वे (1₹ = 84.73 गुआरनी) *.इंडोनेशिया (1₹ = 222.58 इंडोनेशियन रूपैया) *.बेलारूस (1₹ = 267.97 बेलारूसी रुबल) *.वियतनाम (1₹ = 340.39 वियतनामी डॉन्ग).

मंगलवार, 9 अगस्त 2016

सावन में रिमझिम

“सावण री बरखा" चिड़पिड़ चिड़पिड़ पड़े फुहार, कीचड़ होग्या गांव में ! नाळी भरगी, तळाव भरग्या, भरग्या जोहड़ गांव में !! पीपळ फूट्या, जांटी फूटी, फूट्या नीम गुवाड़ म्हं ! रस्ते आळी कीकरां फूटी, हरयाळी होगी उजाड़ म्हं !! टाबर न्हावै करै किलोळ, जावै तिसळन तालां म्हं ! कछड़ी पै'र फिरै सारा, लाली दीखै गालां म्हं !! चर-चर करती चिड़कल्यां, गावै गीत सावण रा ! मोर नाचै छातौ ताण, संदेशो बादळ आवण रा !! सगळी गौरियां हिंडण चाली, मोट्यार पाछै आवै ! गौरवं म्हं हिंडौ मांड्यौ, रळमिळ हिंडौ हिंडावै !! सावण गी बरखा आच्छी, खेत फसल लहरावै ! टाबर जबर डोकरा सगळा, काकड़ मतीरा खावै !!

सावन में रिमझिम

*सावण आयो सायबा, हियो हिलोरा खाय।* *जोड़ायत जोवै बाटड़ी, बैठ झरोखां मांय।।* *जौबन छळकै जोररो र सावण सु़रंगो मास।* *हीण्डो ऊंचो मांडियो, पिया मिलण री आस।।* *धकधक धड़कै काळजो बीजळ जद चमकै।* *गहरो गाजत बादळा तूं! कीड़्यां क्यूं छमकै।।* *घरां पधारो पीवजी म्हारि रातां नींद उड़ी।* *सीरो जिमास्यूं परेम रो र आछी साग पुड़ी।।* *गुरबत करस्यां रात में र सगळी मन री बात।* *अणमोलो छीज्यां जौबणोआवैलो नी हाथ।।* *खेती करस्यां गांव में र गायां दुहस्यां च्यार।* *रळमिळ टाबर पाळस्यां भली करै करतार।।* *सावन आयो सुरंगों, भले पधारों मरुधर देश (

बुधवार, 3 अगस्त 2016

थोडा हंस लो

भिखारयाँ को काम माड़ो, और तो और हट्टा-कट्टा भी भीख माँगै लाग्या।। काल परस्यूँ मैरो मूद्दत बाद म मेरो फतेहपुर जाणै को काम पड़्यो.. मैं बस स्टेंड पर खड़्यो हो ।। हट्टो-कट्टो👹सो, फाटेड़ा कपड़ा👔पहरेड़ो भायलो लारै होग्यो ओर कहण लाग ग्यो - भाईजी तीन-च्यार दिन स्यूँ भूखो😢हूँ, क्यूँ भी खायो कोनी, भगवान क नाम पर दे द्यो क्यूँ न क्यूँ, बेटो हूसी थारै.. मैं मन ही मन म सोची - तेरा भला हूज्या तेरा😜, नसबंदी होयेड़ो कै ही बेटो के? खैर मैं जेब स्यूँ गाँधी जी छाप पाँच सै को लोट काडयो और बोल्यो - च्यार सै रिपिया छुट्टा मिल ज्यासी के?? भिखारी बोल्यो - हाँ भाईजी मैं बोल्यो - साळा कुत्ता,🐶खा लै तो फेर जा के, क्यूँ भुखो मरतो मरै फिरै थे के सोच्यो? मैं सो को लोट दे दियो? सही पुछो तो मेरो बस चालतो तो दाई नै भी दस रिपिया कोनी देण देतो।।

थोडा हंस लो

नींद में प्यास लगने पर थूक निगल कर प्यास बुझाने वाले -.- -.- दुनिया में किसी भी संकट से निपट सकते है।😂😂 जिस घर म बुड्ढे रहते हों, उस घर म पिलंग व खाटां की पांत कदे ढीली नहीं पावैंगी..!!

थोडा हंस लो

जापान की एक साबुन की फैक्ट्री में एक बार गलती से साबुन के पैकेट में साबुन नहीं डाला . . जा सका और वो खाली पैकेट ही मार्किट में पहुँच गया . . जिसे कंपनी को मुआवजा अदा करके ग्राहक से वापस लेना पड़ा... . . ऐसी गलती दुबारा न हो इसलिए कंपनी में 60,00,000 रुपये खर्च करके एक्सरे और स्कैन करने की मशीन लगवाई ताकि हर साबुन के पैकेट की जाँच होसके की उसमे साबुन की टिकिया है या ख़ाली है... . . यही गलती एक बार हिंदुस्तान की एक साबुन फैक्ट्री में भी हो गयी... . . दुबारा ऐसी गलती न हो इसलिए फैक्ट्री के मालिक ने पैकिंग लाइन के आखिर में एक बड़ा सा 600 रु का पंखा लगा दिया जिससे पैकेट खाली होने पर उड़ जाता और भरा होने पर आगे फाइनल पैकिंग को चला जाता... . . हिंदुस्तानी जुगाड़मेन्ट के आगे अच्छे अच्छे देशों की टेक्नोलॉजी फेल है... ये हमारा देश जैसा भी है हमे अपनी जान से प्यारा है !! 🇮🇳I Love My India🇮🇳 🇮🇳वन्देमातरम्

थोडा हंस लो

😉😉😉 ऐकर मेरी साळी👸मनै फोन करयो कै , जीजोजी अबकै नींनाण भोत तकड़ो है ...थे दो च्यार दिन काम भी करवा देया और काचर मतीरा🍉भी खा लेया ! मतीरां🍉गो नाम आँता पाण मेरै काळज्यैमें खरखरी माच गी😋! फेर कुण नीनाण काढै ?? मेरो तो लोटो छलतै गो भी जीधोरो हुवै ! 👶टोरू गी माँ बोली कै जाणो तो पड़सी ....मेरी बहन के रोजगो काम उढ़ावै ?.....चुपचाप जा गे नीनाण कढा गे आ ज्यावो ! अबै कोई चारो कोनी हो .... मैं दूसरै दिन तैयार हुग्यो ! टोरू गी माँ बोली कै , "बठै मिनखां दायीं रहणो है ....अठै खावो ज्यूँ आठ -आठ रोट कोनी खाणा और सुबह उठ गे स्नान कर लेया चोखी तरियां .....जे मेरी बहन गी कोई कंप्लेन आ गी तो ,भांपण बाळ दयुं ली "😳 मैं नस हला दी और ऊँट🐪पर बैठ ग्यो ! शाम गै टेम मैं साढू गै घरै पुग्यो ....बठै मेरी आछी मनुवार हुई ... चूरमो और टिंडसी गो साग ...सागै चोखो मळाईदार दही गो जीमण जीमायो !! फेर थोड़सी देर मैं इललाजिल्लाबाई गी राग🎵मांढ सुणी और सो ग्यो !! दिनुगै नहा गे म्है सगळा खेत ऊठग्या और नीनाण में लाग ग्या !! अबै भायड़ो मेरो तो हाल इस्यो हुग्यो जाणै ....कणी कमरी सांढ पर बीस मण बाजरी लाद दी है !!😩😫😱 हे सांवरा, कद दिन छिपै और कद लारो छुटै !! दोफार हुग्या जणा मेरी साळी बोली कै ....जीजोजी रोटी🍪खा ल्यो !! मनै भूख तो इसी लाग री ही कै खड्यो ही सीटी चाब ज्याऊं ....पण सगा परसंग्या में इज्जत गी तूड़ी भी तो कोनी कुटाणी !! खैर , मैं और मेरो साढू जीमण बैठ ग्या ! जीमण में काँगरीया रोटिया घी में गलगच और मटकाचर गी चटणी !! मेरी साळी मनै च्यार काँगरीया रोटिया दिया और बोली - "बाई गो मैसेज आयो कै... तेरा जीजोजी सिरफ़ च्यार ही रोटी खावै ओ बांगो नेम है " तेरा भला हुवै तेरा ....ओ मोबाइल धोबाईल📱कोनी ....आ है मिनखां गी मौत !! दस रोटी गी भूख है और च्यार स्युं संतोष करणो पड़सी .....ऐ च्यार रोटिया तो मेरै जाड़ गै चिपजी ?? पेट में के तंबूरो जासी !! कोई उपाय कोनी हो भायड़ो ...मैं च्यार रोट खाया और ऊपर एक लोटो पाणी पी लियो !! जियांहि मैं लोटो खाली करयो ...मेरी साळी रोवण लाग गी ! मैं बोल्यो - अरै थे क्यूँ रोवो ? मेरी साळी बोली कै , थे अब मरस्यो ? - क्यों ?? - क्यूंकै थे जहर पी लियो ! मैं बोल्यो - क्यों ...पाणी में जहर हो गे ? मेरी साळी बोली - "पाणी में जहर कोनी हो , पर टीवी पर बाबो रामदेव कवै कै ...खाणै स्युं पैली पाणी पीवै तो अमृत और... खाणै गै बीच में पीवै तो दुवाई ...और खाणै गै तुरंत बाद पाणी पीवै तो जहर ...और थे तो रोटी खांता पाण पाणी पीयो है " अबै भायड़ो मेरो दिमाग चालग्यो ....मैं बोल्यो - "आछ्या .... पाणी नै जे बीच में ल्या दियो जावै ,जद तो कोनी मरुँ ?" मेरी साळी बोली - बीच में कियां ल्यासो ? मैं बोल्यो - थे च्यार रोट और झलाओ !😎 मेरी साळी मनै च्यार रोट और दे दिया ... मैं च्यार रोट और उगाळ लिया ,मेरो पेट तिरपत हुग्यो ! मेरी साळी भी खुश हगी और बोली - "जीजोजी गो दिमाग भोत तेज चालै😎...बाई भजगे आयेड़ी है जणा इस्यो👌बर मिल्यो है !!" 😊😜😀

सिनली मे,

सिनली गांव रे मोय फिर में बारिश ने दी दस्तक, झमाझम से मौसम हुआ खुशनुमा, गांव रे में मंगलवार रात से चल रही बारिश से बुधवार सुबह से ही बरसात की झड़ी लग गई। सुबह छह बजे से रुक रुक दो घण्टे तक बादल बरसते रहे। बादल बरसात से मौसम खुशगवार हो गया। बारिश रहने से उमस का असर कम हो गया। बरसाती मौसम होने से सिनली गांव के किसानों के चेहरे खिल गए। सुखजी marsa रे घर रे आगें चारुं मेर सड़क पर भी पानी भर गया ताश रमना की जगह भी पानी भर गया था, ताश खेल्ने vale बेहद दुखी और गणाइइइईईईईई,,,,,,, नाराज , वहीं खेल्ने नयी जग्याँ dekhni होgi

Kahani

किसी गाँव मेँ एक साधु रहता था जो दिन भर लोगोँ को उपदेश दिया करता था। उसी गाँव मेँ एक नर्तकी थी, जो लोगोँ के सामनेँ नाचकर उनका मन बहलाया करती थी।एक दिन गाँव मेँ बाढ़ आ गयी और दोनोँ एक साथ ही मर गये। मरनेँ के बादजब ये दोनोँ यमलोक पहूँचे तो इनके कर्मोँ और उनके पीछे छिपी भावनाओँके आधार पर इन्हेँ स्वर्ग या नरक दिये जानेँ की बात कही गई। साधु खुद को स्वर्ग मिलनेँ को लेकर पुरा आश्वस्त था। वहीँ नर्तकी अपनेँ मन मेँ ऐसा कुछ भी विचार नहीँ कर रही थी। नर्तकी को सिर्फ फैसले का इंतजार था।तभी घोषणा हूई कि साधु को नरक और नर्तकी को स्वर्ग दिया जाता है। इसफैसले को सुनकर साधु गुस्से से यमराज पर चिल्लाया और क्रोधित होकर पूछा , “यह कैसा न्याय है महाराज?, मैँ जीवन भर लोगोँ को उपदेश देता रहा और मुझे नरक नसीब हुआ! जबकि यह स्त्री जीवन भर लोगोँ को रिझानेँ के लिये नाचती रही और इसे स्वर्ग दिया जा रहा है। ऐसा क्योँ?”यमराज नेँ शांत भाव से उत्तर दिया ,” यह नर्तकी अपना पेट भरनेँ के लिये नाचती थी लेकिन इसके मन मेँ यही भावना कि मैँ अपनी कला को ईश्वर के चरणोँ मेँ समर्पित कर रही हूँ। जबकि तुम उपदेश देते हुये भी यह सोँचते थे कि कि काश तुम्हे भी नर्तकी का नाच देखने को मिल जाता !हे साधु ! लगता है तुम इस ईश्वर के इस महत्त्वपूर्ण सन्देश को भूल गए कि इंसान के कर्म से अधिक कर्म करने के पीछे की भावनाएं मायने रखती है। अतः तुम्हे नरक और नर्तकी को स्वर्ग दिया जाता है। “मित्रों , हम कोई भी काम करें , उसे करने के पीछे की नियत साफ़ होनी चाहिए , अन्यथा दिखने में भले लगने वाले काम भी हमे पुण्य की जगह पाप का ही भागी बना देंगे।

राजस्थान के प्रसिद्ध dohe

सदा सुरंगी कामण्या ओढ़े चंगा बेश बाँका नर साफ़ा बांधे , आज्यो मरुधर देश

राजस्थान के प्रसिद्ध dohe

जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विष होय। बोलण सूं ई ठा पड़ै, कागा कोयल दोय।। चंदण की चिमठी भली, गाडो भलो न काठ। चातर तो एक ई भलो, मूरख भला न साठ।।

राजस्थान

बाजरे की रोटी पोई , ओ फलियाँ रो साग जी। जीमण बैठी गोरड़ी ,जद बोलणे लाग्यो काग जी। झुक झुक झोला खावे , आ चुनड़ी लहरावे जी। ऊनाऴ रे कारणे , म्हारो तनड़ो पड़ग्यो काळो जी हुळस हुळस म्हारो हिवड़ो रोवे,रोवे थे के जाणो अनजाण जी खड़ी उडीके गोरड़ी थे ,,, उंठा क्सो पिलाण जी पुरवाई लहरावे खेता में अब पकी ज्वार जी आता लाज्यो दांतली करके तीखी धार जी खळो बुहरियो छाणीयो , कद रो है त्यार जी बैगा पाछा बावड़ो तो अन्न धनं भरा भंडार जी बाजरे की रोटी पोई , ओ फलियाँ रो साग जी। जीमण बैठी गोरड़ी ,जद बोलणे लाग्यो काग जी। —

गांव

म्हारौ गाम सबसूं न्यारौ, न्यारी ईंरी बातां। सुखी मिनखां रा दिन कटै, ऊजळी कटै रातां।। कच्ची गळियां कच्चा मकान, कच्ची बां’री छातङी। पक्को लो’रौ गेट लगागे, कच्ची राखी भींतङी।। ठाण तूङी भर्‌या पङ्या, नीरै भर्‌यौ बोरो। घी दूध रा टोकण भर्‌या, मोकळा खावो छोरो।। छाबै मे’ली रोटङी, थाळी घाल्यौ भात। मार पालथी जीमै ‘, के तो बां’री बात।। ऊंचो टिब्बो कोरी रेत, हाळी मांडी झूंपङी। दे हलकारा चीङी उडावै, भाजै डरगे लूंकङी।। बाजरै गी रोटी सागै, खावै काचर गी सब्जी। पेट साफ रेवै निरोगो, करै दूर आ कब्जी।। बाजरी गो आटो लेगै, बणाऔ खाटै री राबङी। खाओ मजै सूं पेट भरगे, मुंह दुखै ना जाबङी।। चुल्है रोटी पोवै माऊ, छोरौ खेलै पास। मार्‌यौ मुंह परात में, धोळी होगी नास।। मुंडेरां बैठ्यो कागलो, बोलै मीठी बाणी। पीव म्हारा परदेस बसै, बोली लागै खाणी।

वो गांव

हम देहात के निकले बच्चे- हम देहात के निकले बच्चे थे। पांचवी तक घर से तख्ती लेकर स्कूल गए थे, स्लेट को जीभ से चाटकर अक्षर मिटाने की हमारी स्थाई आदत थी, कक्षा के तनाव में स्लेटी खाकर हमनें तनाव मिटाया था। स्कूल में टाट पट्टी की अनुपलब्धता में घर से खाद या बोरी का कट्टा बैठने के लिए बगल में दबा कर भी ले जातें थे। कक्षा छः में पहली दफा हमनें अंग्रेजी का कायदा पढ़ा और पहली बार एबीसीडी देखी स्मॉल लेटर में बढ़िया एफ बनाना हमें बारहवीं तक भी न आया था। करसीव राइटिंग तो आजतक न सीख पाए। हम देहात के बच्चों की अपनी एक अलहदा दुनिया थी, कपड़े के बस्ते में किताब और कापियां लगाने का विन्यास हमारा अधिकतम रचनात्मक कौशल था। तख्ती पोतने की तन्मयता हमारी एक किस्म की साधना ही थी। हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते (नई किताबें मिलती) तब उन पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का स्थाई उत्सव था। ब्लू शर्ट और खाकी पेंट में जब हम इंटरमीडिएट कालेज पहूँचे तो पहली दफा खुद के कुछ बड़े होने का अहसास हुआ। गाँव से चार पाँच किलोमीटर दूर के कस्बें में साईकिल से रोज़ सुबह कतार बना कर चलना और साईकिल की रेस लगाना हमारे जीवन की अधिकतम प्रतिस्पर्धा थी। हर तीसरे दिन हैंडपम्प को बड़ी युक्ति से दोनों टांगो के मध्य फंसाकर साईकिल में हवा भरतें मगर फिर भी खुद की पेंट को हम काली होने से बचा न पाते थे। स्कूल में पिटते मुर्गा बनतें मगर हमारा ईगो हमें कभी परेशान न करता हम देहात के बच्चें शायद तब तक जानते नही थे कि ईगो होता क्या है। क्लास की पिटाई का रंज अगले घंटे तक काफूर हो गया होता, और हम अपनी पूरी खिलदण्डिता से हंसते पाए जाते। रोज़ सुबह प्रार्थना के समय पीटी के दौरान एक हाथ फांसला लेना होता, मगर फिर भी धक्का मुक्की में अड़ते भिड़ते सावधान विश्राम करते रहते। हम देहात के निकले बच्चें सपनें देखने का सलीका नही सीख पाते, अपनें माँ बाप को ये कभी नही बता पातें कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं। हम देहात से निकले बच्चें गिरतें सम्भलतें लड़ते भिड़ते दुनिया का हिस्सा बनतें हैं। कुछ मंजिल पा जाते हैं, कुछ यूं ही खो जाते हैं। एकलव्य होना हमारी नियति है शायद। देहात से निकले बच्चों की दुनिया उतनी रंगीन नहीं होती वो ब्लैक एंड व्हाइट में रंग भरने की कोशिश जरूर करतें हैं। पढ़ाई फिर नौकरी के सिलसिलें में लाख शहर में रहें लेकिन हम देहात के बच्चों के अपने देहाती संकोच जीवनपर्यन्त हमारा पीछा करते हैं, नही छोड़ पाते हैं सुड़क सुड़क की ध्वनि के साथ चाय पीना अनजान जगह जाकर रास्ता कई कई दफा पूछना।कपड़ो को सिलवट से बचाए रखना और रिश्तों को अनौपचारिकता से बचाए रखना हमें नहीं आता है। अपने अपने हिस्से का निर्वासन झेलते हम बुनते है कुछ आधे अधूरे से ख़्वाब और फिर जिद की हद तक उन्हें पूरा करने का जुटा लाते है आत्मविश्वास। हम देहात से निकलें बच्चें थोड़े अलग नहीं पूरे अलग होते हैं अपनी आसपास की दुनिया में जीते हुए भी, खुद को हमेशा पाते हैं, थोड़ा प्रासंगिक, थोड़ा अप्रासंगिक

राजस्थान के प्रसिद्ध स्थल

राजस्थान के प्रसिद्ध स्थल 1. गुलाबी नगरी के रूप में प्रसिद्ध जयपुर राजस्थान राज्य की राजधानी है। 2. जयपुर् इसके भव्य किलों, महलों और सुंदर झीलों के लिए प्रसिद्ध है, जो विश्वभर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। 3. सिटी पैलेस महाराजा जयसिंह (द्वितीय) द्वारा बनवाया गया था और मुगल औऱ राजस्थानी स्थापत्य का एक संयोजन है। 4. महराजा सवाई प्रताप सिंह ने हवामहल 1799 ईसा में बनवाया और वास्तुकार लाल चन्द उस्ता थे । 5. आमेर् दुर्ग में महलों, विशाल कक्षों, स्तंभदार दर्शक-दीर्घाओं,बगीचों और मंदिरों सहित कई भवन-समूह हैं। 6. आमेर महल मुगल औऱ हिन्दू स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। 7. गवर्नमेण्ट सेन्ट्रल म्यूजियम 1876 में, जब प्रिंस ऑफ वेल्स ने भारत भ्रमण किया,सवाई रामसिंह द्वारा बनवाया गया था और 1886 में जनता के लिए खोला गया । 8. गवर्नमेण्ट सेन्ट्रल म्यूजियम में हाथीदांत कृतियों, वस्त्रों, आभूषणों, नक्काशीदार काष्ठ कृतियों, सूक्ष्म चित्रों संगमरमर प्रतिमाओं, शस्त्रों औऱ हथियारों का समृद्ध संग्रह है। 9. सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने अपनी सिसोदिया रानी के निवास के लिए 'सिसोदिया रानी का बाग' बनवाया। 10. जलमहल, शाही बत्तख शिकार-गोष्ठियोंके लिए बनाया गया झील के बीच स्थित एक सुंदर महल है। 11. 'कनक वृंदावन' जयपुर में एक लोकप्रिय विहार स्थल है। 12. जयपुर के बाजार जीवंत हैं और दुकाने रंग बिरंगे सामानों से भरी है, जिसमें हथकरघा उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर, वस्त्र, मीनाकारी सामान, आभूषण, राजस्थानी चित्र आदि शामिल हैं। 13. जयपुर संगमरमर की प्रतिमाओं, ब्लू पॉटरी औऱ राजस्थानी जूतियों के लिए भी प्रसिद्ध है। 14. जयपुर के प्रमुख बाजार, जहां से आप कुछ उपयोगी सामान खरीद सकते हैं, जौहरी बाजार, बापू बाजार, नेहरू बाजार, चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार और एम.आई. रोड़ के साथ साथ हैं। 15. जयपुर शहर के भ्रमण का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से मार्च है। 16. राजस्थान राज्य परिवहन निगम (RSTC) की उत्तर भारत के सभी प्रसुख गंतव्यों के लिए बस सेवाएं हैं। 17. वज्रांग मंदिर : जयपुर के निकट विराट नगर (पुराना नाम बैराठ ) नामक एक है. यह वही स्थान है जहाँ पांड्वो ने अज्ञातवास किया था. यहीं पञ्चखंड पर्वत पर भारत का सबसे अनोखा और एकमात्र हनुमान मंदिर है जहाँ हनुमान जी की बिना बन्दर की मुखाकृति और बिना पूंछ वाली मूर्ति स्थापित है. इसका नाम वज्रांग मंदिर है और इसकी स्थापना अमर स्वतंत्रता सेनानी, यशश्वी लेखक महात्मा रामचन्द्र वीर ने की थी. भरतपुर 17. ‘पूर्वी राजस्थान का द्वार’ भरतपुर, भारत के पर्यटन मानचित्र में अपना महत्व रखता है। 18. भारत के वर्तमान मानचित्र में एक प्रमुख पर्यटक गंतव्य, भरतपुर पांचवी सदी ईसा पूर्व से कई अवस्थाओं से गुजर चुका है। 19. 18 वीं सदी का भरतपुर पक्षी अभ्यारण्य, जो केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जाना जाता है। 20. 18 वीं सदी का भरतपुर पक्षी अभयारण्य, जो केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जाना जाता है,संसार के सबसे महत्पूर्ण पक्षी प्रजनन और निवास के रूप में प्रसिद्ध है। 21. लोहागढ़ आयरन फोर्ट के रूप में भी जाना जाता है, लोहागढ़ भरतपुर के प्रमुख ऐतिहासिक आकर्षणों में से एक है। 22. भरतपुर संग्रहालय राजस्थान के विगत शाही वैभव के साथ शौर्यपूर्ण अतीत के साक्षात्कार का एक प्रमुख स्रोत है। 23. एक सुंदर बगीचा, नेहरू पार्क, जो भरतपुर संग्रहालय के पास है। 24. नेहरू पार्क- रंग बिरंगे फूलों और हरी घास के मैदान से भरा हुआ है, इसकी उत्कृष्ट सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है। 25. डीग पैलेस एक मजबूत औऱ बहुत बड़ा राजमहल है, जो भरतपुर के शासकों के लिए ग्रीष्मकालीन आवास के रूप में कार्य करता था । जोधपुर 28. राजस्थान राज्य के पश्चिमी भाग में केन्द्र में स्थित, जोधपुर शहर राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और दर्शनीय महलों, दुर्गों औऱ मंदिरों को प्रस्तुत करते हुए एक लोकप्रिय पर्यटक गंतव्य है। 29. राजस्थान राज्य के पश्चिमी भाग केन्द्र में स्थित, जोधपुर शहर राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और दर्शनीय महलों, दुर्गों औऱ मंदिरों को प्रस्तुत करते हुए एक लोकप्रिय पर्यटक गंतव्य है। 30. शहर की अर्थव्यस्था हथकरघा, वस्त्रों और कुछ धातु आधारित उद्योगों को शामिल करते हुए कई उद्योगों पर निर्भर करती है। 31. रेगिस्तान के हृदय में स्थित, राजस्थान का यह शहर राजस्थान के अनन्त मुकुट का एक भव्य रत्न है। 32. राठौंड़ों के रूप में प्रसिद्ध एक वंश के प्रमुख, राव जोधा ने मृतकों की भूमि कहलाये गये, जोधपुर की 1459 में स्थापना की। 33. मेहरानगढ़ दुर्ग, 125 मीटर की पर्वत चोटी पर स्थित औऱ 5 किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ, भारत के सबसे बड़े दुर्गों में से एक है। 34. मेहरानगढ़ दुर्ग के अन्दर कई सुसज्जित महल जैसे मोती महल, फूल महल, शीश महल स्थित हैं। 35. मेहरानगढ़ दुर्ग के अन्दर संग्रहालय में भी सूक्ष्म चित्रों, संगीत वाद्य यंत्रों, पोशाकों, शस्त्रागार आदि का एक समृद्ध संग्रह है। 36. मेहरानगढ़ दुर्ग के सात दरवाजे हैं औऱ शहर का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। 37. उम्मेद भवन पैलेस लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना है और इसने महाराजा उम्मेद सिंह के पर्यवेक्षण में 1929 से 1943 तक लगभग 16वर्ष लिये। 38. जसवंत ठाड़ा एक सफेद संगमरमर का स्मारक है, जो महाराजा जसवन्त सिंह II की याद में 1899 में बनवाया था। 39. जोधपुर के शासकों के कुछ चित्र भी जसवन्त ठाड़ा पर प्रदर्शित किये गये हैं। 40. गवर्नमेण्ट म्यूजियम उम्मेद बाग के मध्य में स्थित है और हथियारों, वस्त्रों, चित्रों, पाण्डुलिपियों, तस्वीरों, स्थानीय कला और शिल्पों का एक समृद्ध संग्रह रखता है। 41. बालसमन्द झील और महल एक कृत्रिम झील है और एक शानदार विहार स्थल है और 1159 ईस्वीं में बनवाया गया था। 42. मारवाड़ प्रमुख उत्सव है,जो अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। 43. जोधपुर इसके काष्ट और लौह फर्नीचर, पारंपरिक जोधपुरी हस्तकला, रंगाई वस्त्रों, चमड़े के जूतों, पुरातन वस्तुओँ, कसीदा किये पायदानों, बंधाई और रंगाई की साड़ियों, चांदी के आभूषणों, स्थानीय हस्तकलाओं और वस्त्रों, लाख कार्य औऱ चूड़ियों के लिए जाना जाता है, कुछ सामान है जो आप जोधपुर से खरीद सकते हैं। 44. सेन्ट्रल मार्केट, सोजती गेट, स्टेशन रोड़, सरदार मार्केट, त्रिपोलिया बाजार, मोची बाजार, लखेरा बाजार, जोधपुर में कुछ सबसे अच्छे खरीददारी स्थानों में हैं। 45. अक्टूबर से मार्च जोधपुर शहर के भ्रमण का सर्वोत्तम समय है। 46. बिना मीटर की टैक्सी, ऑटो रिक्शा, टेम्पो और साईकिल रिक्शा जोधपुर शहर के अन्दर यातायात के प्रमुख साधन है। 47. जोधपुर का इसका अपना हवाई अड्डा है जो जयपुर, दिल्ली, उदयपुर, मुम्बई, और कुछ अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। 48. जोधपुर शहर ब्रोड् गेज रेल्वे लाईनों से सीधे जुड़ा है, जो इसे राजस्थान के अन्दर और बाहर प्रमुख स्थानो से जोड़ता है। ४८, जोधपुर से रजस्थान के मुख्येमन्त्री है जैसलमेर 49. जैसलमेर गर्म और झुलसाने वाली ग्रीष्म ओर ठंड़ी और जमाने वाली सर्दियों के साथ विशिष्ट रेगिस्तानी वर्ग की जलवायु के लिए जाना जाता है। 50. अक्टूबर से फरवरी जैसलमेर भ्रमण का श्रेष्ठ समय माना जाता है। 51. जैसलमेर से 16 किमी की दूरी पर स्थित, लोदुरवा जैसलमेर की प्राचीन राजधानी थी। 52. जैसलमेर की बाहरी सीमा पर स्थित लोकप्रिय सैर स्थलों में से एक, लोदुर्वा लोकप्रिय जैन मंदिर के लिए जाना जाता है, जो वर्ष भर तीर्थयात्राओं की एक बड़ी संख्या को आकर्षित करता है। 53. जैन मंदिर का मुख्य आर्षषण ‘कल्पतरू’ नामक एक दैवीय वृक्ष है और लोकप्रिय नक्काशियां और गुंबद मंदिर में अतिरिक्त आकर्षण को जोड़ते है। 54. वुड़ फॉसिल पार्क जैसलमेर के आस पास में उपलब्ध उत्कृष्ट सैर स्थलों में से एक है। 55. लाखों वर्ष पुराने जीवाश्मों के लिए प्रसिद्ध, वुड़ फॉसिल पार्क जैसलमेर में थार डेजर्ट का एक भूवैज्ञानिक चिन्ह है। 56. थार डेजर्ट का सौन्दर्य, जैसलमेर से 42 किमी दूर स्थित, सम रेतीले टीलों द्वारा अच्छी तरह बताया गया है। 57. सम रेत के टीले मानव को प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है। 58. सैंकड़ों और हजारों पर्यटक साम रेतीले टीलों से प्रकृति के अद्भुत कलात्मक दृश्य को देखने राजस्थान आते हैं और यह स्थान ऊँट अभियान के द्वारा अच्छी तरह बताया जा सकता है। 59. जैसलमेर के रेतीले शहर से 45 किमी दूर, डेजर्ट नेशनल पार्क रेतीले टीलों और झाड़ियों से ढकी पहाड़ियों के लिए जाना जाता है। 60. सैर की श्रेष्ठ जगह, डेजर्ट नेशनल पार्क काले हिरण, चिन्कारा, रेगिस्तानी लेमड़ी और श्रेष्ठ भारतीय बस्टर्ड के लिए प्रसिद्ध है। 61. जैसलमेर की सर्वश्रेष्ठ हवेलियों में से एक, अमर सागर नक्काशीदार स्तंभों और बड़े गलियारों और कमरों के लिए जानी जाती है। 62. खण्ड़ों के नमूनों पर निर्मित, अमर सागर हवेली एक पांच मंजिल ऊँची, सुंदर भित्ती चित्रोंसे सुसज्जित हवेली है। ६३। उदयपुर पूरब का वेनिस 63. उदयपुर मेवाड़ के प्राचीन राज्य की ऐतिहासिक राजधानी है औऱ वर्तमान में उदयपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। 64. झीलों और महलो का शहर, उदयपुर हरी भरी अरावली श्रेणी और स्फटिक स्वच्छ पानी की झील द्वारा घिरा हुआ है। 65. रोमांच औऱ सौंदर्य का उत्तम संयोजन, उदयपुर, चित्रकारों, कवियों, औऱ लेखकों की कल्पना के लिए प्रथम चयन हो सकता है। 66. उदयपुर राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है और अरावली श्रेणियों से घिरा हुआ है। 67. उदयपुर इसकी सुंदर झीलों, सुनिर्मित महलों, हरे भरे बगीचों और मंदिरों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस जगह के प्रमुख आकर्षण लेक पैलेस और सिटी पैलेस हैं। 68. सिटी पैलेस पिछोला झील के किनारे पर स्थित है, यह शीशे और कांच के कार्य से निर्मित एक भव्य और प्रेरणादायी गढ़ है। 69. कलाओं और परिकल्पनाओं का एक उत्तम संयोजन, सिटी पैलेस तकनीक और स्थापत्य में इसकी उन्नति के लिए जाना जाता है। 70. सिटी पैलेस का एक भाग अब एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया है, जो कला औऱ साहित्य के कुछ उत्तम रूपों को प्रदर्शित करता है। 71. उदयपुर कई संयुक्त आर्कषणों और प्राकृतिक सौन्दर्य से धन्य है, राजस्थान का एक प्रसिद्ध शहर इसके उत्कृष्य स्थापत्य और हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। 72. जग मंदिर, फतेह प्रकाश पैलेस, क्रिस्टल गैलरी, और शिल्पग्राम उदयपुर के आस पास में स्थित कुछ श्रेष्ठ स्मारक और स्थान हैं। 73. जग मंदिर पिछोला लेक में स्थित एक द्वीप महल है जो महाराजा करन सिंह ने राजकुमार खुर्रम के शरण स्थल के लिए बनवाया था। 74. जग मंदिर इसके सुंदर बगीचों, प्रांगण और स्लेटी और नीले पत्थर में प्रदर्शिरत नक्काशीदार “छत्री” के लिए भी जाना जाता है। 75. फतेह प्रकाश पैलेस विलासिता और सौर्दर्य का एक उत्तम उदाहरण है जो उदयपुर को शाही आतिथ्य औरsundar hai संस्कृति के शहर के रूप में अभिव्यक्त करता है। 76. शिल्पग्राम आधुनिक अवधारणा को कम प्रमुखता देते हुए, गांव की अवधारणा पर बनाया गया है। 77. कलाओं, संस्कृति और शिल्प का एक उत्तम मिश्रण शिल्पग्राम में प्रदर्शित किया गया है और इसके मिट्टी के काम के लिए जाना जाता है, जो मुख्यतः गहरी भूरी और गहरी लाल मिट्टी में किया जाता है। 78. मेवाड़ उत्सव उदयपुर के महत्वपूर्ण उत्सवों में से एक है और प्रतिवर्ष अप्रैल माह में मनाया जाता है। 79. उदयपुर में खरीददारी हमेशा एक सुखदायी अनुभव है और यह स्थानीय व्यापारियों द्वारा विकसित उत्कृष्ट हस्तशिल्प और कार्यों को दिखाती है। 80. उदयपुर के मुख्य बाजार पैलेस रोड़, हाथी पोल, बड़ा बाजार, बापू बाजार और चेतक सर्किल हैं। राजस्थली राजस्थान सरकार का स्वीकृति प्राप्त विक्रय केन्द्र है। 81. सितंबर से मार्च उदयपुर भ्रमण का सबसे उत्तम मौसम है। 82. udaipur sdaf बीकानेर 82. राजसी शहर बीकानेर का एक अद्वितिय कालजयी आकर्षण है। 83. राजस्थान का यह रेगिस्तानी शहर इसके आकर्षणों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें दुर्ग, मंदिर, और कैमल फेस्टिवल शामिल हैं। ऊँटों के देश के रूप में प्रचलित बीकानेर नें औद्योगिक क्षेत्र में भी एक छाप बनाई है। 84. इसकी बीकानेरी मिठाइयों औऱ नाश्ते के लिए संसार में सुप्रसिद्ध, बीकानेर का प्रगतिशील पर्यटन उद्योग भी राजस्थान की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 85. एक रोमांचक ऊँट की सवारी की आशा करने वाले पर्यटकों के लिए बीकानेर एक प्रमुख केन्द्र भी है, जो सुदूर राजस्थान की उत्तम जीवन शैली में अन्तदृष्टी प्रदान करता है। 86. जूनागढ़ दुर्ग के अन्दर एक संग्रहालय है, जिसमें बहुमूल्य पुरातन वस्तुओं का संग्रह है। 87. लालगढ़ पैलेस महाराजा गंगा सिंह द्वारा बनवाया गया था और बीकानेर शहर से 3 किमी उत्तर में स्थित है। 88. दि राजस्थान टूरिज्म डवलपमेन्ट कॉर्पोरेशन(आर.टी.डी.सी.) ने लालगढ़ पैलेस का एक भाग एक होटल में बदल दिया है। 89. लालगढ़ पैलेस के अन्दर एक पुस्तकालय भी है, जिसमें ब़डी संख्या में संस्कृत पाण्डुलिपियां हैं। 90. गजनेर वन्य जीव अभ्यारण्य बीकानेर शहर से 32 किमी दूर है औऱ जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियों का घर है। 91. भाण्डेश्वर और साण्डेश्वर मंदिर दो भाईयों द्वारा बनवाये गये थे और जैन तीर्थंकर, पार्श्वनाथ जी को समर्पित हैं। 92. कांच का कार्य और सोने के वर्क के चित्र भाण्डेश्वर औऱ साण्डेश्वर मंदिरों के प्रमुख आकर्षण हैं। 93. दि गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम में मिट्टी के बर्तनों, चित्रों, कालीनों, सिक्कों और शस्त्रागारों का एक बड़ा संग्रह है। 94. केमल फेस्टीवल प्रतिवर्ष जनवरी महीने में मनाया जाता है और राजस्थान के डिपार्टमेन्ट ऑफ टूरिज्म, आर्ट एण्ड कल्चर द्वारा आयोजित किया जाता है। 95. प्रसिद्ध बीकानेरी भुजिया और मिठाईयां बीकानेर में खरीददारी के कुछ सबसे अच्छे सामान हैं। 96. rajpooto ne in sabhi vibhago ka parachin Time me nirman karwaya sirf rajpoot\ माउण्ट आबू 97.माउण्ट आबू, अरावली श्रेणी के दक्षिणी शिखर पर स्थित, राजस्थान का एकमात्र पर्वतीय स्थल है। 98.ब्रिटिश शासन के दौरान माउण्ट आबू अंग्रेजों का मनपसंद ग्रीष्मकालीन गन्तव्य बन गया । 99. गौमुख मंदिर भगवान राम को समर्पित है, यह छोटा मंदिर माउण्ट आबू के 4 किमी दक्षिण मे स्थित है और इसका नाम एक संगमरमर का गाय के मुंह से बहते हुए एक प्राकृतिक झरने से लिया है। 100. नक्की झील, एक कृत्रिम झील कस्बे के हृदय में स्थित है और सुदृश्य पहाड़ियों, सुंदर बगीचों से घिरा हुआ है और एक अवश्य दर्शनीय स्थान है।......................................... 101. मराठा सम्राट शिवाजी राजे मदिर .............................................. सीकर जिला 102. हर्षनाथ मंदिर, 103. जीण माता मंदिर, 104. लोहार्गल, 105. सांई मंदिर, 106. खाटूश्यामजी। 107. भूतेश्वर महादेव मंदिर भूतगाँव सिरोही

क्रांतिवीर : बलजी-भूरजी

बलजी-भूरजी राजस्थान राज्य की जागीर बठोठ-पटोदा के ठाकुर बलजी शेखावत दिनभर अपनी जागीर के कार्य निपटाते,लगान की वसूली करते,लोगों के झगड़े निपटाकर न्याय करते,किसी गरीब की जरुरत के हिसाब से आर्थिक सहायता करते हुए अपने बठोठ के किले में शान से रहते ,पर रात को सोते हुए उन्हें नींद नहीं आती,बिस्तर पर पड़े पड़े वे फिरंगियों के बारे में सोचते कि कैसे वे व्यापार करने के बहाने यहाँ आये और पुरे देश को उन्होंने गुलाम बना डाला | ज्यादा दुःख तो उन्हें इस बात का होता कि जिन गरीब किसानों से वे लगान की रकम वसूल कर सीकर के राजा को भेजते है उसका थोड़ा हिस्सा अंग्रेजों के खजाने में भी जाता | रह रह कर उन्हें फिरंगियों पर गुस्सा आता और साथ में उन राजाओं पर भी जिन्होंने अंग्रेजों की दासता स्वीकार करली थी | पर वे अपना दुःख किसे सुनाये,अकेले अंग्रेजों का मुकाबला भी कैसे करें सभी राजा तो अंग्रेजों की गोद में जा बैठे थे | उन्हें अपने पूर्वज डूंगरसीं व जवाहरसीं की याद भी आती जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष छेड़ा था और जोधपुर के राजा ने उन्हें विश्वासघात से पकड़ कर अंग्रेजों के हवाले कर दिया था,अपने पूर्वज डूंगरसीं के साथ जोधपुर महाराजा द्वारा किये गए विश्वासघात की बात याद आते ही उनका खून खोल उठता था वे सोचते कि कैसे जोधपुर रियासत से उस बात का बदला लिया जाय | आज भी बलजी को नींद नहीं आ रही थी वे आधी रात तक इन्ही फिरंगियों व राजस्थान के सेठ साहूकारों द्वारा गरीबों से सूद वसूली पर सोचते हुए चिंतित थे तभी उन्हें अपने छोटे भाई भूरजी की आवाज सुनाई दी | भूरजी अति साहसी व तेज मिजाज रोबीले व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे उनके रोबीले व्यक्तित्व को देखकर अंग्रेजों ने भारतीय सेना की आउट आर्म्स राइफल्स में उन्हें सीधे सूबेदार के पद पर भर्ती कर लिया था| एक अच्छे निशानेबाज व बुलंद हौसले वाले फौजी होने के साथ भूरजी में स्वाभिमान कूट कूटकर भरा था | अंग्रेज अफसर अक्सर भारतीय सैनिकों के साथ दुर्व्यवहार करते थे ये भेदभाव भूरजी को बर्दास्त नहीं होता था सो एक दिन वे इसी तरह के विवाद पर एक अंग्रेज अफसर की हत्या कर सेना से फरार हो गए | सभी राज्यों की पुलिस भूरजी को गिरफ्तार करने हेतु उनके पीछे पड़ी हुई थी और वे बचते बचते इधर उधर भाग रहे थे | आज आधी रात में बलजी को उनकी (भूरजी) आवाज सुनाई दी तो वे चौंके,तुरंत दरवाजा खोल भूरजी को किले के अन्दर ले गले लगाया,दोनों भाइयों ने कुछ क्षण आपसी विचार विमर्श किया और तुरंत ऊँटों पर सवार हो अपने हथियार ले बागी जिन्दगी जीने के लिए किले से बाहर निकल गए उनके साथ बलजी का वफादार नौकर गणेश नाई भी साथ हो लिया | अब दोनों भाई जोधपुर व अन्य अंग्रेज शासित राज्यों में डाके डालने लगे ,जोधपुर रियासत में तो डाके डालने की श्रंखला ही बना डाली | जोधपुर रियासत के प्रति उनके मन में पहले से ही काफी विरोध था |धनी व्यक्ति व सेठ साहूकारों को लुट लेते और लुटा हुआ धन शेखावाटी में लाकर जरुरत मंदों के बीच बाँट देते | लूटे गए धन से किसी गरीब की बेटी की शादी करवाते तो किसी गरीब बहन के भाई बनकर उसके बच्चों की शादी में भात भरने जाते | हर जरुरत मंद की वे सहायता करते जोधपुर,आगरा, बीकानेर,मालवा,अजमेर,पटियाला,जयपुर रियासतों में उनके नाम से धनी व सेठ साहूकार कांपने लग गए थे | साहूकारों के यहाँ डाके डालते वक्त सबसे पहले बलजी-भूरजी उनकी बहियाँ जला डालते थे ताकि वे गरीबों को दिए कर्ज का तकादा नहीं कर सके | गरीब,जरुरत मंद व असहाय लोगों की मदद करने के चलते स्थानीय जनता ने उन्हें मान सम्मान दिया और बलसिंह -भूरसिंह के स्थान पर लोग उन्हें बाबा बलजी- भूरजी कहने लगे | और यही कारण था कि पुरे राजस्थान की पुलिस उनके पीछे होने के बावजूद वे शेखावाटी में स्वछन्द एक स्थान से दुसरे स्थान पर घूमते रहे | लोग उनके दल को अपने घरों में आश्रय देते,खाना खिलाते ,उनका सम्मान करते | वे भी जो रुखी सुखी रोटी मिल जाती खाकर अपना पेट भर लेते कभी किसी गांव में तो कभी रेत के टीलों पर सो कर रात गुजार देते |गांव के लोगों से जब भी वे मिलते ग्रामीणों को फिरंगियों के मंसूबों से अवगत कराते,राजाओं की कमजोरी के बारे में उन्हें सचेत करते,कैसे सेठ साहूकार गरीबों का शोषण करते है के बारे में बताते | कई लोग उनके नाम से भी वारदात करने लगे ,पता चलने पर बलजी-भूरजी उन्हें पकड़कर दंड देते और आगे से हिदायत भी देते कि उनके नाम से कभी किसी ने किसी गरीब को लुटा या सताया तो उसकी खैर नहीं होगी | उनके दल में काफी लोग शामिल हो गए थे पर जो लोग उनके दल के लिए बनाये कठोर नियमों का पालन नहीं करते बलजी उन्हें निकाल देते थे | उनके नियम थे - किसी गरीब को नहीं सताना,किसी औरत पर कुदृष्टि नहीं डालना,डाका डालते वक्त भी उस घर की औरतों को पूरा सम्मान देना आदि व डाके में मिला धन गरीबों व जरुरत मंदों के बीच बाँट देना | 20 वर्ष तक इन बागियों को रियासतों की पुलिस द्वारा नहीं पकड़पाने के चलते अंग्रेज अधिकारी खासे नाराज थे और डीडवाना के पास मुटभेड में जोधपुर रियासत के इन्स्पेक्टर गुलाबसिंह की हत्या के बाद तो जोधपुर रियासत की पुलिस ने इन्हें पकड़ने का अभियान ही चला दिया | अंग्रेज अधिकारीयों ने जोधपुर पुलिस को सीकर व अन्य राज्यों की सीमाओं में घुसकर कार्यवाही करने की छुट दे दी | जोधपुर रियासत ने बलजी-भूरजी को पकड़ने हेतु अपने एक जांबाज पुलिस अधिकारी पुलिस सुपरिडेंट बख्तावरसिंह के नेतृत्व में तीन सौ सिपाहियों का एक विशेष दल बनाया | बख्तावरसिंह ने अपने दल के कुछ सदस्यों को उन इलाकों में ग्रामीण वेशभूषा में तैनात किया जिन इलाकों में बलजी-भूरजी घुमा करते थे इस तरह उनका पीछा करते हुए बख्तावरसिंह को तीन साल लग गए,तीन साल बाद 29 अक्तूबर 1926 को कालूखां नामक एक मुखबिर ने बख्तावरसिंह को बलजी-भूरजी के रामगढ सेठान के पास बैरास गांव में होने की सुचना दी | कालूखां भी पहले बलजी-भूरजी के दल में था पर किसी विवाद के चलते वह उनका दल छोड़ गया था | सुचना मिलते ही बख्तावरसिंह अपने हथियारों से सुसज्जित विशेष दल के तीन सौ सिपाहियों सहित ऊँटों व घोड़ों पर सवार हो बैरास गांव की और चल दिया | बख्तावरसिंह के आने की खबर ग्रामीणों से मिलते ही बलजी-भूरजी ने भी मौर्चा संभालने की तैयारी कर ली | उन्होंने बैरास गांव को छोड़ने का निश्चय किया क्योंकि बैरास गांव की भूमि कभी उनके पुरखों ने चारणों को दान में दी थी इसलिए वे दान में दी गयी भूमि पर रक्तपात करना उचित नहीं समझ रहे थे अत : वे बैरास गांव छोड़कर उसी दिशा में सहनुसर गांव की भूमि की और बढे जिधर से बख्तावर भी अपनी फ़ोर्स के साथ आ रहा था | रात्री का समय था बलजी-भूरजी ने एक बड़े रेतीले टीले पर मोर्चा जमा लिया उधर बख्तावर की फ़ोर्स ने भी उन्हें तीन और से घेर लिया | बलजी ने अपने सभी साथियों को जान बचाकर भाग जाने की छुट दे दी थी सो उनके दल के सभी सदस्य भाग चुके थे ,अब दोनों भाइयों के साथ सिर्फ उनका स्वामिभक्त नौकर गणेश ही शेष रह गया था | 30 अक्तूबर 1926 की सुबह चार बजे आसपास के गांव वालों को गोलियां चलने की आवाजें सुनाई दी | दोनों और से कड़ा मुकबला हुआ ,भूरजी ने बख्तावरसिंह के ऊंट को गोली मार दी जिससे बख्तावरसिंह पैदल हो गया और उसने एक पेड़ का सहारा ले भूरजी का मुकाबला किया ,उधर कुछ सिपाही टीले के पीछे पहुँच गए थे जिन्होंने पीछे से वार कर बलजी को गोलियों से छलनी कर दिया | भूरजी के पास भी कारतूस ख़त्म हो चुके थे तभी गणेश रेंगता हुआ बलजी की मृत देह के पास गया और उनके पास रखी बन्दुक व कारतूस लेकर भूरजी की और बढ़ने लगा तभी उसको भी गोली लग गयी पर मरते मरते उसने हथियार भूरजी तक पहुंचा दिए | भूरजी ने कोई डेढ़ घंटे तक मुकाबला किया | बख्तावर सिंह की फ़ोर्स के कई सिपाहियों को उसने मौत के घाट उतार दिया और उसे कब गोली लगी और कब वह मृत्यु को प्राप्त हो गया किसी को पता ही नहीं चला ,जब भूरजी की और से गोलियां चलनी बंद हो गयी तब भी बख्तावरसिंह को भरोसा नहीं था कि भूरजी मारा गया है कई घंटो तक उसकी देह के पास जाने की किसी की हिम्मत तक नहीं हुई | आखिर बख्तावर ने दूरबीन से देखकर भूरजी के मरने की पुष्टि की जब उनके शव के पास जाया गया | बख्तावरसिंह ने बलजी-भूरजी के मारे जाने की खबर जोधपुर जयपुर तार द्वारा भेजी व लाशों को एक जगह रख वहीँ पहरे पर बैठ गया तीसरे दिन जोधपुर के आई.जी.पी.साहब आये उन्होंने लाशों की फोटो आदि खिंचवाई व उनके सिर काटकर जोधपुर ले जाने की तैयारी की पर वहां आस पास के ग्रामीण इकठ्ठा हो चुके थे पास ही के महनसर व बिसाऊ के जागीरदार भी पहुँच चुके थे उन्होंने मिलकर उनके सिर काटने का विरोध किया | आखिर जन समुदाय के आगे अंग्रेज समर्थित पुलिस को झुकना पड़ा और शव सौपने पड़े | जन श्रुतियों के अनुसार बख्तावरसिंह को बलजी-भूरजी के मारे जाने पर इतनी आत्म ग्लानी हुई कि उसने तीन दिन तक खाना तक नहीं खाया | उनके दाह संस्कार के लिए सहनुसर गांव के ग्रामीण तीन पीपे घी के लाये,उसी गांव के गोमजी माली व मोहनजी सहारण (जाट) अपने खेतों से चिता के लिए लकड़ी लेकर आये और तीनों का उसी स्थान पर दाह संस्कार किया गया जहाँ वे शहीद हुए थे | उनकी चिता को मुखाग्नि बिसाऊ के जागीरदार ठाकुर बिशनसिंह जी ने दी | अस्थि संचय व बाकी के क्रियाक्रम उनके पुत्रों ने आकर किया | आस पास के गांव वालों ने उनके दाह संस्कार के स्थान पर ईंटों का कच्चा चबूतरा बनवा दिया | सीकर के राजा कल्याणसिंघजी ने बलजी-भूरजी के नाम पर दाह संस्कार स्थान की ४० बीघा भूमि गोचर के रूप में आवंटित की | जिसमे से ३० बीघा भूमि तो पंचायतों ने बाद में भूमिहीनों को आवंटित कर दी अब शेष बची १० बीघा भूमि को "बलजी-भूरजी स्मृति संस्थान" ने सुरक्षित रखने का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया ये भूमि बलजी-भूरजी की बणी के रूप में जानी जाती है | कच्चे चबूतरे की जगह अब उनके स्मारक के रूप में छतरियां बना दी गयी है ,जहाँ उनकी पुण्य तिथि पर हजारों लोग उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने इकट्ठा होते है | जो बलजी-भूरजी अंग्रेज सरकार व जोधपुर रियासत के लिए सिरदर्द बने हुए थे मृत्यु के बाद लोग उन्हें भोमियाजी(लोकदेवता) मानकर उनकी पूजा करने लगे | आज भी आस-पास के लोग अपनी शादी के बाद गठ्जोड़े की जात देने उनके स्मारक पर शीश नवाते है,अपने बच्चों का जडुला (मुंडन संस्कार) चढाते है | रोगी अपने रोग ठीक होने के लिए मन्नत मांगते है तो कोई अपनी मन्नत पूरी होने पर वहां रतजगा करने आता है | भोपों ने उनकी वीरता के लिए गीत गाये तो कवियों ने उनकी वीरता,साहस व जन कल्याण के कार्यों पर कविताएँ ,दोहे रचे | जोधपुर रियासत में उनके द्वारा डाले गए धाड़ों पर एक कवि ने यूँ कहा - बीस बरस धाड़न में बीती , मारवाड़ नै करदी रीति | राजाओं द्वारा अंग्रेजों की दासता स्वीकार करने से दुखी बलजी अपने भाव इस प्रकार व्यक्त किया करते - रजपूती डूबी जणां, आयो राज फिरंग | रजवाड़ा भिसळया अठै ,चढ्यो गुलामी रंग | राजपूतों के रजपूती गुण खोने (डूबने) के कारण ही ये फिरंगी राज पनपा है | राजपुताना के रजवाड़ों ने अपना कर्तव्य मार्ग खो दिया है और उनके ऊपर गुलामी का रंग चढ़ गया है | रजपूती ढीली हुयां,बिगडया सारा खेल | आजादी नै कायरां,दई अडानै मेल || राजपूतों में रजपूती गुणों की कमी के चलते ही सारा खेल बिगड़ गया है | कायरों ने आजादी को गिरवी रख दिया है |

हरियाली अमावस्या

अमावस्या में श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहर सावन में प्रकृति पर आई बहार की खुशी में मनाया जाता है। हरियाली अमावस पर पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती हैं और परिक्रमा दी जाती है। इस दिन मालपूए का भोग बनाकर चढाये जाने की परम्परा है। हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण का अधिक महत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि एक पे़ड दस पुत्रों के समान होता है। पे़ड लगाने के सुख बहुत होते है और पुण्य उससे भी अधिक होते हैं। वृक्ष सदा उपकार की खातिर जीते है। इसलिये हम वृक्षों के कृतज्ञ है। वृक्षों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने हेतु परिवार के प्रति व्यक्ति को हरियाली अमावस्या पर एक-एक पौधा रोपण करना चाहिये। पे़ड-पौधों का सानिध्य हमारे तनाव को तथा दैनिक उलझनों को कम करता है। वृक्षों में देवताओं का वास- धार्मिक मान्यता अनुसार वृक्षों में देवताओं का वास बताया गया है। पीपल के वृक्ष में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है। इसी प्रकार आंवले के पे़ड में लक्ष्मीनारायण के विराजमान की परिकल्पना की गई है। इसके पीछे वृक्षों को संरक्षित रखने की भावना निहित है। पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए ही हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण करने की प्रथा बनी। इस दिन कई शहरों व गांवों में हरियाली अमावस के मेलों का आयोजन किया जाता है। जिसमें सभी वर्ग के लोंगों के साथ युवा भी शामिल हो उत्सव व आनंद से पर्व मनाते हैं। गु़ड व गेहूं की धानि का प्रसाद दिया जाता है। स्त्री व पुरूष इस दिन गेहूं, ज्वार, चना व मक्का की सांकेतिक बुआई करते हैं जिससे कृषि उत्पादन की स्थिति क्या होगी का अनुमान लगाया जाता है। मध्यप्रदेश में मालवा व निम़ाड, राजस्थान के दक्षिण पश्चिम, गुजरात के पूर्वोत्तर क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश के दक्षिण पश्चिमी इलाकों के साथ ही हरियाणा व पंजाब में हरियाली अमावस्या को पर्व के रूप में मनाया जाता है।

➖बेटी v/s बहू➖

✅बेटी ससुराल में खुश होती है तो खुशी होती है और ☑बहू ससुराल में खुश है....तो खराब लगता है ➖➖➖➖➖➖ ✅दामाद बेटी की मदद करे...तो अच्छा लगता है और ☑बेटा बहू की मदद करे तो जोरू का गुलाम कहा जाए ➖➖➖➖➖➖ ✅बेटी जींस पहने तो खुश होते है कि मार्डन फेमिली है और ☑बहू जींस पहने तो ...उसे बेशर्म कहते है ➖➖➖➖➖➖ ✅बेटी को ससुराल में अकेले काम करना पड़े तो खराब लगता है कि मेरी बेटी थक जायेगी और ☑बहू सारा दिन अकेले काम करे....फिर भी बहू काम-चोर कहलाये ➖➖➖➖➖➖ ✅ बेटी की सास और ननद काम...ना करे तो गुस्सा आता है ♦और ☑ जब अपने घर में वो बहू की मदद ना करे तो वो सही लगता है ➖➖➖➖➖➖ ✅बेटी की ससुराल वाले ताना...मारे तो गुस्सा आता है ♦और ☑खुद बहू के मायके वालों को....ताना मारे तो सही लगता है ➖➖➖➖➖➖ ✅ बेटी.....को रानी बनाकर रखने वाली ससुराल चाहिए ♦और ☑ खुद को...बहू कामवाली चाहिए ➖➖➖➖➖➖ 👉 लोग यह क्यूं भूल जाते है कि बहू भी किसी की बेटी है 👉 वो भी तो अपने माता-पिता भाई-बहन शहर-सहेली आदि को छोड़कर..आपके साथ नये जीवन की शुरूवात करने आई है ◆जो भी सास-ससुर◆ यह..msg...पढ़ रहे है वे कोशिश करें कि बहू और बेटी में कभी फर्क ⭕ ना माने ⭕ तभी यह दुनिया बदलेगी समाज बदलेगा.......और ....आपकी बेटियां भी.... ससुराल में आनंद से रहेगी ||

राजस्थान के मेले 1

राजस्थान के मेले 1 त्रिपुरा सुन्दरी का मेला - तिलवाडा - बाड़मेर घुमेश्वर का मेला - शिवाडा - सवाई माधोपुर जीणमाता का मेला - रेवासा - सीकर खेजडली का मेला - खेजडली - जोधपुर पीर का उर्स - जालौर सीताबाडी का मेला - सीताबाडी - कोटा मानगढ का मेला - मानगढ - कोटा मल्लीनाथ पशु मेला – तिलवाड़ा, बाड़मेर तेजाजी पशु मेला – परबतसर, नागौर गोगामेड़ी पशु मेला – गोगामेड़ी हनुमानगढ़ जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला – भरतपुर गोमती सागर पशु मेला – झालरापाटन, झालावाड़ रामदेव पशु मेला – नागौर राणी सती का मेला- झुंझुनूं शीतला माता का मेला - जयपुर(सील कि डूंगरी) बाणगंगा का मेला - बैराठ -जयपुर रामदेवरा का मेला - रामदेवरा - जैसलमेर महावीर जी का मेला - हिन्डौन - करौली उर्स का मेला - अजमेर कपिल मुनि का मेला - कोलायत - बीकानेर चार भुजा का मेला - चारभुजा - उदयपुर

ताड़का का हसबैंड

सभी पतियों की तरफ से कुछ "अर्ज़" हैं,जिसे जहाँ अपने लिए अच्छा लगे वो वहां फिट कर ले :- जब भी कुछ खाने लगता हूँ मुझे वो रोक देती है I लगा कर तो कभी तड़का तवे पर झोंक देती है I जिस्म का दर्द ये कैसे कहूँ के तुम ही बतलाओ, कभी बेलन, कभी करछी, मुझे वो ठोक देती है II मैं कुछ कह नहीं सकता के वो ही भोंक देती है I कभी कुछ कह भी दूँ तो बीच ही में टोक देती है I के दो कौड़ी की है औकात अब अपनी यहाँ यारों, कभी मैं मांग लूं लस्सी, मुझे वो कोक देती है II के घर के बाहर जाकर खुद को मैं आज़ाद करता हूँ I के मैं तो रो ही देता हूँ उसे जब याद करता हूँ I जन्म हो सांतवा मेरा इस शादी के बंधन का, बंधू न अब कभी उस संग यही फ़रियाद करता हूँ II डिनर में नखरा कर दूँ तो मेरी शामत आ जाती है I वही सब्जी, वही दालें, वही बैगन खिलाती है I नज़र वो मुझ पर रखती है हमेशा संग-संग रहकर, छाती पर मूंग दलती है, कभी ना मायके जाती है II उसे सब गोलगट्टम-लक्कड़-फट्टम- क्रिकेट बुलाते हैं I मुझे सब सैट कहते हैं उसे सब हैण्ड बुलाते हैं I कहूँ कैसे कि खुश हूँ मैं सभी की बात सुनकर जी, मुझे सब ताड़का का दोस्तों, हसबैंड बुलाते हैं II

सोमवार, 1 अगस्त 2016

Badlti duniya

समय के साथ ज़माना बड़ा फ़ास्ट होता जा रहा है। इंसानी के पास फुर्सत ही नहीं है इंसानों से मिलने के लिए। आज सबके लिए महत्वपूर्ण है कम्प्यूटर और मोबाइल जैसे अत्याधुनिक मशीने। लेकिन क्या हमें ऐसा नहीं लगता कि हम रिश्ते से दुरिया बना रहे है। अब देखिये ना, हमें कुछ भी ढूंढना या जानना हो तो हम तुरंत गूगल की ओर अपना रुख मोड़ लेते है, वैसे वहां से हमें सारी जानकारी मिल भी जाती है, लेकिन नहीं मिलती तो वो प्यार भरी बातें जो सिर्फ अपने ही दे सकते है। क्या आप कभी किसी बुजुर्ग के पास कुछ समय बिताते है? अगर नहीं तो आप ईश्वर के वरदान से महरूम है। यकीन मानिए बुजुर्गो के पास कुछ वक्त बिताने से कई रोचक जानकारीयां तो मिलती ही है पर एक अजीब सा सुकून भी मिलता है। आपको पता है आज भी गावं में रहने वाले बुजुर्ग आसमान की ओर देख कर ही सही समय का अंदाजा लगा लेते है, वो बता देते है कि किस वक्त और किस दिन बारिश होने वाली है। उन्हें किसी गूगल या घड़ी की ज़रूरत नहीं पड़ती। हां, उन्हें अपनों की कमी ज़रूर महसूस होती है, क्योकि गावं में वो अकेले होते है, उनसे बात करने वाला कोई नहीं। इसमें ऐसा नहीं है कि गलती हमारी है। दरअसल माहौल ही ऐसा बन चूका है कि लोग समय के साथ ताल से ताल मिलाकर चलना चाहते है। हर कोई कामयाब होना चाहता है और कामयाबी हासिल करने में रिश्तो से दूरी बनती जा रही है। आज भी कई ऐसे दिग्गज है, जिन्होंने समाज में नाम, शोहरत, पैसा कमाया है पर जब जिंदगी में कही अटकते है तो उन्हें कोई बुजुर्ग ही याद आती है। वो बुजुर्ग इंसान ही है जो अपनी सोच और अनुभव से सही रास्ता का चुनाव करने में मदद करता है। कहानियों से तो बच्चे बेहद दूर है। बचपन में ही माँ-बाप उन्हें भी मोबाइल दे देते है, जिसमे आधुनिक गेम होती है और चलचित्र कहानियां होती है। बच्चे इन चीजो से खुश है पर क्या आप अपने बच्चो के परवरिश से संतुष्ठ है? बुजुर्ग ईश्वर का आशीर्वाद है. जिनके पास नहीं वो इच्छुक है और जिनके पास बुजुर्ग है, उन्हें उनकी कदर नहीं। यही संसार की रीत है और यही संसार का नियम। लेकिन हम आपसे निवेदन करते है कि मौक़ा मिलते ही कुछ देर ज़रूर बिताए बुजुर्गो के साथ…क्योकि हर चीज गूगल पर नहीं मिलती।

राजस्थानी में वर्षा अनुमान:

आगम सूझे सांढणी, दौड़े थला अपार ! पग पटकै बैसे नहीं, जद मेह आवणहार !! ..सांढनी (ऊंटनी) को वर्षा का पूर्वाभास हो जाता है. सांढणी जब इधर-उधर भागने लगे, अपने पैर जमीन पर पटकने लगे और बैठे नहीं तब समझना चाहिए कि बरसात आयेगी ! ---☔☔ मावां पोवां धोधूंकार, फागण मास उडावै छार| चैत मॉस बीज ल्ह्कोवै, भर बैसाखां केसू धोवै || .... माघ और पोष में कोहरा दिखाई पड़े, फाल्गुन में धुल उड़े, चैत्र में बिजली न दिखाई दे तो बैशाख में वर्षा हो| ----☃☃ अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय| पो ही मूल न होय तो, म्ही डूलंती जोय || .....अक्षय तृतीया पर रोहणी नक्षत्र न हो, रक्षा बंधन पर श्रवण नक्षत्र न हो और पौष की पूर्णिमा पर मूल नक्षत्र न हो तो संसार में विपत्ति आवे| ----🌨🌨 अत तरणावै तीतरी, लक्खारी कुरलेह| सारस डूंगर भमै, जदअत जोरे मेह || .... तीतरी जोर से बोलने लगे, लक्खारी कुरलाने लगे, सारस पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ने लगे तो ये सब जोरदार वर्षा आने के सूचक है !! ----☃☃ आगम सूझै सांढणी, तोड़ै थलां अपार। पग पटकै, बैसे नहीं, जद मेहां अणपार। ....यदि चलती ऊँटनी को रात के समय ऊँघ आने लगे, तब भी बरसात का होना माना जाता है। ------☔☔ तीतर पंखी बादली, विधवा काजळ रेख बा बरसै बा घर करै, ई में मीन न मेख || ....यदि तीतर पंखी बादली हो (तीतर के पंखों जैसा बादलों का रंग हो) तो वह जरुर बरसेगी| विधवा स्त्री की आँख में काजल की रेखा दिखाई दे तो समझना चाहिए कि अवश्य ही नया घर बसायेगी, इसमें कुछ भी संदेह नहीं !! ----🐪☔ अगस्त ऊगा मेह पूगा| ....अगस्त्य तारा उदय होने पर वर्षा का अंत समझना चाहिए ----💫🌧 अगस्त ऊगा मेह न मंडे, जो मंडे तो धार न खंडे || ....अगस्त तारा उदय होने पर प्राय: वर्षा नहीं होती, लेकिन कभी हो तो फिर खूब जोरों से होती है । ----🌟⛈ अम्मर पीलो मेह सीलो | ....वर्षा ऋतू में आसमान का रंग पीलापन लिए दिखाई पड़े तो वर्षा मंद पड़ जाती है| अम्बर रातो| मेह मातो|| ....वर्षा ऋतू में यदि आसमान लाल दिखाई पड़े, लालिमा छाई हो तो अत्यधिक वर्षा होती है| अम्बर हरियौ, चुवै टपरियौ | ...आकाश का हरापन सामान्य वर्षा का धोतक है| -----🌩⛅ काळ कसुमै ना मरै, बामण बकरी ऊंट| वो मांगै वा फिर चरै, वो सूका चाबै ठूंठ|| ...ब्राह्मण, बकरी और ऊंट दुर्भिक्ष के समय भी भूख के मारे नहीं मरते क्योंकि ब्राह्मण मांग कर खा लेता है, बकरी इधर उधर गुजारा कर लेती है और ऊंट सूखे ठूंठ चबा कर जीवित रह सकता है| ----🐪🐪 धुर बरसालै लूंकड़ी, ऊँची घुरी खिणन्त| भेली होय ज खेल करै, तो जळधर अति बरसन्त| ....यदि वर्षा ऋतू के आरम्भ में लोमड़िया अपनी “घुरी” उंचाई पर खोदे एवं परस्पर मिल कर क्रीड़ा करें तो जानो वर्षा भरपूर होगी|| ----🐯🌧