गुरुवार, 18 अगस्त 2016

सावण आयो

शीश बोरलो नासा मे नथड़ी सौगड़ सोनो सेर कठे , कठे पौमचो मरवण को बोहतर कळिया को घेर कठे,! कठे पदमणी पूंगळ की ढोलो जैसलमैर कठै, कठे चून्दड़ी जयपुर की साफौ सांगानेर कठे ! गिणता गिणता रेखा घिसगी पीव मिलन की रीस कठे, ओठिड़ा सू ठगियौड़़ी बी पणिहारी की टीस कठे! विरहण रातों तारा गिणती सावण आवण कौल कठे, सपने में भी साजन दीसे सास बहू का बोल कठे! छैल भवंरजी ढौला मारू कुरजा़ मूमल गीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे!! हरी चून्दड़ी तारा जड़िया मरूधर धर की छटा कठे, धौरा धरती रूप सौवणौ काळी कळायण घटा कठे! राखी पुनम रैशम धागे भाई बहन को हेत कठे, मौठ बाज़रा सू लदीयौड़ा आसौजा का खैत कठे! आधी रात तक होती हथाई माघ पौष का शीत कठे, सुख दःख में सब साथ रेवता बा मिनखा की प्रीत कठे! जन्मया पैला होती सगाई बा वचना की परतीत कठे, गाँव गौरवे गाया बैठी दूध दही नौनीत कठे! दादा को करजौ पोतों झैले बा मिनखा की नीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे!! जाज़म बैठ्या मूँछ मरौड़े अमला की मनवार कठे, दोगज ने जो फिरतो रैतों भूखों गाजणहार कठे! काळ पड़ीया कौठार खौलता दानी साहूकार कठे, सड़का ऊपर लाडू गुड़ता गैण्डा की बै हुणकार कठे! पतिया सागे सुरग जावती बै सतवन्ती नार कठे, लखी बणजारो टांडौ ढाळै बाळद को वैपार कठे! धरा धरम पर आँच आवता मर मिटनै की हौड़ कठे, फैरा सू अधबिच में उठियौं बो पाबू राठौड़ कठे! गळियौं में गिरधर ने गावैं बी मीरा का गीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे!! बितौड़ा वैभव याद दिलवै रणथम्बौर चितौड़ जठे, राणा कुमभा को विजय स्तम्भ बलि राणा को मौड़ जठे! हल्दिघाटी में घूमर घालै चैतक चढ्यों राण जठे, छत्र छँवर छन्गीर झपटियौ बौ झालौ मकवाण कठे! राणी पदमणी के सागै ही कर सौलह सिणगार जठे, सजधज सतीया सुरग जावती मन्त्रा मरण त्यौहार कठे! जयमल पता गौरा बादल रैखड़का की तान कठे, बिन माथा धड़ लड़ता रैती बा रजपूती शान कठे! तैज केसरिया पिया कसमा साका सुरगा प्रीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे!! निरमौही चित्तौड़ बतावै तीनों सागा साज कठे, बौहतर बन्द किवाँड़ बतावै ढाई साका आज कठे! चित्तौड़ दुर्ग को पेलौ पैहरी रावत बागौ बता कठे, राजकँवर को बानौ पैरया पन्नाधाय को गीगो कठे! बरछी भाला ढाल कटारी तोप तमाशा छैल कठे, ऊंटा लै गढ़ में बड़ता चण्डा शक्ता का खैल कठे! जैता गौपा सुजा चूण्डा चन्द्रसेन सा वीर कठे, हड़बू पाबू रामदेव सा कळजुग में बै पीर कठे! कठे गयौ बौ दुरगौ बाबौ श्याम धरम सू प्रीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे! हाथी को माथौं छाती झाले बै शक्तावत आज कठे, दौ दौ मौतों मरबा वाळौ बल्लू चम्पावत आज कठे! खिलजी ने सबक सिखावण वाळौ सोनगिरौं विरमदैव कठे, हाथी का झटका करवा वाळौ कल्लो राई मलौत कठे! अमर कठे हमीर कठे पृथ्वीराज चौहान कठे, समदर खाण्डौ धोवण वाळौ बौ मर्दानौं मान कठे! मौड़ बन्धियोड़ौ सुरजन जुन्झै जग जुन्झण जुन्झार कठे, ऊदिया राणा सू हौड़ करणियौ बौ टौडर दातार कठे! जयपुर शहर बसावण वाळा जयसिंह जी सी रणनीत कठे, रूड़ा राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे !! रूडा़ राजस्थान बता वा थारी रूड़ी रीत कठे।

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