मंगलवार, 23 अगस्त 2016

Su-vichar

किसी शख्शियत ने.. ✏बेजुबान पत्थर पे लदे हैं करोंडो के गहने मंदिरो में, उसी देहलीज प एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है.. ************************ ✏सजे थे छप्पन भोग और मेवे मुर्ती के आगे, बाहर एक फ़कीर को भुख सें तड़प के मरते देखा है.. *********************** ✏लदी हुई है रेशमी चादरों सें वो हरी मजार, पर बाहर एक बुढ़ी अम्मा को ठंड सें ठिठुरते देखा है.. *********************** ✏वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए, घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है.. ************************ ✏सुना है चढ़ा था सुली पर कोई दुनिया का दर्द मिटाने को, आज चर्च में बेटे की मार सें बिलखते मां बाप को देखा है.. ************************ ✏जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन, आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत सें लड़ते देखा है.. *********************** ✏जिसने नहीं दी मां बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी, आज उनको लगाते "भंडारे" मरने के बाद देखा.. *********************** ✏दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने, आज पीटते उसी शौहर के हाथों सरे बाजार देखा है.. *********************** ✏मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारों, जिसे खुद को काल सर्प,तारे और हाथ की लकीरों का माहिर लिखते देखा है.. ********************** ✏जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों, आज उसीके आंगन में खिंचती दीवार को देखा है.. *********************** ✏बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर, अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा.. ********************* ✏आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर, अब इंसान सें ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता.. ********************** ✏गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है, उन्होंने देख लिया कि इंसान हमसें अच्छा नोंचता है.. ********************** ✏कुत्ते कोमा में चले गए,ये देखकर कि क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान को देखा है.. ✏दोस्तों इस कविता को मैंने आप तक पहुंचाने में सिर्फ उंगली का उपयोग किया है, और लिखने वाले को सादर नमन

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