सोमवार, 1 अगस्त 2016

Badlti duniya

समय के साथ ज़माना बड़ा फ़ास्ट होता जा रहा है। इंसानी के पास फुर्सत ही नहीं है इंसानों से मिलने के लिए। आज सबके लिए महत्वपूर्ण है कम्प्यूटर और मोबाइल जैसे अत्याधुनिक मशीने। लेकिन क्या हमें ऐसा नहीं लगता कि हम रिश्ते से दुरिया बना रहे है। अब देखिये ना, हमें कुछ भी ढूंढना या जानना हो तो हम तुरंत गूगल की ओर अपना रुख मोड़ लेते है, वैसे वहां से हमें सारी जानकारी मिल भी जाती है, लेकिन नहीं मिलती तो वो प्यार भरी बातें जो सिर्फ अपने ही दे सकते है। क्या आप कभी किसी बुजुर्ग के पास कुछ समय बिताते है? अगर नहीं तो आप ईश्वर के वरदान से महरूम है। यकीन मानिए बुजुर्गो के पास कुछ वक्त बिताने से कई रोचक जानकारीयां तो मिलती ही है पर एक अजीब सा सुकून भी मिलता है। आपको पता है आज भी गावं में रहने वाले बुजुर्ग आसमान की ओर देख कर ही सही समय का अंदाजा लगा लेते है, वो बता देते है कि किस वक्त और किस दिन बारिश होने वाली है। उन्हें किसी गूगल या घड़ी की ज़रूरत नहीं पड़ती। हां, उन्हें अपनों की कमी ज़रूर महसूस होती है, क्योकि गावं में वो अकेले होते है, उनसे बात करने वाला कोई नहीं। इसमें ऐसा नहीं है कि गलती हमारी है। दरअसल माहौल ही ऐसा बन चूका है कि लोग समय के साथ ताल से ताल मिलाकर चलना चाहते है। हर कोई कामयाब होना चाहता है और कामयाबी हासिल करने में रिश्तो से दूरी बनती जा रही है। आज भी कई ऐसे दिग्गज है, जिन्होंने समाज में नाम, शोहरत, पैसा कमाया है पर जब जिंदगी में कही अटकते है तो उन्हें कोई बुजुर्ग ही याद आती है। वो बुजुर्ग इंसान ही है जो अपनी सोच और अनुभव से सही रास्ता का चुनाव करने में मदद करता है। कहानियों से तो बच्चे बेहद दूर है। बचपन में ही माँ-बाप उन्हें भी मोबाइल दे देते है, जिसमे आधुनिक गेम होती है और चलचित्र कहानियां होती है। बच्चे इन चीजो से खुश है पर क्या आप अपने बच्चो के परवरिश से संतुष्ठ है? बुजुर्ग ईश्वर का आशीर्वाद है. जिनके पास नहीं वो इच्छुक है और जिनके पास बुजुर्ग है, उन्हें उनकी कदर नहीं। यही संसार की रीत है और यही संसार का नियम। लेकिन हम आपसे निवेदन करते है कि मौक़ा मिलते ही कुछ देर ज़रूर बिताए बुजुर्गो के साथ…क्योकि हर चीज गूगल पर नहीं मिलती।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें